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विधानसभा चुनाव-2019  महाराष्ट्र में अधूरे ठाठ, हरियाणा में खड़ी हुई खाट

विधानसभा चुनाव-2019 महाराष्ट्र में अधूरे ठाठ, हरियाणा में खड़ी हुई खाट

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  अब भारत का राजनीतिक परिदृश्य एकदम से बदल गया है। यूं तो देश में राष्ट्रवाद की हवा चल रही है और 370 हटने के बाद से यह हवा अब आंधी में बदल चुकी है किन्तु राज्यों की राजनीति के संदर्भ में स्थानीय मुद्दे एवं राज्य सरकार की परफॉर्मेंस भी जनता के ज़ेहन में होते हैं। अब जनता राष्ट्रवाद तो चाहती है किन्तु स्थानीय सरकार से परिणाम भी चाहती है। महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव परिणाम इसकी पुष्टि भी कर देते हैं। महाराष्ट्र और हरियाणा में भाजपा और सहयोगी उतना अच्छा परिणाम नहीं दे पाये जितना उनसे शीर्ष नेतृत्व अपेक्षा रख रहा था। इसके साथ ही चुनावी राजनीति में एक विषय यह भी है कि कब, किस समय क्या निर्णय लेना है ? दोनों राज्यों में चुनाव के पहले सेना द्वारा पीओके में घुसकर आतंकी कैंपों पर हमला करना और सभी मीडिया संस्थानों द्वारा उसका महिमा मंडन करना केंद्र सरकार की चुनावी रणनीति को बताता है। उत्तर...
जनता के संकेतों को समझे खेमे में बंटी कांग्रेस

जनता के संकेतों को समझे खेमे में बंटी कांग्रेस

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महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। दोनों ही राज्यों में बेशक भारतीय जनता पार्टी अपने सहयोगियों के साथ सरकार बना रही है। कभी ये दोनों ही राज्य कांग्रेस के गढ़ रहे हैं। उस गढ़ में कभी-कभी समाजवादी विचारधारा वाले दल सेंध लगाते रहे हैं। लेकिन दोनों ही राज्यों में जिस तरह कांग्रेस ने चुनाव अभियान चलाया है, उससे लगता नहीं कि देश की इस सबसे पुरानी पार्टी ने सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को कोई टक्कर देने की कोशिश भी की। पूरे चुनाव अभियान के दौरान लगा भी नहीं कि कांग्रेस पार्टी ने कोई चुनावी अभियान भी चलाया। यह उस पार्टी का प्रदर्शन है, जिसने फकत एक साल पहले ही मौजूदा भारतीय राजनीति में अजेय समझी जाने वाली भारतीय जनता पार्टी से तीन महत्वपूर्ण राज्य मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान को छीन लिया था। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में तो लगातार तीन कार्यकाल से भारतीय जनता पार्टी ...
अयोध्या मामला : षड्यंत्रकारी वामपंथी-कांग्रेसी इतिहासकारों का अवसान काल

अयोध्या मामला : षड्यंत्रकारी वामपंथी-कांग्रेसी इतिहासकारों का अवसान काल

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  देश के सबसे पुराने और विवादास्पद बना दिए गए अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली है और अब फैसले का इंतजार है। सुनवाई के दौरान जहां हिंदू पक्ष ठोस सबूतों और कानूनों के आधार पर जिरह कर रहा था, वहीं सबूतों के अभाव में मुस्लिम (गैर शिया) पक्ष कोरी नाटकबाजी और लफ्फाजी में लगा रहा। मुस्लिम पक्ष आखिरी क्षण तक मामले को टालने और भटकाने का प्रयास करता रहा, लेकिन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने जैसे ठान लिया था कि वो अब इस मामले को हल करके ही रहेंगे। वो 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। आशा है कि इससे पूर्व ही वो अपना निर्णय सुना देंगे। सुनवाई के अंतिम दिन जब हिंदू महासभा के वकील विकास सिंह ने किशोर कुणाल की किताब 'अयोध्या रीविसीटेड’ और उसमें दिए गए राम जन्म भूमि के नक्शे अदालत के सामने रखने चाहे तो मुस्लिम पक्ष के वकील और कांग्रेस के बेहद करीबी राजीव धवन ने उन्हें फाड़ दि...
दिल्ली में प्रदूषण क्यों?

दिल्ली में प्रदूषण क्यों?

