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कौन फैला रहा है कोविड-19 का जहर

कौन फैला रहा है कोविड-19 का जहर

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कभी-कभी मन खिन्न हो जाता हो जाता है कि सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी कुछ धूर्त किस्म के लोग कोविड-19 से बचाव के लिए सरकारी दिशा-निर्देर्शो की बेशर्मी से अवेहलना कर रहे हैं। ये लोग सुधरने का नाम ही नहीं लेते। ये समझ ही नहीं रहे हैं कि इनकी लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार से वैश्विक महामारी कितना गंभीर रूप लेती जा रही है। जाहिर है, इनलोगों के कारण ही भारत की कोविड-19 को हराने की जंग कमजोर हुई है। ये सोशल डिस्टेनसिंग का पालन करना तो अपनी तौहीन समझते हैं। इन्हें मुंह पर मास्क पहनना भी अपनी शान के खिलाफ ही लगता है। बेशक, इसलिए ही केन्द्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों और केन्द्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वे कोविड-19 के प्रसार पर रोकथाम के लिए घोषित किए गए सभी उपायों को सख्ती से लागू करें। अब जरा देखें कि दिल्ली की जामा मस्जिद में भी सरकारी दिशा-निर्देर्शो की अवहेलना करते हुये जुमा अलव...
अब आगे की सोचें

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  लॉकडाउन से सबने ये समझ लिया है कि कोरोना के साथ कैसे जीना है। धीरे धीरे कई राज्य लॉकडाउन में ढील देते जा रहे हैं। प्रवासी मजदूरों की घर लौटने की भीड़ देश के हर महानगर व अन्य नगरों में व शराब की दुकानों के बाहर लगी लम्बी लाइनें इस बात का प्रमाण है कि लोगों के धैर्य का बांध अब टूट चुका है। बहुत से लोग मानते हैं कि लॉकडाउन के चलते कोरोना से नहीं मरे तो भूख और बेरोजगारी से लाखों लोग अवश्य मर जाएँगे। इसलिए जो भी हो इस कैद से बाहर निकला जाए और चुनौती का सामना किया जाए। जिनके पास घर बैठे खाने की सुविधा है और जिनका लॉकडाउन से कोई आर्थिक नुकसान नहीं हो रहा उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि लॉकडाउन कितने दिन अभी और चले। उधर देश भर से तमाम सूचनाएँ आ रही हैं कि जिस तरह का आतंक कोरोना को लेकर खड़ा हुआ या किया गया वैसी बात नहीं है। पारम्परिक पद्धतियों जैसे होमियोपैथी और आयुर्वेद ने बह...
क्या समाप्त होने वाला है मोदी युग?

क्या समाप्त होने वाला है मोदी युग?

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  कोरोना संकट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चक्रव्यूह में फंसा दिया है। वे आज के अभिमन्यु बनते जा रहे हैं। यह भी सत्य है कि वे विपरीत परिस्थितियों में भी बड़े साहस से डटे हुए हैं और लगभग चक्रवर्ती सम्राट की तरह ही भारत की सत्ता का संचालन कर रहे हैं और वैश्विक स्तर पर भी प्रभावी भूमिका निभा रहे हैं। मगर परिस्थिति दिन व दिन जटिल होती जा रही हैं। हर बदलते दिन के साथ उन पर आरोप लगते जा रहे हैं व उनके कई निर्णयों के उल्टा असर पड़ने से देश की जनता में असंतोष बढ़ता जा रहा है। एनडीए सरकार के सन 2019 में वापसी के बाद कश्मीर, अयोधया व तीन तलाक आदि के मुद्दों पर जीत के साथ वे लोकप्रियता के शिखर पर पहुंच गए थे और इसीलिए कोरोना संकट के समय उनके सम्पूर्ण लॉक डॉउन के निर्णय का पूरे देश ने एक स्वर में साथ दिया बिना किसी चर्चा व गहराई में गए बिना। मगर लॉक डॉउन के चौथे चरण तक आते आते चीजें बिखरने लगी...
कोरोना वैक्सीन और भारत के प्रयास

