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सीईओ-मुलाजिम के वेतन में इतना अंतर क्यों

सीईओ-मुलाजिम के वेतन में इतना अंतर क्यों

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  यह निश्चित रूप से एक विचारणीय मसला है कि किसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के सीईओ को कितनी सैलरी मिले? इसी तरह से उसी कंपनी के मुलाजिमों को अपने सीईओ की अपेक्षा कितना कम वेतन मिले? यह ठीक है कि सीईओ किसी कंपनी की जान होता है। उसके नेतृत्व में ही कोई कंपनी आगे बढ़ती है I विकास का अपना निश्चित सफर तय करती है। सीईओ एक तरह से अपनी कंपनी का कप्तान होता है। तो क्या इसलिए उसे अपनी कंपनी के बाकी मुलाजिमों की अपेक्षा अकल्पनीय तरीके से अधिक पगार मिले ? क्या कंपनी के कर्मियों का उसे बुलंदियों में लेकर जाने में कोई रोल ही नहीं होता? क्या सिर्फ सीईओ को ही कंपनी की सफलता का श्रेय दिया जाना चाहिए ?  आखिर एक सामान्य कर्मी भी दिन-रात एक करता है अपनी कंपनी की सफलता के लिए, ताकि उसे अपने ग्राहकों का विश्वास मिले। देखा जाए तो जमीन पर कर्मी ही मेहनत पूर्वक काम कर रहा होता है। वह ही उन फैसलों को जमी...
अब बायोसेंसर-युक्त मोबाइल कर सकेंगे बैक्टीरिया की पहचान

अब बायोसेंसर-युक्त मोबाइल कर सकेंगे बैक्टीरिया की पहचान

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स्मार्टफोनों का उपयोग स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहा है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली के शोधकर्ताओं ने मोबाइल ऐप आधारित एक ऐसा बायोसेंसर विकसित किया है, जिससे बैक्टीरिया का पता लगाया जा सकता है। बायोसेंसर को मोबाइल कैमरे के सामने लगाया जाता है। कैमरे से खिंची बायोसैंसर की तस्वीरों का विश्लेषण शोधकर्ताओं द्वारा विकसित "कोलोरीमीट्रिक डिटेक्टर" नामक मोबाइल ऐप करता है। जीवित जीवाणु के सम्पर्क में आने से बायोसेंसर की सतह काली हो जाती है। मोबाइल ऐप सतह के रंग में होने वाले परिवर्तन को मापता है। जब रंग में होने वाला बदलाव एक निर्धारित बिंदु पर पहुंच जाता है, तब मोबाइल कंपन करने लगता है और उसमें एक लाल सिग्नल दिखाई देता है। जीवाणुओं का पता लगाने का यह बेहद आसान, सुविधाजनक और किफायती तरीका है। शोधकर्ताओं ने एस्चेरिचिया कोलाई, स्यूडोमोनास एरुजिनोसा, बैसिलस सबटिलिस और स्...
मोदी सरकार कर रही है रेलवे का विकास

मोदी सरकार कर रही है रेलवे का विकास

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क्या_आप_जानते_हैं ? मोदी सरकार देश में ट्रेनों की लेट लतीफी को खत्म करने के लिए क्या कर रही है ? यदि आप ट्रेनों की लेट लतीफी से परेशान है तो यह खबर आपको राहत देने वाली है, लेकिन साथ ही आपको थोड़ा और धैर्य रखना होगा और मोदी सरकार पर विश्वास, और अपना आशीर्वाद बनाए रखना होगा. मोदी सरकार देश में डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर बना रही है, जिसपर सिर्फ मालगाड़ियां चलेंगी. इस फ्रेट कॉरिडोर के निर्माण के बाद ट्रेनों की लेट लतीफी काफी हद तक कम हो जाएगी. इसके अलावा पुराने रेलवे ट्रैक को बदल कर नए रेलवे ट्रैक बिछाने का काम तेज गति से चल रहा है, इस नए ट्रैक की खासियत ये होगी की इसपर आने वाले समय में आधुनिक सेमी हाई स्पीड ट्रेन 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकेगी. उदाहरण के तौर पर ट्रेन-18 ऐसे ही आधुनिक रेलवे ट्रैक पर 180kmph की रफ्तार से दौड़ रही है. मोदी सरकार रेलवे ट्रैक का दोहरीकरण...
समय है ज्ञान को किताबों से बाहर निकालने का

समय है ज्ञान को किताबों से बाहर निकालने का

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आज सोशल मीडिया केवल अपनी बात कहने का एक सशक्त माध्यम नहीं रह गया है बल्कि काफी हद तक वो समाज का आईना भी बन गया है। क्योंकि कई बार उसके माध्यम से हमें अपने आसपास की वो कड़वी सच्चाई देखने को मिल जाती है जिसके बारे में हमें पता तो होता है लेकिन उसके गंभीर दुष्परिणामों का अंदाजा नहीं होता। ताज़ा उदाहरण सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल होते एक वीडियो का है जिसमें कॉलेज के युवक युवतियों से हाल के विधानसभा चुनावों के बाद नई सरकार के विषय में उनके विचार जानने की कोशिश की जा रही है। प्रश्नकर्ता हर युवक युवती से पूछती है कि चुनावों के बाद मध्यप्रदेश का “राष्ट्रपति” किसे बनना चाहिए? किसी ने किसी नेता का नाम लिया तो किसी ने दूसरे का। एक दो ने तो यहां तक कहा कि उसे लगता है कि शिवराज को एक और मौका दिया जाना चाहिए। लेकिन एक भी युवा ने यह नहीं कहा कि प्रश्न ही गलत है क्योंकि राज्य में राष्ट्रपति नहीं मुख्यमंत्र...
बांग्लादेशः हसीना को दिल दिया

