सनातन का सूर्योदय : हृदयनारायण दीक्षित
प्रकृति सदा से है। सदा रहती है। प्रलय में भी सब कुछ नष्ट नहीं होता। प्रकृति की शक्ति विराट है। यह दिव्य है सो देवता है। विभिन्न आर्य भाषाओं में देवता या देवी का सम्बंध प्रकाशवाची है। संस्कृत में जो देव हैं ग्रीक में वही थेओस् हैं। लैटिन में देउस हैं। आयरिश में दिया हैं। अमेरिकी विद्वान ब्लूमफील्ड ने ‘रिलीजन ऑफ दि वेद‘ में कहा है कि, ‘‘आर्यों ने देवता विषयक अपनी धारणा प्रकाश या प्रकाशमान आकाश से प्राप्त की थी।‘‘ जहां जहां दिव्यता वहां वहां देवता। भारतीय अनुभूति में अनेक देवता हैं। देवी भी हैं। देवी माता हैं। हम सब मां का विस्तार हैं। दुनिया की तमाम आस्थाओं में ईश अवतरण हैं। दैवी ज्ञान देने वाले देवदूत हैं। परमसत्ता या देवशक्ति भी इस जगत् में मां के माध्यम से ही आती है। मां न होती तो वे कैसे आते? हम सब इस जगत् में कैसे होते?सृष्टि का विकास जल से हुआ। यूनानी दार्शनिक थेल्स, चार्ल्स डार्विन स...