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साहित्य संवाद

जलवायु परिवर्तन के प्रभाव व उनको रोकने में युवाओं व महिलाओं की भूमिका

जलवायु परिवर्तन के प्रभाव व उनको रोकने में युवाओं व महिलाओं की भूमिका

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साइंस लेटर संस्था द्वारा “जलवायु परिवर्तन के प्रभाव व उनको रोकने में युवाओं व महिलाओं की भूमिका” विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में व्यक्त किए गए मेरे विचारो के प्रमुख अंश - कारपोरेट और सरकारें बाज़ारवाद व उपभोक्तावाद के जिस रास्ते पर दुनिया को ले गयीं हैं उसने पृथ्वी के संसाधनों को तेजी से समाप्त करना शुरू कर दिया है। हमारी स्थिति टाईटेनिक जहाज जैसी हो चुकी है । जीवाश्म ईंधनो और मांसाहार के साथ ही प्लास्टिक, रासायनिक खादों व कीटनाशकों ने आग में चिंगारी का काम किया है। हर और प्रदूषण , कूड़े व गंदगी के ढेर और पश्चिमी जीवन शैली व भवन निर्माण ने हालात बद से बदतर कर दिए। बाज़ार ज़्यादा से ज़्यादा माल बेचना चाहता है इसलिए उसने संयुक्त परिवार व अब एकल परिवार भी तोड़ दिया है जिस कारण सब आत्मकेंद्रित व स्वार्थी हो गए हैं। सरकारें बस बातें करती हैं किंतु ज़मीनी सच्चाई अलग है। सरकारों क...
डॉ. मुखर्जी राष्ट्रवाद के सच्चे महानायक

डॉ. मुखर्जी राष्ट्रवाद के सच्चे महानायक

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डॉ॰ श्यामाप्रसाद मुखर्जी जन्म जयन्ती-6 जुलाई 2022 पर विशेषडॉ. मुखर्जी राष्ट्रवाद के सच्चे महानायक-ललित गर्ग-भारतीय इतिहास में ऐसे अनेक चैतन्य महापुरुषों ने देश की माटी को प्रणम्य बनाने एवं कालखंड को अमरता प्रदान करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इन्हीं कीर्तिवान महान पुरुषों में भारत केसरी डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का नाम सश्रद्धा एवं गर्व से लिया जाता है। भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 में कलकत्ता में हुआ था। वे बैरिस्टर और शिक्षाविद थे तो कुशल समाज-राष्ट्र निर्माता भी थे। उन्होंने पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में उद्योग और आपूर्ति मंत्री के रूप में कार्य किया। हालांकि, नेहरू-लियाकत समझौते के विरोध में मुखर्जी ने नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मदद से उन्होंने 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की। 1980...
श्रीराम द्वारा सरयू के दो खण्ड करना तथा सीताजी का सरयू-गंगा संगम पर पूजा का प्रण पूरा करना

श्रीराम द्वारा सरयू के दो खण्ड करना तथा सीताजी का सरयू-गंगा संगम पर पूजा का प्रण पूरा करना

संस्कृति और अध्यात्म, साहित्य संवाद
श्रीराम द्वारा सरयू के दो खण्ड करना तथा सीताजी का सरयू-गंगा संगम पर पूजा का प्रण पूरा करना श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग श्रीराम द्वारा सरयू के दो खण्ड करना तथा सीताजी का सरयू-गंगा संगम पर पूजा का प्रण पूरा करना श्रीराम रावण को मारकर मोक्षदायिनी अयोध्यानगरी में रहकर नीतिपूर्वक, निष्कंटक राज्य करने लगे। उनके राज्य में कभी भी अकाल नहीं पड़ा और चोरी की घटना भी नहीं होती थी। किसी का अकाल या कुत्सित मरण नहीं होता था। अतिवृष्टि, अनावृष्टि, टिड्डी तथा चूहों से खेती का नाश, पक्षियों से कृषि का विनाश तथा राज विद्रोह आदि विपत्तियाँ श्रीराम के राज्य में कभी भी नहीं आई। श्रीराम के राज्य में कोई दरिद्र, चिन्तातुर, भयभीत या रोगों से पीड़ित नहीं रहता था। उनके राज्य की एक और विशेषता यह थी कि राज्य में कोई भिखारी, दुराचारी, क्रूर, पापी, क्रोधी और कृतघ्न भी नहीं होता था। ऐसे ही सुख शान्ति के...
जीवन में छोटी चीजों का आनंद लें। “इस लम्हे में खुश रहिये। ये लम्हा ही ज़िंदगी है।”

जीवन में छोटी चीजों का आनंद लें। “इस लम्हे में खुश रहिये। ये लम्हा ही ज़िंदगी है।”

