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आखिर कब थमेगा राज्य सभा में हंगामा, होगा कामकाज

आखिर कब थमेगा राज्य सभा में हंगामा, होगा कामकाज

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दुर्भाग्यवश संसद के उच्च सदन राज्यसभा का स्थायी चरित्र होता जा रहा है हंगामा, शोर-शराबा और व्यवस्था के प्रश्न के नाम पर अव्यवस्था पैदा करना। राज्यसभा में सारगर्भित चर्चाओं को नितांत अभाव मात्र ही अब देखने में आ रहा है। जाहिर है कि इस  निराशाजनक स्थिति से सबसे अधिक आहत राज्यसभा के वर्तमान सभापति एवं भारत के उप-राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू स्वयं दिखते हैं। इस संदर्भ में उपराष्ट्रपति एवं राज्य सभा के सभापति वैंकया नायडू जी का पिछले शुक्रवार 21 जून को राज्यसभा के सदस्यों को किया गया संबोधन उनकी पीड़ा को व्यक्त करता है। मैं उस समय राज्य सभा में उपस्थित था और मैंने सभापति महोदय के भाषण को बड़े ध्यान से सुना। उनके एक-एक शब्द से उनकी आंतरिक पीड़ा झलक रही थी। उन्होंने कहा -‘‘माननीय सदस्यों आप, जनता के प्रतिनिधि हैं और देश की जनता ने आप पर विश्वास करके ही आपको सदन में भेजा है। किन्तु, जब आप इस महान सद...
राजनीतिक गुंडागर्दी के खिलाफ सख्त संदेश

राजनीतिक गुंडागर्दी के खिलाफ सख्त संदेश

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चुने हुए जनप्रतिनिधियों की दादागिरी, गुंडागर्दी, बदतमीजी, आम आदमी से लेकर सरकारी अधिकारियों को धमकाने और पीटने की घटनाएं बार-बार लोकतंत्र को आहत करती रही हैं। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसी घटनाओं को गंभीरता से लिया है। उन्होंने मध्य प्रदेश में एक बीजेपी विधायक द्वारा एक सरकारी कर्मचारी की पिटाई के मामले को लेकर न केवल सख्त रुख अपनाया बल्कि इसके खिलाफ कार्रवाई के आदेश भी दिये हंै। बीजेपी संसदीय दल की बैठक में उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा कि ‘मामले का दोषी चाहे किसी का भी बेटा क्यों न हो, उसकी यह हरकत बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उसे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए। जिन लोगों ने उसका स्वागत किया है, उन्हें भी पार्टी में रहने का हक नहीं है। सभी को पार्टी से निकाल देना चाहिए।’ निश्चित ही मोदी के इस कदम से राजनीतिकों की मनमानी और गुंडागर्दी पर नियंत्रण की दृष्ट...
Pakistan honours Maharaja Ranjit Singh after honouring martyrs of freedom-struggle

Pakistan honours Maharaja Ranjit Singh after honouring martyrs of freedom-struggle

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Pakistan is going to honour Maharaja Ranjit Singh on his 180th death-anniversary by installing his life-size bronze statue near his samadhi at Lahore, also to promote religious tourism for Sikh devotees. Earlier Pakistan government started exhibiting historic documents, books and news-clippings relating to great Indian martyr Bhagatsingh from 26.03.2018 including court-order and black warrant relating to his hanging on 23.03.1931 at Shadman Chowk (Lahore), recognising him as a common hero of India and Pakistan. Earlier Pakistani authorities had even named Shadman Chowk after Bhagatsingh after persistent demand of civil-society there, though the decision was later put on hold because of some fundamentalist elements there. However celebrations are held at Shadman Chowk even presently on ever...
फरेब के सहारे सफर करने की कोशिश केजरीवाल की

फरेब के सहारे सफर करने की कोशिश केजरीवाल की

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दिल्ली में महिलाएं मेट्रो रेल और डीटीसी बसों में मुफ्त सफर कर सकेंगी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की इस घोषणा के बाद अब किसी को शक नहीं होना चाहिए कि उनका एकमात्र मकसद सारी व्यवस्था को ही चौपट कर देना है। अरविंद केजरीवाल यह सब पैंतरेबाजी इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि अगले साल दिल्ली विधानसभा के होने वाले चुनाव पर ही उनकी नजर हैं। हालिया लोकसभा चुनाव में उनकी आम आदमी पार्टी (आप) को जनता ने दिल्ली और शेष अन्य राज्यों में पूरी तरह से खारिज करके रख  दिया है। दिल्ली में आप के सातों उम्मीदवार कहीं भी मुकाबले तक में नहीं दिखाई दिए। अब केजरीवाल को लगता है कि वे मेट्रो और डीटीसी बसों में मुफ्त यात्रा का औरतों को झुनझुना पकड़ा कर आगामी दिल्ली विधान सभा का चुनाव जीते लेंगे। अगर केजरीवाल सभी महिलाओं के लिए मुफ़्त सेवा न देकर इसे किसी एक खास वर्ग की महिलाओं तक सीमित रखते तो भी कोई बात होती। जैसे कि वे स्कू...
हिन्दी फिल्में देखने वाले तमिलनाडू में हिन्दी विरोध क्यों

