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नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा देने वाली पहल

नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा देने वाली पहल

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सम्पूर्ण मानवता के सम्मुख खडे़ कोरोना वायरस की महामारी के संकट से सार्क देश आपस में मिलकर लडे़, दुनिया के सामने मानवता की रक्षा की एक अनूठी मिसाल कायम करें और विश्व को सेहतमंद बनाने में अपनी भूमिका अदा करें, ऐसी भारत की पहल एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सकारात्मक भूमिका का जहां दुनिया में स्वागत हो रहा है, वही इन संकट के निवारण की चर्चा के दौरान पाकिस्तान का कश्मीर राग अलापना विडम्बपापूूर्ण है, दुर्भाग्यपूर्ण है। कोरोेना वायरस जैसे महासंकट के समय सार्क देशों के बीच भारत एक नई उम्मीद एवं रोशनी का कारण बना है। इन उजालों को निर्मित करने में नरेन्द्र मोदी की मानवतावादी सोच, दूरदृष्टिता एवं सूझबूझ की महत्वपूर्ण भूमिका है। मनुष्य के अविनाशी जीवन के भाव को ग्रसने के लिये कोरोना वायरस का राहू मुंह बाये खड़ा है, हरेक मनुष्य के सामने यह गंभीर चुनौती है। लेकिन कुछ स्वार्थी देश इन क्षणों में भी अप...
Final hanging of Nirbhaya convicts after too much legal hurdles calls for systematic reform for time-bound hanging of convicts of death-sentence

Final hanging of Nirbhaya convicts after too much legal hurdles calls for systematic reform for time-bound hanging of convicts of death-sentence

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Final hanging of Nirbhaya convicts after too much legal hurdles calls for systematic reform for time-bound hanging of convicts of death-sentenceIt is a matter of satisfaction that finally four convicts of Nirbhaya rape-cum-death were ultimately hanged to death at 5.30 am on 20.03.2020 after crossing all hurdles created by lawyers of convicts including last-moment mid-night effort to knock court-doors. Even politicians cutting across party-lines expressed satisfaction on final justice to Nirbhaya who faced most inhuman torture on 16.12.2012. But legal loopholes brought in the whole affair calls for immediate reform in the system whereby crimes attracting death-penalty may be heard on fast track at all stages of trial from District Court to Supreme Court. Provision of filing mercy-petitio...
क्यों होती है फांसी देने में देरी कातिलों को

क्यों होती है फांसी देने में देरी कातिलों को

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निर्भया गैंगरेप केस में दोषियों को आख़िरकार फांसी तो हो ही गई। निर्भया के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या करने वाले मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर को पहली बार इस केस में साल 2013 में ही मौत की सजा सुनाई गई थी। उसके बाद यह केस विभिन्न अदालतों में अनावश्यक रूप से घूमता रहा । पर इतने बड़े और अहम केस में दोषियों को सजा मिलने में हुई देरी बहुत सारे सवाल न्यायपालिका और वकालती दाव-पेंच पर भी खड़े करती है। कोर्ट से इंसाफ मिलने में होने वाली देरी के चलते फांसी की सजा का इंतजार कर रहे मुजरिमों की दया याचिकाओं पर भी फैसले वक्त रहते नहीं हो पाये । सुप्रीम कोर्ट ने साल 2014 में फांसी की सजा का इंतजार कर रहे 15 दोषियों की फांसी की सजा उम्रकैद में भी बदली थी। उसने फांसी की सजा का इंतजार करने वाले कैदियों को लेकर अपने एक अहम फैसले में कहा था कि मृत्युदंड पाए अपराधियों की दया याचिका पर अनिश्चि...
गोगोइ के राज्यसभा नामजद होने पर विरोध क्यों?

गोगोइ के राज्यसभा नामजद होने पर विरोध क्यों?

