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Weak Monsoon Concern for Farmers

Weak Monsoon Concern for Farmers

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The prediction of ‘near normal’ South West monsoon this year by the Indian Meteorological Department notwithstanding, there is fear of a ‘weak monsoon’ raising concern for farm sector in the country. The Met Department has said that the possibility of rainfall being ‘excessive’ or ‘above normal’ is very low. Overall, the IMD says that the monsoon will be 96% which is near normal spread over four months beginning June next. What makes the farmers worry is weak rainfall in the first two months of June and July which is the sowing time for khariff crop particularly paddy. In rice growing States sowing of paddy begins in May end- June in upland that is commonly known as ‘taand’ in local parlance in rural areas. Once the paddy is strewn in the field, farmers look at sky for the rain bearing cl...
देश-द्रोहियों के मताधिकार?

देश-द्रोहियों के मताधिकार?

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चुनाव नजदीक आते ही विविध राजनैतिक दलों व नेताओं में वाकयुद्ध प्रारम्भ हो जाता है। एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हुए अनेक बार, शब्दों की सीमाएं, न सिर्फ संसदीय मर्यादाएं बल्कि, सामान्य आचार संहिता का भी उल्लंघन कर जाती हैं। राजनैतिक दलों के सिद्धांतों, कार्यों व कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाना तथा एक दूसरे की कमियों को उजागर करते हुए स्वयं को सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने की चेष्टा तो ठीक है किंतु उनकी शब्द रचना भारतीय संस्कृति, संवैधानिक व्यवस्थाओं व लोकाचार के भी परे, जब भारत की एकता व अखंडता के साथ उसकी संप्रभुता पर भी हमला करने लग जाए तो पीडा का असहनीय होना स्वाभाविक ही है। यूँ तो कश्मीर से सम्बंधित अलगाववादी संवैधानिक धारा 370 व 35 A को हटाने की मांग दशकों पुरानी हैं तथा वर्तमान सत्ताधारी दल इनको हटाने के लिए प्रारम्भ से ही कृत संकल्पित है. इस सम्बंध में एक याचिका भी माननीय सर्वोच्च न्याय...
मृत्यु की मुस्कान से मोक्ष की अनूठी यात्रा

मृत्यु की मुस्कान से मोक्ष की अनूठी यात्रा

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भारत का इतिहास संत और मुनियों की गौरवमयी गाथाओं से भरा है। इस देश की धरती पर अनेक तीर्थंकर, अवतार, महापुरुष एवं संतपुरुष अवतरित हुए जिन्होंने अपने व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व से समाज व राष्ट्र को सही दिशा और प्रेरणा दी। महापुरुषों की इस अविच्छिन्न परम्परा में शासन गौरव मुनिश्री ताराचंदजी भी एक ऐसे ही क्रांतिकारी संत हैं, जिन्होंने राजस्थान के सरदारशहर कस्बे में आचार्य श्री महाश्रमणजी के आदेशानुसार 22 मार्च 2019 को संलेखना साधना प्रारंभ की और 7 अप्रैल 2019 को सोलह की तपस्या में स्व इच्छा से ही प्रेरित होकर आजीवन तिविहार अनशन (संथारा) को स्वीकार किया है। जैन धर्म में संथारा अर्थात संलेखना- ’संन्यास मरण’ या ’वीर मरण’ कहलाता है। यह आत्महत्या नहीं है और यह किसी प्रकार का अपराध भी नहीं है बल्कि यह आत्मशुद्धि का एक धार्मिक कृत्य एवं आत्म समाधि की मिसाल है और मृत्यु को महोत्सव बनाने का अद्भुत एवं विलक...
वन्य जीव संरक्षण में गैर-संरक्षित क्षेत्र भी हो सकते हैं मददगार

