
हम पढ़े लिखे ढक्कन – #AnujAgarwal
जी, यह सच है। शायद हमें अंदाज़ ही नही की हम अपनी कमाई का 30 से 50% तक अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा और रोजगार के चक्कर मे हर माह खर्च करते जा रहे हैं। लुटेरी नोकरशाही और लंपट नेताओ के गठजोड़ ने हम लोगों को रोज लूटने ओर लूटते रहने के खेल जो खेल रखे हैं। क्या आप जानते हैं कि देश के प्रत्येक राज्य में दो तिहाई से लेकर अस्सी प्रतिशत तक बच्चों की प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा ऐसे विद्यालयों में होती है जो गैर मान्यता प्राप्त हैं। देश के हर जिले में बेसिक शिक्षा अधिकारी से जिला विद्यालय निरीक्षक तक सारा शिक्षा विभाग जानबूझकर अधिकांश निजी विद्यालयों को मान्यता नहीं देता। पहले उन्हें अपराधी ठहराया जाता है और उसके बाद उनसे अवैध वसूली तो होती ही है साथ ही उनके विद्यालयों में प्रवेश लिए बच्चों का प्रवेश पंजीकरण सरकारी विद्यालयों ओर मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों में दिखाया जाता है। यद्धपि वे बच्चे कभी भी ...