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शिक्षा के लिये क्राउडफंडिंग की रोशनी

शिक्षा के लिये क्राउडफंडिंग की रोशनी

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भारत में क्राउडफंडिंग का प्रचलन बढ़ता जा रहा है, विदेशों में यह स्थापित है, लेकिन भारत के लिये यह तकनीक एवं प्रक्रिया नई है, चंदे का नया स्वरूप है जिसके अन्तर्गत जरूरतमन्द अपने इलाज, शिक्षा, व्यापार आदि कीे आर्थिक जरूरतों को पूरा कर सकता है। न केवल व्यक्तिगत जरूरतों के लिये बल्कि तमाम सार्वजनिक योजनाओं, धार्मिक कार्यों और जनकल्याण उपक्रमों को पूरा करने के लिए लोग इसका सहारा ले रहे हैं। भारत में चिकित्सा के क्षेत्र में इसका प्रयोग अधिक देखने में आ रहा है। अभावग्रस्त एवं गरीब लोगों के लिये यह एक रोशनी बन कर प्रस्तुत हुआ है। इसे भारत में स्थापित करने एवं इसके प्रचलन को प्रोत्साहन देने के लिये क्राउडफंडिंग मंच इम्पैक्ट गुरु के प्रयास उल्लेखनीय है। चिकित्सा के क्षेत्र में अनूठेे कीर्तिमान गढ़ने के बाद अब शिक्षा के क्षेत्र में उसकी प्रभावी प्रस्तुति देखने को मिल रही है। इसका ताजा उदाहरण है ऊंच...
Two-rupee coin should be discontinued rather than one-rupee coin

Two-rupee coin should be discontinued rather than one-rupee coin

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It refers to media-reports that central government is going to discontinue minting of one-rupee coin because of high minting-cost of rupees 1.11. Any such decision is anti-consumer, and will tend to raise prices of many such commodities which are presently priced at rupee one. Minting-cost is one-time spent on a coin with extra long life. It is ridiculous that central government despite adverse opinion of Reserve Bank of India RBI re-introduced one-rupee note on 06.03.2015 which has high printing cost of much more than rupee one and a very short life only for bureaucratic-craze of having signature on the note which is signed by an officer of Secretary rank while notes of all other dominations bear signature of RBI governor. Central government and RBI should produce coins only in denomin...
Subsidy to encourage e-cars and levy on new cars to discourage: Other measures necessary

Subsidy to encourage e-cars and levy on new cars to discourage: Other measures necessary

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It refers to media-reports that central government is planning a heavy subsidy of rupees 50000 on purchase of e-cars while levying levy of rupees 12000 on purchase of new cars to discourage their sale. Both the steps are grossly inadequate to practically discourage sale of traditional cars driven by petrol and diesel. With procurement price of both petrol and diesel being almost same, diesel is priced cheaper because it is used in commercial vehicles. Production of diesel-driven cars is gross misuse of having price of diesel less than that of petrol. There must be a complete ban on production of diesel-cars. All cars must have engines capable of being driven by petrol and CNG both. To discourage production of bigger cars occupying more space in road and parking, GST, road-tax, insura...
सांसदों व नेताओं से 10 सवाल

सांसदों व नेताओं से 10 सवाल

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माननीय सांसद जी, नमस्ते ! ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के करप्शन परसेप्शन इंडेक्स में भारत कभी भी शीर्ष 20 देशों में शामिल नहीं हो पाया! यदि पिछले 20 साल की रैंकिंग देखें तो 1998 में हम 66वें स्थान पर, 1999 में 72वें स्थान पर, 2000 में 69वें स्थान पर, 2001 और 2002 में 71वें स्थान पर, 2003 में 83वें स्थान पर, 2004 में 90वें स्थान पर, 2005 में 88वें स्थान पर, 2006 में 70वें स्थान पर, 2007 में 72वें स्थान पर, 2008 में 85वें स्थान पर, 2009 में 84वें स्थान पर, 2010 में 87वें स्थान पर, 2011 में 95वें स्थान पर, 2012 में 94वें स्थान पर, 2013 में 87वें स्थान पर, 2014 में 85वें स्थान पर, 2015 में 76वें स्थान पर, 2016 में 79वें स्थान पर और 2017 में 81वें स्थान पर थे! इससे स्पस्ट है कि जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार में कोई कमी नहीं आयी है ! इस वर्ष ग्लोबल हंगर इंडेक्स में हम 103वें स्थान पर, साक्षरता दर ...
Is the politician Rahul an unstable person ?

Is the politician Rahul an unstable person ?

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The politician Rahul, who was described as buffoon by the Telangana Chief Minister , happened to become the President of the family oriented Congress party by virtue of belonging to the Nehru family ,by way of hereditary succession management.Obviously, he has been tutored by his paid or motivated friends in India and abroad to describe Prime Minister Modi in all sorts of abusive and indecent language, so that the public image of Modi would suffer heavily before the forthcoming parliamentary election. He has repeatedly called Modi as chor and such language has never been used against any other Prime Minister in the country by any opposition leader. It is Goebbel’s tactics. In parliament, he spoke highly critically about Modi and then went and hugged him , came back to his seat and winked a...
Jammu & Kashmir  Economic Growth is Road to Peace

