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नेहरू ने अँग्रेजों से गुप्त संधि की और कहा था कि “मैं भी मुसलमान हूं”

नेहरू ने अँग्रेजों से गुप्त संधि की और कहा था कि “मैं भी मुसलमान हूं”

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नेहरू ने अँग्रेजों से गुप्त संधि की और कहा था कि “मैं भी मुसलमान हूं”_  (विभाजनकालीन भारत के साक्षी )  इस शीर्षक को पढ़ कर आप अवश्य चौकेंगे, लेकिन सत्ता पिपासा के लिए जवाहरलाल नेहरू के ये कुछ व्यक्तिगत रहस्य भी जानने से यह स्पष्ट होता है कि स्वतंत्रता के उपरान्त भी भारत क्यों अपने गौरव को पुन: स्थापित न कर सका __ विनोद कुमार सर्वोदय   श्री नरेन्द्र सिंह जी जो ‘सरीला’ रियासत (टीकमगढ़ के पास,बुंदेलखंड) के प्रिंस थे तथा बाद में गवर्नर जनरल लार्ड वेवल व लार्ड माउण्टबैटन के वे ए.डी.सी. रहे थे। इस कारण 1942 से 1948 तक की वाइसराय भवन में घटित घटनाओं के वे स्वयं साक्षी थे। उनसे इस लेख के लेखक (प्रो सुरेश्वर शर्मा) की  प्रथम भेंट दिसम्बर 1966 में इण्डिया इण्टरनेशनल सेंटर दिल्ली में हुई थी l प्रिंस आफ़ सरीला श्री नरेंद्र सिंह उस समय काफी वृद्ध थे और इण्डिया इंटरनेशनल सेंटर में ही रहते थे। श्र...
जन-जन तक विज्ञान प्रसार

जन-जन तक विज्ञान प्रसार

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‘जन-जन तक विज्ञान प्रसार’ नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (इंडिया साइंस वायर): 15 अगस्त 1947 को स्वाधीन भारत का उदय समूचे विश्व से औपनिवेशिक साम्राज्यवाद की विदाई की प्रस्तावना सिद्ध हुआ। सदियों की पराधीनता से मुक्त हुए भारत ने द्रुत आर्थिक विकास एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की राह चुनी। सन् 1958 में 'वैज्ञानिक नीति संकल्प पत्र' (साइंटिफिक पॉलिसी रेज़ोलुशन) पर भारतीय संसद ने अपनी स्वीकृति की मुहर लगाई। लक्ष्य था; सभी समुचित संसाधनों द्वारा विज्ञान एवं वैज्ञानिक शोध का पोषण, विस्तार एवं उसकी निरंतरता सुनिश्चित करना। देशभर में प्रौद्योगिकी और विज्ञान शिक्षण, प्रशिक्षण, शोध एवं विकास संस्थानों की स्थापना की मुहिम शुरू हुई। स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद आज भारत विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के क्षेत्र में एक वैश्विक शक्ति बनने की ओर अग्रसर है। एक आधुनिक स...
आजीवन हिन्दू रहे गौतम बुद्ध..!

आजीवन हिन्दू रहे गौतम बुद्ध..!

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आजीवन हिन्दू रहे गौतम बुद्ध..! ~ डॉ० शंकर शरण हमारे अनेक बुद्धिजीवी एक भ्रांति के शिकार हैं, जो समझते हैं कि गौतम बुद्ध के साथ भारत में कोई नया ‘धर्म’ आरंभ हुआ। तथा यह पूर्ववर्ती हिन्दू धर्म के विरुद्ध ‘विद्रोह’ था। यह पूरी तरह कपोल-कल्पना है कि बुद्ध ने जाति-भेदों को तोड़ डाला, और किसी समता-मूलक दर्शन या समाज की स्थापना की। कुछ वामपंथी लेखकों ने तो बुद्ध को मानो कार्ल मार्क्स का पूर्व-रूप जैसा दिखाने का यत्न किया है। मानो वर्ग-विहीन समाज बनाने का विचार बुद्ध से ही शुरू हुआ देखा जा सकता है, आदि। लेकिन यदि गौतम बुद्ध के जीवन, विचार और कार्यों पर संपूर्ण दृष्टि डालें, तो उन के जीवन में एक भी प्रसंग नहीं कि उन्होंने वंश और जाति-व्यवहार की अवहेलना करने को कहा हो। उलटे, जब उन के मित्रों या अनुयायों के बीच दुविधा के प्रसंग आए, तो बुद्ध ने स्पष्ट रूप से पहले से चली आ रही रीतियों का सम्मान ...
अशोक गहलोत की जादूगरी में फंस गया गांधी परिवार।

