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उत्तर प्रदेश में अमर-कथा हो सकते हैं योगी

उत्तर प्रदेश में अमर-कथा हो सकते हैं योगी

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आदित्यनाथ की सरकार फिलहाल संभावनाओं और उम्मीदों की सरकार-सी लग रही है. समाज में शासन की साख और प्रशासन की चुस्ती का जो भयानक संकट लंबे समय से चल रहा था, उसकी बहाली की आहट-सी है. यह ठीक है कि अभी कुछ भी कहना बीज देखकर पैदावार का अनुमान लगाना है, लेकिन राजनीतिक और सामाजिक संस्कार को बदलने की कोशिशों से आनेवाले दिनों में हालात के बदलने की उम्मीद की जा सकती है. जो खतरे और चिंता है उनकी भी बात होनी चाहिए मगर अभी जो दिख रहा है उसको समझने के बाद. आदित्यनाथ को 19 मार्च को जब मुख्यमंत्री बनाने का एलान किया गया तो मैंने इस बात का यह कहते हुए विरोध किया कि उनकी छवि और मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दोनों एक दूसरे के खिलाफ खड़े हैं. आदित्यनाथ के चेहरे के जरिए बीजेपी ने देश में राजनीति की नीति और नीयत- दोनों के संकेत दिए हैं. योगी को कमान का मतलब ये है कि संघ और प्रधानमंत्री मोदी दोनों यह मान रहे हैं कि उत्...
Finance Bill loaded with 40 amendments to different laws passed by Lok Sabha

Finance Bill loaded with 40 amendments to different laws passed by Lok Sabha

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The Lok Sabha on 22-3-2017 passed the Finance Bill 2017. Earlier, the Finance Minister Shri Arun Jaitley moved 40 amendments to the Finance Bill proposing amendments in different laws including funding of political parties, use of Aadhar for filing Income Tax returns, cap of Rs.2 lakh on cash financial transactions and rationalisation of Tribunals and Appellate Tribunals. The following are the main features of the amendments moved in the Finance Bill 2017 : (a)  Aadhar made mandatory for PAN and Income Tax (b)  Removal of Cap of 7.5% of average net profit of the last three years for companies making political donations so as to allow higher corporate donations while curbing black money and unknown source of political donations. (c)  Limit on cash transactions has been reduced to Rs. 2 l...
गुजरात चुनाव एक बड़ी चुनौती है

गुजरात चुनाव एक बड़ी चुनौती है

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पांच राज्यों के विधानसभाओं में भारतीय जनता पार्टी की प्रभावी, ऐतिहासिक एवं शानदार जीत के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुख्य निशाना गुजरात है। यही कारण है कि चुनाव प्रचार खत्म होते ही वे गुजरात के सोमनाथ मन्दिर पहुंचकर पूजा-अर्चना की। इस दौरान बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह एवं मंदिर के ट्रस्टी केशुभाई पटेल भी मौजूद रहे। इसके बाद से भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह चुनावी मोड में आ गई है। क्योंकि उसके लिये वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है गुजरात के विधानसभा चुनाव। यह सर्वविदित है कि प्रभावी नेतृत्व के अभाव में गुजरात में भाजपा का धरातल कमजोर हुआ है। वहां पर सभी दलों की दौड़ ‘येन-केन-प्रकारेण’ भाजपा को हराना एवं सत्ता हासिल करना है। यह मोदी के लिये एक बड़ी चुनौती बन चुका है और नाक का सवाल भी है। आगामी विधानसभा चुनाव जहां भारतीय जनता पार्टी के लिए एक चुनौती बनते जा रहे हैं वहीं ...
परिवार को पतन की पराकाष्ठा न बनने दे

परिवार को पतन की पराकाष्ठा न बनने दे

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वर्तमान दौर की एक बहुत बड़ी विडम्बना है कि पारिवारिक परिवेश पतन की चरम पराकाष्ठा को छू रहा है। अब तक अनेक नववधुएँ सास की प्रताड़ना एवं हिंसा से तंग आकर भाग जाती थी या आत्महत्याएँ कर बैठती थी वहीं अब नववधुओं की प्रताड़ना एवं हिंसा से सास उत्पीड़ित है, परेशान है। वे भी अब आत्महत्या का सहारा ले रही हंै, जो कि न केवल समाज के असभ्य एवं त्रासद होने का सूचक है बल्कि नयी बनी रही पारिवारिक संरचना की एक चिन्तनीय स्थिति है। आखिर ऐसे क्या कारण रहे हैं जो सास जिन्हें सासू मां भी कहा जाता है, आत्महत्या को विवश हो रही है। इसका कारण है हमारी आधुनिक सोच और स्वार्थपूर्ण जीवन शैली। हम खुलेपन और आज़ादी की एक ऐसी सीमा लांघ रहे हैं, जिसके आगे गहरी ढलान है। ऐसा लग रहा है कि व्यक्ति केवल अपनी सोच रहा है, परिवार नाम का शब्द उसने शब्दकोश में वापिस डाल दिया। तने के बिना शाखाओं का और शाखाओं के बिना फूल-पत्तों का अस्तित्व ...
व्याकरणाचार्य पाणिनि

