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AIIMS starts campaign for Namaste rather than hand-shake

AIIMS starts campaign for Namaste rather than hand-shake

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It refers to All India Institute of Medical Sciences (AIIMS) launching campaign in interest of public-health whereby stress is given on greeting each other with folded hands (Namaste) rather than hand-shake as a preventive measure to avoid infections. Otherwise also hand-shake unhygienic because any one or both shaking hands may not have clean hands. Even American Journal of Infection Control had several years back published a report warning hand-shake to be even more infectious than kissing. Earlier also American health authorities had recommended greeting by folded hands instead of western style by shaking hands or kissing endorsing Indian style of sayingnamaste with folded hands for normal greetings. It is one of many such glorious aspects of Hinduism which are purely based on highly...
क्यों न मिले अल्ताफ को भारत की नागरिकता

क्यों न मिले अल्ताफ को भारत की नागरिकता

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पाकिस्तान में मुहाजिरों के नेता अल्ताफ हुसैन ने भारत की नागरिकता की मांग की है। एक अर्से से लंदन में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे अल्ताफ हुसैन ने राम मंदिरपर आये सुप्रीम के फैसले का भी स्वागत किया है। अल्ताफ हुसैन की मांग से पाकिस्तान की बेशरम सरकार भी शर्मसार ज़रूर हुई है। आखिर पाकिस्तान के उर्दू बोलनेवाले मुहाजिरों के शिखर नेता ने भारत में बसने की इच्छा जताई है। पाकिस्तान में मुहाजिर उन मुसलमानों के लिए कहा जाता है जो देश के बंटवारे के समय दिल्ली, यूपी मध्य प्रदेश, बिहार आदि राज्यों से पाकिस्तान चले गये थे। तब उन्हें लगता था कि नये मुल्क में उन्हें जन्नत ही मिल जायेगी। इन्हीं मुसलमानों ने पाकिस्तान के लिएलम्बी लडाई भी लड़ी थी और कइयों ने अपनी कुर्बानी भी दी थी। पर नये मुल्क पाकिस्तान में  जाकर इन्हें दोयम दर्जे का नागरिक ही  माना गया और अबतक वही माना जा रहा है! इनकी जमकर दुर्गती हुई। ये अ...
लोकतंत्र तो आहत हुआ, सरकार भले बने 

लोकतंत्र तो आहत हुआ, सरकार भले बने 

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अपने अनूठी एवं विस्मयकारी राजनीतिक ताकत से शरद पवार ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने की असमंजस्य एवं घनघोर धुंधलकों के बीच जिस तरह का आश्चर्यकारी वातावरण निर्मित किया, वह उनके राजनीतिक कौशल का अद्भुत उदाहरण है। महाराष्ट्र में राजनीतिक नाटक का जिस तरह पटाक्षेप हुआ है उससे यही सिद्ध हुआ है कि इस राज्य में श्री शरद पवार के कद को छू पाना किसी अन्य क्षेत्रीय नेता के बस की बात नहीं है। मगर पूरा नाटक भी उन्हीं की पार्टी और उनके ही घर में विद्रोह हो जाने की वजह से हुआ। लेकिन इन बदली राजनीतिक फिजाओं एवं बाजी को उन्होंने जिस राजनीतिक परिवक्वता, साहस एवं दृढ़ता से पलटा और एनसीपी, कांग्रेस एवं शिवसेवा की शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सरकार बनाने का रास्ता साफ किया। भले ही महाराष्ट्र में चुनाव के बाद से ही लोकतांत्रिक मूल्य तार-तार होते रहे हो, राजनीति में दलबदल एवं अनैतिकता ...
देश की पहली राजयोग थॉट लेबोरेट्री ने पूरे किये ३ वर्ष

