केवल प्यार ही घृणा को दूर कर सकता है।
(21 सितंबर - अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस)
केवल प्यार ही घृणा को दूर कर सकता है।
एक शांतिपूर्ण वातावरण सामंजस्यपूर्ण जीवन सुनिश्चित करता है और आपसी समझ के लिए मार्ग प्रदान करता है। यह समझ बातचीत, चर्चा, क्रॉस-सांस्कृतिक आदान-प्रदान आदि के माध्यम से शांति को और मजबूत करती है। इस प्रकार एक पुण्य चक्र बनाया जाता है। दूसरी ओर, यदि बल द्वारा शांति थोपी जाती है, तो प्रतिस्पर्धी व्यक्तियों, समूहों, राज्यों आदि के बीच अविश्वास और शत्रुता की भावनाएँ पैदा होंगी। यहाँ कोई भी छोटी-सी गलतफहमी संघर्ष में बदल सकती है, जिससे परस्पर विरोधी दलों को नुकसान हो सकता है। इसलिए यह स्पष्ट है कि लंबे समय तक शांति कायम रहने के लिए दूसरे पक्ष के हितों की समझ जरूरी है।
-प्रियंका सौरभ
"आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देती है।" महात्मा गांधी के शब्द हैं जो 21वीं सदी में भी प्रासंगिक हैं। मनुष्य ने ...