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साहित्य संवाद

ज्ञान और सत्य ही एकता के सुनिश्चित आधार हैं

ज्ञान और सत्य ही एकता के सुनिश्चित आधार हैं

सामाजिक, साहित्य संवाद
ज्ञान और सत्य ही एकता के सुनिश्चित आधार हैं :,प्रो रामेश्वर मिश्र पंकज हिंदू मुस्लिम एकता या हिंदू ईसाई एकता या हिंदू और किसी की भी एकता का एक मात्र मार्ग वह राजमार्ग है, वह सनातन मार्ग है जो हिंदू और हिंदू की एकता का मार्ग है। सार्वभौम नियमों के सनातन आधारों पर हिंदुओं के संप्रदाय एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और स्वतंत्र अपनी अपनी उपासना पद्धति और अपनी-अपनी आचार पद्धति सनातन नियमों की मर्यादा में चलाने की सब को स्वाधीनता प्राप्त है और वही उनका अनुशासन भी है। इसी सार्वभौम अनुशासन और सनातन नियमों के प्रतिपालन में हिंदू हिंदू एकता संभव रही है । हिंदू मुस्लिम एकता भी इसी आधार पर हो सकती है।हिन्दू ईसाई एकता का भी यही सुनिश्चितआधार है। भारत का राज्य सार्वभौमिक नियमों (Universal Laws)अर्थात सत्य ,ऋत(Cosmic order), अहिंसा,अचौर्य और मर्यादा पालन आदि प्रत्येक नागरिक को अनिवार्य घोषित करें। ...
केवल प्यार ही घृणा को दूर कर सकता है।

केवल प्यार ही घृणा को दूर कर सकता है।

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(21 सितंबर - अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस) केवल प्यार ही घृणा को दूर कर सकता है। एक शांतिपूर्ण वातावरण सामंजस्यपूर्ण जीवन सुनिश्चित करता है और आपसी समझ के लिए मार्ग प्रदान करता है। यह समझ बातचीत, चर्चा, क्रॉस-सांस्कृतिक आदान-प्रदान आदि के माध्यम से शांति को और मजबूत करती है। इस प्रकार एक पुण्य चक्र बनाया जाता है। दूसरी ओर, यदि बल द्वारा शांति थोपी जाती है, तो प्रतिस्पर्धी व्यक्तियों, समूहों, राज्यों आदि के बीच अविश्वास और शत्रुता की भावनाएँ पैदा होंगी। यहाँ कोई भी छोटी-सी गलतफहमी संघर्ष में बदल सकती है, जिससे परस्पर विरोधी दलों को नुकसान हो सकता है। इसलिए यह स्पष्ट है कि लंबे समय तक शांति कायम रहने के लिए दूसरे पक्ष के हितों की समझ जरूरी है। -प्रियंका सौरभ "आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देती है।" महात्मा गांधी के शब्द हैं जो 21वीं सदी में भी प्रासंगिक हैं। मनुष्य ने ...
हिंदी के मुकाबले अंग्रेजी बोलते समय इतनी पॉलिश क्यों दिखाई देती है?

हिंदी के मुकाबले अंग्रेजी बोलते समय इतनी पॉलिश क्यों दिखाई देती है?

BREAKING NEWS, EXCLUSIVE NEWS, साहित्य संवाद
हिंदी के मुकाबले अंग्रेजी बोलते समय इतनी पॉलिश क्यों दिखाई देती है? भारत ने स्थानीय भाषाओं में निवेश नहीं किया है, चाहे वह उच्च गुणवत्ता वाली स्कूली शिक्षा हो या कला और साहित्य में निवेश हो। यदि हम आज यह निवेश करते हैं, तो हमारी सभी भाषाएँ फल-फूलेंगी, साथ ही उन पर हमारा गर्व भी होगा। जब तक हम यह निवेश नहीं करेंगे, शिक्षित पीढ़ी अंग्रेजी बोलती रहेगी और अपनी स्थिति को बढ़ावा देगी और भारतीय भाषाओं की उपेक्षा करेगी। हिन्दी निश्चय ही एक समृद्ध और सुन्दर भाषा है। यह न केवल साहित्य के कारण बल्कि भाषा की सुंदरता से भी समृद्ध है। यह न केवल दोस्तों (तू, तेरा आदि) के साथ अनौपचारिक होने की स्वतंत्रता देती है, बल्कि एक बड़े/वरिष्ठ (आप, आपका) को भी सम्मान देती है-जो कुछ भाषाओं, विशेष रूप से अंग्रेजी में दिखाई नहीं देता है। -प्रियंका सौरभ किसी भी भाषा की सुंदरता उसके उपयोगकर्ता के कौशल में निहित ...
सामाजिक समन्वय की संवाहक है हिंदी

