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नयी सभ्यता और  संस्कृति में रक्षाबंधन का महत्व

नयी सभ्यता और संस्कृति में रक्षाबंधन का महत्व

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रक्षाबंधन- 11 अगस्त, 2022 पर विशेष नयी सभ्यता और  संस्कृति में रक्षाबंधन का महत्व -ललित गर्ग - भाई-बहन के पवित्र संबंध के महत्व कसे हमारे देश में कई पर्व-त्योहारों में प्रतिबिंबित किया गया है। उनमें रक्षाबंधन सर्वोपरि है, धार्मिक एवं अलौकिक महत्व का यह त्योहार बहन भाई के स्नेह, अपनत्व एवं प्यार के धागों से जुड़ा है, जो घर-घर में भाई-बहिन के रिश्तों में नवीन ऊर्जा एवं आपसी प्रगाढ़ता का संचार करता है। भाई-बहन का प्रेम बड़ा अनूठा और अद्वितीय माना गया है। बहनों में उमंग और उत्साह को संचरित करता है, वे अपने प्यारे भाइयों के हाथ में राखी बांधने को आतुर होती हैं। बेहद शालीन और सात्विक स्नेह संबंधों का यह पर्व सदियों पुराना है। रक्षाबंधन का गौरव अंतहीन पवित्र प्रेम की कहानी से जुड़ा है। उड़ीसा में पुरी का सुप्रसिद्ध जगन्नाथ मन्दिर भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित है। जहां सुभद्रा अपने भाई श्रीक...
खतरे में भारत एवं दुनिया के आदिवासी समुदाय

खतरे में भारत एवं दुनिया के आदिवासी समुदाय

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विश्व आदिवासी दिवस- 9 अगस्त, 2022 पर विशेषखतरे में भारत एवं दुनिया के आदिवासी समुदाय-ललित गर्ग -अन्तरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस, विश्व में रहने आदिवासी लोगों के मूलभूत अधिकारों जल, जंगल, जमीन को बढ़ावा देने और उनकी सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और न्यायिक सुरक्षा के लिए प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम “संरक्षण में स्वदेशी महिलाओं की भूमिका और पारंपरिक ज्ञान का प्रसारण” घोषित किया है। यह दिवस उन उपलब्धियों और योगदानों को भी स्वीकार करता है जो वनवासी लोग पर्यावरण संरक्षण, आजादी, महा आंदोलनों, जैसे विश्व के मुद्दों को बेहतर बनाने के लिए करते हैं। यह पहली बार संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा दिसंबर 1994 में घोषित किया गया था। आदिवासी महिलाएं आदिवासी समुदाय की रीढ़ है, वे पारंपरिक पैतृक ज्ञान के संरक्षण और प्रसारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। प्राकृतिक संसा...
अमृत महोत्सव के जश्न में, कहाँ खड़े हैं आज हम?

अमृत महोत्सव के जश्न में, कहाँ खड़े हैं आज हम?

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अमृत महोत्सव के जश्न में, कहाँ खड़े हैं आज हम? (विश्व की उदीयमान प्रबल शक्ति के बावजूद भारत अक्सर वैचारिक ऊहापोह में घिरा रहता है. यही कारण है कि देश के उज्ज्वल भविष्य और वास्तविकता में अंतर दिखाई देता है. हालांकि भारत महाशक्ति बनने की प्रक्रिया में प्रमुख बिंदुओं पर खरा उतरता है, लेकिन व्यापक अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में घरेलू मुद्दों के कारण वह कमजोर पड़ जाता है। बिना साक्षरता के कोई भी देश आगे नहीं बढ़ सकता। ऐसे में सभी शिक्षित हों तभी सारी समस्याओं से आजादी पाई जा सकती है। साक्षरता के साथ-साथ देश भर में बढ़ती बेरोजगारी युवाओं को गुलामी का अहसास देती है, आखिर वो कब इस से आजाद होगा। ) -सत्यवान 'सौरभ' भारत ने वैश्विक पहचान हासिल करने के लिए ढेर सारी चुनौतियों को पार करते हुए दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रों में से एक बनने के लिए छोटे कदम उठाए। भारत ने आजादी के बाद से...
Conclave inaugurated by Central Minister Ashwani Chobe & in Concluding session award distributed by Central minister Gen. V. K. singh, Delhi Rocked with the Dialogue India Academia Awards -2022

Conclave inaugurated by Central Minister Ashwani Chobe & in Concluding session award distributed by Central minister Gen. V. K. singh, Delhi Rocked with the Dialogue India Academia Awards -2022

