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संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी भाषा को आधिकारिक भाषा बनाने की मांग जोरदार तरीके से भारत को उठानी चाहिए!

संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी भाषा को आधिकारिक भाषा बनाने की मांग जोरदार तरीके से भारत को उठानी चाहिए!

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14 सितम्बर - हिन्दी दिवस पर सभी 135 करोड़ भारतीयों को हार्दिक बधाइयाँ!   देश की आजादी के पश्चात 14 सितंबर, 1949 को भारतीय संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हिन्दी को अंग्रेजी के साथ राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू ने तथा उनकी सरकार ने इस ऐतिहासिक दिन के महत्व को देखते हुए हिन्दी को देश-विदेश में प्रचारित-प्रसारित करने के लिए 1953 से सम्पूर्ण भारत में 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। भारत का परिपक्व लोकतंत्र, प्राचीन सभ्यता, समृद्ध संस्कृति तथा अनूठा संविधान विश्व भर में एक उच्च स्थान रखता है। भारत की गरिमा, गौरव तथा हिन्दी भाषा को हर कीमत पर विकसित करना चाहिए। स्वदेशी के प्रबल समर्थक भाई राजीव दीक्षित के अनुसार हिन्दी के विकास में सबसे ज्यादा योगदान महर्षि दयानंद सरस्वती तथा महात...
Chandrayaan 2: Hope & Despair

Chandrayaan 2: Hope & Despair

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There is a saying “Slip between the cup and the lip”. It was exactly like that when on September 7 Mission Chandrayaan 2 lost communication with ISRO just before landing on the Moon. Had it been alright with landing India would have been the first country in the world to have its lander on the south pole of the Moon. However, nobody should doubt the capability of our Scientists involved in the mission. We will succeed one day. Before this the United States of America, Russia and China had conducted successful soft landing on the Moon. But no country had attempted to land its mission on the south pole of the Moon. Chnadrayaan 2 lander Vikram did land on the South Pole but in what way. Reasons are being found out by our ISRO (Indian Space Research Organisation) scientists. ISRO Chairman K S...
क्यों अपनी कब्र खोदने पर आमादा है कांग्रेस

क्यों अपनी कब्र खोदने पर आमादा है कांग्रेस

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भारत जैसे विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में सक्रिय और जिम्मेदार विपक्ष का होना नितॉंत अनिवार्य है।  जाहिर है कि जिम्मेदार विपक्ष से जनता की यह अपेक्षा रहती है कि वह सरकार से  ज़िम्मेदाराना सवाल पूछता रहे। सरकारी कामकाज पर अपनी निष्पक्ष राय  दे। सरकार की जन विरोधी नीतियों का विरोध करे और कल्याणकारी और राष्ट्र हित में लिए गए फैसलों का समर्थन भी करे। पर कांग्रेस लोकतांत्रिक प्रक्रिया की  इस छोटी सी बात को भी भूल गई है। उसे विपक्षी धर्म का निर्वाह करने में पसीना छूट रहा है। उसे तो लगता है कि विपक्ष में रहकर सिर्फ सरकार की आलोचना  ही करते रहनी चाहिए। कांग्रेस की इस तरह की नकारात्मक नीति के मात्र दो उदाहरण यहां रखना चाहता हूं। जहां सरकार का जम्मू-कश्मीर में धारा 370 और 35 ए हटाने को लेकर सारा देश खुलेआम अतिउत्साहपूर्वक  समर्थन कर रहा था, वहीं कांग्रेस  इतने अहम राष्ट्र हित के मसले पर सरकार को पान...
अभी चंद्रयान – 2 पर उम्मीद बाकी