कोरोना वैक्सीन और भारत के प्रयास

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पूरी दुनिया कोरोना वायरस संकट से इस वक्त जूझ रही और अब तक इसके वैक्सीन का पता नहीं चल पाया। कोविद-19 मामलों की पुष्टि के मामले लगातार दुनिया भर में बढ़ रहे हैं, वैज्ञानिक महामारी को धीमा करने और बीमारी के नुकसान को कम करने के लिए टीके और उपचार विकसित करने के प्रयासों के साथ आगे बढ़ रहे हैं। वायरस आसानी से फैलता है और दुनिया की अधिकांश आबादी अभी भी इसके प्रति संवेदनशील है। एक टीका, वायरस से लड़ने के लिए लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करके कुछ सुरक्षा प्रदान करेगा ताकि वे बीमार न हों। इससे लॉकडाउन को अधिक सुरक्षित रूप से उठाया जा सकता है। दुनिया एक अभूतपूर्व और अकल्पनीय गंभीर संकट से निपट रही है। इसलिए, टीका विकास की गति महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन में वैज्ञानिकों द्वारा प्रदान किए गए नए कोरोनावायरस के जीनोम अनुक्रमण से पता चलता है कि यह एक ही आनुवंशिक सामग्री का 79 प्...
किसानों के लिए एक लाख करोड़ का पैकेज

किसानों के लिए एक लाख करोड़ का पैकेज

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  हमारे देष में एक बहुत ही पुरानी कहावत प्रचलित है। “उत्तम खेती मध्यम बान, निकृष्ठ चाकरी भीख निदान।” कहने का अर्थ यह है कि सबसे अच्छा कार्य या बेहतर पेशा तो खेती ही है और दूसरे दर्ज पर व्यापार है। नौकरी को तो कहा गया है कि वह तो निकृष्ठ है, जो भीख मांगने के समान है। लेकिन, 70 वर्षों में विदेशों की नकल करके हमारे कर्णधारों ने देश की स्थिति को बदल दिया है। अब तो निकृष्ठ नौकरी को ही सबसे बढ़िया पेशा माना जा रहा है, और उसके ही बाद व्यापार भी है। सबसे निकृष्ठ आज अन्नदाताओं का कार्य कृषि बन गया है। यह स्थिति जो सत्तर सालों में उल्टी हो गयी है उसको वापस पटरी पर लाने के लिए ही “आत्मनिर्भर भारत योजना” के तहत प्रधानमंत्री मोदी जी ने किसानों, पशुपालकों और मछली पालकों के लिए एक लाख करोड़ रूपये का पैकेज कल घोषित किया। वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सितामरण जी ने अपने प्रेस कांफ्रेस में कल इसकी विस्...
लॉकडाउन में शिक्षा: अवसर और चुनौतियां

लॉकडाउन में शिक्षा: अवसर और चुनौतियां

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मार्च के दूसरे सप्ताह में, देश भर की राज्य सरकारों ने कोरोनवायरस के प्रसार को रोकने के लिए एक उपाय के रूप में स्कूलों और कॉलेजों को अस्थायी रूप से बंद करना शुरू कर दिया था। आज दो महीने के बाद भी कोई निश्चितता नहीं है कि स्कूल फिर से कब खुलेंगे। स्पष्ट है कि वर्तमान शैक्षिक सत्र पारंपरिक रूप से स्थापित मानदंडों के आधार पर पूरा नहीं किया जा सकता है तब नीति नियंताओं ने इसके दूरगामी असर का अनुमान लगा लिया था और वैकल्पिक मॉडल पर काफी पहले कार्य करना प्रारंभ कर दिया था। आज अध्ययन एवं अध्यापन के डिजिटल स्वरूप को मान्यता प्रदान की गई है। कक्षा में आमने-सामने के संप्रेषण का स्थान इंटरनेट, मोबाइल, लैपटॉप आदि पर आभासी कक्षाओं ने ले ली है। जूम, सिसको वेब एक्स, गूगल क्लासरूम, टीसीएस आयन डिजिटल क्लासरूम आदि ने लोकप्रियता के आधार पर शिक्षा जगत में अपना-अपना स्थान बनाना प्रारंभ कर दिया है। शिक्षा क्षेत...
महामारी के बीच तूफानी ख़तरे

महामारी के बीच तूफानी ख़तरे

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देश अभी कोरोना वायरस से लड़ ही रहा है कि एक और नई चुनौती सामने आकर खड़ी हो गई है, यह है चक्रवात अम्फान। ऐसे में इन दोहरी चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए एनडीआरएफ की टीमों ने अपनी कमर कस ली है। चक्रवाती तूफान 'अम्फान' सुपर साइक्लोन में बदल गया है. जानकारी के मुताबिक यह चक्रवात भीषण तबाही मचा सकता है. भारतीय मौसम विभाग ने बंगाल की खाड़ी के ऊपर चक्रवाती तूफान अम्फान की तेज रफ्तार को देखते हुए पश्चिम बंगाल, ओडिशा समेत कई राज्यों में अलर्ट जारी किया है.चक्रवात अम्फान अब बंगाल और ओडिशा तट की ओर तेजी से बढ़ रहा है. चक्रवात की वर्तमान गति 160 किमी/घंटा है. वर्तमान में, यह दीघा से करीब 1000 किलोमीटर दूर है. आइये जाने चक्रवातों के बारे में,भारत मौसम विज्ञान विभाग ने हाल ही में भविष्य के उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के 169 नामों की सूची जारी की है जो बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उभरेंगे। दुनिया भर मे...
तनातनी के माहौल में भारत की भूमिका