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  भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को सेवा-निवृत्ति के चार माह के भीतर राज्यसभा में नामजद कर देने की घटना ने एक नया इतिहास रचा है, नये पदचिह्न स्थापित किये गये हैं, इससे लोकतंत्र को नई ऊर्जा एवं नया परिवेश मिला है। राष्ट्रपति द्वारा नामजद किए जानेवाले 12 लोगों में से वे एक हैं। ऐसा नहीं है कि गोगोई के पहले कोई न्यायाधीश या सर्वोच्च न्यायाधीश सांसद नहीं बने हैं, वे बने हैं लेकिन गोगोई ऐसे पहले सर्वोच्च न्यायाधीश हैं, जो राष्ट्रपति की नामजदगी से राज्यसभा के सदस्य बने हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश का पद न्यायपालिका का सर्वोच्च पद है, अब गोगोई राज्यसभा के सदस्य बनकर राष्ट्र के निर्माण में पद एवं प्रतिष्ठा को महत्व न देते हुए उदारता का परिचय दिया है। वे एक ऐसी रोशनी की मीनार बने हंै, जो राजनीति को स्वार्थ नहीं, सेवा की एक मिसाल के रूप में प्रस्तुति देने को तत्पर हो रहे हैं। भारत के लो...
कोरोना से जंग- क्यों भारत पर भरोसा करते सार्क मुल्क

कोरोना से जंग- क्यों भारत पर भरोसा करते सार्क मुल्क

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कहते ही हैं कि कष्ट और संकट में पड़ोसियों को एक-दूसरे के साथ खड़ा हो ही जाना चाहिए। संकट की स्थिति में पुराने गिले-शिकवे भुला ही देने चाहिए। दुनिया में आतंक और भय का पर्याय बन चुके “कोरोना वायरस” ने सार्क देशों को भी एक बार फिर साथ खड़ा कर दिया है। चलो, कम से कम इसी कोरोना के बहाने साउथ एशियन एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन (सार्क)के सदस्य देश भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्री लंका, नेपाल, भूटान और मालदीव साथ-साथ तो आ गए हैं। कोरोना की चुनौती का मुकाबला करने के लिए अब सभी सार्क देश मिल- जुलकर एक एक्शन प्लान बनाने जा रहे हैं। अच्छी बात यह है कि यह पहल भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ही की है। इसका सार्क के सभी देशों ने स्वागत भी किया। वे भारत के साथ इसलिए खड़ा होना चाहते हैं क्योंकि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए भारत सरकार ने अभूतपूर्व कदम उठाकर पूरे विश्व के समक्ष यह सिद्ध कर दिया है कि ...
कोरोना एक अद्र्श्य सेना के खिलाफ लड़ाई है

कोरोना एक अद्र्श्य सेना के खिलाफ लड़ाई है

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कोरोना एक अद्र्श्य सेना के खिलाफ लड़ाई हैकोरोना से विश्व पर क्या असर हुआ है इसकी बानगी अमरीकी राष्ट्रपति का यह बयान है कि, "विश्व कोरोना वायरस की एक अदृश्य सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है।" चीन के वुहान से शुरू होने वाली कोरोना नामक यह बीमारी जो अब महामारी का रूप ले चुकी है आज अकेले चीन ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिएपरेशानी का सबब बन गई है। लेकिन इसका सबसे अधिक चिंताजनक पहलू यह है किवैश्वीकरण की वर्तमान परिस्थितियों में यह बीमारी समूची दुनिया केसामने केवल स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि आर्थिक चुनौतियाँ भी लेकर आई है। सबसे पहले 31 दिसंबर को चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को वुहान में न्यूमोनिया जैसी किसी बीमारी के पाए जाने की जानकारी दी। देखते ही देखते यह चीन से दूसरे देशों में फैलने लगी और परिस्थितियों को देखते हुए एक माह के भीतर यानी 30 जनवरी 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे विश्व के लिए एक महामा...
Complete shut-down till 31st March 2020 would have been more advisable

Complete shut-down till 31st March 2020 would have been more advisable

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Complete shut-down till 31st March 2020 would have been more advisablePrime Minister Narender Modi in his nation-wide telecast at 8 pm on 19.03.2020 in an emotional and heart-touching speech kept short of announcing a complete shut-down in the country because of country approaching third state of corona-spread perhaps to avoid panic-creation amongst masses, even though such a harsh step was of utmost necessity rather than a self-imposed single-day janta-curfew that too on 22.03.2020 three days after the speech. India with 135 crore population is not at all in a position to face even the third-stage of Corona-spread of community-transmission what to talk about fourth stage. Advisory for people above 60 years of age for voluntary stay at homes may not be workable in a country where senior...
22 मार्च 2020 – जनता कर्फ्यू का वैज्ञानिक व आध्यात्मिक अर्थ – अत्यंत सूझबूझ का परिचायक

22 मार्च 2020 – जनता कर्फ्यू का वैज्ञानिक व आध्यात्मिक अर्थ – अत्यंत सूझबूझ का परिचायक

