
आदमी की तलाश क्यों जरूरी है?
आज हमें ऐसे आदमी की तलाश है जो जीवन के मूल्य मानकों के प्रति बने सोच एवं नजरिए को सही दृष्टि एवं सही दिशा दे। उन सिद्धांतों को नया अर्थ दे जिन पर आज तक लोगों ने अंगुली उठाई है लेकिन जीने का साहस नहीं किया। उन आदर्शों को जीए जो अभी तक संस्कृति को सूरत तो दे सके मगर सीरत नहीं। वह उन जटिल एवं समस्याग्रस्त रास्तों को बदले जिन पर चलकर हर कदम ने अंत तक सिर्फ ठोकरें ही खाई हैं। विज्ञान, संस्कृति, परम्परा, धर्म और जीवन-मूल्यों के नाम पर उठा जिंदगी का यही पहला कदम एक सफल एवं सार्थक जीवन का नायाब तोहफा होगा। लेकिन इसके लिये इंसान को इंसान बनना होगा।
ईश्वर का पहला चिन्तन था-फरिश्ता और ईश्वर का ही पहला शब्द भी था मनुष्य। ईश्वर के प्रारंभिक दोनों ही चिन्तन आज लुप्तप्राय है। तभी तो यह भी सुना है-आदमी की जात बड़ी बदजात होती है। खरबूजों को देखकर जैसे खरबूजा रंग बदलता है वैसे ही आदमी-आदमी को देखकर रं...