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रेलमार्गों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन

रेलमार्गों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन

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रेलमार्गों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन नई दिल्ली, 19 अप्रैल (इंडिया साइंस वायर): रेलमार्गों की आधारभूत संरचना में ट्रैकबेड बिछाने के लिए सघन मिट्टी से बने तटबंध का उपयोग होता है। यह तटबंध रेलगाड़ियों की आवाजाही के दौरान रेल पटरी से आने वाले भार को संभालने में भूमिका निभाता है। पारंपरिक तटबंध निर्माण प्रक्रिया अपनाये जाने से रेलों के चलने से उत्पन्न भार संभालने के लिए जानकारी तो मिल जाती है, पर मौसमी बदलावों के कारण तटबंध पर पड़ने वाले असर का पता नहीं चल पाता है। भारतीय शोधकर्ताओं सहित अंतरराष्ट्रीय अध्ययनकर्ताओं की एक टीम ने जलवायु परिवर्तन से रेलमार्गों पर होने वाले प्रतिकूल प्रभावों के अध्ययन के लिए एक नये यंत्र का निर्माण किया है। इस यंत्र का निर्माण इस तरीके से किया गया है, जिससे यह रेलमार्गों को बिछाने में प्रयोग होने वाली सघन मिट्टी के अंदर सक्शन को नाप सके, और यह का...
क्या भारत व दुनिया सूखे की ओर बढ़ रहे है? – अनुज अग्रवाल

क्या भारत व दुनिया सूखे की ओर बढ़ रहे है? – अनुज अग्रवाल

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क्या भारत व दुनिया सूखे की ओर बढ़ रहे है? - अनुज अग्रवाल मध्य मार्च से ही देश के दो तिहाई हिस्से में औसत तापमान 6 से 8 डिग्री तक ज़्यादा चल रहा है। लगातार बढ़ती तपिश ने रबी की फसलों को एक महीने पहले ही पका दिया या जला दिया। फल व सब्ज़ियों की एक पूरी फसल ही निबट चुकी है। गेहूं छोटे व हल्के पैदा हुए और कुल फसल अलग अलग क्षेत्रों में दस से तीस प्रतिशत तक कम पैदा हुई है। यही हाल सरसों का है। गेहूँ के निर्यात को उत्सुक भारत सरकार अब कितनी फसल बचा पाती है यह वक़्त ही बताएगा क्योंकि गर्मी से पहले की इस गर्मी ने सबकी गर्मी निकाल दी है और अभी मई और जून की गर्मी व जुलाई ,अगस्त व सितंबर की उमस भी बाक़ी है।यूँ तो मौसम विभाग कह रहा है कि देश में सामान्य मानसून रहेगा किंतु यह बात छुपा दी कि ऐसा कई बार होगा कि ढेर सारी बारिश कुछ ही समय में ताबड़तोड़ तरीक़े से ही हो जाएगी व बड़ा समय सूखा ही निकल जाएगा।...
क्यों हिन्दू पर्व हिंसा का शिकार हों?

क्यों हिन्दू पर्व हिंसा का शिकार हों?

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क्यों हिन्दू पर्व हिंसा का शिकार हों? -ललित गर्ग-रामनवमी एवं हनुमान जयन्ती पर एक सम्प्रदाय विशेष के लोगों ने जो हिंसा, नफरत एवं द्वेष को हथियार बनाकर अशांति फैलायी, वह भारत की एकता, अखण्डता एवं भाईचारे की संस्कृति को क्षति पहुंचाने का माध्यम बनी है। क्या इससे बुरी बात और कोई हो सकती है कि क्यों शांति एवं सद्भाव का संदेश देने वाले पर्व और उनसे जुड़े आयोजन हिंसा का शिकार हों? ध्यान रहे कि जब ऐसा होता है तो बैर बढ़ने के साथ देश की छवि पर भी बुरा असर पड़ता है। निःसंदेह इस सम्प्रदाय विशेष को भी यह समझने की आवश्यकता है कि जब देश कई चुनौतियों से दो-चार है, तब राष्ट्रीय एकता एवं सद्भाव को बल देना सबकी पहली और साझी प्राथमिकता बननी चाहिए। ताली एक हाथ से नहीं बज सकती। एक विभाजित और वैमनस्यग्रस्त समाज न तो अपना भला कर सकता है और न ही देश को आगे ले जा सकता है। समय आ गया है कि उन मूल कारणों पर विचार किया ज...
कोरोना की चौथी लहर, कितने तैयार हैं हम?