अशोक गहलोत की जादूगरी में फंस गया गांधी परिवार।

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अशोक गहलोत की जादूगरी में फंस गया गांधी परिवार। अपनी सरकार की कामयाबी के लिए गहलोत अब मोदी सरकार के गृहमंत्री अमित शाह से भी सहयोग लेने को तैयार। ================ 8 अक्टूबर को कांग्रेस की भारत जोड़ों यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि राजस्थान में यदि उद्योगपति गौतम अडानी का फेवर किया गया तो वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ भी खड़े हो जाएंगे। वहीं 8 अक्टूबर को ही जयपुर में गहलोत ने कहा कि विकास के लिए उनकी सरकार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के पुत्र जयंत शाह की मदद भी लेने को तैयार हैं। राहुल और गहलोत के बयान से जाहिर है कि अब कांग्रेस का नेतृत्व करने वाले गांधी परिवार और अशोक गहलोत के बीच दरार बढ़ गई है। सब जानते हैं कि अडानी और अंबानी को लेकर राहुल गांधी मोदी सरकार पर हमलावर रहते हैं। लेकिन वहीं कांग्रेस शासित राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत अडानी-अंबानी को राजस्थान के विकास में सहा...
आपातकाल के खिलाफ बिगुल फूंकने वाले – लोकनायक जयप्रकाश नारायण

आपातकाल के खिलाफ बिगुल फूंकने वाले – लोकनायक जयप्रकाश नारायण

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11 अक्टूबर (जन्म जयंती ) पर विशेष - आपातकाल के खिलाफ बिगुल फूंकने वाले - लोकनायक जयप्रकाश नारायण मृत्युंजय दीक्षित भारतीय लोकतंत्र के महानायक जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सारन जिले के सिताबदियारा गांव में हुआ था। उनका जन्म ऐसे समय में हुआ था जब देश विदेशी सत्ता के आधीन था और स्वतंत्रता के लिए छटपटा रहा था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा सारन और पटना जिले में हुई थी । वे विद्यार्थी जीवन से ही स्वतंत्रता के प्रेमी थे जब पटना में उन्होने बिहार विद्यापीठ में उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश लिया तभी से वे स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने लगे थे। तत्कालीन बिहार विद्यापीठ की स्थापना डा. राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गयी थी। वे 1922 में उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चले गये। जहां उन्होंने 1922 से 1929 तक कैलिफोर्निया तथा विसकांसन विश्वविद्यालय में अध्ययन किया। वहां पर अपने खर्चे को पूरा व नियं...
यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह ने ली अंतिम सास

यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह ने ली अंतिम सास

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दिल्ली से सटे गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती समाजवादी पार्टी संरक्षक और लोकसभा सांसद मुलायम सिंह यादव का सोमवार सुबह निधन हो गया। 82 वर्षीय मुलायम सिंह यादव 22 अगस्त से मेदांता के आइसीयू में भर्ती थे। 2 अक्टूबर को हालत गंभीर होने पर उन्हें आइसीयू में भर्ती किया गया था, जहां पर वह लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थे। मिली जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के सैफई में उनका अंतिम संस्कार होगा। समाजपार्टी के मुखिया और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भी ट्वीट कर अपने पिता मुलायम सिंह यादव के निधन की पुष्टि की है। इसके साथ ही यह भी तय हो गया है कि उनका अंतिम संस्कार सैफई में ही होगा। अगले कुछ घंटों बाद उनका शव सैफई ले जाया जाएगा। सोमवार सुबह ली अंतिम सास गुरुग्राम के जागरण संवाददाता आदित्य राज के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने सोमवार सुबह 8:15 बजे अंतिम सांस ...
राष्ट्रीय लोक अदालत 12 नवंबर 2022 को देश भर में लगेगी

राष्ट्रीय लोक अदालत 12 नवंबर 2022 को देश भर में लगेगी

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राष्ट्रीय लोक अदालत 12 नवंबर 2022 को देश भर में लगेगी उपभोक्ताओं से संबंधित विचाराधीन मामलों को निपटाने के लिए देश भर में 12 नवंबर 2022 को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा। लोक अदालत व्यवस्था के लाभों और पार्टियों के बीच आपसी समाधान एवं समझौते को ध्यान में रखते हुए बड़ी संख्या में उपभोक्ता मामलों के निपटारे की उम्मीद है। इस पूरी कार्रवाई के लिए जमीनी स्तर पर कार्य पहले ही शुरू किया जा चुका है। सभी उपभोक्ता आयोगों को उन मामलों की पहचान करने के लिए सूचित कर दिया गया है, जिनमें निपटान की संभावना है। इसके अलावा ऐसे लंबित मामलों की एक सूची तैयार करने को कहा गया है, जिन्हें लोक अदालत में भेजा जा सकता है। विभाग द्वारा सूची बनाने की नियमित निगरानी की जा रही है। अधिकतम पहुंच सुनिश्चित करने और उपभोक्ताओं को लाभान्वित करने के लिए विभाग एसएमएस तथा ईमेल के माध्यम से उपभोक्ताओं, कंप...
स्वच्छता सारथी समारोह में आकर्षण बनी अपशिष्ट प्रबंधन प्रदर्शनी

