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भारत छोड़ो आंदोलन, पूर्ण स्वतंत्रता के विरोधी, दबे-कुचले वर्गों के मसीहा अंबेडकर

भारत छोड़ो आंदोलन, पूर्ण स्वतंत्रता के विरोधी, दबे-कुचले वर्गों के मसीहा अंबेडकर

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भारत छोड़ो आंदोलन, पूर्ण स्वतंत्रता के विरोधी, दबे-कुचले वर्गों के मसीहा अंबेडकर ( अम्बेडकर जी ने कांग्रेस के पूर्ण स्वतंत्रता के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उन्होंने दलितों के उत्थान हेतु उच्च वर्गीय हिन्दुओं से ज़्यादा अंग्रेज़ों को सहायक माना। देश व दलितों के हितो के बीच टकराव की स्थिति में उन्होंने दलितों के हितों को वरीयता देने की बात कही। ) -प्रियंका 'सौरभ' देश बी आर अंबेडकर की 131वीं जयंती मना रहा है। एक समाज सुधारक, भारतीय संविधान की मसौदा समिति के अध्यक्ष और देश के पहले कानून मंत्री के रूप में उनकी भूमिका प्रसिद्ध है। वे एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री, सक्रिय राजनेता, प्रख्यात वकील, श्रमिक नेता, महान सांसद, अच्छे विद्वान, मानवविज्ञानी, वक्ता थे। आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में देश ने आजादी का अमृत महोत्सव की शुरुआत की है। अम्बेडकर के विचारों की गंभीरता, राष्ट्र-निर्माता के...
महावीर जयन्ती, बाहर ही नहीं, भीतर को आलोकित करें

महावीर जयन्ती, बाहर ही नहीं, भीतर को आलोकित करें

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महावीर जयन्ती, 14 अप्रैल, 2022 बाहर ही नहीं, भीतर को आलोकित करें -ललित गर्ग- जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्मोत्सव चैत्र शुक्ल त्रयोदशी, इस वर्ष 14 अप्रैल 2022 को सम्पूर्ण दुनिया में मनाया जायेगा। यह दिन महावीर की शिक्षाओं एवं सिद्धान्तों को अपनाने एवं धारण करने का दिन है। महावीर ने जो शिक्षाएं दी, वे जन-जन के लिये अंधकार से प्रकाश, असत्य से सत्य एवं निराशा से आशा की ओर जाने का माध्यम बनी है। इसलिये भी जैन धर्म के अनुयायियों के लिये महावीर जयन्ती का महत्व है। महावीर लोकोत्तम पुरुष हैं, उनकी शिक्षाओं की उपादेयता सार्वकालिक, सार्वभौमिक एवं सार्वदेशिक है, दुनिया के तमाम लोगों ने इनके जीवन एवं विचारों से प्रेरणा ली है। सत्य, अहिंसा, अनेकांत, अपरिग्रह ऐसे सिद्धान्त हैं, जो हमेशा स्वीकार्य रहेंगे और विश्व मानवता को प्रेरणा देते रहेंगे। महावीर का संपूर्ण जीवन मानवता के अभ्य...
प्रधानमंत्री ने महात्मा ज्योतिबा फुले को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की

प्रधानमंत्री ने महात्मा ज्योतिबा फुले को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की

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प्रधानमंत्री ने महात्मा ज्योतिबा फुले को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने महान समाज सुधारक, दार्शनिक और लेखक महात्मा ज्योतिबा फुले को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की है। श्री मोदी ने कहा कि सामाजिक न्याय के पुरोधा और असंख्य लोगों के लिये आशा के स्रोत के रूप में महात्मा फुले का व्यापक सम्मान है। उन्होंने सामाजिक समानता, महिला सशक्तिकरण और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये अथक कार्य किया है। प्रधानमंत्री ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के माध्यम से महान विचारक ज्योतिबा फुले के बारे में अपने विचार व्यक्त किये थे, जहां श्री मोदी ने कहा था कि महात्मा फुले ने बालिकाओं के लिये स्कूल आरंभ किया था तथा कन्या शिशु हत्या के विरुद्ध आवाज उठाई थी। उन्होंने जल संकट के समाधान के लिये भी अभियान चलाये थे। श्रृंखलाबद्ध ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा हैः “सामाजि...
धातु पाउडर बनाने की वैकल्पिक तकनीक विकसित