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Delhi Rocked with the Dialogue India Academia Awards -2022, Dialogue India released the 2022 ranking of Private Higher Education Institutions of India. Conclave inaugurated by Central Minister Ashwani Chobe & in Concluding session award distributed by Central minister Gen. V. K. singh Amity University emerge as Best private university of India in Dialogue India ranking New Delhi: Witnessing thought provoking discussions and hosting a platform to the Indian Higher Education Institutions, business groups, various academic experts and decision makers for speaking their mind,the 6th Dialogue India Academia Conclave and the 8th Dialogue India International Academia Award Function - 2022 held in national capital New Delhi on 6 August, 2022 at the Shangri-la Hotel. Over a hundred d...
करियर प्लस एजुकेशन सोसायटी का रजत जयंती समारोह- भारतीय शिक्षा के स्वदेशीकरण का समय

करियर प्लस एजुकेशन सोसायटी का रजत जयंती समारोह- भारतीय शिक्षा के स्वदेशीकरण का समय

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प्रेस विज्ञप्ति करियर प्लस एजुकेशनल सोसायटी का रजत जयंती समारोह भारतीय शिक्षा के स्वदेशीकरण का समय करियर प्लस एजुकेशन सोसाइटी का रजत जयंती समारोह 6 अगस्त 2022 को शांगरी-ला होटल में मनाया गया। इस अवसर पर भारत में उच्च शिक्षा के वर्तमान और भविष्य के बारे में गहन चर्चा और विचार-मंथन हुए। शिक्षा क्षेत्रों के अग्रणी लोगों, कद्दावर राजनेताओं, सरकारी अधिकारियों और सार्वजनिक जीवन की हस्तियों ने उच्च शिक्षा के भविष्य के बारे में अपने विचार साझे किए। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई जिसके पश्चात राष्ट्रगान और गणेश वंदना किए गए। अपने शुभारंभ भाषण में करियर प्लस सोसाइटी के प्रबंध निदेशक अनुज अग्रवाल ने सभी मेहमानों का स्वागत किया और करियर प्लस एजुकेशन सोसाइटी का संक्षिप्त परिचय दिया। उन्होंने निरंतर सहायता और समर्थन के लिए केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन...
Silver Jubilee Celebration of Career Plus Educational Society-It is time for indigenization of Indian Education

Silver Jubilee Celebration of Career Plus Educational Society-It is time for indigenization of Indian Education

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Press Release Silver Jubilee Celebration of Career Plus Educational Society It is time for indigenization of Indian Education Silver Jubilee Celebration of Career Plus Education Society at The Hotel Shangri-La on 6 August 2022 witnessed discussions and brainstorming regarding present and future of higher education in India. Pioneers of education system, veteran politicians, government officials and public life personalities expressed themselves about future course of higher education. The event commenced with lamp lighting which was followed by National Anthem and Ganesh Vandna. In his inaugural address Anuj Agarwal and Niraj Kushwaha, Managing Director, Career Plus Group welcomed all the guests and gave brief introduction of Career Plus Education Society. He expressed gratitude t...
हर घर तिरंगा अभियान और देशभक्ति के मायने

हर घर तिरंगा अभियान और देशभक्ति के मायने

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हर घर तिरंगा अभियान और देशभक्ति के मायने नागरिकों के सुरक्षित और समृद्धशाली जीवन के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है; उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा और समृद्धी का होना। इसलिए क्या आपको हर घर तिरंगा फहराने के साथ-साथ हर घर रोज़गार की आवश्यकता ज़्यादा नहीं लग रही है ? आज  आज़ादी के 75 साल बाद भी देश के नौजवान बेरोजागरी के चलते आत्महत्या करने को मजबूर है।  हम सभी देश वासी हर घर तिरंगा लहरायेंगे, लेकिन इस स्वतंत्रता दिवस पर हमें लाल किले से ये आवाज़ भी तो सुनाई दे कि देश के हर नागरिक को समान शिक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा, रोजगार गारंटी दी जाएगी। यही तो सच्चा राष्ट्रवाद है। -प्रियंका 'सौरभ' हर घर तिरंगा आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत एक अभियान है। यह अभियान लोगों को भारत की आजादी के 75वें वर्ष में तिरंगा घर लाने और इसे फहराने के लिए प्रोत्साहित करता है। नागरिकों और तिरंगे के बीच संबंध हमेशा से...
विचाराधीन कैदियों की न्याय तक पहुंच जल्द हो