स्वच्छता सारथी समारोह में आकर्षण बनी अपशिष्ट प्रबंधन प्रदर्शनी

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स्वच्छता सारथी समारोह में आकर्षण बनी अपशिष्ट प्रबंधन प्रदर्शनी नई दिल्ली, अक्तूबर 07 (इंडिया साइंस वायर): भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) कार्यालय द्वारा शुरू की गई स्वच्छता सारथी फेलोशिप योजना के एक वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में विगत 30 सितम्बर और 1 अक्तूबर को स्वच्छता सारथी समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आयोजित प्रदर्शनी में देश के 27 राज्यों और 6 केंद्र-शासित प्रदेशों से गत वर्ष चयनित 344 स्वच्छता सारथी फेलो ने अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़े अपने कार्यों को पोस्टर, प्रोटोटाइप, आलेख प्रस्तुतिकरण और उत्पाद के रूप में प्रदर्शित किया। स्वच्छता सारथी फेलोशिप के पहले बैच में 344 फेलो का चयन प्रबंधन की बढ़ती चुनौती के प्रभावी और वैज्ञानिक समाधान से संबंधित उनके विचारों एवं कार्ययोजनाओं के आधार पर किया गया है। इन स्वच्छता स...
अब नहीं आती अपनों की चिट्ठी-पत्री

अब नहीं आती अपनों की चिट्ठी-पत्री

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(9 अक्टूबर विश्व डाक दिवस विशेष) अब नहीं आती अपनों की चिट्ठी-पत्री संचार क्रांति के इस युग में अब नहीं आती कहीं से भी अपनों की चिट्ठी-पत्री। बदलते दौर में घर से जाते समय अब कोई नहीं कहता कि पहुंतें ही चिट्ठी लिखना। आज की नयी पीढ़ी पत्र लेखन की कला से कोसो दूर है। वास्तव में नयी पीढ़ी यह भी नयी जानती कि डाकिया भी कोई होता है। चैटिंग के इस ज़माने में  न ही उसे पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय पत्र व लिफाफ की जानकारी है। आज इंटरनेट, फोन व मोबाइल ने अब लगभग चिट्ठी लिखने की परंपरा को समाप्त कर दिया है। बरसों पूर्व में घर से बाहर जाते समय कहा जाता था कि पहुंचतें ही पत्र लिखना। लेकिन अब न ही कोई कहता है और न ही पत्र लिखने की जरूरत है। भागदौड़ भरी जिंदगी में घर से निकलकर मंजिल तक...
ज़ीनिक्स शोध: दवा-प्रतिरोधक टीबी का इलाज बेहतर हुआ संभव

ज़ीनिक्स शोध: दवा-प्रतिरोधक टीबी का इलाज बेहतर हुआ संभव

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ज़ीनिक्स शोध: दवा-प्रतिरोधक टीबी का इलाज बेहतर हुआ संभव शोभा शुक्ला - सीएनएस पिछले माह प्रकाशित "ज़ीनिक्स" (ZeNix) शोध के नतीजों ने यह सिद्ध कर दिया है कि दवा प्रतिरोधक टीबी का इलाज सिर्फ 6 महीने में हो सकता है (वर्तमान में अक्सर जिसमें 20-24 महीने या अधिक लगते थे), और इलाज की सफलता दर 40% - 50% से बढ़ कर 93% तक हो सकती है। इससे भी ज़्यादा ज़रूरी तथ्य यह है कि इस नए शोध में इस्तेमाल हुई दवाओं के कारण विषाक्तता बहुत कम हुई है। दवा-प्रतिरोधक टीबी क्या है? जब टीबी कीटाणु (बैक्टीरिया) किसी दवा से प्रतिरोधक हो जाता है तो वह दवा उसको मार नहीं पाती। ऐसी दवा-प्रतिरोधक टीबी के इलाज के लिए अन्य दवा का उपयोग किया जाता है जिसके प्रति वह कीटाणु प्रतिरोधक नहीं है। पर दवाएँ सीमित हैं इसीलिए दवा प्रतिरोधक टीबी का इलाज मुश्किल, लम्बा (2 साल तक या अधिक अवधि का), और जटिल हो जाता है, और इलाज के परिण...