धातु पाउडर बनाने की वैकल्पिक तकनीक विकसित

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धातु पाउडर बनाने की वैकल्पिक तकनीक विकसित त्रिविमीय (Three Dimensional) वस्तुओं के निर्माण के लिए 3डी प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग बढ़ रहा है। एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग एक ऐसी तकनीक है, जिसे मेटल 3डी प्रिंटिंग के रूप में जाना जाता है। 3डी प्रिंटिंग की इस तकनीक में मेटल प्रिंटिंग सामग्री की परत बनाकार वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग की एक प्रमुख स्रोत सामग्री धातु पाउडर है, जिसे मुख्य रूप से परमाणुकरण (Atomization) तकनीक द्वारा उत्पादित किया जाता है। इस प्रविधि में पिघली धातु हवा या पानी के द्रुत प्रवाह में टूटकर पहले तरल सूक्ष्म बूंदों में रूपांतरित होती है, जो अंत में ठोस होकर पाउडर बन जाती है। मेटल 3डी प्रिंटिंग में आमतौर पर उपयोग होने वाली परमाणुकरण तकनीक की एक सीमा यह है कि इससे बेहतर परिणाम नहीं मिलते, यह महंगी पड़ती है, और विभिन्न सामग्री प्रकारों के उपयोग में इसमे...
रामनवमी या रावणनवमी?

रामनवमी या रावणनवमी?

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रामनवमी या रावणनवमी? डॉ. वेदप्रताप वैदिक इस बार भारत में हमने रामनवमी कैसे मनाई ? हमने रामनवमी को रावणनवमी में बदल दिया। देश के कई शहरों और गांवों में एक समुदाय के लोग दूसरे समुदाय से भिड़ गए। यहां तक की जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के छात्र, जिन्हें देश में अत्यंत प्रबुद्ध माना जाता है, वे भी आपस में भिड़ गए। कई शहरों में लाठियां, ईंट और गोलियां भी चलीं। कुछ प्रदर्शनकारी पुलिस की ज्यादती के भी शिकार हुए। यह सब हुआ है, उसके जन्म दिन पर, जिसे अल्लामा इक़बाल ने ‘इमामे हिंद’ कहा है। इकबाल का शेर है- है राम के वजूद पे हिंदोस्तां को नाज़। अहले-नज़र समझते हैं इसको इमामे हिंद!! राम को भगवान भी कहा जाता है और मर्यादा पुरुषोत्तम भी। लेकिन राम के नाम पर कौनसी मर्यादा रखी गई? राम को सांप्रदायिकता के कीचड़ में घसीट लिया गया। इसके लिए हमारे देश के वामपंथी और दक्षिणपंथी तथा हिंदू और मुसलमान, दोनों जिम्मेद...
आईआईएससी और मेलबर्न विश्वविद्यालय शुरू करेंगे संयुक्त पीएचडी

आईआईएससी और मेलबर्न विश्वविद्यालय शुरू करेंगे संयुक्त पीएचडी

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आईआईएससी और मेलबर्न विश्वविद्यालय शुरू करेंगे संयुक्त पीएचडी नई दिल्ली, 08 अप्रैल (इंडिया साइंस वायर): भारत के अग्रणी शोध संस्थानों में शामिल भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) और शिक्षण एवं शोध में 160 वर्षों का अनुभव रखने वाला ऑस्ट्रेलिया का मेलबर्न विश्वविद्यालय विज्ञान और प्रौद्योगिकी में संयुक्त पीएच.डी. कार्यक्रम शुरू कर रहे हैं। इन दोनों संस्थानों ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में पहली बार संयुक्त पीएचडी कार्यक्रम के लिए हाथ मिलाया है, जिसे निकट भविष्य में मेडिकल पीएच.डी. कार्यक्रमों तक बढ़ाया जा सकता है। संयुक्त पीएच.डी. कार्यक्रम के विस्तार पर चर्चा के लिए आईआईएससी परिसर में दोनों संस्थानों के प्रतिनिधियों की बैठक हुई है। यह पीएच.डी. कार्यक्रम मेलबर्न इंडिया पोस्ट ग्रेजुएट एकेडमी (एमआईपीए) का हिस्सा है, जिसमें स्थापित शोधकर्ताओं और मेलबर्न विश्वविद्यालय तथा भारत के शीर्ष अनुसंधान...
महावीर है आत्म-क्रांति के वीर महापुरुष

महावीर है आत्म-क्रांति के वीर महापुरुष

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महावीर है आत्म-क्रांति के वीर महापुरुष - ललित गर्ग - महावीर का संपूर्ण जीवन स्व और पर के अभ्युदय की जीवंत प्रेरणा है। लाखों-लाखों लोगों को उन्होंने अपने आलोक से आलोकित किया है। इसलिए महावीर बनना जीवन की सार्थकता का प्रतीक है। महावीर बनने का अर्थ है स्वस्थ जीवन जीना, रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करना। प्रत्येक वर्ष हम भगवान महावीर की जन्म-जयन्ती मनाते हैं, लेकिन इस वर्ष उस महान् आत्म-क्रांति के वीर महापुरुष की जयंती को कोरा आयोजनात्मक नहीं बल्कि प्रयोजनात्मक स्वरूप देना है। इसकेे लिये हर व्यक्ति अपने भीतर झांकने की साधना करें, महावीर को केवल पूजे ही नहीं हैं, बल्कि जीवन में धारण कर लें। जरूरी है कि हम महावीर ने जो उपदेश दिये उन्हें जीवन और आचरण में उतारें। हर व्यक्ति महावीर बनने की तैयारी करे, तभी समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है। महावीर वही व्यक्ति बन सकता है जो लक्ष्य के प्रति पूर्ण...
तो हिन्दी से दूर जाती कांग्रेस