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*22 मार्च 2020 - जनता कर्फ्यू का वैज्ञानिक व आध्यात्मिक अर्थ - अत्यंत सूझबूझ का परिचायक*प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 22 मार्च 2020 को घोषित जनता कर्फ्यू, कोरोना वायरस के विरुद्ध एक अत्यंत ही सूझबूझ भरा वैज्ञानिक और आध्यात्मिक कदम है। आपने इस बारे में समझने की अगर कोशिश की, तो आप इस कदम में 100% प्रतिशत न केवल साथ देंगे बल्कि जब पूरे मन से और पूरे उत्साह से साथ देंगे तो अविश्वसनीय परिणाम सामने आएंगे। आइए इसको समझने की कोशिश करते हैं। क्या आप जानते है कि कोरोना वायरस की उम्र अलग अलग परिस्थितियों में कितनी होती है। कोरोना वायरस आम लेकिन अलग अलग परिस्थितियों में 3 से 72 घण्टे तक सक्रिय रह सकता है यानि कि उसकी उम्र इतनी ही है, वो भी अधिकतम 72 घण्टे तक, लेकिन ज़्यादातर 36 घण्टे में ये समाप्त हो जाता है। अब अगर सरकार पूरे देश को क्वारंटाइन करना चाहे या आइसोलेशन वार्ड में एडमिट करना चाहे तो...
क्या केवल यस बैंक पर ही आ सकता है ऐसा संकट ?

क्या केवल यस बैंक पर ही आ सकता है ऐसा संकट ?

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यस बैंक से धन निकासी की सीमा तय करने के बाद खाताधारकों में दहशत का माहौल है। देशभर में इस बैंक की हर शाखा पर खाताधारकों की लंबी-लंबी कतारें लगी हैं। लोग हड़बड़ाहट में हंै। किसी को बीमार बेटे के इलाज के लिए पैसे की जरूरत पड़ी, लेकिन उसे पैसा नहीं मिल सका। किसी का बैंक में करोड़ों रुपया है, ऐसे में उन्हें पैसों के सुरक्षित रहने की चिंता सता रही है। घबराए ग्राहकों गुस्से में हैं, बैंक में हंगामा होने लगा है। इसको लेकर पुलिस बुलानी पड़ रही है। देश के अलग-अलग हिस्सों से ब्रांचों में हंगामे की खबरें आ रही हैं। 14 नवंबर 2016 को हमने बैंकों की असलियत पर एक लेख लिखा था। जो आईआईटी दिल्ली के मेधावी छात्र रवि कोहाड़ के गहन शोध के बाद प्रकाशित एक सरल हिंदी पुस्तक ‘बैंकों का मायाजाल’ पर आधारित था। उस समय जो प्रश्न हमने उठाये थे, उन पर फिर से गौर करने की जरूरत है। इस पुस्तक में बड़े रोचक और तार्किक तरीके से ...
उपद्रवियों की होर्डिंग नहीं हटाएंगे हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे

उपद्रवियों की होर्डिंग नहीं हटाएंगे हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे

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यूं ही कोई व्यक्ति योगी आदित्यनाथ नहीं हो जाता है। त्याग, तपस्या और बलिदान को मन, बचन और कर्म से आत्मसात करने वाले उत्तरप्रदेश के यशश्वी मुख्यमंत्री सच्ची मायनों में 'हठयोगी' हैं। वह अपने तरह के  इकलौते ऐसे सन्यासी राजनेता हैं जो कहते हैं वह खुलेआम करते हैं। अभी हालिया प्रकरण में उन्होंने लखनऊ हिंसा के उपद्रवियों की फ़ोटो लगी होर्डिंग शहर भर में टंगवा दी हैं। उपद्रवियों में कई एक्टिविस्ट और मुस्लिम मौलानाओं के नाम भी शामिल हैं। कुछ उपद्रवियों ने उच्च न्यायालय में होर्डिंग लगाए जाने को लेकर सरकार के फैसले को चुनौती दी। अदालत ने रविवार को सुनवाई कर तत्काल होर्डिंह हटवाने का मुख्य सचिव को आदेश दिया। उधर सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने होर्डिंग हटाने से इनकार करते हुए उच्च न्यायालय के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लिया है। संभव है कि सुप्रीम कोर्ट भी होर्डिंग ...