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आखिर क्यों नहीं देते आमिर खान देश के सवालों के जवाब

आखिर क्यों नहीं देते आमिर खान देश के सवालों के जवाब

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  आखिर क्यों नहीं देते आमिर खान देश के सवालों के जवाब आर.के. सिन्हा कहते हैं कि इंसान को बहुत सोच-समझकर ही कुछ बोलना चाहिए। यानी उसे इस तरह की बातें करने से बचना चाहिए जिससे उसे आगे चलकर कष्ट हो। आमिर खान के साथ आज के दिन यही हो रहा है। आमिर खान ने 2015 में बड़ी बुलंदी से कहा था कि “वे देश के मौजूदा वातावरण में खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं और वे अपने  बच्चों को लेकर  चिंतित हैं और देश छोड़कर जाना चाहते हैं।” उस समय यह बात उन्होंने मोदी सरकार के शासन काल के शुरू होने पर अपनी टिप्पणी के रूप में मोदी विरोधियों की वाहवाही लूटने के लिये कही थीं I उन्हें क्या पता था कि मोदी सरकार लम्बे समय तक भारत पर शासन करने वाला है I आमिर खान अब अपनी पिक्चर लाल सिंह चड्ढा को प्रमोट करते हुये लगभग गिड़गिड़ाने वाले भाव से भारत भर के सिने प्रेमियों से गुजारिश कर रहे हैं कि वे उनकी फिल्म को जरूर देखें। उनकी च...
अमृत महोत्सव के जश्न में, कहाँ खड़े हैं आज हम?

अमृत महोत्सव के जश्न में, कहाँ खड़े हैं आज हम?

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अमृत महोत्सव के जश्न में, कहाँ खड़े हैं आज हम? (विश्व की उदीयमान प्रबल शक्ति के बावजूद भारत अक्सर वैचारिक ऊहापोह में घिरा रहता है. यही कारण है कि देश के उज्ज्वल भविष्य और वास्तविकता में अंतर दिखाई देता है. हालांकि भारत महाशक्ति बनने की प्रक्रिया में प्रमुख बिंदुओं पर खरा उतरता है, लेकिन व्यापक अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में घरेलू मुद्दों के कारण वह कमजोर पड़ जाता है। बिना साक्षरता के कोई भी देश आगे नहीं बढ़ सकता। ऐसे में सभी शिक्षित हों तभी सारी समस्याओं से आजादी पाई जा सकती है। साक्षरता के साथ-साथ देश भर में बढ़ती बेरोजगारी युवाओं को गुलामी का अहसास देती है, आखिर वो कब इस से आजाद होगा। ) -सत्यवान 'सौरभ' भारत ने वैश्विक पहचान हासिल करने के लिए ढेर सारी चुनौतियों को पार करते हुए दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रों में से एक बनने के लिए छोटे कदम उठाए। भारत ने आजादी के बाद से...
हर घर तिरंगा अभियान और देशभक्ति के मायने

हर घर तिरंगा अभियान और देशभक्ति के मायने

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हर घर तिरंगा अभियान और देशभक्ति के मायने नागरिकों के सुरक्षित और समृद्धशाली जीवन के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है; उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा और समृद्धी का होना। इसलिए क्या आपको हर घर तिरंगा फहराने के साथ-साथ हर घर रोज़गार की आवश्यकता ज़्यादा नहीं लग रही है ? आज  आज़ादी के 75 साल बाद भी देश के नौजवान बेरोजागरी के चलते आत्महत्या करने को मजबूर है।  हम सभी देश वासी हर घर तिरंगा लहरायेंगे, लेकिन इस स्वतंत्रता दिवस पर हमें लाल किले से ये आवाज़ भी तो सुनाई दे कि देश के हर नागरिक को समान शिक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा, रोजगार गारंटी दी जाएगी। यही तो सच्चा राष्ट्रवाद है। -प्रियंका 'सौरभ' हर घर तिरंगा आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत एक अभियान है। यह अभियान लोगों को भारत की आजादी के 75वें वर्ष में तिरंगा घर लाने और इसे फहराने के लिए प्रोत्साहित करता है। नागरिकों और तिरंगे के बीच संबंध हमेशा से...
“या तो मैं तिरंगा फहराकर वापस आऊंगा, या फिर उसमें लिपटकर वापस आऊंगा”

“या तो मैं तिरंगा फहराकर वापस आऊंगा, या फिर उसमें लिपटकर वापस आऊंगा”

