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लूट खसोट का केंद्र बनते निजी अस्पताल

लूट खसोट का केंद्र बनते निजी अस्पताल

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
हमारे देश के करीबन पचहत्तर प्रतिशत अस्पताल निजी क्षेत्र में हैं। मात्र पच्चीस प्रतिशत अस्पताल सरकार द्वारा संचालित किए जाते हैं, जिनमें भी अधिकतर अस्पतालों में डॉक्टर, नर्स एवं गुणवत्ता वाले चिकित्सीय संसाधनों का अभाव रहता है। ऐसे में सुविधा एवं संसाधनों से परिपूर्ण निजी अस्पतालों की मनमानी स्वाभाविक है। इनकी मनमानी भरे रवैये पर नकेल कसने के लिए सरकार को निजी अस्पतालों में हो रही सारी जांचों, उपलब्ध दवाइयों, सर्जरी, परामर्श तथा हो रहे हर प्रकार के इलाज के लिए दरें तय कर देनी चाहिए। निजी अस्पतालों में उपलब्ध आईसीयू बेड, वेंटिलेटर इत्यादी सुविधाओं की यथास्थिति ऑनलाइन होनी चाहिए। इन नियमों का उल्लंघन करने पर निजी अस्पताल पर कार्रवाई होनी चाहिए। इसके साथ-साथ सरकार को सरकारी अस्पतालों की संख्या, वहां पर डॉक्टरों, नर्सों एवं आधुनिक संसाधनों में वृद्धि...
शरीफ बनकर पाकिस्तान लौटे ‘नवाज’

शरीफ बनकर पाकिस्तान लौटे ‘नवाज’

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
-बलबीर पुंज क्या भारत-पाकिस्तान के संबंध अमेरिका-कनाडा जैसे हो सकते है? यह प्रश्न इसलिए पुन: प्रासंगिक हो गया है, क्योंकि गत शनिवार (21 अक्टूबर) को चार वर्ष के निर्वासन पश्चात अपने देश लौटे पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भारत सहित सभी पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते बेहतर करने की पैरवी की है। क्या नवाज की बातों पर विश्वास किया जा सकता है? नवाज 2017 के बाद फिर से पाकिस्तान का नेतृत्व पाने का प्रयास कर रहे है। क्या वे अपने मुख्य एजेंडे में भारत के साथ संबंधों को मधुर बनाने के प्रयासों से इस इस्लामी देश में किसी राजनीतिक लाभ की अपेक्षा कर सकते है? पाकिस्तान लौटने के बाद लाहौर में रैली करते हुए नवाज ने जो कुछ कहा, उसे तीन बिंदुओं में समाहित किया जा सकता है। पहला— कोई भी देश अपने पड़ोसियों से लड़ते हुए प्रगति नहीं कर सकता। दूसरा— भारत चांद पर पहुंच गया है और हम दूसरे मुल्कों से कु...
नवाज शरीफ की वापसी का मतलब

नवाज शरीफ की वापसी का मतलब

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
'अच्छा होता हालात 2017 से अच्छे होते लेकिन पाक पीछे चलता गया है. नौबत यहां तक क्यों आयी ? हम इस काबिल हैं और बेहतर कर सकते हैं.' दुबई एयरपोर्ट से 4 साल बाद पाकिस्तान के लिए रवाना होने से पहले नवाज शरीफ ने संवाददाताओं से यह उम्मीद भरी बात कही. वे पाकिस्तान की जेल में भ्रष्टाचार व आय से अधिक सम्पत्ति के मामलों में जो एवेन्फील्ड, अल अजीजिया जैसे निवेशों से सम्बंधित हैं, लम्बी सजा काट रहे थे. वे तीसरी बार प्रधानमंत्री बने लेकिन पनामा पेपरलीक्स मामले में 2017 में प्रधानमंत्री पद से हटाये गये. 10 साल तक कोई पब्लिक आफिस भी होल्ड करने पर प्रतिबंध था. बीमारी के इलाज के बहाने से लंदन गये फिर वहीं रह गये थे. अब वापस आ रहे हैं. सवाल है कि उन सजाओं का क्या हुआ ? तो अल अजीजिया व एवेंफील्ड मामलों में उन्हें प्रोटेक्टिव जमानत मिल गयी है. चलती हुई सजा में जिसमें अपीलों की हर गुंजाइश खारिज हो चुकी ...
दशहरा : केवल उत्सव ही नहीं समाज और राष्ट्र निर्माण का संकल्प