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जो लोग दिल्ली में 2008 के पहले से रह रहे हैं, वो जानते हैं कि इससे पहले दिल्ली में कभी इस तरह से धुआं नहीं भरा करता था... अगर कभी थोड़ा बहुत होता भी था, तो अधिक से अधिक 1-2 दिन के लिए, जबकि किसान पहले भी पराली जलाते ही थे। 2008 के बाद अचानक ऐसा क्या हो गया कि दिल्ली प्रतिवर्ष गैस चेंबर बनने लगी ? इस बात को समझने के लिए इन 5 बातों को जानना बहुत आवश्यक है - 1. यूट्यूब पर सर्च करें तो पाएंगे कि 2007 के बाद अचानक मीडिया के एक विशेष वर्ग ने पंजाब और हरियाणा में घटते भूजल स्तर पर स्टोरीज़ की भरमार कर दी थी, NDTv इसमें सबसे आगे था... बताया जाता था कि कैसे पंजाब और हरियाणा में धरती के अंदर का पानी सूखता जा रहा है और किसान संकट में है। 2. इन समाचारों से पैदा दबाव के बहाने पंजाब और हरियाणा सरकारों ने यह कहते हुए अप्रैल में धान बोने पर प्रतिबंध लगा दिया कि इस समय धान बोने के लिए किसान बड़े-ब...
मुसलमानों के कर्णधार कब हक देंगे औरतों और पसमांदाओं को

मुसलमानों के कर्णधार कब हक देंगे औरतों और पसमांदाओं को

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भारत में औरतों को  जीवन के हर क्षेत्र में समता दिलवाने का सपना पूरा होने में अभी वक्त लगेगा।  हालांकि गुजरे कुछ दशकों के दौरान औरतों ने बहुत सारे अवरोधों को पार भी किया है। वे तमाम क्षेत्रों में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज भी करवा रही हैं। पर मुसलमान औरतों के आगे बढ़ने की रफ्तार बहुत ही धीमी है। उन्हें बुर्के के अंदर कैद रखने के साथ-साथ ट्रिपल तलाक जैसे  मुद्दों ने आगे ही नहीं बढ़ने दिया। तलाक वाला मसला तो अब कानूनी तौर पर हल हो गया है पर अब भी उन्हें कदम-कदम पर कठमुल्लों के फैसलों के आगे झुकना पड़ रहा है। उदाहरण के रूप में केरल  को छोड़कर अधिकतर राज्यों में मुसलमान औरतें मस्जिद में जाकर नमाज नहीं पढ़ सकती। हालांकि कुरआन में उन्हें मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ने की मनाही का कहीं उल्लेख तक नहीं है। कुरआन में औरतें को कम से कम 59 जगहों पर मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ने की बात मिलती है।  वरिष्ठ लेखक जि...
परंपराएँ हैं तो हम हैं…!

परंपराएँ हैं तो हम हैं…!

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इसे आप मन पर अंकित संस्कारों की अमिट छाप कहें या मूल की ओर लौटने की स्वाभाविक मानवीय प्रकृति, त्योहारों के आते ही मन-प्राण अकुलाने लगता है, चित्त की सारी वृत्तियाँ गाँव-घर की ओर अभिमुख हो उठती हैं, शहरों की आबो-हवा से दूर गाँव की गलियों में मन-प्राण ठौर ढूंढ़ने लगता है | पहले मैं सोचा करता था कि आख़िर क्यों कोई आजीवन देश-परदेश रहने के बाद भी अपना अंतिम समय अपनी माटी, अपने परिवेश, अपने लोगों के संग-साथ ही बिताना चाहता है? अब समझ में आया कि माटी माटी को पुकारती है; हर पल हमें हमारा मूल पुकारता रहता है, भीतर बहुत भीतर अपना कोई आवाज़ दे रहा होता है|यह बार-बार लौटने की, मूल की ओर, जड़ों की ओर लौटने की प्रवृत्ति है कि छूटे न छूटतीं! और गाँव के वे खेत-खलिहान, कूल-कछार, ताल-तलैया त्योहारों के आते ही हमारी स्मृतियों में नए सिरे से आकार लेने लगते हैं, नितांत नए संदर्भों और अर्थों के साथ| एक-एक करक...
आधुनिक भारत के शिल्पी थे सरदार पटेल

