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किसानों के लिए एक लाख करोड़ का पैकेज

किसानों के लिए एक लाख करोड़ का पैकेज

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  हमारे देष में एक बहुत ही पुरानी कहावत प्रचलित है। “उत्तम खेती मध्यम बान, निकृष्ठ चाकरी भीख निदान।” कहने का अर्थ यह है कि सबसे अच्छा कार्य या बेहतर पेशा तो खेती ही है और दूसरे दर्ज पर व्यापार है। नौकरी को तो कहा गया है कि वह तो निकृष्ठ है, जो भीख मांगने के समान है। लेकिन, 70 वर्षों में विदेशों की नकल करके हमारे कर्णधारों ने देश की स्थिति को बदल दिया है। अब तो निकृष्ठ नौकरी को ही सबसे बढ़िया पेशा माना जा रहा है, और उसके ही बाद व्यापार भी है। सबसे निकृष्ठ आज अन्नदाताओं का कार्य कृषि बन गया है। यह स्थिति जो सत्तर सालों में उल्टी हो गयी है उसको वापस पटरी पर लाने के लिए ही “आत्मनिर्भर भारत योजना” के तहत प्रधानमंत्री मोदी जी ने किसानों, पशुपालकों और मछली पालकों के लिए एक लाख करोड़ रूपये का पैकेज कल घोषित किया। वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सितामरण जी ने अपने प्रेस कांफ्रेस में कल इसकी विस्...
लॉकडाउन में शिक्षा: अवसर और चुनौतियां

लॉकडाउन में शिक्षा: अवसर और चुनौतियां

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मार्च के दूसरे सप्ताह में, देश भर की राज्य सरकारों ने कोरोनवायरस के प्रसार को रोकने के लिए एक उपाय के रूप में स्कूलों और कॉलेजों को अस्थायी रूप से बंद करना शुरू कर दिया था। आज दो महीने के बाद भी कोई निश्चितता नहीं है कि स्कूल फिर से कब खुलेंगे। स्पष्ट है कि वर्तमान शैक्षिक सत्र पारंपरिक रूप से स्थापित मानदंडों के आधार पर पूरा नहीं किया जा सकता है तब नीति नियंताओं ने इसके दूरगामी असर का अनुमान लगा लिया था और वैकल्पिक मॉडल पर काफी पहले कार्य करना प्रारंभ कर दिया था। आज अध्ययन एवं अध्यापन के डिजिटल स्वरूप को मान्यता प्रदान की गई है। कक्षा में आमने-सामने के संप्रेषण का स्थान इंटरनेट, मोबाइल, लैपटॉप आदि पर आभासी कक्षाओं ने ले ली है। जूम, सिसको वेब एक्स, गूगल क्लासरूम, टीसीएस आयन डिजिटल क्लासरूम आदि ने लोकप्रियता के आधार पर शिक्षा जगत में अपना-अपना स्थान बनाना प्रारंभ कर दिया है। शिक्षा क्षेत...
सनातनी, सेवाभावी व कर्मयोगी  डॉ मदन मोहन अग्रवाल

सनातनी, सेवाभावी व कर्मयोगी डॉ मदन मोहन अग्रवाल

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स्वर्गीय डॉ मदन मोहन जी : जीवन वृत सनातनी, सेवाभावी व कर्मयोगी डॉ मदन मोहन अग्रवाल एक समाजसेवी, व्यवसायी व गृहस्थ के रूप में  एक क्षेत्रीय बैंक के लिपिक बाबू धनप्रकाश गुप्ता और उनकी पत्नी द्रौपदी देवी के घर पर बिजनौर जिले के धामपुर कस्बे के आवास में 13 अगस्त 1938 को  पुत्र 'मदन’ का जन्म हुआ तो मानो समय ही बदल गया। भाग्य लक्ष्मी ने घर में डेरा डाल दिया। पिता धन प्रकाश कुछ ही दिनों में बैंक के प्रबंधक बन गए और गरीबी में जी रहे परिवार के तो जैसे दिलद्दर ही दूर हो गए। एक ओर जहां धन प्रकाश के घर खुशियों की बरसात होने लगी वहीं कुल 6 बहन (मिथलेश, राजेश्वरी, लक्ष्मी, सुमन, नीरजा, साधना) व एक भाई (रामअवतार) के आगमन के साथ ही अगले कुछ वर्षों में 'मदन’ एक बड़े किंतु प्रतिष्ठित परिवार के लाडले व केंद्र बिंदु बनते गए। धामपुर के प्रसिद्ध कॉलेज एस एन इन्टर कॉलेज से 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद...
कब तक रहेगा वर्क फ्रॉम होम