बांग्लादेशः हसीना को दिल दिया

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बांग्लादेश में एक बेगम की पार्टी को 300 में से 287 सीटें मिल गईं और दूसरी बेगम की पार्टी को मुश्किल से छह सीटें मिलीं। पहली बेगम शेख हसीना वाजिद हैं और दूसरी बेगम खालिदा जिया हैं। बांग्लादेश पिछले 30 साल से इन दोनों बेगमों के बीच झूल रहा है। आवामी लीग की नेता हसीना शेख मुजीब की बेटी हैं और बांग्लादेश नेशनल पार्टी की नेता खालिदा जिया राष्ट्रपति जिया-उर-रहमान की पत्नी हैं। जनरल इरशाद की फौजी तानाशाही से निजात पाते वक्त ये दोनों बेगमें कंधे से कंधा मिलाकर लड़ती रहीं लेकिन उसके बाद दोनों एक-दूसरे की जानी दुश्मन बन गईं। शेख हसीना पिछले दस साल से सत्ता में हैं और अब अगले पांच साल के लिए तीसरी बार चुन ली गई हैं। इस बार जैसी जबर्दस्त विजय उनकी हुई है, आज तक दक्षिण एशिया में किसी नेता की नहीं हुई। विपक्ष के गठबंधन को 300 में से सिर्फ 10-12 सीटों पर सिमटना पड़ा। याने हसीना को लगभग 95 प्रतिशत सीटें मिल...
Accidental Prime Minister

Accidental Prime Minister

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It refers to the film Accidental-Prime-Minister released on 28.12.2018. The film based on the book by Sanjay Baru, media-advisor to the then Prime Minister Dr Manmohansingh has caused waves of embarrassment in Congress party for obvious reasons confusing everyone in the party whether to demand ban on the film or not. Any such demand to ban would have been considered as attack on freedom of expression. Damage-control exercise of Congress President by giving special honour of symbolic cake-cutting to Dr Manmohansingh on occasion of Foundation-Day of oldest political party with Congress President seen helping him, and confusing talks by party-cadre for demand to ban of the film bounced back giving extra publicity to the film which is said to have projected Dr Manmohansingh having acted on ...
Central government accepting Allahabad to be renamed as Prayag

Central government accepting Allahabad to be renamed as Prayag

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Names of institutions should be auto-changed without needing further legislation or notification   It refers to central government giving nod to UP government decision to rename Allahabad as Prayagraj. But system should be for auto-change of names institutions including like High Court, University Railway-Station and others after name-change is affected. ames of Bombay High Court and Madras High Court still renmain the same despite renaming of respective cities as Mumbai and Chennai decades back.   There has been gradual change in names or spellings of cities with the process still incomplete despite more than seven decades of independence. Distorted spellings of Jullender and Simla by British rulers in India as Jalandhar and Shimla has been rectified. But spellings of cities like...
Bank and other details should be incorporated in PAN-card rather than in Income Tax returns

Bank and other details should be incorporated in PAN-card rather than in Income Tax returns

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Problems are experienced in getting Income Tax refunds whenever some assesse changes bank other than that mentioned in Income Tax returns. Many banks are in process of changing account-numbers due to technical reasons. In such cases, refunds sent electronically are bounced back causing great difficulty to the assesses. System should be modified whereby all possible details about PAN-card holder including bank-details, passport-details, mobile-number, e-mail ID, aadhar-details, voter-card number and all other available details are registered in data of PAN-cards with Income Tax department. Provision should be there whereby PAN-card holder may be able to modify or change any of the details by getting One-Time-Password (OTP) on mobile-numbers and uploading relevant documents for verification ...
All savings-schemes should be available through all branches of public-sector banks

All savings-schemes should be available through all branches of public-sector banks

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All savings-schemes including at post-offices, RBI bonds and LIC pension-plans should be available through all branches of public-sector banks abolishing commission to agents The then Finance Secretary Dr Hansmukh Adia vide a demo-official letter dated 07.02.2018 transferred suggestions about making available all government savings-schemes including all those available in post-offices, RBI-bonds bearing 7.75 percent annual-interest and LIC pension-plans including Jeevan Akshay and Pradhan Mantri Vaya Vandana Yojna in all branches of public-sector banks to Rajiv Kumar, the then Secretary of Department of Financial Services. These detailed submissions also suggesting linking of every branch of all public-sector banks to some nearing unit of LIC of India, were also posted on 02.02.2018 at ...
Unfair politics on an ultra-reformative step to ban Triple Talaq: More reforms necessary

Unfair politics on an ultra-reformative step to ban Triple Talaq: More reforms necessary

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Central government deserves compliments to get passed reformative bill on Triple Talaq by Lok Sabha on 27.12.2018 with practical amendments ruling out all possibility of interference of non-family-members of the victim-wife when only victim or her blood-relation could file a police-complaint. Other amendments including dropping the case in case the couple compromise and magistrate granting bail only after hearing the victim-wife were enough to get passed the bill unanimously. It is evident that opposition did not support a reformative move in interest of Muslim women that too at a time when even several Muslim countries have banned Triple Talaq. If it was an interference in religious matters, then opposition should have cried for abolition of Dowry Act also. Union government should now ...