देश की पहली राजयोग थॉट लेबोरेट्री ने पूरे किये ३ वर्ष

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जयपुर ऐतिहासिक इमारतों एवं किलों के कारण विश्व हेरिटेज में अपना एक विशेष स्थान रखता है। गत कुछ वर्षों से जयपुर शिक्षा के क्षेत्र में भी नए इनिशिएटिव ला रहा है, इन्ही में से एक है राजयोग थॉट लेबोरेट्री। यह ऐसी अनूठी प्रयोगशाला है जिसमें विद्यार्थी स्वयं पर एक्सपेरिमेंट्स करके अपने विचारों को दिशा दे सकता हैं। यह भारत की पहली ऐसी प्रयोगशाला है जो वैचारिक स्तर पर सशक्तिकरण का कार्य कर रही है।  जिस प्रकार स्टूडेंट फिजिक्स लैब, केमिस्ट्री लैब आदि लेब्स में कार्य करके अपनी टेक्निकल स्किल्स को इम्प्रूव करता है, ठीक उसी प्रकार इस थॉट लैब में स्टूडेंट अपने मन में चलने वाले थॉट पैटर्न पर वर्क करके मेंटल एंड इमोशनल लेवल पर एम्पावरमेंट कर सकते हैं। आज के इस आधुनिक युग में सोशल मीडिया और इन्टरनेट के अनियंत्रित उपयोग के कारण युवाओं में मानसिक परेशानियाँ जैसे की गुस्सा, बदले की भावना, तनाव, आत्म-ग्लान...
DoPT should revise fees for lectures with provision of GST added

DoPT should revise fees for lectures with provision of GST added

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Department of Personnel and Training DoPT fixed a fees of rupees 4000 for lectures in conducting workshops for government-staff on various aspects including on handling applications filed under Right-To-Information Act. Surprisingly there is no provision of adding Goods and service Tax GST which is presently 18-percent on this amount fixed long back thus practically further reducing the fees to just rupees 3390 for those coming under GST network. DoPT should not only upgrade the fees reasonably, but also direct all departments, ministries and others to compulsorily add GST to newly fixed amount for those coming under GST network. Many departments and ministries spend exorbitantly to hire taxis for pick-up and dropping the persons delivering lectures, where these taxis are paid for ru...
More required for transgenders even after passing The Transgender Persons (Protection of Rights) Bill, 2019

More required for transgenders even after passing The Transgender Persons (Protection of Rights) Bill, 2019

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It refers to Rajya Sabha on Constitution Day 26.11.2019 gifting transgenders by passing The Transgender Persons (Protection of Rights) Bill, 2019 which was earlier cleared by Lok Sabha on 05.08.2019. But more is required bring transgenders in main streamline and to ensure that transgenders may leave begging and singing-dancing as their profession for livelihood. An era should be there whereby transgenders may not separately in a society of their own, but may lead normal life in families of their birth. It is indeed an irony of the system that just 22 transgenders applied for under-graduate courses combinedly in thee universities in Delhi namely Delhi University, Jamia University and Ambedkar University. Union government should constitute National Transgender Commission. Unrestricted adm...
ईश आराधना में दीपक का स्थान

ईश आराधना में दीपक का स्थान

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ईश्वर की पूजन में सबसे अधिक महत्व दीपक प्रज्ज्वलित करने का होता है। दीपक के बिना किसी भी भगवान की पूजन करना अधूरा कार्य माना गया है। पूजन का दीपक सिर्फ अंधेरे को ही दूर नहीं करता है, वरन् हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करता है। पूजन में शास्त्रोक्त विधि से दीपक लगाने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं तथा उनकी कृपा हम पर बरसना प्रारम्भ हो जाती है। हम प्रायः अपने घर के मंदिर में प्रतिदिन सुबह एवं शाम को भगवान के समीप दीपक प्रज्ज्वलित करते हैं। दीपक जलते ही अनेक प्रकार के वास्तुदोष नष्ट हो जाते हैं। दीपक के प्रज्ज्वलित होने के पश्चात् उसके प्रकाश एवं धुँए से वातावरण शुद्ध होने के साथ अनेक प्रकार के कीटाणुओं से घर मुक्त हो जाता है। विषैले कीटाणुं नष्ट हो जाते हैं। दीपक प्रज्जवलित करने के पूर्व दीपक को पूजन में कैसे रखा जाय इस हेतु विशेष परम्परा है। पूजा के समय दीपक जमीन पर न रखें बल्कि द...
गांधी दृष्टि और पर्यावरण विमर्श

