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<strong>मोदी के लिये ‘पनौती’ का इस्तेमाल राजनीतिक दरिद्रता</strong>

मोदी के लिये ‘पनौती’ का इस्तेमाल राजनीतिक दरिद्रता

BREAKING NEWS, TOP STORIES, समाचार, साहित्य संवाद
- ललित गर्ग- कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ की गयी ‘पनौती’ (अपशकुन), जेबकतरा एवं कर्ज माफी जैसी अशोभनीय टिप्पणियों के कारण निशाने पर हैं। चुनाव आयोग (ईसी) ने हालिया टिप्पणियों के लिए राहुल गांधी को कारण बताओ नोटिस जारी करके निर्णायक कार्रवाई की है। यह कार्रवाई सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा चुनाव आयोग में दर्ज की गई एक शिकायत का संज्ञान लेते हुए की गयी है। चुनाव आयोग ने जहां पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा पर चिंता व्यक्त की वही भाजपा ने तर्क दिया कि ऐसी भाषा एक वरिष्ठ राजनीतिक नेता के लिए ‘अशोभनीय’ है। पिछले लम्बे दौर से विश्वनेता के रूप में प्रतिष्ठित देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दर्शन, उनके व्यक्तित्व, उनकी बढ़ती ख्याति, उनकी बहुआयामी योजनाओं व उनकी कार्य-पद्धतियांे पर कीचड़ उछाल रहे हैं। पा...
जाति जनगणना

जाति जनगणना

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संविधान ने जनगणना की इजाजत दी है या जाति जनगणना की ? यदि जाति जनगणना की अनुमति है तो फिर दो वर्षों से रुकी राष्ट्रीय जनगणना को जाति जनगणना का आकार प्रदान कर दीजिए ? बीजेपी सहित तमाम दल जातपात खेलने के पक्षधर हैं । तो संविधान सम्मत नेशनल सेंसेस को संविधान संशोधन के माध्यम कास्ट सेंसस में क्यूं ना बदल दिया जाए ? सुप्रीमकोर्ट पहले ही दखल देने के मूड में नहीं है । टुकटुक सुनार की एक चोट लुहार की । आरक्षण बढ़ाते जाने से तो अच्छा है कि एक बार में ही खेला हो जाए ? सुप्रीमकोर्ट के 50% से अधिक आरक्षण पर प्रतिबंध को मानता कौन है ? तमिलनाडु में दशकों से 69% आरक्षण चला आ रहा है । अब नीतीश ने 75% की आग लगाई है तो यह आग एक ही बार लग जाए पूरे देश में ? आखिर पहले भी तो बाबा साहेब द्वारा दिए गए 17.5% आरक्षण को मंडल की आग में पकाकर 50% तक ले जाया जा चुका है । तो फिर हो जाए तमाशा , अखाड़ा खुद जाए , लड़ो ...
सुरंगों से छलनी होता हिमालय?

सुरंगों से छलनी होता हिमालय?

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उत्तरकाशी स्थित सिलक्यारा परियोजना की सुरंग सुर्खियों में है। सुरंग के एक हिस्से के धंसने से वहां फंसे 41 मजदूरों की जान संकट में है। इसके बाद एक बार फिर विश्व की सबसे युवा पर्वतमाला हिमालय में सुरंगों के निर्माण पर सवाल भी उठने लगे हैं। दरअसल, सुरंगों सहित भूमिगत निर्माण में इस तरह के हादसे नई बात नहीं है। अब तो सुरंगों के धंसने और निर्माणाधीन सुरंगों के ऊपर बसी बस्तियों के धंसने की शिकायतें आम हो गयी हैं। इसमें दो राय नहीं कि विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों वाले हिमालयी क्षेत्र की जनता को विकास भी चाहिए, तभी उनकी जिन्दगी की परेशानियां कम होंगी और बेहतर जीवन सुलभ होगा। हिमालयवासियों के लिए सड़कें भी चाहिए तो बिजली-पानी और अन्य आधुनिक सुविधाएं भी। पहाड़ों पर सड़कें बनाना तो आसान है, मगर उन सड़कों के निर्माण से उत्पन्न परिस्थितियों से निपटना आसान नहीं है। तेज ढलान के कारण पन बिजली उत्प...
<strong>क्यों भारत चाहता है बांग्लादेश में शेख हसीना की वापसी</strong>