तनातनी के माहौल में भारत की भूमिका

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महामारी को लेकर अमेरिका, चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन के बीच चल रही जुबानी जंग में हर रोज कुछ न कुछ नया शामिल जो जाता है. इस लड़ाई को आगे बढ़ाते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रमुख को एक चेतावनी भरा पत्र लिखा, लेकिन इसका जवाब उन्हें चीन की तरफ से मिला. चीनी विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के पत्र को ‘संकेतों, शायद, किंतु-परंतु’ से भरा हुआ बताया और यह भी कहा कि अमेरिका जनता को गुमराह करने के लिए इस तरह के हथकंडे अपना रहा है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने डोनाल्ड ट्रंप के पत्र पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘अमेरिका अपनी जिम्मेदारी को सीमित करने और विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रति अपने अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों पर सौदेबाजी के लिए चीन को मुद्दा बना रहा है. लेकिन अमेरिका ने गलत लक्ष्य चुना है’. कोरोना महामारी ने अमेरिका में काफी कहर बरपाया है. 90,000 से अधिक...
असली चुनौती अब राज्यों को झेलनी है

असली चुनौती अब राज्यों को झेलनी है

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तमाम विपरीत परिस्थितियों, आशंकाओं और आपत्तियों के बीच भारत में लागू हुआ लॉकडाउन का चैथा चरण अब अधिक चुनौतीभरा एवं गंभीर है। देश में कोरोना संक्रमितों और इससे मरने वालों की संख्या जिस तेजी से बढ़ रही है, वह बहुत चिन्ताजनक एवं भयावह तस्वीर प्रस्तुत कर रही है। इस बात के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि आने वाले दिनों में इस महामारी का कहर थमने वाला नहीं है। तीन चरणों के लाॅकडाउन पीरियड़ में इस महामारी को फैलने से रोकने में जो सफलताएं मिली, वे अब धराशायी हो जाये तो कोई आश्चर्य नहीं है। कोरोना मुक्ति की सीढ़ियों पर चढ़ते कदमों को नीचे खींचना हमारी ऐसी विवशता बन रही है, जो जीवन के उजाले से अधिक मौत का अंधेरा अपने साथ लिये है। लेकिन यह भी बड़ा सत्य है कि जीने के लिये गतिशीलता जरूरी है, रुक जाना अच्छा नहीं, क्योंकि वहां विकास की सारी संभावनाएं खत्म हो जाती है। केंद्र सरकार ने विकास को गति देने की दृष्टि से...
तब्लीगियों और मजदूरों को लेकर राजनीति होती रही, पर सरकार का इकबाल कहीं दिखा ही नहीं, अब कोरोना झेलिए!

तब्लीगियों और मजदूरों को लेकर राजनीति होती रही, पर सरकार का इकबाल कहीं दिखा ही नहीं, अब कोरोना झेलिए!

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  आज कोरोना संक्रमण के एक्टिव केस की संख्या 58,802 है और अब तक कुल 3,163 लोगों की दुखद मृत्यु हो चुकी है। अब तक संक्रमण के कुल 1,01,139 मामले कन्फर्म हो चुके हैं। एक्टिव केस के मामले में भारत अभी दुनिया में 7वें स्थान पर आ चुका है। अब भारत से आगे केवल अमेरिका, रूस, ब्राज़ील, फ्रांस, इटली और पेरू हैं। इन देशों में भी फ्रांस और इटली ने अपने यहाँ स्थिति पर काबू पा लिया है और वहाँ हालात बेहतर हुए हैं। अमेरिका में जो होना है, हो चुका है। रूस, ब्राज़ील और पेरू इन तीनों देशों को मिलाकर भी 38 करोड़ की ही आबादी है, यानी अकेले भारत की आबादी इन तीनों देशों को मिलाकर भी चार गुना ज़्यादा है। यानी दुनिया में कोरोना का अगला कहर भारत में ही बरपने वाला है। फिर भी ऐसा लगता है कि अब किसी भी सरकार के पास कोरोना से निपटने की कोई ठोस नीति नहीं है। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के नाम पर सरकारें क्र...