व्याकरणाचार्य पाणिनि

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पाणिनि परिचय पाणिनि (अंग्रेज़ी:Pāṇini) संस्कृत भाषा के प्रसिद्ध और श्रेष्ठ व्याकरणाचार्य हैं। उनके अष्टाध्यायी नामक ग्रन्थ के आठ अध्याय हैं। हर अध्याय में चार पाद हैं। प्रत्येक पाद में प्रस्तुत विषय के अनुसार कम अथवा अधिक सूत्र संख्या है। अत्यन्त संक्षेप में कहे हुए नियम अथवा विधान को सूत्र कहते हैं। अत्यंत संक्षिप्त होना ही पाणिनीय सूत्रों का सबसे निराला वैशिष्ट्य है। उस संक्षेप के लिए महर्षि पाणिनी ने एक स्वतंत्र पद्धति तैयार की है। फलस्वरूप सूत्रों की अधिकांश रचना अत्यधिक तकनीकी और लोक व्यवहार की भाषा से भिन्न हो गई है। पाणिनी सूत्र की भाषा संस्कृत होते हुए भी संस्कृत भाषा के अच्छे ज्ञान मात्र से सूत्रार्थ का ज्ञान असंभव है: तथापि यह व्याकरण बहुत संक्षिप्त हो गया है, बल्कि कुछ एक हद तक दुर्बोध भी हो गया है, फिर भी एक एक सूत्र से बड़ा शब्द समू...
मंदाकिनी रूठी, तो क्या रूठ नहीं जायेंगे श्रीराम ?

मंदाकिनी रूठी, तो क्या रूठ नहीं जायेंगे श्रीराम ?

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चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर।  तुलसीदास चंदन घिसें, तिलक देंय रघुवीर।।   एक जमाने तक यह चौपाई सुनाकर रामचरितमानस के वाचक रामभक्त तुलसी के महत्व बखान किया करते थे। किंतु अब वाचक तो वाचक, पूर्णिमा.अमावस्या स्नान दर्शन के लिए पैदल ही खिंचे चले आने वाले भी शायद भूल चुके हैं कि उनकी जिंदगी में मानिकपुर, मैहर और चित्रकूट का क्या महत्व है। यदि आस्थावानों की आस्था सच्ची होती, तो इनका हाल-बेहाल न होता।   उल्लेखनीय है कि ये तीनों स्थल, बुंदेलखण्ड में आस्था के बड़े केंद्र हैं। यहां के पहाड़, जंगल और नदियां ही इन स्थलों की शक्ति रहे हैं। वनवास के दौरान श्रीराम, लक्ष्मण और देवी सीता ने इन्हीं शक्तियों से शक्ति पाई। किंतु बीते कुछ वर्षों से यह शक्ति लगातार क्षीण हो रही है। केन, बेतवा, धसान जैसी महत्वपूर्ण नदियां थक रही हैं। स्रोत से शुरू हुई जलधारा अब नदियों के अंतिम छोर तक नहीं पहुंच रही है। ...
स्वस्थ भारत यात्रा गुवाहाटी में, राज्यपाल से मुलाकात