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जीवन में छोटी चीजों का आनंद लें। “इस लम्हे में खुश रहिये। ये लम्हा ही ज़िंदगी है।” -सत्यवान 'सौरभ' जीवन में छोटी चीजों का आनंद लें क्योंकि एक दिन आप पीछे मुड़कर देखेंगे और महसूस करेंगे कि वे बड़ी चीजें थीं। छोटी चीजें जरूरी हैं क्योंकि वे हमारे जीवन के विशाल बहुमत को शामिल करती हैं। महत्वपूर्ण घटनाएं छिटपुट रूप से घटित होती हैं। छोटे-छोटे पल-पल होते रहते हैं। जब आप छोटी-छोटी चीजों की उपेक्षा करते हैं, तो आप अपने जीवन का काफी आनंद लेने से चूक जाते हैं। बचपन मे कहानी सुनी थी -एक मुर्गी रोज एक सोने का अन्डा देती थी पर उसके मालिक ने बडी खुशी के लिऐ उस मुर्गी को मारकर सब अन्डे साथ मे निकालने की सोची; न अन्डा मिला न मुर्गी बची तो तात्पर्य ये है की एक बडी खुशी से जीवन मे छोटी-छोटी खुशियां ज्यादा मायने रखती है। छोटी-छोटी बातों की सराहना किए बिना केवल बड़ी चीजों के...
क्या नूपुर प्रकरण पर भाजपा दबाव में है ?

क्या नूपुर प्रकरण पर भाजपा दबाव में है ?

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क्या नूपुर प्रकरण पर भाजपा दबाव में है ? मृत्युंजय दीक्षित एक टीवी डिबेट में साथी पैनेलिस्ट के भगवान शिव पर बार बार अमर्यादित टिपण्णी से उकसावे में आकर पैगंबर मोहम्मद पर की गयी टिप्पणी के बाद विवादों व कटटर मुस्लिम समाज की “सर तन से जुदा” धमकियों में घिरी बीजेपी प्रवक्ता नुपूर शर्मा और एक अन्य प्रवक्ता नवीन जिंदल को भाजपा से छह वर्ष के लिए निलंबित कर दिया गया है जिसके बाद सोशल मीडिया सहित विभिन्न मंचों पर बहुत सारे भाजपा समर्थक व प्रशंसक नेतृत्व की ओर से की गयी कार्यवाही और पार्टी की ओर से जारी किये गये बयानों की तीखी आलोचना कर रहे हैं। भाजपा प्रवक्ताओं के निलम्बन से कई राजनैतिक संदेश जा रहे हैं जिससे प्रथम दृष्टया पार्टी को कुछ क्षणिक नुकसान भी हो सकता है लेकिन अभी फिलहाल ऐसी कोई आशंका नहीं है कि इस कार्यवाही से बीजेपी को कोई बहुत बड़ा नुकसान होने जा रहा है। भाजपा के इन कदमों से सबसे ब...
दिल्ली, लखनऊ, पटना के साहित्य संसार में सन्नाटा क्यों

दिल्ली, लखनऊ, पटना के साहित्य संसार में सन्नाटा क्यों

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दिल्ली, लखनऊ, पटना के साहित्य संसार में सन्नाटा क्यों अथवा सन्नाटा शहरों में या साहित्य में आर.के. सिन्हा यह संभव है कि मौजूदा युवा पीढ़ी को शायद पता ही न हो कि कोई एक-डेढ़ दशक पहले तक दिल्ली, लखनऊ, पटना वगैरह हिन्दी पट्टी के खास शहरों में हिन्दी लेखकों-कवियों की दिनभर कॉफी हाउस से लेकर शामों में अलग-अलग साहित्य प्रेमियों के घरों में लगातार गोष्ठियां आयोजित हुआ करती थीं। उनमें लेखक बंधु अपनी ताजा रचनाएं पढ़ते थे। उसके बाद उन पर बहस होती थी। वह कभी-कभी विस्फोटक भी होने लगती थीं। अब लगता है कि गोष्ठियों और बैठकी के दौर गुजरे जमाने की बातें हो रही हैं। अब गोष्ठियां आनलाइन अधिक होने लगी हैं। इसके अलावा लेखक अपनी ताजा कहानियां, गजलें, कविताएं अपनी फेसबुक वॉल पर ही डाल रहे हैं। वहां पर कुछ लाइक और छिट-पुट कमेंट जरूर आ जाते हैं। लेखक एक-दूसरे से पहले की तरह गर्मजोशी के साथ नहीं मिल रहे। पहल...
लक्ष्मण रेखा के बारे में ये रामायणें क्या कहती हैं?

लक्ष्मण रेखा के बारे में ये रामायणें क्या कहती हैं?

