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रंगत खोते हमारे सामाजिक त्यौहार।

रंगत खोते हमारे सामाजिक त्यौहार।

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, संस्कृति और अध्यात्म, साहित्य संवाद
बाजारीकरण ने सारी व्यवस्थाएं बदल कर रख दी है। हमारे उत्सव-त्योहार भी इससे अछूते नहीं रहे। शायद इसीलिए प्रमुख त्योहार अपनी रंगत खोते जा रहे हैं और लगता है कि त्योहार सिर्फ औपचारिकताएं निभाने के लिए मनाये जाते हैं। किसी के पास फुरसत ही नहीं है कि इन प्रमुख त्योहारों के दिन लोगों के दुख दर्द पूछ सकें। सब धन कमाने की होड़ में लगे हैं। गंदी हो चली राजनीति ने भी त्योहारों का मजा किरकिरा कर दिया है। हम सैकड़ों साल गुलाम रहे। लेकिन हमारे बुजुर्गों ने इन त्योहारों की रंगत कभी फीकी नहीं पड़ने दी। आज इस अर्थ युग में सब कुछ बदल गया है। कहते थे कि त्योहार के दिन न कोई छोटा। और न कोई बड़ा। सब बराबर। लेकिन अब रंग प्रदर्शन भर रह गये हैं और मिलन मात्र औपचारिकता। हम त्योहार के दिन भी हम अपनो से, समाज से पूरी तरह नहीं जुड़ पाते। जिससे मिठाइयों का स्वाद कसैला हो गया है। बात तो हम पूरी धरा का अंधेरा दूर क...
नया उद्धयोग ऊर्जा भंडारण

नया उद्धयोग ऊर्जा भंडारण

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
बिजली के क्षेत्र में तीन तरह के कारोबार होते हैं: उत्पादन, पारेषण और वितरण। कीमतें भी तीन तरह की होती हैं: थोक मूल्य जो उत्पादक को प्राप्त होता है, पारेषण की कीमत और अंत में खुदरा कीमत। अब एक चौथा उद्योग उभर आया है और वह है: ऊर्जा भंडारण का कारोबार।भारत में जीवाश्म ईंधन से बिजली उत्पादन कम हो रहा है। वित्तीय व्यवस्था भी आमतौर पर जीवाश्म ईंधन आधारित संयंत्रों को रकम नहीं देंगी। उत्पादन क्षमता के मिश्रण में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ रही है। इसमें दिक्कत यह है कि नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन रुक-रुक कर होता है। शाम को सूरज नहीं चमकता और हवा भी कमजोर हो सकती है। ऐसे में ग्रिड को संतुलित करने की जरूरत है। उत्पादन को मांग के अनुरूप करने में मुश्किल आ सकती है।कई पारंपरिक विचारकों के अनुसार इस समस्या का हल यह है कि एक ऐसी उत्पादन इकाई कायम की जाए जो भंडारण और उत्पादन को एक साथ कर दे। य...
हिन्दू धर्म

हिन्दू धर्म

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इसका अर्थ है सनातन धर्म। यह सनातन तथा अमृत तत्त्व की उपासना है।(१) श्रेय-प्रेय मार्ग-एक सन्त इसी धर्म के नियमों के अनुसार सन्त बन कर उसका चोला डाले हैं पर सदा सनातन धर्म की संस्थाओं का व्यंग्य-विरोध करते रहते हैं। उनका कहना है कि यह सनातन है तो इस पर खतरा कैसे है? सदा अच्छी चीजों पर ही खतरा रहता है-घर की सफाई बार-बार करते हैं पुनः गन्दा हो जाता है। देव मात्र ३३ हैं, असुर ९९, प्रायः असुर जीत जाते हैं पर उनका मार्ग श्रेष्ठ नहीं है। वैवस्वत यम भारत का पश्चिम सीमा (अमरावती से ९० अंश पश्चिम संयमनी = यमन, सना) के राजा थे। उन्होंने कठोपनिषद् में नचिकेता से दोनों का विवेचन किया है-श्रेय (स्थायी या सनातन लाभ) तथा प्रेय (तात्कालिक लाभ या उसका लोभ)। श्रेय मार्ग पर चलनेवाले सनातनी हैं, उनको सम्मान के लिये श्री कहते हैं। जो हमें प्रेय दे सके वह पीर है या दक्षिण भारत में पेरिया। अन्य अर्थ हैं-(२) सनातन...
रख्यात लेखिका केरेन आर्मस्ट्रांग की पुस्तक है:” The Gospel according to Women “।