वन्य जीव संरक्षण में गैर-संरक्षित क्षेत्र भी हो सकते हैं मददगार

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भारत में वन्य जीवों का संरक्षण और प्रबंधन मुख्य रूप से राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों में केंद्रित है। हालांकि, कई गैर-संरक्षित क्षेत्र भी वन्य जीवों के संरक्षण में उपयोगी हो सकते हैं। एक ताजा अध्ययन में संरक्षित वन्य जीव क्षेत्रों के बाहर तेंदुए, भेड़िये और लकड़बग्घे जैसे जीवों में स्थानीय लोगों के साथ सह-अस्तित्व की संभावना को देखकर भारतीय शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं। इस अध्ययन में महाराष्ट्र के 89 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली अर्द्धशुष्क भूमियों, कृषि क्षेत्रों और संरक्षित क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया गया है। वन विभाग के कर्मचारियों के साक्षात्कार और सांख्यकीय विश्लेषण के आधार पर भेड़ियों, तेंदुओं और लकड़बग्घों के वितरण का आकलन किया गया है। इस भूक्षेत्र के 57 प्रतिशत हिस्से में तेंदुए, 64 प्रतिशत में भेड़िये और 75 प्रतिशत में लकड़बग्घे फैले हुए हैं। जबकि, अध्ययन क...
A cultural evening for journalists

A cultural evening for journalists

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New Delhi: Vaishali Kala Kendra, Noida, in association with the Delhi Journalists Association, organized Guru Pranam Utsav 2019, at Stein Auditorium, India Habitat Centre on April 12. The two-day festival of Odissi dance and music witnessed many dignitaries from the field of arts and culture. They included Shri Sandeep Marwah, head of Marwah Studio, Noida, Chief New Coordinator of ‘Organiser Weekly’ and general secretary of Delhi Journalists Association Dr Pramod Kumar, editor of ‘Dialogue India’ Shri Anuj Agrawal, eminent Guru Bankim Sethi and Shri Sunil Kothari. Senior journalist from ‘All India Radio’ and Executive Member of DJA Shri Umesh Chaturvedi and senior journalist from ‘Rajya Sabha TV’ and Executive Member of DJA Shri Sagheer Ahmad along with more than 300 people from differ...
Break Up India Gang Targets IIT Kanpur

Break Up India Gang Targets IIT Kanpur

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Proven Plagiarism in PhD Thesis Counter Blasted by Fake Charges of Caste Discrimination by Madhu Purnima Kishwar India takes pride in its IITs as globally celebrated centres of excellence. Indian taxpayers money goes into funding these institutes to compete with the best in the world. When media (Wire.in: https://thewire.in/caste/400-academics-condemn-caste-discrimination-institutional-harassment-in-iit-kanpur; Countercurrents: https://countercurrents.org/2019/04/05/caste-discrimination-at-iit-kanpur/) reported that 400 scholars, academics and activists from 16 countries, representing a comic mix of institutions and freelancers have endorsed a statement of solidarity against the “caste-based discrimination and institutional harassment” of a Dalit academic from IIT-Kanpur, Dr. Subram...
चुनावी लोकतंत्र : बस, पांच कदम चलना होगा..

चुनावी लोकतंत्र : बस, पांच कदम चलना होगा..

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पार्टिंयां चुनावों की तैयारी करती हैं. पार्टियां ही उम्मीदवार तय करती हैं. पांच साल वे क्या करेंगी; इसका घोषणापत्र भी पार्टियां ही बनाती हैं. चुनाव किन मुद्दों पर लड़ा जायेगा; मीडिया के साथ मिलकर ये भी पार्टियां ही तय कर रही हैं. मतदान की मशीन पर चुनने के लिए छपे हुए निशान भी  पार्टियों के ही होते हैं. मतदाता भी अपना मत, उम्मीदवार से ज्यादा, पार्टियों को ध्यान में रखकर ही देता है. यह लोकसभा के लिए लोक-प्रतिनिधि चुनने का चुनाव है कि पार्टिंयां चुनने का ? लोगों  को अपना प्रतिनिधि चुनना है. क्या चुनाव से पूर्व कभी लोगों से पूछा जाता है, हां भई, आप बताइए कि किस-किस को उम्मीदवार बनाया जाए ? सोचिए. स्वयं से पूछिए कि इस चुनाव में चुनाव आयोग है, मतदाता है, मतदान की मशीन है; किंतु इसमें लोक कहां है ? लोक-प्रतिनिधियों का चुनाव है, तो उम्मीदवार, चुनावी प्रक्रिया, और तौर-तरीके से लेकर चुनावी एजेण...
कलात्मक मृत्यु का इतिहास रचने वाला साधक