अभी चंद्रयान – 2 पर उम्मीद बाकी

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भारत गत शनिवार की सुबह एक विश्व इतिहास रचने से मात्र एक कदम दूर रह गया। अगर सब कुछ ठीक रहता तो भारत दुनिया का ऐसा पहला देश बन जाता जिसका अंतरिक्षयान चन्द्रमा की सतह के दक्षिण ध्रुव के करीब उतरता। पर इसरो के वैज्ञानिकों की क्षमताओं पर किसी को संदेह नहीं है। भारत को जल्दी ही पुन:कामयाबी मिलेगी ही । इससे पहले अमरीका, रूस और चीन ने चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैन्डिंग करवाई थी । लेकिन, दक्षिण ध्रुव पर किसी ने अबतक लैंडिंग करवाने की हिम्मत नहीं की थी । भारत वह करने जा ही रहा था कि  चन्द्रमा से चंद किलोमीटर की दूरी पर जाकर हमारे चंद्रयान -२ का संपर्क इसरो द्वारा अन्तरिक्ष में स्थापित लैंडर विक्रम से टूट गया था । लैंडिंग तो हुई पर कहाँ और किन परिस्थितियों में हुई इसका अध्ययन चल रहा है। इसरो ने भी अपने एक वक्तव्य में कहा है कि चाँद पर गिरा है पर टूटा नहीं है लैंडर विक्रम । चंद्रयान -२ के लैंडर विक...
साम्प्रदायिक सद्भाव और मुस्लिम कट्टरता

साम्प्रदायिक सद्भाव और मुस्लिम कट्टरता

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★_पिछले सप्ताह संघ व जमायते-उलेमा-हिन्द के प्रमुखों की एक बैठक दिल्ली में संघ के मुख्य कार्यालय में हुई। देश में  साम्प्रदायिक सद्भाव व सौहार्द का वातावरण बनाने के लिए साथ-साथ कार्य करने की कुछ योजनाएं बनाई जाएगी समाचार पत्रों से ऐसे कुछ संकेत मिलें है। इस अभियान की सफलता के लिए यह जानना भी आवश्यक है कि "राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ" का गठन स्व. डॉ हेडगेवार जी व उनके कुछ प्रखर राष्ट्रभक्त साथियों द्वारा किया गया था। भारतीय संस्कृति व उसके मूल्यों की रक्षार्थ "भारतीयता" को सर्वोपरि मानकर देशवासियों में राष्ट्रभक्ति का संचार करना ही इस संगठन का मुख्य लक्ष्य है। जबकि जमायते-उलेमा-हिन्द को "भारतीय राष्ट्रीयता" के स्थान पर केवल "आक्रान्ताओं की इस्लामिक विचारधारा" का पोषक माना जाता आ रहा है। अधिकांश इस्लामिक शक्तियां भारत में खलीफा का राज स्थापित करके भारत की व्यवस्था को शरीयत के अनुसार चलाना चाहती...
कहीं आने वाली मंदी का कारण हम तो नहीं बनने वाले ?

कहीं आने वाली मंदी का कारण हम तो नहीं बनने वाले ?

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इस समय भारत ही नहीं पूरे विश्व में आर्थिक मंदी की आहट की चर्चा है। भारत के विषय में अगर बात करें तो हाल ही में जारी कुछ आंकड़ों के हवाले से यह कहा जा रहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था बेहद बुरे दौर से गुज़र रही है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार अप्रैल- जून तिमाही की आर्थिक विकास दर 5% रह गई है जो कि पिछले 6 सालों में सबसे निचले स्तर पर है। एक अर्थशास्त्री के लिए ये आंकड़े मायने रखते होंगे लेकिन एक आम आदमी तो साधरण मनोविज्ञान के नियमों पर चलता है। सरकार  कह रही है कि आने वाली वैश्विक मंदी का भारत में कोई खास असर नहीं होने वाला है अपितु इसके साथ ही इस वैश्विक मंदी का असर भारत पर नहीं हो इस के लिए अनेक उपाय भी कर रही है।, लेकिन टीवी और अखबार "आने वाली" मंदी की खबरों और विभिन्न अर्थशास्त्रियों के "शस्त्रार्थ" से भरे हैं। तो सोशल मीडिया के मंच पर इस विषय में परोसे जाने वाली जानकारी से आज आम आ...
ख़ौफ़ में क्यों है आम नागरिक?