दशहरा : केवल उत्सव ही नहीं समाज और राष्ट्र निर्माण का संकल्प

BREAKING NEWS, TOP STORIES, धर्म, विश्लेषण
सत्य की स्थापना के लिये शक्ति, शस्त्र और सक्षमता आवश्यक --रमेश शर्मा सनातन परंपरा में मनाये जाने वाले तीज त्यौहार केवल उत्सव भर नहीं होते । उनमें जीवन को सुन्दर बनाने का संदेश होता है । दशहरा उत्सव में भी संदेह है । यह संदेश है व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र की समृद्धि का जो इसकी कथा और उसे मनाने के तरीके से बहुत स्पष्ट है ।विजय दशमी उत्सव पूरे देश में मनाया जाता है । विभिन्न प्रदेशों में इस उत्सव के नाम अलग हैं मनाने के तरीके भी विभिन्न हैं पर सबमें शक्ति पूजा ही प्रमुख अभीष्ट है । इस उत्सव के दो नाम हैं। एक दशहरा और दूसरा "विजय दशमीं" । इस आयोजन का एक आदर्श वाक्य है- "असत्य पर सत्य की विजय" । पुराण कथाओं के अनुसार दो महासंग्राम इस उत्सव की पृष्ठभूमि है । एक भगवान राम और रावण के बीच महायुद्ध । यह युद्ध नौ दिन चला और दसवें दिन रामजी को विजय मिली। दूसरी कथा है माता शक्ति भवानी ...
भारतीय सनातन संस्कृति का विस्तार भारतीय समाज ही कर सकता है

भारतीय सनातन संस्कृति का विस्तार भारतीय समाज ही कर सकता है

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भारतीय सनातन संस्कृति का विस्तार भारतीय समाज ही कर सकता है प्राचीनकाल में भारत का इतिहास गौरवशाली रहा है। इस खंडकाल में समस्त प्रकार की गतिविधियां चाहे वह सामाजिक क्षेत्र में हों, सांस्कृतिक क्षेत्र में हों, आर्थिक क्षेत्र में हों अथवा किसी भी अन्य क्षेत्र में हों वह भारतीय सनातन संस्कृति का पालन करते हुए ही सम्पन्न की जाती थीं। समाज में किसी भी प्रकार के कर्म को धर्म से जोड़कर ही किया जाता था एवं अर्थ को भी धर्म से जोड़ दिया गया था। कर्म, अर्थ एवं धर्म मिलकर मानव को मोक्ष प्राप्त करने की ओर प्रेरित करते थे। सामान्यतः राष्ट्र के नागरिकों में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं के बराबर ही रहती थी और समस्त नागरिक आपस में मिलकर हंसी खुशी अपना जीवन यापन करते थे।  भारत के वेद एवं पुराणों में विभिन्न प्रकार की समस्याओं को हल करने के उपाय बताए गए हैं। विभिन्न युगों में अलग अलग शक्तियों को ...
मोदी जी की राह आसान करेगा ‘इंडिया’ गठबंधन

मोदी जी की राह आसान करेगा ‘इंडिया’ गठबंधन

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-विनीत नारायणजबसे पटना, बेंगलुरु और मुंबई में प्रमुख विपक्षी दलों की महत्वपूर्ण बैठकें हुईं और ‘इंडिया’ गठबंधन की घोषणाहुई तब से विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं और समर्थकों में एक उत्साह की लहर दौड़ गई थी। क्योंकि पिछले नौ वर्षोंसे राष्ट्रीय राजनीति में भाजपा विपक्षी दलों पर हावी रही है। पर पिछले दिनों ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल कुछदलों के प्रवक्ताओं ने एक दूसरे दल पर ऐसी तीखी टिप्पणियाँ की हैं जिससे गठबंधन में दरार पड़ सकती है।आगामी विधान सभा चुनावों में मध्य प्रदेश की कुछ सीटों को लेकर कांग्रेस और समाजवादी दल की जोबयानबाज़ी हुई है वो भी ‘इंडिया’ गठबंधन के भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है। हालाँकि मध्य प्रदेश में कमलनाथ ने जो कड़ी मेहनत की है उससे हवा कांग्रेस के पक्ष में बह रही है। शायद इसी आत्मविश्वास के कारण कांग्रेसको समाजवादी पार्टी की कोई अहमियत नज़र नहीं आई। पर अगर यही रवैया रहा तो लोक...
नई संसद से आईआईटी तक में फ़ैल रहा वास्तुशास्त्र

नई संसद से आईआईटी तक में फ़ैल रहा वास्तुशास्त्र

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आर.के. सिन्हा देश को मिली नई संसद भवन की इमारत का निर्माण वास्तु शास्त्र के अनुसार होने से यह स्पष्ट है कि अब भारत में वास्तुशास्त्र के नियमों और निर्देशों के अनुसार ही बड़े भवनों से लेकर पार्कों तक का निर्माण होगा। वास्तुशास्त्र को आईआईटी जैसे अति महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थानों में भी स्वीकार्यता मिल रही है। आईआईटी, खड़कपुर में वास्तु शास्त्र को पढ़ाने का फैसला लिया गया है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि वास्तुशास्त्र के अनुसार बनने वाली इमारतें किसी अप्रिय प्राकृतिक घटना से बचाती हैं। नई संसद या नई दिल्ली के सेंट्रल विस्टा क्षेत्र में नए सिरे से बनने वाली तमाम इमारतों में वास्तु शास्त्र के मूल बिन्दुओं का पालन करते हुए निर्माण कार्यों का होना सुखद है।  यह सर्वविदित है कि वास्तु शास्त्र एक अति प्राचीन भारतीय विज्ञान है। वास्तुशास्त्र के अंर्तगत चार मूल दिशाओं और दस कोणो...
इन चुनावों में कौन जीतेगा ? एक बड़ा सवाल

