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*भारत को बहुत उम्मीदें हैं , १५ वे राष्ट्रपति से*

*भारत को बहुत उम्मीदें हैं , १५ वे राष्ट्रपति से*

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*भारत को बहुत उम्मीदें हैं , १५ वे राष्ट्रपति से* भारत ने श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को देश की १५ वीं राष्ट्रपति चुन लिया । वह इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी महिला हैं । वैसे तो जीत के लिए जरूरी ५ लाख ४३ हजार २६१ वोट के स्थान पर उन्हें ५ लाख ७७ हजार ७७७ वोट मिले। पराजित उम्मीदवार यशवंत सिन्हा २ लाख ६१ हजार ६२ वोट ही प्राप्त कर सके। भारत के १५ वें राष्ट्रपति के रूप में श्रीमती द्रौपदी मुर्मू तय कार्यक्रम के अनुसार शपथ लेंगी | वस्तुत: , राष्ट्रपति सिर्फ संविधान की शपथ नहीं लेते, बल्कि वे संविधान की रक्षा की शपथ लेते हैं। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू इस शपथ को निभा पायें | इसी आशा और विश्वास के साथ उन्हें शुभ कामना और बधाई | राष्ट्रपति पद पर आदिवासी महिला का निर्वाचन, भारत का एक बार फिर लोकतंत्रीय व्यवस्था में विश्वास का द्योतक है, यह उस आशा का प्रतीक है जो भारत की आ...
सर्वोच्च संवैधानिक पदों का चुनाव और विकृत राजनीति

सर्वोच्च संवैधानिक पदों का चुनाव और विकृत राजनीति

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सर्वोच्च संवैधानिक पदों का चुनाव और विकृत राजनीति मृत्युंजय दीक्षित देश में नये राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चयन की प्रक्रिया जारी है और इस कड़ी में राष्ट्रपति पद के लिए मतदान संपन्न हो चुका है। राष्ट्रपति पद के लिए सत्तारूढ़ एनडीए की ओर से आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा उम्मीदवार हैं जबकि उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की ओर से जगदीप धनखड़ और विपक्ष की ओर से राजस्थान की पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा उम्मीदवार हैं। राष्ट्रपति पद के लिए मतदान संपन्न हो चुका है लेकिन इस बीच जिस प्रकार की राजनीति और बयानबाजी देखने को मिली है वह बेहद ही शर्मनाक और विकृत मानसिकता वाली रही है। यह भी साफ हो गया है कि वर्तमान समय में देश के सभी विरोधी दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नेतृत्व में भाजपा को मिल रही लगातार विजय से कितने कुंठित हो गये हैं कि वह विरोध करने के लिए किसी भ...
खेतों में करंट से मरते किसान, क्या हो समाधान?

खेतों में करंट से मरते किसान, क्या हो समाधान?

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खेतों में करंट से मरते किसान, क्या हो समाधान?  कारण जो भी हो, यह बहुत दुखद है कि हमारे किसान, हमारे देश के खाद्य प्रदाता, अपनी दैनिक दिनचर्या को ईमानदारी से निभाने में मर रहे हैं। नयी योजनाओं के साथ-साथ बिजली के ढीले तार ठीक करना, हाईवोल्टेज बिजली पोल का समाधान ढूंढना, खेत में लगाई जाली से बचना, रात को पानी चलाते समय सावधानी खेतों में किसानों को असमय मौत से बचा सकती है। -प्रियंका 'सौरभ' भारत में हर साल  लगभग 11 हजार कृषि श्रमिकों की मौत बिजली के करंट से हो रही है। हर दिन औसतन 50 लोगों की मौत हो रही है। इसका कारण वायरिंग, कट और गिरी हुई ट्रांसमिशन लाइनों में मानकों का पालन न करना, उम्र बढ़ने, जंग और नम परिस्थितियों में मोटर केसिंग और कंट्रोल बॉक्स पर कंडक्टिव पथ के गठन के कारण होता है। कारण जो भी हो, यह बहुत दुखद है कि हमारे किसान, हमारे देश के खाद्य प्रदाता, अपनी...
मानसून सत्र में असली मुद्दों पर सार्थक बहस हो