आधुनिक भारत के शिल्पी थे सरदार पटेल

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भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन एवं आजादी के बाद आधुनिक भारत को वैचारिक एवं क्रियात्मक रूप में एक नई दिशा देने के कारण सरदार वल्लभभाई पटेल ने राजनीतिक इतिहास में एक गौरवपूर्ण, ऐतिहासिक एवं स्वर्णिम स्थान प्राप्त किया। वास्तव में वे आधुनिक भारत के शिल्पी थे। भारत की मादी को प्रणम्य बनाने एवं कालखंड को अमरता प्रदान करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। उनकी अखण्ड भारत को लेकर जितनी बड़ी कल्पनाएं थी, जितने बड़े सपने थे, उसी के अनुरूप लक्ष्य बनाये और उतने ही महत्वपूर्ण कार्य किये। उनके कठोर व्यक्तित्व में बिस्मार्क जैसी संगठन कुशलता, कौटिल्य जैसी राजनीति सत्ता तथा राष्ट्रीय एकता के प्रति अब्राहम लिंकन जैसी अटूट निष्ठा थी। जिस अदम्य उत्साह, असीम शक्ति एवं कर्मठता से उन्होंने नवजात भारत गणराज्य की प्रारम्भिक कठिनाइयों का समाधान किया, उसके कारण विश्व के राजनीतिक मानचित्र पर वे एक अमिट आलेख बन गये। राजनीति...
सकारात्मक संकेत दे गई दीवाली

सकारात्मक संकेत दे गई दीवाली

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दीवाली का पर्व तो खुशी-खुशी देश ने मना ही लिया। कोई बड़ी  दुर्घटना नहीं हुई I इसने यह भी ठोस संकेत दे दिए कि अभी भी करोंड़ों हिन्दुस्तानियों की जेब में औरबैंकों में अरबों रूपये का पर्याप्त पैसा है खरीददारी करने के लिए। इसलिए किसी तथाकथित “अर्थशास्त्री” का यह कहना कि मंदी के कारण दीवाली में खरीददारी नहीं हुई,सरासर गलत ही होगा। दीवाली से दो-तीन हफ्ते पहले तक सारे देश में यही वातावरण बनाया जा रहा था कि कारों की बिक्री बिल्कुल बैठ गई है। पर धनतेरस कात्योहार खुशियां लेकर आया। इस दौरान हजारों कारों की बिक्री हुई। दिल्ली-एनसीआर में ही मर्सिडीज बेंज और बीएमड्ब्ल्यू जैसी लक्जरी कारें सैकड़ों की संख्या में बिकीं।अगले कुछ दिनों के बाद जर्मन की चांसलर एंजेला मर्केल भारत आ रही है। उन्हें जब इस  आंकड़े के संबंध में पता चलेगा कि उनके देश के दो कार निर्माता भारत मेंभी शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं, तो उन्हें ...
इस्लामी कलंक का सफाया

इस्लामी कलंक का सफाया

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‘इस्लामिक स्टेट’ के सरगना अबू बकर अल-बगदादी की हत्या करके अमेरिका ने एक अमेरिका महिला के साथ हुए बलात्कार और उसकी हत्या का बदला तो ले लिया लेकिन क्या इससे विश्व में फैला इस्लामी आतंकवाद खत्म हो जाएगा ? उसामा बिन लादेन तो बगदादी से भी ज्यादा खतरनाक और कुख्यात था लेकिन उसका हत्या से क्या आतंकवाद में कोई कमी आई ? इस्लाम के नाम पर चलनेवाले आतंकवाद को रोकने के लिए कुछ और भी बुनियादी कदम उठाने पड़ेंगे। सबसे पहले तो इस्लामी जगत को यह समझना होगा कि आतंकवाद इस्लाम का सबसे बड़ा कलंक है। इस्लाम की जितनी बदनामी आतंकवाद के नाम पर हुई है, किसी अन्य मजहब या संप्रदाय की नहीं हुई है। आपके नाम में यदि कोई अरबी या फारसी का शब्द आ जाए, बस इतना ही काफी है। आप पर शक की निगाहें उठने लगती है। ऐसा क्यों है ? क्योंकि सारे दहशतगर्द अपने कुकर्म का औचित्य कुरान की आयातों के आधार पर ठहराते हैं। वे दावा करते हैं कि वे ज...
CSE releases analysis of post-Diwali air in Delhi-NCR

CSE releases analysis of post-Diwali air in Delhi-NCR

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Centre for Science and Environment (CSE) has analysed real time data for Delhi and the towns in the National Capital Region (NCR) -- including Gurugram, Faridabad, Noida and Ghaziabad -- to show how the Diwali night has ushered in the season’s first severe pollution peak due to the bursting of firecrackers. This has undone the comparatively cleaner trend achieved so far in the September 15 to October 27 period. Says Anumita Roychowdhury, executive director-research and advocacy, CSE: “While harsher winter conditions are yet to set in and the weather during the period of analysis (September 15 to October 27) has remained relatively favourable (including a delayed monsoon), several ongoing systemic actions and preventive emergency measures had also contributed to prevent an early onset...