कब तक रहेगा वर्क फ्रॉम होम

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अब यह कमोबेश सबको समझ आ गया होगा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के साथ हमें रहना सीखना ही होगा। इस बात को इस तरह से भी समझा जा सकता है कि जब तक इस भयानक महामारी की कोई वैक्सीन ईजाद नहीं होती तब तक तो बचाव के अलावा कोई दूसरा कोई रास्ता नहीं है। इसलिए जरूरी है कि फैक्ट्रियां, दफ्तर आदि भी खुलें । देश में विगत मार्च महीने के तीसरे हफ्ते से ही लॉकडाउन के हालात बने हुए हैं। ये अनिश्चितकाल के लिए तो नहीं रहेंगे। केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग और लघु उद्योग मंत्री नितिन गडकरी ने भी तो अब यह कहा कि सरकार सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए सार्वजनिक परिवहनों के संचालन के लिए दिशा-निर्देश तैयार कर रही है। उन्होंने कहा, 'पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी जल्द ही शुरू हो सकता है।' गडकरी जी ने जो कहा उसके संकेतों से साफ है कि सरकार अब जिंदगी दुबारा से पहले की तरह बहाल करने की तरफ बढ़ रही है। वह ऑरेंज और ग्रीन जोनों...
क्या शराब और तम्बाकू से कोरोना वायरस रोकथाम खतरे में पड़ जायेगी?

क्या शराब और तम्बाकू से कोरोना वायरस रोकथाम खतरे में पड़ जायेगी?

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विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, तम्बाकू और शराब दोनों से कोरोना वायरस रोग होने पर गंभीर परिणाम होने का खतरा बढ़ता है और मृत्यु तक हो सकती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, तम्बाकू और शराब दोनों के सेवन की, कोई भी सुरक्षित सीमा नहीं है – यानि कि, हर रूप में और हर मात्रा में, यह हानिकारक हैं. जब देश कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहा था और तालाबंदी हो गयी थी, तब शराब कंपनियां सरकार पर यह दबाव बनाने का प्रयास कर रही थीं कि शराब को ‘अति-आवश्यक श्रेणी’ में लाया जाए क्योंकि खाद्य सामग्री की तरह शराब ही अति-आवश्यक है. कोरोना वायरस महामारी में शायद पृथ्वी पर हर इंसान को यह समझ में आ गया है कि भोजन कितना आवश्यक है परन्तु शराब और तम्बाकू, न केवल, गैर ज़रूरी हैं बल्कि कोरोना वायरस रोग का खतरा भी बढ़ाते हैं. शराब और कोरोना वायरस रोग विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कोरोना वायरस महामारी के दौरान शर...
तबलीगी जमात की कालिमा को धोने के उपक्रम

तबलीगी जमात की कालिमा को धोने के उपक्रम

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कोरोना कहर से समूचा भारत संकट में है और इस संकट को तबलीगी जमात ने बढ़ा दिया, इसकी गलती से कोरोना संक्रमण पीड़ितों व मौतों की संख्या बढ़ी है। जमात के अमीर मौलाना साद की इस अक्षम्य गलती से न केवल संपूर्ण भारतीय मुस्लिम समाज को गंभीर संकट में डाला बल्कि साम्प्रदायिक सौहार्द एवं आपसी सद्भावना की भारतीय सांझा-संस्कृति को भी धुंधलाया। जबकि देश का एक बड़ा मुस्लिम समुदाय इस संकट की घड़ी में देश के साथ खड़ा है, अपने-अपने स्तर पर सेवा, सहयोग एवं सहायता के उपक्रम कर रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने भी हाल ही में स्वीकार किया है कि मुस्लिम समाज में एक वर्ग ऐसा भी है जो सरकार के निर्देशों का पालन कर रहा है, जमात के लोगों की खोज करने में प्रशासन की मदद कर रहा हैं। उन्होंने मुस्लिम समाज में तबलीगी जमात के सदस्यों का विरोध होने की भी सराहना की। भारत का एक बड़ा मुस्लिम वर्ग कोरोना...
प्रकृति से लड़े तो बेमौत मारे जाओगे

प्रकृति से लड़े तो बेमौत मारे जाओगे

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आज पूरे विश्वभर में, घर-घर में, गली में, गाँव में, शहरों में चर्चा का विषय तो एक ही है कि कोरोना जैसी महामारी से निपटा कैसे जाये, कोरोना वायरस, यानि कोविड-19, एक इतना छोटा सा जन्तु जो नंगी आंखों से तो छोड़ दीजिए, सामान्य माइक्रोस्कोप से भी दिख नहीं सकता। इसको देखने के लिए भी इलेक्ट्रोन माइक्रोस्कोप की जरूरत होती है। अब इस छोटे से पिद्दीनुमा वायरस ने पूरे विश्व को तबाह करके रख दिया है। किसी भी मनुष्य के ही नहीं समस्त जीव-जन्तु के शरीर में हजारों लाखों की संख्या में बैक्टीरियानुमा जीव-जन्तु हमेशा विद्यमान ही रहते हैं । इन्हीं कारणों से समस्त प्राणियों में जीवन की प्रक्रिया सुचारू रूप से चलती रहती है। इनमें कुछ ऐसे अर्ध विकसित जीव होते हैं, जिन्हें वायरस कहते हैं जो हानिकारक प्रभाव पैदा करते हैं। इन हानिकर प्रभावों को रोकने के लिए और ऐसे वायरस को शरीर से खत्म करने के लिए चिकित्सा विज्ञान ने बह...
बिना तेल के खाने से मोटापा हमेशा रहेगा दूर