क्यों भारत चाहता है बांग्लादेश में शेख हसीना की वापसी

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आर.के. सिन्हा पड़ोसी देश बांग्लादेश में 12वां संसदीय चुनाव 7 जनवरी, 2024 को होगा और जाहिर तौर पर भारत की इन चुनावों पर करीबी नजर रहने वाली है। बांग्लादेश में नई संसद के चुनाव की घोषणा के साथ ही स्वाभाविक रूप से राजनीतिक तनाव और उपद्रव भी शुरू हो गए हैं। प्रमुख विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और जमात-ए-इस्लामी ने मांग की है कि चुनाव एक गैर-पार्टी अंतरिम सरकार की निगरानी में हों।  इसके नेता और कार्यकर्ता प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के इस्तीफे की मांग करते हुए सड़कों पर उतर आए हैं। शेख हसीना की  सत्तारूढ़ अवामी लीग ने विपक्ष की मांग को खारिज कर दिया है और कहा है कि चुनाव  शेख हसीना के नेतृत्व में ही होंगे। इस बीच, भारत की तो चाहत होगी कि अगले चुनाव में भी अवामी पार्टी को सफलता मिले। इसमें कोई शक नहीं है कि शेख हसीना भारत के प...
हलाल सर्टिफिकेशन के बहाने अर्थ व्यवस्था पर शिकंजा कसने का षड्यंत्र उजागर

हलाल सर्टिफिकेशन के बहाने अर्थ व्यवस्था पर शिकंजा कसने का षड्यंत्र उजागर

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उत्तर प्रदेश में ग्यारह संस्थाओं पर एफआईआर दर्ज -- रमेश शर्मा धर्म को बहाना बनाकर भारत की अर्थ व्यवस्था पर शिकंजा कसने का एक बड़ा षड्यंत्र सामने आया है । उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी की पहल पर लखनऊ थाने में ग्यारह ऐसी संस्थाओं के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की है जो हलाल सर्टिफिकेशन के बहाने बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में अपने समर्थकों को भर्ती कराने और उनके लाभांश में भी हिस्सा बटाने का दबाब बनाते थे ।यह एफआईआर लखनऊ के हजरतगंज थाने में भारतीय दंड संहिता की सात धाराओं में दर्ज हुई है । इनमें धारा 120बी (आपराधिक षड्यंत्र करना), 153ए (विभिन्न समूहों के बीच धार्मिक वैमनस्यता बढ़ावा), 298 (किसी की धार्मिक भावनाएं आहत करना), 384 (फिरौती बसूलना), 420 (धोखाधड़ी), 471 (अनाधिकृत दस्तावेज तैयार) और 505 (लोगों को भ्रमित करना) के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया गया है। जिन संस्थाओं के विरुद्ध एफ...
<em>चिंताओं से घिरा भारत का मध्यम वर्ग।</em>

चिंताओं से घिरा भारत का मध्यम वर्ग।

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मध्यम वर्ग के लोगों की चिंताओं का कोई अंत नहीं होता। क्योंकि ये बच्चों को लायक बनाने में अपना पूरा जीवन निकाल देते हैं। फिर उस अनुरूप बच्चों का विवाह या नौकरी न हो तो भी चिंतित रहते हैं। अपनी इज्जत बनाए रखने के लिए यह अपना दुख दर्द किसी से नहीं कहते हैं। दूसरों से बातचीत करने पर कभी-कभी समाधान मिल जाया करता है। पर क्योंकि यह लोग कहते नहीं इसलिए इन्हें समाधान नहीं मिल पाता और यह चिंताओं से घिरे रहते हैं। -प्रियंका सौरभ भारतीय मध्यम वर्ग का संघर्ष कभी खत्म क्यों नहीं होता? भारतीय मध्यम वर्ग वह वर्ग है जिसे समाज में अपनी मान मर्यादा को भी बनाए रखना होता है। बच्चों की शिक्षा पर भी पर्याप्त ध्यान देना होता है तथा समाज में क्या चल रहा है? इसका भी ध्यान रखना जरूरी होता है। बच्चों के विवाह पर भी इन्हें काफी धन खर्च करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त दूसरे के यहां भी कोई फंक्शन होने पर इन्हें ...
आज दिल जीते हैं, कल फिर कप जीतेंगे।

