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कोरोना वायरस के पीछे चीनी फंडा

कोरोना वायरस के पीछे चीनी फंडा

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 दुनिया पर हावी होने का तरीका ??  चीनी रणनीति:-  1. सबसे पहले एक वायरस और उसकी दवा बनाई।  2. फिर वायरस फैलाया।  3. अपनी दक्षता का प्रदर्शन करते हुए रातों- रात अस्पतालों का निर्माण करवा लिया (आखिरकार वे पहले से ही तैयार थे) परियोजनाओं के साथ साथ उपकरण का आदेश देना, श्रम, पानी और सीवेज नेटवर्क को किराए पर लेना, पूर्वनिर्मित निर्माण सामग्री और एक प्रभावशाली मात्रा में स्टॉक.. यह सब उस रणनीति का हिस्सा थे।  4. परिणामस्वरूप दुनिया में वायरस के साथ साथ अराजकता फैलने लगी, खास कर के यूरोप में।  5. दर्जनों देशों की अर्थव्यवस्था त्वरित रूप से प्रभावित हुई।  6. अन्य देशों के कारखानों में उत्पादन लाइनें बंद हो गई।  7. फलस्वरूप शेयर बाजार में ज़बरदस्त गिरावट।  8. चीन ने अपने देश में महामारी को जल्दी से नियंत्रित कर लिया। रातों रात वुहान से कोरोना के नए मरीज मिलना बन्द ही हो...
कोरोना वायरस नहीं तीसरे विश्वयुद्ध का सूर्यग्रहण  

कोरोना वायरस नहीं तीसरे विश्वयुद्ध का सूर्यग्रहण  

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यह मेरी समझ से बाहर है कि क्यों अभी तक नाटो देशों ने औपचारिक रूप से नहीं घोषित किया कि तीसरा विश्वयुद्ध प्रारंभ हो चुका है। जबकि इसका आरंभ तो अमेरिका द्वारा उत्तरी कोरिया व ईरान के विरूद्ध उठाए गए कदमों के साथ ही हो चुका था। बुरी तरह उलझे अंतरराष्ट्रीय संबंधों में वस्तुतः एक ही बार मे यह समझ पाना मुश्किल होता है कि कौन सा देश किसके खेमे में है। किंतु कोरोना वायरस के विश्वव्यापी संक्रमण के खतरनाक रूप से  शिकार विश्व में विभिन्न राष्ट्रों की  प्रतिक्रिया व उठाए जा रहे कदमों से स्पष्ट हो चुका है कि दुनिया फिर से दो खेमों में बंटने जा रही है अमेरिकी व चीनी।   सन 1989 तक विश्व जिसमें बाज़ारबादी अमेरिका व साम्यवादी सोवियत संघ के दो खेमें थे , वे 1989 में अमेरिका द्वारा सोवियत संघ के बिखराब व अवसान के बाद समाप्त हो चुके थे व सन 1990 से सन 2019 तक अमेरिका दुनिया की एक मात्र महाशक्ति था। किंतु अब...
Not repeating mistakes done by Italy, Spain and US, will be benefitting

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On Tuesday evening, Prime Minister Shri Narendra Modi has given a strong message in his address to the nation by putting 21 days of lockout across the country. It is "n bhuto n bhavishyati" means it neither happened in the past nor will happen in future. But, this message was very sensible and also absolutely indispensable for the country. In all humility, the Prime Minister Narendra Modi appealed to the masses to maintain restraint for another 21 days. He is the first Prime Minister of the country to have taken such strict steps in view of the welfare and sentiments of the entire 130 crore people in this hour of crisis. Further, he expressed the strong feelings that still if we failed to learn from the experiences of other countries and people continued to behave negligently for the next ...
चलो पुरातन की ओर

चलो पुरातन की ओर

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एक सूक्ष्म से परजीवी ने आपको घुटनो पर ला दिया ? न एटम बम काम आ रहे न पेट्रो रिफाइनारी ? आपका सारा विकास एक छोटे से जीवाणु से सामना नहीं कर पा रहा ?? क्या हुआ , निकल गयी हेकड़ी ?? बस इतना ही कमाया था इतने वर्षों में ? की एक छोटे से जीव ने घरो में कैद कर दिया ??? मध्य युग में पुरे यूरोप पे राज करने वाला रोम ( इटली ) नष्ट होने के कगार पे आ गया , मध्य पूर्व को अपने कदमो से रोदने वाला ओस्मानिया साम्राज्य ( ईरान , टर्की ) अब घुटनो पर हैं , जिनके साम्राज्य का सूर्य कभी अस्त नहीं होता था , उस ब्रिटिश साम्राज्य के वारिश बर्मिंघम पैलेस में कैद हैं , जो स्वयं को आधुनिक युग की सबसे बड़ी शक्ति समझते थे , उस रूस के बॉर्डर सील हैं , जिनके एक इशारे पर दुनिया क नक़्शे बदल जाते हैं , जो पूरी दुनिया के अघोषित चौधरी हैं , उस अमेरिका में लॉक डाउन हैं और जो आने वाले समय में सबको निगल जाना चाहते थे , वो चीन ,...
भयावह मंजरों वाला तीसरा विश्वयुद्ध प्रारंभ हो गया है 