हिन्दी फिल्में देखने वाले तमिलनाडू में हिन्दी विरोध क्यों

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तमिलनाडू में फिर से एक बार हिन्दी का राजनीतिक विरोध शुरू हो गया है। दरअसल विरोध नई शिक्षा नीति (2019) के मसौदा मेँ त्रिभाषा फार्मूले पर था। यह विरोध जमीन पर कितना था, यह जानने के लिए कभी तमिलनाडू भी चले जाना चाहिए। सच तो यह है कि 60 के दशक की तुलना में दक्षिण राज्यों में अब तो हिन्दी का विरोध रत्तीभर भी नहीं रहा। अब वहां पर हिन्दी का विरोध करना सिर्फ सियासी मामला है।  जिस राज्य में हिन्दी फिल्मों को देखने के लिए जनता सिनेमा घरों में उमड़ती हो वहां पर हिन्दी विरोध की बातें करना नासमझी ही माना जाएगा।हिन्दी सिनेमा को जानने –समझने वाले तमिल मूल के प्रसिद्ध फ़िल्म निर्माता-निर्देशक मणिरत्नम से खूब बेहतर तरीके से परिचित हैं। वे तमिल तथा हिन्दी दोनों भाषाओं के ख्यातिप्राप्त फ़िल्म निर्माता हैं। मणिरत्नम एक ऐसे निर्देशक हैं, जिनकी फिल्मों में काम करके फिल्म कलाकार अपने आप को भाग्यशाली समझता है। उ...
करना होगा ऐसे दरिंदों का सामाजिक बहिष्कार

करना होगा ऐसे दरिंदों का सामाजिक बहिष्कार

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हर आँख नम है हर शख्स शर्मिंदा है क्योंकि आज मानवता शर्मसार है इंसानियत लहूलुहान है। एक वो दौर था जब नर में नारायण का वास था लेकिन आज उस नर पर पिशाच हावी है। एक वो दौर था जब आदर्शों नैतिक मूल्यों संवेदनाओं से युक्त चरित्र किसी सभ्यता की नींव होते थे लेकिन आज का समाज तो इनके खंडहरों पर खड़ा है। वो कल की बात थी जब मनुष्य को अपने इंसान होने का गुरूर था लेकिन आज का मानव तो  खुद से ही शर्मिंदा है। क्योंकि आज उस पिशाच के लिए न उम्र की सीमा है न शर्म का कोई बंधन। ढाई साल की बच्ची हो या आठ माह की क्या फर्क पड़ता है। मासूमियत पर हैवानियत हावी हो जाती है। लेकिन इस प्रकार की घटनाओं का सबसे शर्मनाक पहलू यह है कि ऐसी घटनाएं आज हमारे समाज का हिस्सा बन चुकी हैं। और खेद का विषय यह है कि ऐसी घटनाएं केवल एक खबर के रूप में अखबारों की सुर्खियां बनकर रह जाती हैं समाज में आत्ममंथन का कारण नहीं बन पातीं। नहीं...
राम नाम तो लेगा ही भारत

राम नाम तो लेगा ही भारत

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जिस देश के कण-कण में राम बसे हों, वहां पर राम नाम बोलने पर ममता बनर्जी सीधे-सरल लोगों को जेल भेज रही है। क्या कभी किसी ने सोचा था कि भारत में राम नाम बोलने पर भी जेल हो सकती है या धमकियां मिल सकती है? यदि कोई शख्स जय श्रीराम कहता है तो ममता दीदी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है। "आपलोग दूसरे राज्य से यहां आते और रहते हैं और फिर जय श्रीराम का नारा लगाते हैं। मैं सबकुछ बंद कर दूंगी।" ज़रा गौर करें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की भाषा का स्तर ।  ममता बनर्जी को आख़िर यह क्या गया है? अब ममता बनर्जी को कौन बताए कि भारत की राम के बिना तो कल्पना करना भी असंभव है। सारा भारत राम को अपना अराध्य , आदर्श और पूजनीय मानता  है।डॉ.  राम मनोहर लोहिया जी कहते थे कि भारत के तीन सबसे बड़े पौराणिक नाम - राम, कृष्ण  और शिव -  हैं। उनके काम के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी प्राय: सभी को, कम से कम दो में एक क...
धरती पर जीवन के लिये जल संरक्षण जरूरी

