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New injectable hydrogel may improve stem cell uptake

New injectable hydrogel may improve stem cell uptake

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The use of stem cells in regenerative medicine remains a challenging task because of problems associated with the survival of transplanted cells. Stem cells, when transplanted on a wound site, release chemicals called paracrine factors which stimulate other cells in the vicinity to initiate tissue regrowth.  A group of Indian scientists has developed an injectable hydrogel that can help transplanted stem cells survive longer. Researchers from the Mohali-based Institute of NanoScience and Technology have devised a method to encapsulate adult stem cells called Mesenchymal Stem Cells (MSC) in an injectable hydrogel. In preliminary studies, it has been found that the hydrogel exhibits cell viability and can support long-term survival of stem cells. The injectable hydrogel has been derive...
स्वामित्व मानसिकता

स्वामित्व मानसिकता

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इस विषय को मैं दो आर्मी कर्नल, कर्नल राठौड़ और कर्नल शर्मा की कहानी से शुरू करता हूं। ये दोनों एनडीए के दिनों से बैच मेट थे। जैसा कि सेना में पदोन्नति के लिए पिरामिड बहुत संकीर्ण है, दोनों की ही लगभग 23 वर्षों की उत्कृष्ट सेवा के बावजूद ब्रिगेडियर रैंक तक पदोन्नति नहीं हो पाई। इसलिए उन्होंने 'प्री-मेच्योर रिटायरमेंट’ का विकल्प चुना और सिविल जगत में अपने कौशल को आजमाना चाहा। दोनों को निजी क्षेत्र में नौकरी मिली। लेकिन कर्नल राठौड़ को प्रबंधन के साथ कुछ अनबन के कारण लगभग छह महीनों बाद ही अपनी नौकरी छोडऩी पड़ी। उन्होंने 3 या 4 महीने के बाद दूसरी नौकरी की, लेकिन वह भी सिर्फ डेढ़ साल के लिए ही कर पाए। इसके बाद, वह ज्यादातर समय घर पर ही बैठे रहते थे और कभी-कभी कुछ अस्थायी कार्य कर लेते थे। दूसरी ओर, कर्नल शर्मा ने जो नौकरी प्राप्त की उस कंपनी में एक साल बाद ही वीपी के रूप में अपनी पहली पदो...
सूरत हादसे के सबक

सूरत हादसे के सबक

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सूरत में हुए हादसे के बहाने जानिए सीरत अपनी 21 बच्चे हमेशा के लिए सो गए फिर भी हम नहीं जागेंगे, हैं ना...   कुछ विषय ऐसे होते हैं जिनपर लिखना खुद की आत्मा पर कुफ्र तोडऩे जैसा है, सूरत की बिल्डिंग में आग...21 बच्चों की मौत...आग और घुटन से घबराए बच्चों को इससे भयावह वीडियो आज तक नहीं देखा....इससे ज्यादा छलनी मन और आत्मा आज तक नहीं हुई....फिर भी लिखूंगी...क्योंकि हम सब गलत हैं, सारे कुएं में भांग पड़ी हुई है। हमने किताबी ज्ञान में ठूंस दिया बच्चों को नहीं सिखा पाए लाइफ स्किल। नहीं सिखा पाए डर पर काबू रख शांत मन से काम करना।" मम्मा डर लग रहा है...एग्जाम के लिए सब याद किया था लेकिन एग्जाम हॉल में जाकर भूल गया...कुछ याद ही नहीं आ रहा था। पांव नम थे...हाथों में पसीना था...आप दो मिनिट उसे दुलारते हैं...बहलाने की नाकाम कोशिश करते हैं फिर पढ़ लो- पढ़ लो- पढ़ लो की रट लगाते हैं। सुबह...

राजस्थान में कांग्रेस का सूपड़ा साफ

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लोकसभा चुनाव 2019 के लिए मतगणना के बाद राजस्थान में भाजपा की 25 की 25 सीटों पर प्रचंड जीत के बाद यह परंपरा टूट गई है कि सत्तारूढ़ दल को लोकसभा चुनाव में अधिक सीटें मिलती है। प्रदेश की जनता ने यह बता दिया कि यह लोकसभा का चुनाव था, देश का चुनाव था, देश के मुद्दों को लेकर चुनाव था, राष्ट्र के हितों को लेकर चुनाव था। देश के मान सम्मान और सेना के शौर्य के सम्मान की रक्षा को लेकर चुनाव था। इस चुनाव में ना तो किसान कर्जमाफी का मुद्दा गहलोत सरकार भुना सकी और ना ही बेरोजगारी भत्ता, सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं को लेकर की गई घोषणाओं का फायदा उठा सकी। सिर्फ देशहित, राष्ट्रहित, सेना के सम्मान का मुद्दा यहां छाया रहा। गहलोत सरकार ने बहुत कोशिश की, बेरोजगारी का मुद्दा उठाने की, लेकिन भाजपा ने भी देश के विकास कार्यों का हवाला देकर बेरोजगारी के सवाल का जवाब दिया। पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर सी...
‘डायलॉग इंडिया’ की अंतर्राष्ट्रीय उड़ान : ‘डायलॉग इंडिया’ ने दुबई में रचा इतिहास   