कोरोना की चौथी लहर, कितने तैयार हैं हम?

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कोरोना की चौथी लहर, कितने तैयार हैं हम? आर.के. सिन्हा पिछले साल अप्रैल के महीने में आई कोरोना वायरस की भीषण लहर ने देश में प्रलय मचा कर रख दी थी। उन दिनों को याद करके भी घबराहट होने लगती है। एक साल के बाद फिर से कोरोना की चौथी लहर का खतरा हमारे सामने है। कोरोना के नये केस सामने आ रहे हैं। इनकी संख्या में लगातार वृद्धि भी हो रही है। इससे पहले कोरोना के ओमिक्रान वैरियंट के लगभग बेअसर रहने के बाद यह उम्मीद बंधी थी कि कोरोना का अब नाश हो गया है। लेकिन, कहते ही हैं कि वायरस कभी खत्म नहीं होता। हां,उसका असर कमजोर पड़ने लगता है। तो ओमिक्रान के बाद आने और चले जाने के बाद यही लग रहा है कि अगर चौथी लहर आई भी तो वह भी समुद्री लहर की तरह सागर किनारे आकर वापस चली जाएगी। यानी वह घातक नहीं होगी। पर यह सब पक्के से तो नहीं कहा जा सकता है।    देखिए कोरोना के नए-नए वेरिएंट्स अपने साथ नए-नए लक्षण साथ...
Science and technology for rural development

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The nationwide “Panchayati Raj Diwas” celebrations coming up on April 24 would have a significant scientific touch to them. The office of Principal Scientific Advisor to the Government of India and the various science and technology organisations working under the Department of Science & Technology, Council of Scientific and Industrial Research, Department of Biotechnology, Department of Space, Department of Atomic Energy, and Ministry of Earth Sciences would put up about 30 stalls at the exhibition to be held up as part of the function where Prime Minister, Narendra Modi, would inaugurate the programme. They will display the latest technologies and innovations beneficial for rural areas and farming. Union Minister of State (Independent Charge) Science & Technology; Minis...
कोविड-19 टीकाकरण अपडेट- 456वां दिन

कोविड-19 टीकाकरण अपडेट- 456वां दिन

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कोविड-19 टीकाकरण अपडेट- 456वां दिन भारत का कोविड-19 टीकाकरण कवरेज आज 186.49 करोड़ (1,86,49,98,237) से अधिक हो गया। आज शाम 7 बजे तक 11 लाख (11,05,917) से ज्यादा टीके की खुराक दी गई। अब तक 12-14 आयु वर्ग के किशोरों को कोविड-19 टीके की 2.42 करोड़ (2,42,62,073) से अधिक पहली खुराक लगाई गई है। कोविड टीकाकरण के तहत चिन्हित श्रेणियों के लाभार्थियों के लिए 'प्रीकॉशन डोज' लगाने के अभियान के तहत अब तक पात्र आयु समूह को 2.52 करोड़(2,52,79,721) से अधिक खुराक दी गई हैं। देर रात में दिनभर की अंतिम रिपोर्ट आने पर दैनिक टीकाकरण संख्या में वृद्धि होने की संभावना है। जनसंख्या प्राथमिकता समूहों के आधार पर टीके की खुराक का समग्र कवरेज इस प्रकार है:   टीके की खुराक का समग्र कवरेज एचसीडब्‍ल्‍यू पहली खुराक 10404352 दूसरी खुराक 10008183 प्रीकॉशन खुराक 4597996 एफएलडब्‍...
बिजली संयंत्रों से कार्बन कैप्चर के लिए ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकी

बिजली संयंत्रों से कार्बन कैप्चर के लिए ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकी

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बिजली संयंत्रों से कार्बन कैप्चर के लिए ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकी नई दिल्ली, 13 अप्रैल (इंडिया साइंस वायर): बिजली संयंत्रों से कार्बनडाईऑक्साइड (CO2) कैप्चर के लिए ऊर्जा कुशल संयंत्र डिजाइन और विकसित करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), गुवाहाटी ने राष्ट्रीय तापविद्युत निगम (एनटीपीसी लिमिटेड) के साथ हाथ मिलाया है। यह प्रौद्योगिकी एक नये सक्रिय अमोनिया यौगिक ऐमिन विलायक (आईआईटीजीएस) का उपयोग करके फ्लू गैस पर काम करती है। कमर्शियल सक्रिय एमडीईए (मोनोएथेनॉलमाइन) विलायक की तुलना में यह प्रौद्योगिकी 11 प्रतिशत कम ऊर्जा और बेंचमार्क एमईए (मोनोएथेनॉलमाइन) विलायक की तुलना में 31 प्रतिशत कम ऊर्जा की खपत करती है। इस परियोजना से तेल, प्राकृतिक गैस, बायोगैस उद्योग और पेट्रोलियम रिफाइनरियों को लाभ हो सकता है। इस स्वदेशी तकनीक को प्रोफेसर बिष्णुपाद मंडल, केमिकल इंजीनियरिंग विभाग, आ...
Remembering the anonymous loyalists of Babasaheb

