मुर्मू के बहाने आदिवासी विकास का मर्म
मुर्मू के बहाने आदिवासी विकास का मर्म
-ः ललित गर्गः-
आदिवासी लोगों के मूलभूत अधिकारों (जल, जंगल, जमीन) को बढ़ावा देने और उनकी सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और न्यायिक सुरक्षा के लिए द्रौपदी मुर्मू को राजग का राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जाना एक सराहनीय एवं सूझबूझभरा कदम है। यह प्रशंसनीय एवं सुखद कदम इसलिये है कि आजादी के पचहत्तर वर्षांे के बाद देश के सर्वाेच्च संवैधानिक पद के लिये पहली बार आदिवासी महिला को सत्तारूढ़ दल द्वारा उम्मीदवार बनाया गया है। यदि कुछ असामान्य न हो तो वोटों के गणित के हिसाब से उनका राष्ट्रपति बनना तय है। भले ही मूर्मु को राष्ट्रपति बनाने के राजनीतिक निहितार्थ हो, लेकिन सदियों से वंचित रहे आदिवासी समाज को ऐसा प्रतिनिधित्व देना सराहनीय एवं उनके समग्र विकास की आहट है।
सरकारों के विकास के दावों एवं सन्तुलित समाज निर्माण के संकल्प के बावजूद वर्तमान दौर की यह एक बहुत बड़...