कलात्मक मृत्यु का इतिहास रचने वाला साधक

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जैन धर्म के छोटे-से आम्नाय तेरापंथ धर्मसंघ के सुश्रावक श्री विष्णुभगवान जैन का इनदिनों अलखपुरा तहसील तोशाम जिला भिवानी (हरियाणा) में संथारा यानी समाधिमरण का आध्यात्मिक अनुष्ठान असंख्य लोगों के लिये कोतुहल का विषय बना हुआ है। दिनांक 9 नवम्बर, 2018 भैयादूज के प्रारंभ यह सर्वाधिक लम्बा संथारा आज 146 वें दिवस पर भी अनवरत जारी है। मृत्यु के इस महामहोत्सव के साक्षात्कार के लिये असंख्य श्रद्धालुजन देश के विभिन्न भागों से दर्शनार्थ पहुंच कर अमरत्व की इस अनूठी एवं विलक्षण यात्रा से लाभान्वित हो रहे हैं। यह संथारा इसलिये भी अनूठा एवं आश्चर्यकारी है क्योंकि एक कृषिजीवी जाट परिवार में जन्मे एवं सनातन धर्म के संस्कारों में पले एवं बाद में जैन बने श्री विष्णु भगवान आज के इस भौतिकवादी एवं सुविधावादी युग में सुख-सुविधा, मोहमाया के त्याग का इतिहास रच रहे हैं। जैसाकि सर्वविदित है कि जैन धर्म में अनगिनत सदि...
घोषणापत्रों में कहीं फिर छूट ना जाये पर्यावरण के सवाल

घोषणापत्रों में कहीं फिर छूट ना जाये पर्यावरण के सवाल

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देश में लोकसभा चुनाव अगले माह ही शुरू होने जा रहे हैं। चुनाव का माहौल अब गरम होता ही जा रहा है। होली के बाद चुनावी रैलियों से लेकर नुक्कड़ सभाओं के दौर भी शुरू हो जाएंगे। इसी के साथ ही सभी दल अपने-अपने मेनिफेस्टो या संकल्प पत्रों को भी जारी करने लगेंगे। उनमें वर्णित तमाम बिन्दुओं पर चर्चा भी होगी, वादे और संकल्प भी दुहराये जाएंगे। लेकिन, अब पर्यावरण से जुड़े सवालों पर भी एक बार फिर से फोकस करने का समय आ गया है। सभी दलों को अपने-अपने घोषणापत्रों में देश को यह तो बताना ही होगा कि उनकी पर्यावरण से जुड़े सवालों पर किस तरह की सोच है। अभी भारत में यूरोपीय देशों की तर्ज पर ग्रीन पार्टी बनाने के संबंध में अब कौन सोचेगा? पर अगर कोई पार्टी सिर्फ पर्यावरण से जुड़े सवालों को लेकर चुनाव मैदान में भी उतरे तो भी उसका स्वागत ही होना चाहिए। यही तो भविष्य के लिए, आने वाली पीढिय़ों के हित में की जाने वाली सा...
बढ़ती नफरत का त्रासद दौर

बढ़ती नफरत का त्रासद दौर

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  न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में हुई त्रासद एवं अमानवीय हिंसक घटना आतंकवाद का एक नया संस्करण है। इस आतंकी वारदात ने यह बता दिया है कि जब तक नफरत, संकीर्णता और उन्माद इस दुनिया में सक्रिय है। कोई भी पूरी तरह से सुरक्षित एवं संरक्षित नहीं है। हालही में अल नूर मस्जिद और लिनवुड मस्जिद में नमाज पढऩे गए लोगों पर हथियारबंद हमलावरों ने अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें 50 के आसपास लोग मारे गए और कई घायल हो गए। इस तरह की आतंकी वारदात सिर्फ हमारे भरोसे को ही नहीं हिलाती, बल्कि उन सारी सच्चाइयों को हमारे सामने ला खड़ी करती है, जिनसे चाहे-अनचाहे हम मुंह चुराते रहे हैं। इस प्रकार की यह आतंकी हिंसा एवं विस्फोटों की शृंखला, अमानवीय कृत्य अनेक सवाल पैदा कर रहे हैं। कुछ सवाल लाशों के साथ सो गये। कुछ घायलों के साथ घायल हुए पड़े हैं। कुछ समय को मालूम है, जो भविष्य में उद्घाटित होंगे। इसके पीछे जिस तरह की ...