आज दिल जीते हैं, कल फिर कप जीतेंगे।

BREAKING NEWS, Today News, TOP STORIES, समाचार
जन्म मरण के चक्र-सी है हार जीत लग रही। लड़े-भिड़े शौर्य से, आज नही तो कल सही।। कप जितने से बड़ी बात दिल जीतना होता है। क्रिकेट खत्म नही हो गया। 46 दिन में 45 दिन आप जीते हो। हमारी भारतीय टीम ने 2023 वर्ल्ड कप के अंदर 10 मैच जीते और आज फाइनल हारने पर 140 करोड़ हिंदुस्तानियों का दिल टूटा है। ऐसे हम दो कप जीत चुके। 2027 में फिर मेहनत करेंगे और हम जीतेंगे। हार जीत तो लगी रहती है। लेकिन पूरे वर्ल्ड कप में इण्डियन टीम का प्रदर्शन अच्छा रहा है। फाइनल में हम नहीं जीत पाये कोई बात नहीं। फिर आगे जीतेंगे। मोहब्बत तुम्हारे लिए नीली टी-शर्ट वाले लड़को। ये दिल हर बार ब्लू-ब्वायज़ के लिए ही धड़केगा। निरंतर बेहतरीन खेल दिखाने वाली हमारी भारत टीम को ढेरों बधाइयाँ। आपने लगातार शानदार खेल खेलकर उत्साह और उमंग के साथ भारत को आगे बढ़ाया। हम अपने खिलाड़ियों को रोते हुए नहीं देख सकते। रोकें ये आंसू। खेल ...
<strong>क्यों जरूरी है नोएडा एयरपोर्ट का जल्दी शुरू होना</strong>

क्यों जरूरी है नोएडा एयरपोर्ट का जल्दी शुरू होना

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क्यों देश को इंतजार है नोएडा एयरपोर्ट शुरू होने का आर.के. सिन्हा अगर सब कुछ योजना के चलता रहा तो उत्तर प्रदेश के जेवर में तेजी से बन रहे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से पहली उड़ान अगले साल मार्च के महीने में अपने सफर पर चली जाएगी। यानी अब छह से भी कम महीनों का वक्त बचा है, इसे शुरू होने में। पहले कहा जा रहा था कि यहां से पहली फ्लाइट साल 2024 के अंत में ही उड़ान भरेगी। नोएडा एयरपोर्ट जितना जल्दी शुरू हो जाए उतना ही भारत आने और यहां से जाने वाले करोड़ों मुसाफिरों के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर होगी। भारत सरकार का उड्डयन एवं गृह मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार मिल कर कोशिश कर रहे हैं ताकि नोएडा एयरपोर्ट वक्त से पहले ही शुरू हो जाए। नोएडा एयरपोर्ट का तुरंत बनना इसलिए भी जरूरी है ताकि इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (आईजीआई) को यात्रियों की भीड़ से बचाया जा सके। इधर भी...
डॉक्टरी बना कारोबार, ‘झोलाछाप’ कर रहे उपचार

डॉक्टरी बना कारोबार, ‘झोलाछाप’ कर रहे उपचार

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देशभर में खासकर गांवों में बिना जरूरी डिग्री वाले डॉक्टरों की भरमार है। कोई तीन-चार साल तक मेडिकल स्टोर पर काम करने के बाद डॉक्टर बन जा रहा है, तो किसी के पूर्वज इलाज करते आ रहे हैं। ये लोग मरीजों को दर्द निवारक दवाएं व इंजेक्शन की बदौलत तुरंत आराम तो दिला देते लेकिन इसका दुष्प्रभाव मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। ये झोलाछाप डॉक्टर (वे डॉक्टर जो न तो पंजीकृत हैं और न ही उनके पास उचित डिग्री है) नकली दवाओं के साथ इलाज कर मरीजों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे है। ऐसा भी देखा गया है कि कई झोलाछाप डाक्टर नशे के व्यापार से भी जुड़े हुए हैं। ऐसे में गावों में चल रहे ये क्लीनिक नशेड़ियों की पौध को पैदा करने में जुटे हुए है। मगर देश भर में प्रशासन को जानकारी के बावजूद इन पर नकेल कसने की कोई कार्रवाई अंजाम नहीं दी जाती। -प्रियंका सौरभ पूरी दुनिया में डॉक्टर भगवान् के रूप में लोगों को नज़र आये है और ...
क्या है विपक्षी एकता का भविष्य?

क्या है विपक्षी एकता का भविष्य?

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-बलबीर पुंज राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव के परिणाम क्या होंगे? यह 3 दिसंबर की मतगणना के बाद स्पष्ट हो जाएगा। उस दिन यह भी पता चल जाएगा कि आई.एन.डी.आई. गठबंधन का भविष्य क्या हो सकता है? एक बात स्पष्ट है कि इस विपक्षी गठजोड़ को लोकसभा चुनाव से पहले कई चुनौतियों से पार पाना होगा। कुछ दिन पहले जो विपक्षी कुनबा आई.एन.डी.आई.ए. की पताका तले ‘एकता’ की बात करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने रहे थे, उनका सिर-फुटव्वल वर्तमान विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर सड़क पर आ गया। मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी गठबंधन करना चाहती थी। इसपर कांग्रेस ने मुंह मोड़ लिया। तब सपा ने न केवल 70 से अधिक सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए, अपितु पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने अपनी चुनावी सभाओं में अन्य विरोधियों की भांति कांग्...