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“या तो मैं तिरंगा फहराकर वापस आऊंगा, या फिर उसमें लिपटकर वापस आऊंगा" कारगिल युद्ध में भारतीय सैनिकों के प्रयासों और बलिदानों को याद करने के लिए हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है। यह दिन कारगिल युद्ध 1999 के शहीदों को समर्पित है। कारगिल विजय दिवस कारगिल युद्ध में भारतीय सेना की जीत का प्रतीक है। हमने 527 साहसी आत्माओं को खो दिया, और युद्ध में 1363 सैनिक घायल हो गए। उन बहादुर बलिदानों की उपेक्षा कौन कर सकता है? आइए उनके धैर्य को याद करें और उनके आभारी रहें.-सत्यवान 'सौरभ' कारगिल युद्ध में सैनिकों द्वारा किए गए बलिदान को याद करने के लिए हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। भारतीय सेना के एक मिशन 'ऑपरेशन विजय' ने भारत के लिए अंतिम सफलता हासिल की। कारगिल विजय दिवस प्रत्येक भारतीय द्वारा हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है। यह दिन कारगिल युद्ध 1999 के शहीदों को सम...
उत्तर प्रदेश को अशांत करने का षड्यंत्र?

उत्तर प्रदेश को अशांत करने का षड्यंत्र?

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उत्तर प्रदेश को अशांत करने का षड्यंत्र? मृत्युंजय दीक्षित सावन के पवित्र माह में लाखों की संख्या में शिवभक्त कांवड़िये भोलेनाथ की भक्ति में डूबकर पवित्र कांवड में जल लेकर भगवान शिव पर चढाने जा रहे हैं । सभी प्रसिद्ध व ऐतिहासिक शिव मंदिरों में इनकी भारी भीड़ पहुंच रही है। उत्तरांड के हरिद्वार में ही लाखों शिवभक्त कांवड़िये पहुंच रहे है जो एक अदभुत कीर्तिमान बन रहा है । उत्तर प्रदेश सरकार तथा उत्तराखंड की सरकारों की ओर से कांवड़ यात्रा को ध्यान में रखते हुए अति विशिष्ट प्रबंध किये गये हैं लेकिन यह भीड़ इतनी अधिक है कि यह भी कम लग रहे हैं। वर्ष 2017 से ही योगी अदियानाथ की सरकार कांवड़ यात्रियों की सुविधा का विशेष ध्यान रख रही है और उनकी सुविधा के लिए व्यस्थाएं करती है । उनके भक्ति भाव के सम्मान के लिए उन पर पुष्पवर्षा भी की जाती रही है जो इस बार उत्तराखंड में भी हो रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्...
डिजिटल शासन के नए युग में परास्त होते गरीब

डिजिटल शासन के नए युग में परास्त होते गरीब

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डिजिटल शासन के नए युग में परास्त होते गरीब डिजिटल डिवाइड आबादी के अमीर-गरीब, पुरुष-महिला, शहरी-ग्रामीण आदि क्षेत्रों में बनता है। इस अंतर को कम करने की जरूरत है, तभी ई-गवर्नेंस के लाभों का समान रूप से उपयोग किया जा सकेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में ई-गवर्नेंस की पहल जमीनी हकीकत की पहचान और विश्लेषण करके की जानी चाहिए। प्लेटफॉर्म और ऐप-आधारित समाधान गरीबों को पूरी तरह से सेवाओं से वंचित कर सकते हैं या आगे स्वास्थ्य सेवाओं तक उनकी पहुँच को कम कर सकते हैं। जैसे स्लॉट बुक करना फोन, कंप्यूटर और इंटरनेट के बिना उन लोगों के लिये बहुत कठिन हों सकता है।-प्रियंका 'सौरभ' सम्मान के साथ जीने का अधिकार एक संवैधानिक अनिवार्यता है। हालाँकि, यह आज शासन में डिजिटल पहल की चर्चाओं में शायद ही कभी प्रकट होता है। केंद्रीकृत डेटा डैशबोर्ड नीतियों का आकलन करने, मानवीय गरिमा और अधिकारों तक पहुँचने में जितनी...
महामहिम जी का हिन्दी में शपथ लेने का संदेश तो समझिए

महामहिम जी का हिन्दी में शपथ लेने का संदेश तो समझिए

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महामहिम जी का हिन्दी में शपथ लेने का संदेश तो समझिए  आर.के. सिन्हा भारत के 15 वें राष्ट्रपति पद की शपथ हिन्दी में लेकर श्रीमती द्रौपदी मूर्मू ने सारे देश को एक बेहद महत्वपूर्ण संदेश दिया है। मूल रूप से उड़ीसा से संबंध रखने वाली श्रीमती द्रौपदी मूर्मू अगर उड़िया या किसी अन्य भाषा में भी शपथ लेती तो कोई अंतर नहीं पड़ता। देश को अपनी सभी भाषाओं और बोलियों पर गर्व है। पर, वह हिन्दी में शपथ लेकर तो अचानक से सारे देश में पहुंच गई। समूचे देश ने उन्हें हिंदी में शपथ लेते हुए देखा-सुना। बेशक, हिन्दी देश की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। इस संबंध में कोई विवाद नहीं हो सकता। हिन्दी की सारे देश में स्वीकार्यता है और यह दिन-प्रतिदिन बढ़ भी रही है। अगर छुद्र राजनीति को छोड़ दिया जाए तो इसे सारे देश में बोला और समझा जा रहा है। कुछ समय पहले ही देश के आठ पूर्वोतर राज्यों के स्कूलों में दसवीं क...
अम्मा ने बनाया भारत का सबसे बड़ा अस्पताल