बिना तेल के खाने से मोटापा हमेशा रहेगा दूर

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  हार्ट अटैक मुख्य रूप से धमनियों में वसा के जमने के कारण होता है, जो न सिर्फ खून के प्रवाह को रोकता है, बल्कि मांसपेशियों को भी कमजोर कर देता है। कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर दो महत्वपूर्ण कारक हैं, जो धमनियों को ब्लॉक करके खून के प्रवाह में रुकावट का काम करते हैं। इससे हार्ट अटैक की स्थिति बनती है। इन दोनों कारकों को एक प्रकार से माफिया कहा जा सकता है क्योंकि विश्वस्तर पर हर साल हार्ट अटैक से करोड़ों लोगों की मौत हो जाती है। बावजूद इसके, कई हृदय रोग विशेषज्ञ कोलेस्ट्रॉल स्तर 180 एमजी/1 से अधिक और ट्राइग्लिसराइड्स स्तर 160एमजी/डी1 से अधिक की अनुमति देते हैं। मोटापा और हृदय रोगों में संबंध सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि मोटापा किस प्रकार हृदय रोगों को बढ़ावा देता है। शरीर कैलोरी की मदद से ऊर्जा उत्पन्न करता है। हम जो कुछ भी खाते हैं वह ग्लूकोस के रूप में मांसपेशियों तक प...
भारत बनेगा कोरोना मुक्ति की प्रयोगभूमि

भारत बनेगा कोरोना मुक्ति की प्रयोगभूमि

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कोरोना वायरस अब तक के मानव इतिहास का सबसे बड़ा संकट है, क्योंकि जब भी कोई प्राकृतिक संकट आया, विश्वयुद्ध की स्थितियां बनी या किसी महामारी ने घेरा तो कुछ देशों अथवा राज्यों तक ही वह सीमित रहा लेकिन इस बार का संकट ऐसा है, जिसने समूचे विश्व एवं पूरी मानव जाति को संकट में डाल दिया है। इस महासंकट के निजात पाने में दुनिया की बड़ी-बड़ी शक्तियां धराशायी हो गई या स्वयं को निरुपाय महसूस कर रही है, ऐसे समय में दुनिया की नजरे भारत की ओर लगी है। क्योंकि भारत की जनता एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी सुनियोजित तैयारियों, संकल्प एवं संयम के जरिये कोरोना को दूसरे चरण में बांध रखा है। दुनिया भारत की ओर आशाभरी निगाहों से देख रही है। भारत में इस महामारी से लड़ने की तैयारी एवं जिजीविषा की दुनिया ने प्रशंसा की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी स्वीकार किया है कि जनसंख्या के लिहाज से दुनिया के दूसरे सबसे बड़े देश भ...
लाॅकडाउन में एकांकी वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल

लाॅकडाउन में एकांकी वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल

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कोरोना महामारी की गति अनियंत्रित तरीके से लगातार उफान पर है। सारे संसार में कोरोना पीड़ितों की संख्या 10 लाख के आंकड़े तक पहुँचने जा रही है। मृतकों की संख्या भी 50 हजार के निकट पहुँच रही है। सारा विश्व जानता है कि अमेरिका और इटली इस महामारी का सबसे अधिक शिकार हुए हैं। इटली में 23 प्रतिशत जनसंख्या वरिष्ठ नागरिकांे की है और अमेरिका में वरिष्ठ नागरिकों की संख्या केवल 13 प्रतिशत है। जबकि भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार वरिष्ठ नागरिकों की जनसंख्या 8.6 0प्रतिशत है। शहरों में वरिष्ठ नागरिकों को अक्सर अनेकों प्रकार के रोगों का सामना करना पड़ता है। कोरोना से उत्पन्न परिस्थितियों ने अनेकों देशों को लाॅकडाउन के लिए मजबूर कर दिया। कोरोना रोग की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए यह कदम आवश्यक भी हो गया। इस लाॅकडाउन व्यवस्था के परिणामस्वरूप आज देश का हर नागरिक केवल अपने घर में पारिवारिक सदस्यों के बीच बंधकर रह ग...