नोटबंदी की तरह शराबबंदी भी
शराबबंदी पर आजकल हमारी अदालतें और सरकारें काफी जोर दे रही है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतिशकुमार ने तो शराबियों का हुक्का-पानी ही बंद कर दिया है लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के एक ताजा फैसले ने शराबियों से ज्यादा शराब-विक्रेताओं के होश फाख्ता कर दिए हैं। उनके साथ-साथ कई मुख्यमंत्रियों के भी पसीने छूट रहे हैं। वे कह रहे हैं कि यदि हमने अदालत के फैसले को लागू कर दिया तो हमें 50 अरब रु. के टैक्स का नुकसान हो जाएगा। कोई मुख्यमंत्री 70 अरब, कोई 30 अरब और कोई 20 अरब के नुकसान की बात कर रहा है। क्या है, वह फैसला? वह यह है कि देश में बने राजमार्गों (हाईवे) और प्रांतीय मार्गो के आजू-बाजू 500 मीटर की दूरी तक कोई शराब नहीं बेच सकेगा। इन राजमार्गों के आजू-बाजू ही देश की लगभग 50 प्रतिशत शराब बिकती है। इन बड़ी सड़कों पर यात्रा करनेवाले लोग जमकर शराब पीते हैं और उनमें से कई दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। खुद भी मरते ...