इन चुनावों में कौन जीतेगा ? एक बड़ा सवाल

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अभी पाँच राज्य, फिर देश चुनाव से गुजरेगा। पिछले एक अर्से से हमारी राजनीति में एक नई परंपरा पनपी है जो मतदाता को अपमानित करती है। “राजनेताओं ने मान लिया है कि देश का मतदाता कुछ रुपयों से खरीदा जा सकता है। दो तरीकों से मतदाता को रुपये बांटे जा रहे हैं–एक तो यह कि चुनाव के मौके पर नोट के बदले वोट दिया जाये और दूसरे वैध तरीके से कभी बेटियों के नाम पर, कभी माताओं-बहनों को नगद राशि दी जाये। स्कूलों में बच्चों की फीस माफ हो, गैस-बिजली आदि की दरें कम की जाएं, सस्ती दरों पर जरूरतमंदों को अनाज बांटा जाये, यह तो फिर भी समझ में आता है, पर यह समझना मुश्किल है कि लाभार्थियों के खातों में पैसे जमा करना रिश्वत नहीं तो और क्या है? रिश्वत लेना या देना अपराध है पर यह अपराध हमारे राजनीतिक दल खुलेआम कर रहे हैं।“ वो भी घोषणा पत्र या वचन पत्र के स्वरूप में। तय कार्यक्रम के अनुसार दिसंबर तक पांच राज्यों म...
बदल रहे अब जम्मू-कश्मीर के हालात

बदल रहे अब जम्मू-कश्मीर के हालात

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_-बलबीर पुंज_ जम्मू-कश्मीर के हालिया घटनाक्रम से क्या रेखांकित होता है? जहां स्वतंत्र भारत में पहली बार पाकिस्तान सीमा के निकट इस वर्ष पुनर्निर्मित शारदा माता मंदिर में शारदीय नवरात्रि की पूजा हो रही है, वही इसी दौरान पुंछ में पोस्टर चस्पा करके हिंदुओं और सिखों को क्षेत्र छोड़ने हेतु धमकी देने का मामला प्रकाश में आया है। यह ठीक है कि धारा 370-35ए के संवैधानिक क्षरण के बाद से घाटी में आध्यात्मिक-सांस्कृतिक पुनर्स्थापना के साथ समेकित आर्थिक विकास, केंद्रीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी, पर्यटकों की बढ़ती संख्या, तीन दशक बाद नए-पुराने सिनेमाघरों का संचालन, भारतीय फिल्म उद्योग के लिए कश्मीर पुन: पसंदीदा गंतव्य बनना और जी20 पर्यटन कार्यसमूह की सफल बहुराष्ट्रीय बैठक और आतंकवादी-पथराव की घटनाओं में तुलनात्मक कमी आदि का साक्षी बन रहा है। परंतु क्या यह जिहादी मानसिकता को समाप्त करने के लिए...
निठारी काण्ड: सीबीआई पर फिर उठे सवाल

निठारी काण्ड: सीबीआई पर फिर उठे सवाल

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*रजनीश कपूरजब भी कभी कोई न सुलझने वाला अपराध होता है तो मामला देश की सर्वोच्च जाँच एजेंसी, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो(सीबीआई) को सौंप दिया जाता है। इसी उम्मीद से कि यह एजेंसी देश की सबसे काबिल और श्रेष्ठ जाँच एजेंसी है। परंतु क्यासीबीआई में कार्य करने वाले अधिकारी हर अपराध की तह तक आसानी से पहुँच पाते हैं? क्या इन जाँच अधिकारियों कोअपराध के सभी प्रमाण व अन्य जानकारियाँ आसानी से मिल जाती है? क्या अपराध के सीन पर सबसे पहले पहुँची स्थानीयपुलिस अपना काम पूरी तत्पर्ता से करती है और क्राइम सीन पर किसी भी तरह के सुबूत को मिटाती नहीं है? क्या दोषी कोसज़ा दिलवाने के लिए पुलिस और सीबीआई एक ठोस केस बना पाते हैं जो अदालत में टिका रहे और आरोपी को सज़ा मिलजाए? अफ़सोस की बात है कि ऐसे सवालों का जवाब प्रायः हमें ‘नहीं’ में मिलता है। ऐसे अनेकों उदाहरण मिल जाएँगे जहांअपराध के कई चर्चित मामलों सीबीआई को कोर्ट ...