तो हिन्दी से दूर जाती कांग्रेस

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तो हिन्दी से दूर जाती कांग्रेस आर.के. सिन्हा देश के आठ पूर्वोतर राज्यों के सभी स्कूलों के दसवीं कक्षा तक में पढ़ने वाले बच्चों को हिन्दी अनिवार्य रूप से पढ़ाने पर वहां के सभी राज्य सरकारें राजी हो गईं हैं I 22 हजार हिन्दी के अध्यापकों की भर्ती की जा रही है तथा नौ आदिवासी जातियों ने अपनी बोलियों की लिपि देवनागरी को स्वीकार कर लिया है। क्या इन जानकारियों में आपको कहीं हिन्दी को थोपने के संकेत मिलते हैं? लेकिन, कांग्रेस तो कम से कम यही मानती है। कांग्रेस के नेता यह कहते हैं कि सरकार महंगाई तथा बेरोजगारी जैसे गंभीर मसलों पर बात करने की बजाय हिन्दी को गैर-हिन्दी भाषियों पर थोपने की चेष्टा कर रही है। दरअसल विगत दिनों केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उपर्युक्त जानकारियां देश के साथ सांझा की थीं। उसके बाद कांग्रेस के नेता जयराम रमेश और अभिषेक मनु सिंघवी मैदान में उतर आए। जयराम रमेश ने ज्ञान ...
तृतीय विश्व युद्ध की पहल करता यूक्रेन – रूस युद्ध

तृतीय विश्व युद्ध की पहल करता यूक्रेन – रूस युद्ध

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तृतीय विश्व युद्ध की पहल करता यूक्रेन - रूस युद्ध या विश्व के स्थाई भविष्य के लिए चेतावनी है यूक्रेन - रूस युद्ध डॉ. शंकर सुवन सिंह यूक्रेन की सीमा पश्चिम में यूरोप और पूर्व में रूस से जुडी है। द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) खत्म होने के बाद दुनिया दो गुटों में बंट गई थी। एक तरफ अमेरिका और दूसरी तफर सोवियत संघ था। यूक्रेन वर्ष 1991 से पहले सोवियत संघ का हिस्सा था। 25 दिसंबर 1991 को सोवियत संघ टूट गया और 15 अलग-अलग देश बन गए। ये 15 मुल्क हैं- यूक्रेन, आर्मीनिया, अजरबैजान, बेलारूस, इस्टोनिया, जॉर्जिया, कजाकिस्तान, कीर्गिस्तान, लातविया, लिथुआनिया, मालदोवा, रूस, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान। यूक्रेन ने वर्ष 1991 में अपनी स्वतन्त्रता की घोषणा की थी। 1991 में यूक्रेन के अलग होने के बाद से दोनों देशों के बीच विवाद शुरू हो गया था। रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को 1991 में सोव...
स्थाई भविष्य के लिए चेतावनी है यूक्रेन – रूस युद्ध

स्थाई भविष्य के लिए चेतावनी है यूक्रेन – रूस युद्ध

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स्थाई भविष्य के लिए चेतावनी है यूक्रेन - रूस युद्ध डॉ. शंकर सुवन सिंह दो देशों का युद्ध, अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति का शिकार होता है। सामान संस्कृति, सभ्यता एवं भाषा वाले देश आपस में लड़ रहे हैं। जो देश कभी एक हुआ करते थे वो आज एक दूसरे के दुश्मन बने हुए हैं। जो देश जिस देश के निकट हैं वो एक दूसरे के प्रति उतनी ही विकटता पैदा करते हैं। यह कहने में अतिश्योक्ति नहीं होगी कि अत्यधिक निकटता विकृति को पैदा करती है। भगवान् विष्णु के नवें अवतार महात्मा गौतम बुद्ध ने कहा था - वीणा के तारों को इतना भी मत कसो कि वह टूट जाये और इतना ढीला भी मत रखो कि उससे सुर ही न निकले। कहने का तात्पर्य अति किसी भी चीज कि बुरी होती है। चाहे वह निकटता हो या दूरी हो। प्रत्येक देश को संतुलित रहने कि जरुरत है। संतुलन ही किसी भी समाधान का मूल मंत्र है। प्रतिस्पर्धा हमेशा उससे ही होती है जिसके बारे में हम जानते हैं या जिसस...