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गुड़ी पड़वा या नववर्ष क्या है?

गुड़ी पड़वा या नववर्ष क्या है?

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गुड़ी पड़वा-नवसंवत्सर-नववर्ष-वर्ष प्रतिपदा चैत्र मास की  शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा या नववर्ष का आरम्भ माना गया है। ‘गुड़ी’ का अर्थ होता है विजय पताका । ऐसा माना गया है कि शालिवाहन नामक कुम्हार के पुत्र ने मिट्टी के सैनिकों का निर्माण किया और उनकी एक सेना बनाकर उस पर पानी छिड़ककर उनमें प्राण फूँक दिये। उसमें सेना की सहायता से शक्तिषाली शत्रुओं को पराजित किया। इसी विजय के उपलक्ष्य में प्रतीक रूप में ‘‘षालिवाहन शक’ का प्रारम्भ हुआ। पूरे महाराष्ट्र में बड़े ही उत्साह से गुड़ी पड़वा के रूप में यह पर्व मनाया जाता है। कष्मीरी हिन्दुओं द्वारा नववर्ष के रूप में एक महत्वपूर्ण उत्सव की तरह इसे मनाया जाता है। इसे हिन्दू नव संवत्सर या नव संवत् भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन सृष्टि की रचना प्रारम्भ की थी। इसी दिन से विक्रम संवत् के नये साल का आरम्भ भी होता है। सिंधी नववर्ष चेटी...
विक्रम संवत् में शामिल है जीवन की वैज्ञानिकता का सार!

विक्रम संवत् में शामिल है जीवन की वैज्ञानिकता का सार!

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विज्ञानसम्मत हैं हिंदू पर्व और मान्यताऐं भारत एक ऐसा देश है जहां, लगभग हर दिन और हर वार कोई न कोई उत्सव मनाया जाता है। यहां का हर दिन किसी न किसी धार्मिक मान्यता से जुड़ा होता है। यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि, हिंदू धर्म से जुड़े सभी पर्व और इन पर्वों से जुड़ी विभिन्न मान्यताओं का वैज्ञानिक आधार है। हिंदू पंचांग के नववर्ष में जब हम विभिन्न पहलूओं पर चर्चा कर रहे हों, तब इन मान्यताओं की वैज्ञानिकता और भी प्रासंगिक हो जाती है। हिंदू मान्यताओं और पर्वों का विज्ञानसम्मत होने का एक कारण यह भी है कि, सभी पर्व लगभग 57 ई.पू. प्रवर्तित किए गए, विक्रम संवत् के आधार पर मनाए जाते हैं। यह संवत् प्रकृति आधारित है। विद्वानों का मानना है कि इस संवत् की मान्यताओं में विज्ञान की बातें शामिल हैं। हिंदू पंचांग जिसे विक्रम संवत् के नाम से जाना जाता है। उसका प्रत्येक माह चंद्रमा की कलाओं पर आधारित होता है। ...
क्या गंगा को सिर्फ चुनावी वाहन मानने वालों को अपना प्रतिनिधि चुनें?

क्या गंगा को सिर्फ चुनावी वाहन मानने वालों को अपना प्रतिनिधि चुनें?

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2014 के लोकसभा चुनाव को याद कीजिए। ’’मैं आया नहीं हूं। मां गंगा ने बुलाया है।’’ मोदी जी का यह वाक्य याद कीजिए। कहना न होगा कि गंगा के सहारे चुनावी नौका पार करना, 2014 के प्रधानमंत्री पद के दावेदार श्री मोदी का एजेण्डा था। 2019 में अब यह राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की अपील करने वाली प्रियंका गांधी का एजेण्डा है। प्रियंका ने लोगों को लिखे खुले खत में कहा है, ’’गंगाजी उत्तर प्रदेश का सहारा है और मैं भी गंगा जी के सहारे हूं।’’ मोदी जी ने पांच साल तक गंगा के हितों की जमकर अनदेखी की। गंगा की अविरलता-निर्मलता के अनशन करते हुए स्वामी सानंद की मौत हो गई। कुछ पता नहीं कि संत गोपालदास कहां और कैसे लापता हो गए ? स्वामी आत्मबोधानन्द, आज भी संघर्ष कर रहे हैं। मातृ सदन के स्वामी शिवानंद सरस्वती जी अपेक्षा कर रहे हैं कि गंगा संबंधी मांगों पर निर्णस करे। निर्णय करना तो दूर, मोदी जी ने इनसे बात करना ...
नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज को

नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज को

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पाठकों को याद होगा कि जब चंद्रशेखर जी प्रधानमंत्री थे, तो हमारे देश का सोना इंग्लैंड के पास गिरवी रखकर, तेल और गैस के बिल का भुगतान किया गया था। दूसरे शब्दों में यह कहा जाऐ कि विकासशील देशों की इकॉनोमी और महगाई दर पैट्रोल और गैस की इंटरनेशनल कीमतों से जुड़ी रहती है। उदाहरण के तौर पर हमारे देश का करीब आधा जीडीपी क्रूड आयल और गैस के आयात में चले जाता है। स्पष्ट शब्दों में कहा जाए, तो आयल और गैस के आयात के बदले में हर साल ‘मिडिल ईस्ट’ के देशों को करीब दस लाख करोड़ रूपये की भारी भरकम रकम भारत अदा करता है। पिछले पांच साल में मोदी सरकार ने करीब 50 लाख करोड़ रूपये इस मद में खर्च किये हैं। अब प्रश्न ये पैदा होता है कि क्या ये पैसा बचाया जा सकता था? क्या हमारे देश में तेल और गैस के भंडार पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं थे? तो इसका उत्तर है कि हमारे देश में तेल और गैस के भंडार पर्याप्त मात्रा से भी ज्...
लोकतंत्र की बंद गली का विचार मार्ग

लोकतंत्र की बंद गली का विचार मार्ग

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एक वकील के घर मिलन के अवसर पर लोकमान्य तिलक द्वारा गुलामी को राजनीतिक समस्या बताने की प्रतिक्रया में स्वामी विवेकानंद ने कहा था - ''परतंत्रता राजनीतिक समस्या नहीं है। यह भारतीयों के चारित्रिक पतन का परिणाम है।'' बापू को लिखी एक चिट्ठी के जरिए लाॅर्ड माउंटबेटन ने भी चेताया था - ''मिस्टर गांधी क्या आप समझते हैं कि आजादी मिल जाने के बाद भारत.. भारतीयों द्वारा चलाया जायेगा। नहीं ! बाद में भी दुनिया गोरों द्वारा ही चलाई जायेगी'' यही बात बहुत पहले अपनी आजादी के लिए अकबर की शंहशाही फौजों से नंगी तलवार लेकर जंग करने वाली चांदबीबी की शौर्यगाथा का गवाह बने अहमदनगर फोर्ट में कैद ब्रितानी हुकूमत के एक बंदी ने एक पुस्तक में लिखी थी। 'ग्लिम्सिस ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री' के जरिए पंडित जवाहरलाल नेहरु ने संयुक्त राज्य अमेरिका के आर्थिक साम्राज्यवाद का खुलासा करते हुए 1933 में लिखा था - ''सबसे नये किस्म का य...
Is News Thievery by Journalists Legitimate?

Is News Thievery by Journalists Legitimate?

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Whether one would like to admit it or not, in recent times, all over the world, most of the  people have developed suspicions and misgivings about the neutrality of the journalists and their commitment to fair journalism. There is rapidly spreading view that media is a commercial activity with profit motive and news and views are products for sale. It is clearly evident that media is steadily going under the control of business houses and politicians and religious bodies , who often  have vested interests or business motives or both. In USA, it is clearly evident that a section of the media has deep prejudice against President Trump , often using vituperative language to  criticise  him and publishing motivated stories. During the last Presidential election, several leading newspapers a...
सेवानिवृत्ति के बाद स्वैच्छिक समाजसेवा

सेवानिवृत्ति के बाद स्वैच्छिक समाजसेवा

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कनाडा में आयोजित एक अन्तर्राष्ट्रीय बैठक में भाग लेकर मैं भारत वापसी के लिए कनाडा के हवाई अड्डे पर प्रतीक्षा में बैठा था तो मैंने देखा कि लगभग 70-80 वर्ष की महिला यात्रियों को भिन्न-भिन्न प्रकार का मार्गदर्शन देने के लिए एक विनम्र सहायिका के रूप में व्यस्त थी। उनकी आयु का अनुमान लगाने के बाद मेरे मन में विचार आया कि ऐसी वृद्ध महिला किस प्रकार किसी सरकारी या निजी हवाई जहाज कम्पनी में सेवारत है। इस जिज्ञासावश मैंने उनसे वार्तालाप प्रारम्भ किया तो पता लगा कि उनकी आयु 75 वर्ष पार कर चुकी है और वह लगभग 15 वर्ष पूर्व हवाई अड्डे पर ही सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त हुई थी। सेवानिवृत्ति के बाद जो लोग घर पर बैठ जाते हैं वे अपने आपको वृद्ध समझने लगते हैं। विश्राम से भरे जीवन में स्वाभाविक रूप से वृद्धावस्था के रोग भी जल्दी प्रवेश कर जाते हैं। शरीर को एक अनुशासित दिनचर्या में लगाये रखकर वृद्धावस्था के र...
रोचक मोड़ पर जा पहुंचा है बिहार का चुनावी परिदृश्य