भयावह मंजरों वाला तीसरा विश्वयुद्ध प्रारंभ हो गया है 

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यह मेरी समझ से बाहर है कि क्यों अभी तक नाटो देशों ने औपचारिक रूप से नहीं घोषित किया कि तीसरा विश्वयुद्ध प्रारंभ हो चुका है। जबकि इसका आरंभ तो अमेरिका द्वारा उत्तरी कोरिया व ईरान के विरूद्ध उठाए गए कदमों के साथ ही जो चुका था। बुरी तरह उलझे अंतरराष्ट्रीय संबंधों में वस्तुतः एक ही बार मे यह समझ पाना मुश्किल होता है कि कौन सा देश किसके साथ है। किंतु कोरोना वायरस के विश्वव्यापी संक्रमण के खतरनाक रूप से  शिकार विश्व में विभिन्न राष्ट्रों की  प्रतिक्रिया व उठाए जा रहे कदमों से स्पष्ट हो चुका है कि दुनिया फिर से दो खेमों में बंटने जा रही है अमेरिकी व चीनी।   सन 1989 तक विश्व जिसमें बाज़ारबादी अमेरिका व साम्यवादी सोवियत संघ के दो खेमें थे , वे 1989 में अमेरिका द्वारा सोवियत संघ के बिखराब व अवसान के बाद समाप्त हो चुके थे व सन 1990 से सन 2019 तक अमेरिका दुनिया की एक मात्र महाशक्ति था। किंतु अब यह समी...
येस बैंक का डूबना-उभरना एवं भारतीय अर्थव्यवस्था पर उसका प्रभाव

येस बैंक का डूबना-उभरना एवं भारतीय अर्थव्यवस्था पर उसका प्रभाव

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बैंकिग व्यवस्था किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का दर्पण होती है। बैंकिग प्रणाली में जनता के विश्वास का होना, इस बात का प्रमाण है कि उक्त देश की अर्थव्यवस्था बहुत सुदृढ़ है इसके विपरीत यदि जनता का विश्वास बैंकिंग व्यवस्था से भंग होता है तो सत्ता के प्रति भी उनका विश्वास भंग होना स्वाभाविक है। देश में अभी कुछ समय के अंतराल में न केवल येस बैंक अपितु 50 से अधिक अन्य छोटे-बड़े बैंक भी बंद हो चुके हैं। इस परिस्थिति के परिणामस्वरूप 25-30 हजार से लेकर कई लाख खाताधारकों का पैसा डूबा है, जिसके कारण आज सम्पूर्ण देश में साधारण जनता का विश्वास बैंकिग व्यवस्था से उठता जा रहा है।  आज बैंको के डूबने के कारणों का गहनता से अध्ययन करने की आवश्यकता है। जब भी कोई बैंक डूबता है, सरकार तथा रिजर्व बैंक द्वारा साधारण जनता को यही समझाया जाता है कि उक्त बैंको के उच्च पदो पर आसीन प्रबंधक और प्रशासनिक अधिकारियों ने अप...
आप आज समूचे समाज पर उपकार करें !

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वैसे तो हम भारतीयों की यह आदत रही है कि संकट के समय एकजुट हो जाते हैं ।सचमुच यह  समय एकजुटता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को स्वीकारने और उसके पीछे चलने का है | समूचे राष्ट्र को यह  संकल्प करना होगा कि हम वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए दिशा-निदेशों का पालन करेंगे । ‘इस बार समाज रक्षा का तरीका पृथक है, समाज की रक्षा के लिए खुद को फौरी तौर पर समाज से अलग  लेने का है।  वैज्ञानिकों के बाद प्रधानमंत्री ने भी कहा है कि घर से बाहर तभी निकलें, जब बहुत जरूरी हो। आज २२ मार्च ‘जनता कर्फ़्यू’ का दिन है, इसकी उद्देश्य पूर्ति में सरकार के कठोर कदम से ज्यादा हमारी जागरूकता जरूरी है। आने वाले तीन हफ्ते घर से बाहर निकलने से पहले सोचें कि क्या घर से निकलना बेहद जरूरी है? घर में रहने के नाम पर  अक्सर घबराहट फैलती है और लोग जमाखोरी करने में जुट जाते हैं। अमेरिका जैसे विकसित देश में यह देखा गया है कि वहां भी स्टोर के ...
कौन खा रहा हैं बैंकों को नोच-नोच कर