Jammu & Kashmir Economic Growth is Road to Peace

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South Kashmir again witnessed violence and firing on December 15 during army operation against terrorists. In the operation, three terrorists were killed. The unfortunate part of encounter was death of 7 civilians not because the armed forces fired at them indiscriminately but firing was resorted to in self defence as the civilians attacked the armed forces protesting and defending the terrorists. There was hue and cry over death of a young man in the firing because the victim was an MBA graduate. Bullets don’t recognize qualified or illiterate persons in mob violence. It is a matter of sorrow indeed that many civilians lost their life during encounter with terrorists. Knowing that when encounter is in progress there is firing from the terrorists and the armed forces during the operation ...
क़र्ज़ माफ़ी सत्ता की चाबी

क़र्ज़ माफ़ी सत्ता की चाबी

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तीन राज्यों में विधानसभा चुनावों के नतीजों के परिणामस्वरूप कांग्रेस की सरकार क्या बनी, न सिर्फ एक मृतप्राय अवस्था में पहुंच चुकी पार्टी को संजीवनी मिल गई, बल्कि भविष्य की जीत का मंत्र भी मिल गया। जी हाँ, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपने इरादे स्पष्ट कर चुके हैं कि किसानों की कर्जमाफी के रूप में उन्हें जो सत्ता की चाबी हाथ लगी है उसे वो किसी भी कीमत पर अब छोड़ने को तैयार नहीं हैं। दो राज्यों के मुख्यमंत्रियो ने शपथ लेने के कुछ घंटों के भीतर ही चुनावों के दौरान कांग्रेस की सरकार बनते ही किसानों के कर्जमाफ करने के राहुल गांधी के वादे को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है। एक प्रकार से कांग्रेस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि 2019 के चुनावी रण में उसका हथियार बदलने वाला नहीं है। लेकिन साथ ही कांग्रेस को अन्दर ही अंदर यह भी एहसास है कि इसका क्रियान्वयन आसान नहीं है। क्योंकि वो इतनी नासमझ भी नहीं है कि ...
ये बाहरी-बिहारी क्या है, कमलनाथ जी

ये बाहरी-बिहारी क्या है, कमलनाथ जी

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कमलनाथ भी उन गैर जिम्मेदार कांग्रेसी नेताओं की सूची में शामिल हो गए हैं,जिन्हें बिहार और उत्तर प्रदेश के श्रमवीरों (मजदूरों) से नफरत है। इन्हें ये मुख्यमंत्री बनने के बाद भी ‘बाहरी’ कहते हैं। मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस  की जैसे-तैसे हुई विजय के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन होते ही कमलनाथ ने अपनी संकुचित मानसिकता प्रदर्शित करनी चालू कर दी। उन्हें संविधान का ज्ञान नहीं हैं जो भारत के समस्त नागरिकों को देश के किसी भी भाग में रहने और कम करने की स्वंत्रता देता है। उन्होंने सूबे में स्थानीय लोगों को नौकरी नहीं मिलने के लिए बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों का जिम्मेदार बता दिया। कुछ इसी तरह की हल्की राय शीला दीक्षित ने दिल्ली का मुख्यमंत्री रहते हुए जाहिर की थी। ये दोनों भूल गए थे कि देश के संविधान की धारा19 ने हरेक नागरिक को कहीं भी जाकर नौकरी करने और बसने का अधिकार दिय...
भाजपा जगी हार से, देगी लोकसभा में टक्कर

भाजपा जगी हार से, देगी लोकसभा में टक्कर

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मध्य प्रदेश, छतीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनावों के नतीजों का पूरे देश में गहन पोस्टमार्टम हो रहा है। प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक चैनलों से लेकर सोशल मीडिया के महारथियों को कम मिल गया है। कहने वाले कह रहे हैं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पराजय आगामी लोकसभा चुनावों के संकेत और संदेशदे रही है। हालांकि वस्तुस्थिति ये है कि तीनों प्रदेशों में भाजपा को मिली पराजय का अर्थ यह कतई नहीं है कि वो आगामी लोकसभा चुनावों में भी मात खाने वाली है। अगर इन तीनों राज्यों के परिणामों का आप गहराई से अध्ययन करें तो पाएंगे कि छतीसगढ़ को छोड़कर भाजपा ने कांग्रेस को लगभग हर क्षेत्र में कड़ी टक्कर दी। मध्य प्रदेश में तो कांग्रेस को सरकार का गठन करने के लिए अन्य दलों का समर्थन लेना पड़ा । छतीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भाजपा पिछले 15-15 सालों से सत्ता पर काबिज थी। इतने लंबे समय तक सरकार चलाने के कारण एंडी इनकंबेसी फैक...
Loan-waivers, subsidies and promises directly affecting economy must not be allowed as part of poll-manifestoes

Loan-waivers, subsidies and promises directly affecting economy must not be allowed as part of poll-manifestoes

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Former Governor of Reserve Bank of India RBI Raghuram Rajan has very rightly raised concern of vote-catching gimmicks like loan-waivers for farmers which very adversely affect the economy and mute middle-class tax-payers, with farmers ultimately at loss by one-time advantage of availing gimmick loan-waiver. There must be a complete ban on such promises like subsidies, loan-waivers etc to be part of poll-manifestoes of political parties. Ultimate sufferer of such loan-waivers is mute category of middle-class tax-payer who has to bear burnt of additional taxes or cost-inflation due to deficit economy caused due to loan-waivers, subsidies or other schemes directly affecting public-exchequers. Even subsidy-system should be fast abolished in a gradual manner. Agricultural income over certain...