‘डायलॉग इंडिया’ की अंतर्राष्ट्रीय उड़ान : ‘डायलॉग इंडिया’ ने दुबई में रचा इतिहास  

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'डायलॉग इंडिया’ ने गत 2 मई को दुबई में इतिहास रच दिया। दस साल पहले दिल्ली से शुरू हुई भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों की रैंकिंग और ग्रेडिंग की यात्रा का इस बार पड़ाव बना संयुक्त अरब अमीरात का प्रमुख देश दुबई। इस अवसर पर आयोजित 'पांचवे डायलॉग इंडिया अकेडिया कॉंकलेव-2019’ में भारत और संयुक्त अरब अमीरात के सौ से अधिक शिक्षाविदों, उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रमुुखों, मीडिया दिग्गजों, निवेशकों और भारत में विश्वस्तर की शिक्षा ग्रहण करने के इच्छुक विद्यार्थियों ने एक साथ बैठकर खुला संवाद किया और शिक्षा जगत के समक्ष मौजूदा चुनौतियों तथा उनके संभावित व्यावहारिक समाधान पर भी मंथन किया। साथ ही यह भी गहन चिंतन किया कि भारतीय उच्च शिक्षा संस्थान किस प्रकार उद्योग जगत की तेज गति से बदलती जरूरतों तथा प्रशिक्षित मानव संसाधन के बीच एक सेतू की भूमिका निभा सकते हैं। इस अवसर पर दुबई के करीब एक दर्जन निवेशकों ने ...
वामपंथी विचारधारा का अवसान

वामपंथी विचारधारा का अवसान

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2019 के चुनाव परिणाम सिर्फ मोदी की सत्ता में वापसी मात्र नहीं है बल्कि वामपंथियों के उस चक्रव्यूह पर भी करारी चोट है जो भारत को सनातन संस्कृति से दूर करने का षड्यंत्र रचते रहे हैं। इसके साथ ही खान मार्केट और लुटियन की राजनीति करने वाले उस बौद्धिक अय्याश वर्ग को भी सदमा पहुंचा है जो सिर्फ नकारात्मकता को उभारता है। उसे हर चीज़ में खोट दिखाई देती है। कभी उसे भारत में असहिष्णुता दिखाई देती है तो कभी भारत तेरे टुकड़े होंगे कहने वालों में देशभक्ति। कभी उसे रामायण और महाभारत जैसे धार्मिक ग्रंथ हिंसात्मक दिखते हैं तो कभी सनातनी परम्पराएं ढकोसला। कुल मिलाकर हर वह चीज़ जो भारत को अखंड बनाने की तरफ जोड़ती दिखती है वह इस खेमे के निशाने पर आ जाती है। इस खेमे की बौद्धिक उपज सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं हैं बल्कि पूरे देश में विभिन्न क्षेत्रों में फैली हुयी हैं। कांग्रेस के रूप में इस वामपंथी विचारधारा को ...
विपक्ष क्यों हारा? मोदी क्यों जीते?

विपक्ष क्यों हारा? मोदी क्यों जीते?

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विपक्ष के किसी नेता को इतनी बुरी हार का अंदाजा नहीं था। सभी को लगता था कि मोदी आर्थिक मोर्चे पर और रोजगार के मामले में जिस तरह जन आकांक्षाओं पर खरे नहीं उतरे, तो आम जनता में अंदर ही अंदर एक आक्रोश पनप रहा है, जो विपक्ष के फायदे में जाएगा। मोदी के आलोचक राजनैतिक विश्लेषक मानते थे कि मोदी की 170 से ज्यादा सीटें नहीं आएंगी। हालांकि वे ये भी कहते थे कि मोदी लहर, जो ऊपर से दिखाई दे रही है, अगर वह वास्तविक है, तो मोदी 300 से ज्यादा सीटें ले जाएंगे। उनके मन में प्रश्न है कि मोदी क्यों जीते? कुछ नेताओं ने ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाया है। जबकि ज्यादातर लोग ऐसा मानते हैं कि इस आरोप में कोई दम नहीं है। दोनों पक्षों के अपने-अपने तर्क हैं। पर यह भी सही है कि दुनिया के ज्यादतर देश ईवीएम से चुनाव नहीं करवाते। इसलिए विपक्षी दलों की मांग है कि पुरानी व्यवस्था के अनुरूप मत पत्रों से ही मतदान होना चाहि...
मोदी यानि भारत : शौर्य और सनातन संस्कृति की विजय पताका