मानसून सत्र में असली मुद्दों पर सार्थक बहस हो

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मानसून सत्र में असली मुद्दों पर सार्थक बहस हो-ः ललित गर्ग :-संसद का मानसून सत्र आज 18 जुलाई से शुरू होकर और 12 अगस्त तक चलेगा। मानसून सत्र अनेक दृष्टियों से महत्वपूर्ण है, आजादी के अमृत महोत्सव का मानसून सत्र अमृतमय होना चाहिए। यह सत्र इसलिये भी महत्वपूर्ण है कि इसी समय राष्ट्रपति पद और उपराष्ट्रपति पद के चुनाव होकर देश को नए राष्ट्रपति, नए उपराष्ट्रपति का मार्गदर्शन मिलना प्रारंभ हो जायेगा। सत्र की शुरुआत टकराव से न होकर सकारात्मक संवाद से होे, यह अपेक्षित है। इसके लिये हर दल का प्रत्येक सांसद अपने दिमाग में आइस की फैक्ट्ररी एवं जुुबान पर शुगर फैक्ट्ररी स्थापित करें, यानी ठण्डे दिमाग एवं मधुर संवाद के माध्यम से सत्र की कार्रवाई को सकारात्मक बनाये एवं देश के लिये नई ऊर्जा भरते हुए विकास की नयी बहार लाये।हर संसदीय सत्र की शुरुआत से पहले ही पक्ष-विपक्ष के बीच टकराव शुरू हो जाता है, एक-दूसरे ...
मोदी का मास्टर स्ट्रोक – मुर्मू

मोदी का मास्टर स्ट्रोक – मुर्मू

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मोदी का मास्टर स्ट्रोक - मुर्मू आर.के. सिन्हा द्रोपदी मुर्मू वास्तव में मोदी जी का मास्टर स्ट्रोक है I कल जिस तरह विपक्षी दलों में फूट पड़ी और क्रास वोटिंग हुई उससे साबित हो गया कि मोदी जी का आदिवासी और महिला कार्ड चल गयाI श्रीमती द्रौपदी मुर्मू का देश का अगला राष्ट्रपति निर्वाचित होना निश्चित है। वो आगामी 25 जुलाई को देश के नए राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगी। उनसे सारा देश यह अपेक्षा करेगा कि वो अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, डॉ. प्रणव कुमार मुखर्जी तथा डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जैसे महानुभावों की तरह ही गरिमामयी व्यवहार का परिचय देंगी। वो देश के प्रथम नागरिक के रूप में एक नई नजीर स्थापित करेंगी। भारत का यह सौभाग्य ही रहा कि उसे गोरी सरकार से मुक्ति मिलने के बाद डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और उनके बाद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जैसे ज्ञानी, प्रकांड विद्वान और धीर गंभीर राष्ट्रपति ...
रोजगार सृजन कर किसानों की सहायता करता डेयरी उद्योग

रोजगार सृजन कर किसानों की सहायता करता डेयरी उद्योग

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रोजगार सृजन कर किसानों की सहायता करता डेयरी उद्योग (दूध उत्पादन में अन्य व्यवसायों की तरह करियर की अपार सम्भावनायें हैं, देश भर में राज्य सरकारें दूध की पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों को सब्सिडी देकर इस उद्योग को बढ़ावा दे रही हैं, वहीं विज्ञान और तकनीकी में नए-नए प्रयोग कर के  दूध उत्पादन बढ़ाने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। खासकर ग्रामीणों क्षेत्र के लोगों को उनकी आजीविका के साधनों को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित की जाती हैं।) -सत्यवान 'सौरभ' दूध भारत में सबसे बड़ी कृषि-वस्तु है। यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 5% का योगदान देता है और 80 मिलियन डेयरी किसानों को सीधे रोजगार देता है। आर्थिक गतिविधियों में सुधार, दूध और दुग्ध उत्पादों की प्रति व्यक्ति खपत में वृद्धि, आहार संबंधी प्राथमिकताओं में बदलाव और भारत में बढ़ते शहरीकरण ने डेयरी उद्य...
सांकेतिक नियुक्ति के बाद भी केवल रबर स्टाम्प नहीं है राष्ट्रपति।

सांकेतिक नियुक्ति के बाद भी केवल रबर स्टाम्प नहीं है राष्ट्रपति।

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सांकेतिक नियुक्ति के बाद भी केवल रबर स्टाम्प नहीं है राष्ट्रपति। राष्ट्रपति केवल मंत्रिमंडल की सलाह पर फैसले लेंगे। उन्हें केंद्र या राज्य सरकार के कामकाज में दखल देने का अधिकार नहीं है। यह सच नहीं है। राजेंद्र प्रसाद और सर्वपल्ली राधाकृष्णन जैसे राष्ट्रपति थे जो कुछ नीतिगत मुद्दों पर सरकार के साथ खुले तौर पर मतभेद रखते थे। राष्ट्रपति जो गंभीर शपथ लेता है, उसे करने की आवश्यकता होती है। -प्रियंका 'सौरभ' महामहिम राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई, 2022 को समाप्त हो रहा है, भारत के 16 वें राष्ट्रपति के पद को भरने के लिए चुनाव 18 जुलाई को होगा। राष्ट्रपति कोविंद का उत्तराधिकारी चुनने के लिए मतदान में सांसदों और विधायकों सहित 4,809 मतदाता शामिल होंगे। 2017 में हुए पिछले चुनाव में संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार मीरा कुमार को हराकर रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति बने थे. कोविंद को कुल 10...
मुफ्त की रेवड़ी  न तो टिकाऊ है और न ही चुनाव जीतने की गारंटी