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श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग लक्ष्मण रेखा के बारे में ये रामायणें क्या कहती हैं? प्राय: सभी भाषाओं की श्रीरामकथाओं-रामायणों में स्वर्णमृग (राक्षस मारीच) का कथा प्रसंग है। स्वर्ण मृग मायावी सर्वप्रथम सीताजी को आकर्षित करता है तथा सीताजी उसको प्राप्त करने के लिए श्रीराम को कहती हैं। श्रीराम सीताजी की सुरक्षा का भार लक्ष्मणजी को सौंपकर उस मृग के पीछे चले जाते हैं। श्रीराम के स्वर्ण मृग के पीछे जाने के बाद श्रीरामजी के स्वर में हा सीते, हा लक्ष्मण ध्वनि सीताजी सुनती हैं। सीताजी लक्ष्मण को उनके सहायतार्थ जाने को कहती हैं तब लक्ष्मणजी उन्हें कहते हैं कि श्रीराम बहुत सक्षम हैं, उनको कोई भी तीनों लोकों में हानि नहीं पहुँचा सकता है। वे तो देवों के देव हैं, किन्तु लक्ष्मणजी द्वारा बहुत समझाने के उपरान्त भी सीताजी अत्यन्त दु:खी रहती है। वे अन्त में लक्ष्मणजी से कहती हैं कि यदि...
शिवजी की श्रीराम भक्ति एवं सतीजी का मोह भंग

शिवजी की श्रीराम भक्ति एवं सतीजी का मोह भंग

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श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग शिवजी की श्रीराम भक्ति एवं सतीजी का मोह भंग लिंग थापि बिधिवत करि पूजा। सिव समान प्रिय मोहि न दूजा।। सिव द्रोही मम भगत कहावा। सो नर सपनेहुँ मोहि न पावा।। संकर बिमुख भगति चह मोरी। सो नारकी मूढ़ मति थोरी।। श्रीरामचरितमानस लंकाकाण्ड २-३-४ श्रीराम को शिवजी के समान कोई प्रिय नहीं तथा शिवजी की भक्ति न करने वाला भी श्रीराम को कभी भी स्वप्न में नहीं प्राप्त कर सकता है। इस प्रकार श्रीराम एवं शिव की भक्ति एक-दूसरे के बिना अपूर्ण है। इसको विशेष रूप से दृष्टिगत रखते हुए श्रीरामचरितमानस में शिवजी की पत्नी दक्षकुमारी सतीजी का श्रीराम की परीक्षा लेने का वर्णन बड़ा ही रहस्यपूर्ण है। सतीजी के पिता दक्ष प्रजापति के द्वारा शिवजी का यज्ञ में भाग न देने एवं शिवजी की निन्दा करने पर सतीजी ने उस समय योगाग्नि में शरीर भस्म कर डाला। तत्पश्चात शिवजी ने यज्ञ विध्वंस करने हेतु ...
भारतीय संस्कृति के अनुसार पत्र-पत्रिका लेने में वामहस्त का निषेध क्यों?

भारतीय संस्कृति के अनुसार पत्र-पत्रिका लेने में वामहस्त का निषेध क्यों?

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भारतीय संस्कृति के अनुसार पत्र-पत्रिका लेने में वामहस्त का निषेध क्यों? श्रीराम-रावण युद्ध दो विपरीत संस्कृतियों का संग्राम है। श्रीराम देव संस्कृति के पोषक हैं, वहीं रावण की संस्कृति दानवी है। देव संस्कृति के श्रीराम क्षत्रिय होते हुए भी स्वभाव से विनम्र, निरभिमानी, विनयशील, गुरुजनों का सम्मान करने वाले तथा एक पत्नीव्रती हैं वहीं रावण जाति से ब्राह्मण होते हुए भी दम्भी, लोलुप, सत्ता का लालची और मायावी रूप धारण कर देव संस्कृति को धोखा देने वाला है। रावण पाँच भाई थे- अहिरावण, महिरावण, कुम्भकर्ण और विभीषण। रावण के शासनकाल में लंका अपने चरमोत्कर्ष पर थी। कई अवगुणों के होते हुए भी रावण परमवीर, शिवभक्त, प्रकाण्ड विद्वान, तन्त्र विद्या का ज्ञाता तथा प्रसिद्ध वीणा वादक था। रावण की वीणा का नाम रुद्र वीणा था। वह संस्कृत भाषा का परम विद्वान था। वह शिवजी का भक्त था। उसने शिव ताण्डव स्तोत्र की रचना ...
सर्वश्रेष्ठ लोक संचारक एवं आदर्श आदि पत्रकार

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नारद जयंती (17 मई) के पर विशेषसर्वश्रेष्ठ लोक संचारक एवं आदर्श आदि पत्रकार- ललित गर्ग -देव ऋषि नारद या नारद मुनि ब्रह्माजी के पुत्र और भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त महान तपस्वी, तेजस्वी, सम्पूर्ण वेदान्त एवं शस्त्र के ज्ञाता तथा समस्त विद्याओं में पारंगत हैं, वे ब्रह्मतेज एवं अलौकिक तेजोरश्मियों से संपन्न हैं। हैं। वे आदि-पत्रकार हैं जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में एक जगह की खबर दूसरी जगह पहुंचाने एवं इधर की बात उधर करके, दो लोगों के बीच आग लगाने के लिये काफी प्रसिद्ध हैं। माना जाता है कि उन्हंे सब खबर रहती हैं कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में कहाँ क्या हो रहा हैं। मूंह पर नारायण नारायण और हाथ में वीणा लिये, नमक-मिर्च लगा के बातें फैलाना, एक बात को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने, सृष्टि के हित में सृष्टि की किसी बड़ी घटना की आहट को पहचानकर उसे एक लोक से दूसरे लोक में पहुंचाने में उनकी महारत थी। उ...