स्वस्थ भारत यात्रा गुवाहाटी में, राज्यपाल से मुलाकात

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असम की लड़कियों ने स्कूली पाठ्यकम में स्वास्थ्य विषय को शामिल करने की जरूरत बताइ है ताकि वे स्वास्थ्य सहित बढ़ती उम्र में उनमें होने वाले शारीरिक बदलाव को स्वयं से ही समझ सकें और किसी तरह के भ्रम की शिकार नहीं हो सके। लड़कियों ने सामूहिक रूप से यह बात सेंट जोसेफ स्कूल, बेलतला में स्वस्थ भारत यात्री दल के सदस्यों के अभिनंदन के दौरान कही। लड़कियों ने कन्या भूण हत्या, बालविवाह और डायन करार कर महिलाओं की हत्या के खिलाफ भी आवाज बुलंद की। आज स्वस्थ भारत यात्रा दल के सदस्य 17 राज्यों का दौरा कर गुवाहाटी पहुंचे। यात्री दल के सदस्यों ने सेंट जोसेफ स्कूल की बालिकाओं से स्वास्थ्य चर्चा की और स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज के संदेश को फैलाने के लिए सात बालिकाओं को गुडविल एंबेसडर मनोनित किया। सम्मानित होने वाली लड़कियों में नेहा मलिक, अफसाना खातून, रिया सिंह, दीक्षिता सिन्हा, रौशनी, प्रीति दास एवं ललिता ओगर...
कभी इन असली जंगलियों से भी मिलिए

कभी इन असली जंगलियों से भी मिलिए

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विश्व वानिकी दिवस हर वर्ष आता है। वह हर वर्ष जंगल बचाने और बढ़ाने का संदेश दे जाता है। इस संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए सरकारी-गैरसरकारी स्तर पर पूरी दुनिया में सेमिनार, रैली तथा वृक्षारोपण के कार्यक्रम आयोजित होते हैं। किंतु कुछ समुदाय और लोग ऐसे होते हैं, जो विश्व वानिकी दिवस की प्रतीक्षा किए बगैर साल के बारह महीने... हर दिन सिर्फ जंगल ही बचाने, बढ़ाने की चिंता, चिंतन और करतब में मगन रहते हैं। समुदाय के तौर पर जंगल बचाने में सबसे प्रथम हमारे आदिवासी समुदाय हैं, तो व्यक्ति के तौर पर एम एस यूनिवर्सिटी, वड़ोदरा के सहायक प्रोफेसर - ट्रीमैन बालकृष्ण शाह, गुड़गांव के ट्रीमैन दीपक गौड़, अलवर के ट्रीमैन प्रदीप, लखनऊ के ट्रीमैन तिवारी और एक करोड़ पेड़ लगाने वाले ट्रीमैन दरीपल्ली रमैया समेत कई भारतीय हैं, जिनमें हरेक काम को हमें जानना चाहिए। जोधपुर में खेजड़ी के दरख्तों की रक्षा की खातिर उनसे चिपककर अ...
Challenge to Unconstitutional Provisions of Anti-Rape Law

Challenge to Unconstitutional Provisions of Anti-Rape Law

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I reproduce below the full text of a writ petition I filed in public interest in the Delhi High Court along with two others on 17 March 2017. Kapil Sibal, among the most eminent lawyers of India, is arguing this case.  We invoked Article 226 of the Constitution of India  for challenging the validity of some of the provisions of the Criminal Law Amendment Act, 2013 which have made the anti-rape law draconian and easy-to-abuse. The High Court has issued notice to the Central Government and set July 5, 2017 as the next date of hearing. ​ Kapil​ has taken on this case pro bono because he saw merit in the arguments I put forth in the petition,  which I drafted personally in consultation with and with inputs from lawyer friends. ​ ​ Kapil is an old friend ​.​ We often ...
बड़े बदलावों की नई सुबह

बड़े बदलावों की नई सुबह

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विधानसभा चुनावों में आयी भगवा सूनामी ने नकारात्मक राजनीति के कचरे को बेतरह बहा दिया है और अब देश में सकारात्मक वातावरण में राष्ट्रवादी और भारतपरक राजनीति का उदय हो गया है। हालांकि यह उदय तो मई 2014 में मोदी सरकार आने पर ही हो गया था किंतु देश के सेकुलर-वामपंथी खेमे की कलुषित मानसिकता, स्वार्थ की राजनीति एवं सरकार के हर कदम व कार्य की अबाध आलोचना और खिल्ली उड़ाने की घटिया हरकतों व किसानों, जवानों व जातीय-धार्मिक समूहों को भड़काने की राजनीति से चारों ओर भ्रम व अविश्वास का घना कोहरा छा गया था। मात्र विरोध के लिए विरोध करने वाले दलों कांग्रेस पार्टी, सपा, बसपा और आआपा को जनता ने आत्मकेंद्रित राजनीति की बहुत बड़ी सजा दी है और एक प्रकार से सेकुलर राजनीति की जड़ें ही हिला दी। यह चुनाव देश की जनता के लिए अमृत वर्षा की तरह है, क्योंकि या तो सेकुलर खेमा समाप्त होता जायेगा अथवा उसको राष्ट्रवादी सांचे...