विचाराधीन कैदियों की न्याय तक पहुंच जल्द हो

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विचाराधीन कैदियों की न्याय तक पहुंच जल्द हो -ः ललित गर्ग :-न्याय में देर करना अन्याय है। भारत की न्यायप्रणाली इस मायने में अन्यायपूर्ण कही जा सकती है, क्योंकि भारत की जेलों में 76 प्रतिशत कैदी ऐसे हैं, जिनका अपराध अभी तय नहीं हुआ है और वे दो दशक से अधिक समय से जेलों में नारकीय जीवन जीते हुए न्याय होने की प्रतिक्षा कर रहे हैं। इन्हें विचाराधीन कैदी कहा जाता है, नैशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो की 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक देश भर की जेलों में कुल 4,88,511 कैदी थे जिनमें से 76 फीसदी यानी 3,71,848 विचाराधीन कैदी थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे विचाराधीन कैदियों के मुद्दे को गंभीरता से उठाते हुए ईज ऑफ लिविंग यानी जीने की सहूलियत और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस यानी व्यापार करने की सहूलियत की ही तरह ईज ऑफ जस्टिस की जरूरत बताते हुए कहा कि देश भर की जेलों में बंद लाखों विचाराधीन कैदियों की न्याय तक पहुंच ...
वृद्ध वयस्कों के बीच सामाजिक डिस्कनेक्ट

वृद्ध वयस्कों के बीच सामाजिक डिस्कनेक्ट

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वृद्ध वयस्कों के बीच सामाजिक डिस्कनेक्ट मनुष्य सामाजिक प्राणी हैं। एक विकासवादी दृष्टिकोण से, हमारे प्रारंभिक अस्तित्व के लिए सामाजिक संबंध आवश्यक थे, और अभी भी बहुत कुछ हैं। वास्तव में, सामाजिक जुड़ाव मानव जीवन के सबसे बुनियादी पहलुओं में से एक है और हमारी भलाई के लिए महत्वपूर्ण है। दूसरों के लिए डिस्कनेक्ट या अनदेखा महसूस करना न केवल दर्दनाक भावनात्मक अवस्थाओं को उजागर करेगा, बल्कि एक बुनियादी मानवीय आवश्यकता-संबंधितता की आवश्यकता को भी विफल कर देगा। हालाँकि, जिस तरह प्यास हमें पानी पीने के लिए एक संकेत के रूप में कार्य करती है, उसी तरह दर्दनाक भावनात्मक अवस्थाएँ हमें दूसरों के साथ अधिक संबंध बनाने के लिए एक संकेत के रूप में काम कर सकती हैं।मौजूदा साक्ष्य इंगित करते हैं कि सामाजिक जुड़ाव का स्वास्थ्य और दीर्घायु पर एक शक्तिशाली प्रभाव है। उदाहरण के लिए, जो लोग दूसरों से अधिक जुड़ाव ...
एड्स उन्मूलन कैसे होगा यदि सरकारें अमीर देशों पर निर्भर रहेंगी?

एड्स उन्मूलन कैसे होगा यदि सरकारें अमीर देशों पर निर्भर रहेंगी?

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एड्स उन्मूलन कैसे होगा यदि सरकारें अमीर देशों पर निर्भर रहेंगी? बॉबी रमाकांत - सीएनएस इस बात में कोई संशय नहीं है कि स्वास्थ्य-चिकित्सा क्षेत्र में तमाम नवीनतम तकनीकी, जैसे कि वैक्सीन, जाँच प्रणाली, दवाएँ, आदि अमीर देशों में विकसित हुए हैं। 4 दशकों से अधिक हो गए हैं जब एचआईवी से संक्रमित पहले व्यक्ति की पुष्टि हुई थी। यदि मूल्यांकन करें तो एचआईवी से प्रभावित समुदाय के निरंतर संघर्ष करने की हिम्मत, और विकासशील देशों (जैसे कि भारत) की जेनेरिक दवाएँ, टीके आदि को बनाने की क्षमता न होती, तो क्या दवाएँ सैंकड़ों गुणा सस्ती हुई होती और ग़रीब देशों तक पहुँची होतीं? आज भी, अमीर देशों में दवाएँ, भारत की तुलना में, सैंकड़ों गुणा महँगी हैं। अमीर देशों पर निर्भर रहते तो कैसे लगभग 3 करोड़ लोगों को जीवनरक्षक एंटीरेट्रोवाइरल दवाएँ मिल रही होतीं? गौर करें कि इनमें से अधिकांश लोग जो एचआईवी के साथ जीवित ह...