मुफ्त की रेवड़ी न तो टिकाऊ है और न ही चुनाव जीतने की गारंटी

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मुफ्त की रेवड़ी  न तो टिकाऊ है और न ही चुनाव जीतने की गारंटी यदि मतदाता बुद्धिमान और शिक्षित हैं, तो वे इस तरह की चालों के झांसे में नहीं आएंगे। मुफ्त उपहार स्वीकार करने के बाद भी, वे सरकार के प्रदर्शन या उसकी कमी के अनुसार मतदान करना चुन सकते हैं। यदि वे मुफ्त उपहारों और वादों को अस्वीकार करते हैं, तो राजनीतिक दल अधिक रचनात्मक कार्यक्रमों के लिए आगे बढ़ेंगे। अस्वीकृति की शुरुआत पंचायत राज और राज्य विधानसभा चुनावों से होनी चाहिए। मतदाताओं के केवल एक निश्चित वर्ग के लिए किसी विशेष क्षेत्र में सब्सिडी चुनाव में जीत का आश्वासन नहीं दे सकती है। -सत्यवान 'सौरभ' श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था के पतन की हालिया खबरों ने राज्य की भूमिका पर एक नई बहस को जन्म दिया है। श्रीलंका की सरकार ने बोर्ड भर में करों में कटौती की और कई मुफ्त सामान और सेवाएं प्रदान कीं। नतीजतन, अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई और सरकार गिर...
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव व उनको रोकने में युवाओं व महिलाओं की भूमिका

जलवायु परिवर्तन के प्रभाव व उनको रोकने में युवाओं व महिलाओं की भूमिका

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साइंस लेटर संस्था द्वारा “जलवायु परिवर्तन के प्रभाव व उनको रोकने में युवाओं व महिलाओं की भूमिका” विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में व्यक्त किए गए मेरे विचारो के प्रमुख अंश - कारपोरेट और सरकारें बाज़ारवाद व उपभोक्तावाद के जिस रास्ते पर दुनिया को ले गयीं हैं उसने पृथ्वी के संसाधनों को तेजी से समाप्त करना शुरू कर दिया है। हमारी स्थिति टाईटेनिक जहाज जैसी हो चुकी है । जीवाश्म ईंधनो और मांसाहार के साथ ही प्लास्टिक, रासायनिक खादों व कीटनाशकों ने आग में चिंगारी का काम किया है। हर और प्रदूषण , कूड़े व गंदगी के ढेर और पश्चिमी जीवन शैली व भवन निर्माण ने हालात बद से बदतर कर दिए। बाज़ार ज़्यादा से ज़्यादा माल बेचना चाहता है इसलिए उसने संयुक्त परिवार व अब एकल परिवार भी तोड़ दिया है जिस कारण सब आत्मकेंद्रित व स्वार्थी हो गए हैं। सरकारें बस बातें करती हैं किंतु ज़मीनी सच्चाई अलग है। सरकारों क...
कितने भारतीय कमला हैरिस से ऋषि सुनक तक की कतार में

कितने भारतीय कमला हैरिस से ऋषि सुनक तक की कतार में

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कितने भारतीय कमला हैरिस से ऋषि सुनक तक की कतार में आर.के. सिन्हा अगर ब्रिटेन के नये प्रधानमंत्री ऋषि सुनक बने जाते हैं, तो वे एक तरह से उसी  परंपरा को ही आगे बढ़ायेंगे, जिसका श्रीगणेश 1961 में सुदूर कैरिबियाई टापू देश गयाना में भारतवंशी छेदी जगन ने किया था। वे तब गयाना के निर्वाचित प्रधानमत्री बन गए थे। उनके बाद मॉरीशस में शिवसागर रामगुलाम से लेकर अनिरूध जगन्नाथ, त्रिनिदाद और टोबैगो में वासुदेव पांडे, सूरीनाम में चंद्रिका प्रसाद संतोखी,  अमेरिका में कमल हैरिस वगैरह उप-राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री बनते रहे। ये सभी उन मेहनतकश भारतीयों की संताने रहे हैं, जिन्हें गोरे दुनियाभर में लेकर गए थे, ताकि वे वहां के चट्टानों की सफाई कर वहां गन्ना की खेती कर लें। दरअसल सन 1834 में दुनिया में गुलामी प्रथा का अंत होने के बाद श्रमिकों की  भारी संख्या में की जरूरत पड़ी जिसके बाद गोरे भारत से एग्रीमेंट करक...