मोदी यानि भारत : शौर्य और सनातन संस्कृति की विजय पताका

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  2019 की प्रचंड जीत के महानायक सिर्फ और सिर्फ मोदी बनकर उभरे हैं। बड़ा खिलाड़ी वह होता है जो दबाव में बेहतर खेले। 2019 के लोकसभा चुनावों में मोदी को घेरने के लिए पूरा विपक्ष एक जुट हो गया था। पार्टी के अंदर भी उनको घेरने की कोशिश एक धड़ा लगातार कर रहा था। संघ के साथ भी संबंध पहले जितने मधुर नहीं थे। पर इन सबके बावजूद पांच साल तक लगातार किए गए काम और राष्ट्रीय परिदृश्य के विमर्श को अपने हिसाब से निर्धारित करने की कला ने मोदी को देश में सर्वमान्य नेता बना दिया था। एक साल पहले उच्चतम न्यायालय के द्वारा एससीएसटी एक्ट में बदलाव के बाद पहले मोदी ने कानून बनाकर दलितों पर अपना विश्वास कायम किया इसके बाद सवर्णों में जो नाराजगी पैदा हुयी उसकी भरपाई आर्थिक आधार पर आरक्षण करके पूरी की। इसके साथ ही किसानों की आय दुगुनी करने पर वह काम समानान्तर रूप से कर ही रहे थे। 2019 के प्रारम्भ में किसानों ...
बदलो या नकार के लिए तैयार रहो

बदलो या नकार के लिए तैयार रहो

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सत्रहवीं लोकसभा चुनावों का विपक्ष को संकेत सत्रहवीं लोकसभा के चुनाव नतीजों के बाद भारतीय राजनीति की अपनी-अपनी तरह से व्याख्या की जा रही है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस के उभरने की संभावना अब और क्षीण हो गई है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी, जनता दल सेक्युलर और इंडियन नेशनल लोकदल जैसे पारिवारिक प्राइवेट लिमिटेड पार्टियों के दिन बीत रहे हैं। यह भी माना जा रहा है कि भारतीय राजनीतिक क्षितिज से वामपंथ की विदाई हो चुकी है। जब भी किसी खास विचारधारा और राजनीतिक दल की चुनावों में जीत होती है तो उसके बरक्स हारने वाली पार्टियों की ऐसी ही व्याख्याएं होती हैं। ऐसे विश्लेषणों का फौरी राजनीतिक संदर्भों का ज्यादा प्रभाव होता है। ऐसी व्याख्याएं करने वाले राजनीतिक पंडित भूल जाते हैं कि लोकतांत्रिक समाज में राजनीति सतत प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण होता है ...
नई सरकार की संकल्पना

नई सरकार की संकल्पना

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नरेंद्र मोदी का सेंट्रल हॉल में दिया गया भाषण एक ऐतिहासिक भाषण है। इसमें एक ओर बड़े बुज़ुर्गों के लिए सम्मान का भाव है तो दूसरी तरफ साथियों के लिए सुझाव हैं। इसमें एक स्वयंसेवक का अनुशासन है तो एक राजनेता नेता की चतुराई है।  नए सदस्यों के लिए मार्गदर्शन है तो देश के निर्माण का रोड मैप भी है। यह एक नया परिपक्व नरेंद्र मोदी है जो नयी पारी खेलने को पूरी तरह तैयार है। अमित त्यागी जब व्यक्ति स्वयं के अंदर गहरा उतर जाता है तब उसे बाह्य शक्तियों का प्रभाव नहीं पड़ता है। वह अपने अंदर अंतर्निहित शक्तियों के द्वारा विश्वविजय पर निकल पड़ता है। नरेंद्र मोदी के द्वारा सेंट्रल हाल में दिया गया भाषण आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर एवं आत्मिक चिंतन से परिपूर्ण भाषण था। केदारनाथ में चिंतन और ध्यान करने के बाद यह एक नए नरेंद्र मोदी का उदय है। जिस पर भगवान शिव की कृपा दिखाई देती है। केदारनाथ में ध्यान के बा...