रोचक मोड़ पर जा पहुंचा है बिहार का चुनावी परिदृश्य

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पुलवामा में आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान में वायुसेना की साहसिक और सनसनीखेज कार्रवाई के बाद पूरे देश के साथ-साथ बिहार का भी चुनावी मन-मिजाज बदला-बदला सा है। नेता, नीति, एजेंडा, सियासी गठजोड़, जातीय व वर्गीय समीकरणों से अटे-गुंथे चुनावी महासमर में बिहार इन दिनों बेहद रोमांचक मोड़ पर खड़ा दिखाई देता है। आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर अभी हाल तक राजनीतिक पंडित जहां सत्तारूढ़ राजग और विपक्षी महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर का अनुमान जता रहे थे, वहीं फिलहाल पलड़ा एक तरफ कुछ झुकता हुआ दिखाई दे रहा है। चाहे व्यक्तित्व या छवि की बात हो या फिर चुनावी गठबंधन या फिर नीति या उपलब्धियों की, इन तमाम मोर्चों पर राजग को बढ़त मिली हुई है। हालांकि बिहार में जाति भी एक बड़ा फैक्टर है, जो दोनों खेमों को बढ़-चढ़कर दावे करने से रोक भी रही है। चुनाव कहीं न कहीं व्यक्तित्व और छवि की भी लड़ाई है। इस मामले में राजग...
Govt tells Supreme Court: Rafale files stolen from MoD

Govt tells Supreme Court: Rafale files stolen from MoD

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The government told the Supreme Court on Wednesday that documents related to the Rafale deal had been stolen from the ministry of defence and told that The Hindu newspaper with action under the Official Secrets Act for publishing articles based on them. The newspaper reacted saying that documents related to the Rafale deal were published in the public interest and nobody would get any information from The Hindu on the confidential sources who had provided them. Those who put documents on the Rafale deal in the public domain are guilty under the Official Secrets Act and had committed contempt of court, attorney-general K.K. Venugopal said before a three-judge bench headed by Chief Justice Ranjan Gogoi. An investigation into the theft is on, the attorney-general said on a day the newspape...
पौराणिक चतुरंगिणी एवं अक्षौहिणी सेना क्या थी ?

पौराणिक चतुरंगिणी एवं अक्षौहिणी सेना क्या थी ?

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    प्राचीन ग्रन्थों एवं पुराणों में पौराणिक चतुरंगिणी एवं अक्षौहिणी सेना का यत्र तत्र वर्णन प्राप्त होता है । श्रीमद्भागवत-महापुराण में प्रथम स्कंद के आठवें अध्याय में अक्षौहिणी सेना का उल्लेख किया गया है - आह राजा धर्मसुतश्चिन्तयन् सुहृदां वधम् । प्राकृतेनात्मना विप्राः स्नेहमोहवंश  गतः ।। अहो मे पश्यताज्ञानं ह्नदि रूढं़ दुरात्मनः । पारवयस्यैव देहस्य बहयों मेऽक्षैहिणीर्हताः ।। श्रीमद्भागवतमहापुराण  प्रथम स्कंन्ध अध्या.8-47-48 सूतजी शौनकादि ऋषियों से कहते है कि धर्मगुरू राजा युधिष्ठिर को अपने स्वजनों के वध से बहुत चिन्ता हुई । वे अविवेकयुक्त चित्त से स्नेह और मोह के वश में पड़कर कहने लगे - भला मुझ दुरात्मा के ह्नदय में बद्धमूल हुए इस अज्ञान को तो देखो मैंने सियार - कुत्तों के आहार इस अनात्मा शरीर के लिये अनेक अक्षौहिणी सेना का नाश कर डाला । पांडवों की सेना...