धरती पर जीवन के लिये जल संरक्षण जरूरी

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पर्यावरण से जुुड़े खतरों के प्रति सचेत करने, पर्यावरण की रक्षा करने एवं उसे बचाने के उद्देश्य से हर वर्ष 5 जून 2019 को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। विभिन्न सरकारों एवं इंसानों ने पर्यावरण एवं प्रकृति को बचाने के लिये कई उपाय कर रखे हैं, पर कुछ खतरे ऐसे हैं जिनसे बचने की संभावना जटिल बताई जा रही है। ऐसे ही खतरे जल प्रदूषण एवं पीने के स्वच्छ जल की निरन्तर घटती मात्रा को लेकर खड़े हैं। धरती पर जीवन के लिये जल सबसे जरूरी वस्तु है। यहाँ किसी भी प्रकार के जीवन और उसके अस्तित्व को यह संभव बनाता है। जीव मंडल में पारिस्थितिकी संतुलन को यह बनाये रखता है। पीने, नहाने, ऊर्जा उत्पादन, फसलों की सिंचाई, सीवेज के निपटान, उत्पादन प्रक्रिया आदि बहुत उद्देश्यों को पूरा करने के लिये स्वच्छ जल बहुत जरूरी है। जल प्रदूषण एवं पीने लायक जल की घटती मात्रा दुनिया के सामने एक बड़ी चुनौती बन चुका हैं। पर्यावरण से ...
ईश्वर की तलाश खुद में करें

ईश्वर की तलाश खुद में करें

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परमात्मा को अनेक रूपों में पूजा जाता है। कोई ईश्वर की आराधना मूर्ति रूप में करता है, कोई अग्नि रूप में तो कोई निराकार! परमात्मा के बारे में सभी की अवधारणाएं भिन्न हैं, लेकिन ईश्वर व्यक्ति के हृदय में शक्ति स्रोत और पथ-प्रदर्शक के रूप में बसा है। जैसे दही मथने से मक्खन निकलता है, उसी तरह मन की गहराई में बार-बार गोते लगाने से स्वयं की प्राप्ति का एहसास होता है और अहं, घृणा, क्रोध, मद, लोभ, द्वेष जैसे भावों से मन विरक्त हो पाता है। इंसान के भीतर बसे ईश्वर की अनुभूति एवं उसका साक्षात्कार अमूल्य धरोहर है, जो अंधेरों के बीच रोशनी, निराशा के बीच आशा एवं दुखों के बीच सुख का अहसास कराती हैं। जीवन उतार-चढ़ावभरा है, कभी लोग छूट जाते हैं तो कभी वस्तुएं। खुद को संभाले रखना आसान नहीं हो पाता। समझ नहीं आता, करें तो क्या? सीक्रेट लाइफ ऑफ वाटर में मैसे ईमोटो लिखते हैं, ‘अगर आप उदास, कमजोर, निराश, संदेह या ...
लक्ष्य विशाल – अनेक सवाल

लक्ष्य विशाल – अनेक सवाल

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दोबारा चुने जाने के बाद  से उनकी शैली में जबरदस्त जीत के बाद जबरदस्त बदलाव दिख रहे हैं। एक उत्साही, परिवर्तनों को उत्कंठित व आक्रामक किंतु कम अनुभवी व्यक्ति कब विनम्र, परिपक्व व आत्मविश्वास से भरपूर व्यक्तित्व बन गया पता ही नहीं चला। देश में समग्र विकास व परिवर्तन की मोदी जी के पास एक पूर्ण संकल्पना व कार्ययोजना है जिसके अनेक पहलुओं का देश को उनके पिछले कार्यकाल में पता चल चुका था। अपने नए कार्यकाल के अगले पांच वर्षों में वे देश को बहुत तेजी से आगे ले जाना चाहते हैं और इसके लिए हाल ही में उन्होंने अगले पांच वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था का आकार दोगुना करने का अपनी सरकार का लक्ष्य घोषित किया है। उम्मीद है कि सरकार का अगला बजट भी इन्हीं लक्ष्यों की पूर्ति की दिशा में होगा। आलोचकों को यह अतिउत्साही व अकल्पनीय भी लग रहा है और कुछ इसको उनका बड़बोलापन व जीत का खुमा...