अम्मा ने बनाया भारत का सबसे बड़ा अस्पताल

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अम्मा ने बनाया भारत का सबसे बड़ा अस्पताल विनीत नारायण आम तौर पर ज़्यादातर मशहूर धर्माचार्य कोरपोरेट ज़िंदगी जीते हैं। महलनुमा आश्रमों में रहते हैं। महंगी गाड़ियों में घूमते हैं। हीरे जवाहरात से लदे रहते हैं। सैंकड़ों करोड़ रुपए के निवेश करते हैं। अमीरों के पीछे भागते हैं और ग़रीबों को हिक़ारत की नज़र से देखते हैं। पर दक्षिण भारत के केरल राज्य में मछुआरों की बस्ती में एक दरिद्र परिवार में जन्मीं माता अमृतानंदमयी मां ‘अम्मा’ एक अपवाद हैं। जिनका पूरा जीवन ग़रीबों और ज़रूरतमंदों की सेवा के लिए ही समर्पित है। पूरी दुनिया में करोड़ों लोगों के जीवन में सुख देने वाली ‘अम्मा’ जनसेवा के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक कदम रखने जा रही हैं। आगामी 24 अगस्त को फ़रीदाबाद में अम्मा के नए अस्पताल का उद्घाटन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। 133 एकड़ भूमि में फैला ये अस्पताल भारत का सबसे बड़ा निजी क्ष...
क्यों नहीं बदल रही भारत में बेटियों की स्थिति?

क्यों नहीं बदल रही भारत में बेटियों की स्थिति?

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क्यों नहीं बदल रही भारत में बेटियों की स्थिति? भारतीय परिवार कम से कम एक बेटा होना बहुत जरूरी मानते है। मगर बेटियां समाज और देश के लिए दशा और दिशा तय करती हैं। जिसके बिना न तो कोई तस्वीर मुकम्मल होती है न ही घर, न ही परिवार, न समाज, न देश। शायद समाज में अब भी ऐसे लोग होंगे जो बेटे की चाहत में जन्म से पहले ही बेटियों को मार देते होंगे। लेकिन इन सबके बीच देश के लिए एक सुकून भरी खबर ये है कि स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, मेडिकल, सिविल सेवा हर जगह बेटियां टॉप कर रही है।  फिर भी बेटियों की स्थिति में वैसे सुधार क्यों नहीं जिनकी वे पूरी तरह हक़दार है? -प्रियंका 'सौरभ' पितृसत्ता समाज में सत्ता और नियंत्रण की एक जटिल और रहस्यमय संस्था है। पितृसत्ता एक पुरुष प्रधान संरचना का प्रतीक है जिसका एक लंबा इतिहास है और दुनिया के हर समाज में मौजूद है। दस में से नौ भारतीय इस धारणा से सहमत हैं कि...
भ्रष्टाचार का दलदल एवं कीचड़ की राजनीति

भ्रष्टाचार का दलदल एवं कीचड़ की राजनीति

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भ्रष्टाचार का दलदल एवं कीचड़ की राजनीति -ः ललित गर्ग :- भ्रष्टाचार के खेल ने दुनिया के सारे लोकतंत्रों को खोखला कर दिया है। भारतीय लोकतंत्र दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, इसलिए इसकी साफ-सफाई ज्यादा जरूरी है। इनदिनों गैरभाजपा प्रांतों में भ्रष्टाचार के मामले बड़ी संख्या में उजागर हो रहे हैं। पहले दिल्ली में आम आदमी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सतेन्द्र जैन और अब पश्चिम बंगाल में उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी बता रही है कि ममता बनर्जी एवं अरविन्द केजरीवाल भ्रष्टाचार मुक्त शासन के कितने ही दावे क्यों न करें, लेकिन उनके वरिष्ठ मंत्री भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के घेरे में हैं। विभिन्न राजनीतिक दलों एवं विभिन्न प्रांतों की सरकारों में भ्रष्टाचार की बढ़ती स्थितियां गंभीर चिन्ता का विषय है, चिन्ताजनक स्थितियां भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर किसी सार्थक एवं राष्ट्रहित की बहस ...