कौन खा रहा हैं बैंकों को नोच-नोच कर

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यस बैंक में जिस तरह की लोन देने के नाम पर लूट मची हुई थी उससे यह साफ हो गया है कि देश के बैंकिंग सेक्टर में नए सिरे से पुनर्समीक्षा कर प्राण फूंकने की जरूरत हैं। बैंकिंग सेक्टर अब ऐसा लगता है कि जंगग्रस्त हो चुकी है। अब यस बैंक के देशभर में फैले लाखों खातेदार अपना पैसा निकालने के लिए मारे-मारे घूम रहे है। आपको याद ही होगा कि पिछले साल के अंतिम महीनों में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक पर अलग-अलग तरह की कई पाबंदियां लगा दीं थी। जिसके बाद इसके खातेदारों को अपने ही बैंक से अपना पैसा निकालना मुश्किल हो गया था। यकीन मानिए कि सरकारी क्षेत्र के बैंकों के हर माह करीब 90 मुलाजिमों को चोरी-चकारी, भ्रस्टाचार और अकर्मण्यता के पुख्ता कारणों से नौकरी से बर्खास्त किया जा रहा है। इनमें से ज्यादातर पर भ्रष्टाचार में फंसे होने के पुख्ता साक्ष्य हैं। ये काम करने की बजाय काली क...
हिन्दू संस्कृति अपनाए “कोरोना” को भगाए

हिन्दू संस्कृति अपनाए “कोरोना” को भगाए

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‘कोरोना’ का संक्रमण रोकने हेतु विश्‍वभर में हिन्दू संस्कृति के अनुसार आचरण आरंभ होना ही हिन्दू धर्म की महानता ! ‘नमस्कार’, ‘आयुर्वेद’, ‘शाकाहार’ आदि को अपनाकर स्वस्थ और आनंदित रहें ! विश्‍वभर में उत्पात मचानेवाले कोरोना विषाणु के संक्रमण के कारण अनेक देश बाधित हैं । कोरोना संक्रमित रोगियों की संख्या प्रतिदिन बढ रही है । इस संक्रमण को रोकने हेतु एक-दूसरे से मिलने पर ‘शेक-हैन्ड’ अर्थात हाथ मिलाना, ‘हग’ अर्थात गले लगना, चुंबन लेना आदि पाश्‍चात्य पद्धति भी कारणभूत सिद्ध हो रहे हैं, यह ध्यान में आने पर अनेक पाश्‍चात्य देशों में अब ‘नमस्ते’ बोलने की पद्धति प्रचलित हुई है । जिन अंग्रेजों ने हम पर 150 से भी अधिक वर्षों तक राज्य कर हिन्दू संस्कृति नष्ट करने का प्रयास किया, उसी इंग्लैंड के प्रिंस चार्ल्स एवं पोर्तुगाल के प्रधानमंत्री एंटोनियो कोस्टा सहित अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्...
निर्भया के हत्यारे चारों बलात्कारियों के संरक्षक कौन लोग?

निर्भया के हत्यारे चारों बलात्कारियों के संरक्षक कौन लोग?

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निर्भया के हत्यारे चारों बलात्कारियों के बचाव के लिए उठाए गए कदम ने चौंकाया है और गम्भीर सवाल को जन्म दिया है. अतः सरकार इस तथ्य की जांच CBI, IB या NIA से करवाए कि निर्भया के हत्यारे चारों बलात्कारियों के संरक्षक कौन लोग हैं, उनका एजेंडा क्या है...? ज्ञात रहे कि पूरा देश इस तथ्य से भलीभांति परिचित है कि निर्भया के हत्यारे चारों बलात्कारी एक निजी बस के ड्राईवर कंडक्टर खलासी क्लीनर का काम करते थे. अतः उनकी अर्थिक पृष्ठभूमि/स्थिति का आंकलन आसानी से किया जा सकता है. पूरा देश इस कटु सत्य से भी भलीभांति परिचित हैं कि भारतीय अदालतों में मुकदमेबाजी कितनी महंगी है, विशेषकर जब यह मुक़दमेबाजी हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचती है तो खर्च की सारी सीमाएं तोड़ देती है. यही कारण है कि पिछले कुछ महीनों से निर्भया के हत्यारे चारों बलात्कारियों के बचाव के लिए की जा रहीं अभूतपूर्व कोशिशों के कारण एक गम्भ...