गांधी दृष्टि और पर्यावरण विमर्श

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गांधी जी ने अपनी जीवन यात्रा पहले पूरी की, 'पर्यावरण' शब्द बाद में अस्तित्व में आया; यही कोई 20वीं सदी के छठे दशक में। पर्यावरण चुनौतियों का उभार, उनकी चिंता, चिंताओं को सामने रखकर विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का संयुक्त राष्ट्र संघ का निर्देश, पर्यावरण संरक्षण के नाम पर संगठनों की स्थापना, आंदोलन, एक विज्ञान और तकनीकी विषय के रूप में पर्यावरण की पढ़ाई... ये सभी कुछ बहुत बाद में सामने आए। लिहाजा, गांधी साहित्य में ’वातावरण’ शब्द का उल्लेख तो है, किंतु ’पर्यावरण’ शब्द का नहीं। यह कहना उचित ही है; बावजूद इसके, गांधी जी की 105वीं जयंती के दिन साहित्य अकादमी ने पर्यावरण विमर्श को गांधी दृष्टि से देखने संबंधी आलेख पाठ करने और सुनने हेतु हमें आमंत्रित किया है। यह सुखद भी है और गांधी दृष्टि को गहराई से जानने की साहित्य अकादमी की उत्तम लालसा का परिचायक भी। इसके लिए अकादमी बधाई और आभार... दोनो की पात्र...
संयम व दृढ़ता की विजयगाथा

संयम व दृढ़ता की विजयगाथा

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यह अपनी गलती सुधारने जैसा तो है ही, साथ ही अपनी जड़ों से जुडऩे की कोशिश भी है। राम जन्मभूमि के अस्तित्व को स्वीकार करने व उस पर भव्य राम मंदिर के निर्माण की स्वीकृति देने के उच्चतम न्यायालय के आदेश हम भारतीयों के लिए एक 'क्रांति’ के समान है। राम के अस्तित्व को स्वीकार करना यानि वैदिक सनातन संस्कृति के अस्तित्व को स्वीकार करना है। यह इंडिया पर भारत की जीत है। यह सैकड़ों सालों के उस संघर्ष की जीत है जो अरब देशों के विदेशी इस्लामी आक्रमणकारी लुटेरों के विरुद्ध भारत की जनता ने पिछले 500 से अधिक वर्षों से संयम व दृढ़ता से हज़ारों लोगों की जान गंवाकर भी की। ये हर भारतीय के रोम रोम में बसने वाले दुनिया में प्रथम आदर्श या संपूर्ण व्यक्तित्व एवं आदर्श राज्य की स्थापना करने वाले राजा रामचंद्र के प्रति संपूर्ण भारत का प्रायश्चित भी है और विश्व को यह संदेश भी कि कई सौ सालों की गुलामी से मुक्त हुई भारत...
क्या अब राजनीति की परिभाषा बदल गई ?

क्या अब राजनीति की परिभाषा बदल गई ?

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यह बात सही है कि राजनीति में अप्रत्याशित और असंभव कुछ नहीं होता, स्थाई दोस्ती या दुश्मनी जैसी कोई चीज़ नहीं होती हाँ लेकिन विचारधारा या फिर पार्टी लाइन जैसी कोई चीज़ जरूर हुआ करती थी।  कुछ समय पहले तक किसी दल या नेता की राजनैतिक धरोहर जनता की नज़र में उसकी वो छवि होती थी जो उस पार्टी की विचारधारा से बनती थी लेकिन आज की राजनीति में ऐसी बातों के लिए कोई स्थान नहीं है । आज राजनीति में स्वार्थ, सत्ता का मोह, पद का लालच, पुत्र मोह, मौका परस्ती जैसे गुणों के जरिए सत्ता प्राप्ति ही अंतिम मंज़िल बन गए हैं। शायद इसीलिए अपने लक्ष्य को हासिल करने की जल्दबाजी में ये राजनैतिक दल अपनी विचारधारा, छवि और नैतिकता तक से समझौता करने से नहीं हिचकिचाते। वैसे तो चुनाव परिणाम आने के बाद से ही लगातार महाराष्ट्र के घटनाक्रम केवल महाराष्ट्र की जनता ही नहीं पूरे देश के लोगों को निराश कर रहे थे। लेकिन जब 23 तारीख के अ...