ख़ौफ़ में क्यों है आम नागरिक?

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हाल ही में मोदी सरकार द्वारा लागू हुए मोटर व्हीकल (संशोधन) अधिनियम 2019 को लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है। कुछ लोग इसे एक अच्छी पहल बता रहे हैं तो वही पर दूसरे लोग इसे जनता के बीच ख़ौफ़ पैदा करने का एक नया तरीक़ा। कुछ तो इसे यातायात पुलिस में भ्रष्टाचार बढ़ाने का एक नया औज़ार भी बता रहे हैं। मोटर नियम को सख्त बनाकर मोदी सरकार के परिवहन विभाग ने यातायात नियम का उल्लंघन रोकने की कोशिश तो ज़रूर की है। लेकिन इसे कामयाब बनाने के लिए केवल जुर्माने की राशि पांच से सौ गुणा तक बढ़ा देने से कुछ नहीं होगा। मौजूदा नियम को अगर काफ़ी सख़्ती से लागू किया जाता और जुर्माने की राशि को दुगना या तिगुना किया जाता, तो काफ़ी सुधार हो सकता सम्भव था। उदाहरण के तौर पर आपको याद दिलाना चाहेंगे कि जब भारत में जब राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन हुआ था तो दिल्ली में एक लेन केवल खिलाड़ियों की बस और आपातकालीन वाहनों...
Creating Shadow of War

Creating Shadow of War

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After having failed to garner support for its campaign against India on Kashmir, Pakistan is trying to create a shadow of war in the Indian subcontinent. There are reports of Pakistan Army mobilizing some 2000 troops along the Line of Control in the Pak-occupied-Kashmir. The Indian Army has confirmed this report. Although, there is little chance of yet another Indo-Pak war, one should remember the fact that there is dearth of ‘saner’ elements in the Army establishment of Pakistan. The knee jerk reaction of Pakistan Prime Minister Imran Khan immediately after India’s decision to revoke Article 370 of the Constitution ending special status of Jammu and Kashmir on August 5, threatening India with ‘conventional war’ and reminding India and the world community of consequences of war between tw...
Relaxation in upper age-limit for contractual or outsourced employees should be from date of joining

Relaxation in upper age-limit for contractual or outsourced employees should be from date of joining

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It refers to Office-Memorandum No.F.19(11)-2015-S-IV-1751-1756 dated 11.06.2019 issued by Services Department (Branch IV) of Government of NCT Delhi wherein an relaxation of five years in upper age-limit has been granted to contractual employees at time of regular appointment on Direct Recruitment Basis. The OM is based on bass of DoPT guidelines and opinions of concerned ones. But such relaxation of a fixed five-year period will harm many contractual and outsourced employees whose service exceeds more than five years, because they will always have a hanging sword of uncertainty and unemployment in case decision is taken to replace contractual and outsourced employees to be replaced by regular employees. Such contractual and outsourced employees at such mid-age will neither be eligible ...
Central government should allow water-purifier only with provision of waste-less water

Central government should allow water-purifier only with provision of waste-less water

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Presently RO (Reverse Osmosis) water-purifiers usually have a drainage-pipe that drains out an appreciable quantity of water as waste water before preserving the filtered water in the reservoir. Central government should direct concerned ministry or department whereby water-purifiers may be innovated where there may be no generation of waste water to be drained out before preserving purified water in the reservoir. Any provision of compulsory installation of a separate reservoir to store waster-water to be used otherwise will not work, because people in general will either remove any such reservoir or get it emptied by throwing away the waste water. Since RO water-purifiers are now-a-days very common in households, hotels, restaurants, eateries and offices, installation of water-purifiers...