सामाजिक समन्वय की संवाहक है हिंदी

साहित्य संवाद
सामाजिक समन्वय की संवाहक है हिंदी या राष्ट्रीय एकता का बोध दिलाती है हिंदी डॉ. शंकर सुवन सिंह एक से अधिक लोगों के समुदायों से मिलकर बने एक वृहद समूह को समाज कहते हैं, जिसमें सभी व्यक्ति मानवीय क्रिया-कलाप करते हैं। मानवीय क्रिया-कलाप में आचरण, सामाजिक सुरक्षा और निर्वाह आदि की क्रियाएं सम्मिलित होती हैं। मनुष्य सामाजिक प्राणी है। मनुष्य सभी प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ है। अन्य प्राणियों की मानसिक शक्ति की अपेक्षा मनुष्य की मानसिक शक्ति अत्यधिक विकसित है। समाज रूपी मकान जब भाषा रूपी स्तम्भ पर खड़ा होता है तो ऐसा समाज सौम्यता, समानता और शांति का प्रतीक होता है। भाषाई आधार पर समाज जुड़ते हैं। भिन्न भिन्न वर्गों के लोग एक भाषा के आधार पर समन्वय स्थापित करते है। यही भाषा हिंदी कहलाती है। हिंदी भाषा किसी भी समाज में अभिव्यक्ति का आधार है। हिंदी किसी भी समाज के लिए एक वरदान है। मनुष...
हिंदी जगत के युग प्रवर्तक भारतेंदुहरिश्चंद्र

हिंदी जगत के युग प्रवर्तक भारतेंदुहरिश्चंद्र

राज्य, साहित्य संवाद
जन्मदिवस 9 सितम्बर विशेष :- हिंदी जगत के युग प्रवर्तक भारतेंदुहरिश्चंद्र हिंदी साहित्य के माध्यम से नवजागरण का शंखनाद करने वाले भारतेंदु हरिश्चंद्रका जन्म काशी में 9 सितम्बर 1850 को हुआ था। इनके पिता श्री गोपालचन्द्र अग्रवाल ब्रजभाषा के अच्छे कवि थे। घर के काव्यमय वातावरण का प्रभाव भारतेंदु जी के जीवन पर पड़ा और पांच वर्ष की अवस्था में उन्होनें अपना पहला दोहा लिखा। उनका दोहा सुनकर पिता जी बहुत प्रसन्न हुए और आशीर्वाद दिया कि तुम निश्चित रूप से मेरा नाम बढ़ाओगे। भारतेंदु जी के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी थी। उन्होनें देश के विभिन्न भागों की यात्रा की और वहां समाज की स्थिति और रीति नीतियों को गहराई से देखा। इस यात्रा का उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। वे जनता के हृदय में उतरकर उसकी आत्मा तक पहुंचे। भारतीय पत्रकारिता व हिंदी साहित्य के पितामह भारतेंदु जी ने अपनी लेखनी के माध्यम से अंग्...
राष्ट्र भाषा ही देश को भावनात्मक रूप से जोड़ती है

राष्ट्र भाषा ही देश को भावनात्मक रूप से जोड़ती है

राज्य, समाचार, साहित्य संवाद
*राष्ट्र भाषा ही देश को भावनात्मक रूप से जोड़ती है* लेखिका - *डॉ कामिनी* लखनऊ ( उत्तर प्रदेश ) भाषा वैचारिक आदान प्रदान का मूल तत्व  है। हिंदुस्तान में हिंदी भाषा और देवनागरी लिपि सहस्र वर्षों से अधिकांश लोगों की दिनचर्या का अंग बनी हुई है।भारत पर मुस्लिम आक्रमण के पूर्व तक इसका गौरव अक्षुण्ण रहा। कालांतर में मुग़ल शासक अकबर ने राज्य के हिंदी कार्यालयों को फ़ारसी में परिवर्तित कर इसका महत्व न्यून कर दिया। अकबर के शासन काल से लेकर औरंगजेब के काल तक कार्यालयों से  हिंदी भाषा और देवनागरी लिपि को निष्कासित कर फ़ारसी को प्रतिष्ठापित कर दिया गया कालक्रम में ब्रिटिश शासन काल में इसका स्थान अंग्रेजी भाषा ने ले लिया और आज भी यह शीर्ष पर विराजमान है। भाषा का राष्ट्र की एकता , अखंडता व विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है । राष्ट्रभाषा देश को भावनात्मक व सांस्कृतिक रूप से संगठित करने में सहायक होत...
पंच से पक्षकार

पंच से पक्षकार

सामाजिक, साहित्य संवाद
पंच से पक्षकार           हरिप्रसाद और रामप्रसाद दोनों सगे भाई थे। उम्र के आखिरी पड़ाव तक दोनों के रिश्ते ठीक-ठाक थे। दोनों ने आपसी सहमति से रामनगर चौराहे वाली अपनी पैतृक जमीन पर दुकान बनाने का सोचा, ताकि उससे जो आय हो उससे उनका जीवन सुचारू रूप से चल सके।       दुकान का काम चल ही रहा था तभी हरिप्रसाद और रामप्रसाद के बीच कुछ बातों को लेकर विवाद हो गया और उनमें बातचीत होना बंद हो गया। जिससे उनकी दुकान का काम भी रुक गया। दोनों एक दूसरे पर खूब आरोप-प्रत्यारोप भी लगाने लगे। बढ़ते विवाद को देख उसे सुलझाने के लिए उनके पड़ोसियों ने मोहल्ले के कुछ लोगों को जुटाकर एक पंचायत बुलाई, परन्तु पंचायत के सामने भी दोनों आपसी विवाद को खत्म करने के लिए तैयार नहीं हो रहे थे। बल्कि एक दूसरे पर एक से बढ़कर एक आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे थे। पंचायत ने भी मामले को बढ़ते देख उन्हें कुछ दिनों के लिए एक-दू...
वृद्ध वयस्कों के बीच सामाजिक डिस्कनेक्ट