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Remembering the anonymous loyalists of Babasaheb RK Sinha Dr. Babasahed Bhimrao Ambedkar resigned from the central cabinet of Jawaharlal Nehru on 27th September 1951. Both of them locked horns on Hindu code Bill. Baba Saheb informed about his resignation through a historic speech given in parliament. He returned to his government residence at 22 Prithviraj Road around 1600 hours. He shifted from 22 Prithviraj road to 26 Alipur road a house of his friend next very day, after leaving cabinet, most of his time was spent on study and writing. While residing in 26, Alipur road he wrote his last book “The Buddha and his Dhamma”. In his writing, he elaborated the teachings of Gautam Buddha. His work was translated in many languages like Hindi, Gujarati, Telugu, Tamil, Marathi, Malayalam, Ka...
शहबाज शरीफ का कश्मीर राग दुर्भाग्यपूर्ण

शहबाज शरीफ का कश्मीर राग दुर्भाग्यपूर्ण

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शहबाज शरीफ का कश्मीर राग दुर्भाग्यपूर्ण - ललित गर्ग- पाकिस्तान में एक और सत्ता की तख्ता पलट का नाटक पूरी दुनिया ने देखा। सत्ता में बने रहने के इमरान खान के सारे दांवपेच बेकार साबित हुए। शनिवार देर रात नेशनल असेंबली में बहुमत खो देने के बाद सरकार गिर गई। फिलहाल विपक्ष जीत गया है। सत्ता की कमान अब देश के मंजे हुए राजनेता शाहबाज शरीफ के हाथों में आ गई है। वे तीन बार पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और नवाज शरीफ की गैरमौजूदगी में पार्टी की अगुआई करते रहे हैं। पाकिस्तान के इस घटनाक्रम के बाद देश के राजनेताओं में ज्यादा समझदारी आएगी या दिशाशून्य हो जायेंगे? मालूम नहीं। पक्ष एवं विपक्ष का यह सारा शोर दूसरे को दोषी ठहराने का था और चुप्पी अपने दामन के दाग छिपाने की थी। यह घटनाक्रम सिर्फ किसी को सत्ता से बेदखल करने और किसी को सत्ता हासिल होने के संदर्भ में ही नहीं देखा जाना चाहिए। इसमें इम...
उत्कृष्ट विलक्षणताओं के प्रतीक हैं हनुमान

उत्कृष्ट विलक्षणताओं के प्रतीक हैं हनुमान

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उत्कृष्ट विलक्षणताओं के प्रतीक हैं हनुमान - ललित गर्ग - इस संसार में सबसे बड़े भक्त है भगवान हनुमानजी, वे ऐसे भक्त हैं जो अपने भक्तों को ईश्वर से मिलाते हैं। उनको हिन्दू देवताआंे में सबसे शक्तिशाली, जागृत एवं सजीव देवता माना गया है, वे रामायण जैसे महाग्रंथ के सह पात्र थे। वे भगवान शिव के ग्यारवंे रूद्र अवतार थे जो श्रीराम की सेवा करने और उनका साथ देने त्रेता युग में अवतरित हुए थे। इस धरा पर जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है, उनमें बजरंगबली भी हैं। हनुमानजी के पराक्रम की असंख्य गाथाएँ प्रचलित हैं। इन्होंने जिस तरह से राम के साथ सुग्रीव की मैत्री कराई और फिर वानरों की मदद से असुरों का मर्दन किया, वह अत्यन्त प्रसिद्ध है। उनको बजरंगबलि, मारुतिनंदन, पवनपुत्र, केशरीनंदन आदि अनेकों नामों से पुकारा जाता है। उनका एक नाम वायुपुत्र भी है, उन्हें वातात्मज भी कहा गया है अर्थात् वायु से ...