वृद्ध वयस्कों के बीच सामाजिक डिस्कनेक्ट

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वृद्ध वयस्कों के बीच सामाजिक डिस्कनेक्ट मनुष्य सामाजिक प्राणी हैं। एक विकासवादी दृष्टिकोण से, हमारे प्रारंभिक अस्तित्व के लिए सामाजिक संबंध आवश्यक थे, और अभी भी बहुत कुछ हैं। वास्तव में, सामाजिक जुड़ाव मानव जीवन के सबसे बुनियादी पहलुओं में से एक है और हमारी भलाई के लिए महत्वपूर्ण है। दूसरों के लिए डिस्कनेक्ट या अनदेखा महसूस करना न केवल दर्दनाक भावनात्मक अवस्थाओं को उजागर करेगा, बल्कि एक बुनियादी मानवीय आवश्यकता-संबंधितता की आवश्यकता को भी विफल कर देगा। हालाँकि, जिस तरह प्यास हमें पानी पीने के लिए एक संकेत के रूप में कार्य करती है, उसी तरह दर्दनाक भावनात्मक अवस्थाएँ हमें दूसरों के साथ अधिक संबंध बनाने के लिए एक संकेत के रूप में काम कर सकती हैं।मौजूदा साक्ष्य इंगित करते हैं कि सामाजिक जुड़ाव का स्वास्थ्य और दीर्घायु पर एक शक्तिशाली प्रभाव है। उदाहरण के लिए, जो लोग दूसरों से अधिक जुड़ाव ...
कैंसर केयर ग्रुप भिवानी परिवार मैत्री संघ द्वारा कैंसर केयर गोष्ठी, सम्मान समारोह एवं हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन

कैंसर केयर ग्रुप भिवानी परिवार मैत्री संघ द्वारा कैंसर केयर गोष्ठी, सम्मान समारोह एवं हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन

राष्ट्रीय, समाचार, सामाजिक, साहित्य संवाद
कैंसर केयर ग्रुप भिवानी परिवार मैत्री संघ द्वारा कैंसर केयर गोष्ठी, सम्मान समारोह एवं हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन नई दिल्ली। कैंसर केयर ग्रुप भिवानी परिवार मैत्री संघ द्वारा कैंसर केयर गोष्ठी, सम्मान समारोह एवं हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एण्ड रिसर्च सेंटर के इन्द्रप्रस्थ हॉल में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता भिवानी गौरव एवं वरिष्ठ समाजसेवी आर.सी. मेहतानी ने की। कार्यक्रम में आरजीसीआइआरसी के चेयरमैन राकेश चोपड़ा मुख्य अतिथि के रूप में, आरजीसीआइआरसी के सीईओ डी.एस. नेगी समारोह गौरव के रूप में, आरजीसीआइआरसी के निदेशक  सुधीर रावल विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस मौके पर आरजीसीआइआरसी के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. दिनेश भुरानी का अभिनन्दन करते हुए उन्हें विदाई भी दी गई। कार्यक्रम का शुभारंभ आरजीसीआइआरसी के मानद सचिव प्रमोद माहेश्वरी द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर ...
खेतों में करंट से मरते किसान, क्या हो समाधान?

खेतों में करंट से मरते किसान, क्या हो समाधान?

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खेतों में करंट से मरते किसान, क्या हो समाधान?  कारण जो भी हो, यह बहुत दुखद है कि हमारे किसान, हमारे देश के खाद्य प्रदाता, अपनी दैनिक दिनचर्या को ईमानदारी से निभाने में मर रहे हैं। नयी योजनाओं के साथ-साथ बिजली के ढीले तार ठीक करना, हाईवोल्टेज बिजली पोल का समाधान ढूंढना, खेत में लगाई जाली से बचना, रात को पानी चलाते समय सावधानी खेतों में किसानों को असमय मौत से बचा सकती है। -प्रियंका 'सौरभ' भारत में हर साल  लगभग 11 हजार कृषि श्रमिकों की मौत बिजली के करंट से हो रही है। हर दिन औसतन 50 लोगों की मौत हो रही है। इसका कारण वायरिंग, कट और गिरी हुई ट्रांसमिशन लाइनों में मानकों का पालन न करना, उम्र बढ़ने, जंग और नम परिस्थितियों में मोटर केसिंग और कंट्रोल बॉक्स पर कंडक्टिव पथ के गठन के कारण होता है। कारण जो भी हो, यह बहुत दुखद है कि हमारे किसान, हमारे देश के खाद्य प्रदाता, अपनी...