रख्यात लेखिका केरेन आर्मस्ट्रांग की पुस्तक है:” The Gospel according to Women “।

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
उसमें पृष्ठ 91 -99 में कुछ पादरियों द्वारा लिखी गई पुस्तकों की चर्चा है ।विशेषकर जैकब स्प्रेंगर नामक एक पादरी ने एक पुस्तिका लिखी : Malleus Maleficarum मेल्यूस मलीफीकेरम।जिसका हिंदी अनुवाद होगा "कुकर्मी डायनों की पिटाई ठुकाई के लिए हथोड़ा "। लेखिका केरेन आर्मस्ट्रांग ने कई पृष्ठों में उस पुस्तिका के सारांश दिए हैं। यह पुस्तक कोलॉन यूनिवर्सिटी द्वारा 16वीं शताब्दी ईस्वी में पाठ्यपुस्तक के रूप में पाठ्यक्रम का अंग थी ।इसके 11 संस्करण प्रकाशित हुए।इसके बाद से अनेक पादरियों ने डाइनो को ठिकाने लगाने की विधियों पर अनेक पुस्तक लिखी और परस्पर होड लग गई।स्प्रेंगर ने उक्त पुस्तिका में लिखा कि जो christian स्त्रियां पादरियों और चर्च की आज्ञाकारिणी नहीं होती , वे शैतान की सखी होती है। शैतान की सखी यह स्त्रियां पुरुषों पर सात प्रकार से आक्रमण करती हैं :पहले पुरुषों के मस्तिष्क में असाधारण काम वे...
नए वैश्विक आर्थिक अवसरों को भुनाना होगा

नए वैश्विक आर्थिक अवसरों को भुनाना होगा

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, विश्लेषण
आज जब दुनिया इजराइल-हमास युद्ध, बढ़ती तेल कीमतों और गिरती वैश्विक विकास दर की चुनौतियों का सामना कर रही है, तब विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षणों और रिपोर्टों में भारत की आर्थिकी की आशावादी तस्वीर उभरकर आना सुकूनदेह लगता है। हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने देश के उपभोक्ताओं और कारोबारों के बारे में जो सर्वेक्षण प्रकाशित किया है, उसके निष्कर्षों में कारोबारी और वित्तीय विचार भारत में व्यापक तौर पर आर्थिक विस्तार को लेकर आशाजनक रुख दिखाते हैं। इस सर्वेक्षण में कहा गया है कि देश में खुदरा महंगाई में कमी आ रही है, औद्योगिक उत्पादन बढ़ रहा है, बेरोजगारी में कमी आई है, कर राजस्व में सुधार हुआ है। जहां रोजगार की स्थिति में सुधार हुआ है, वहीं स्वरोजगार को अपनाने वालों की तादाद तेजी से बढ़ी है। बैंक ऋण में अच्छी वृद्धि के मद्देनजर सबसे अधिक वृद्धि खुदरा और व्यक्तिगत ऋण में हुई है।...
सोशल मीडिया के ये स्याह पहलु

सोशल मीडिया के ये स्याह पहलु

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
सोशल मीडिया के नशे को नियंत्रित करने व बड़ी तकनीकी कंपनियों को जवाबदेह बनाने की मांग भारत समेत पूरी दुनिया में उठ रही है। मानसिक स्वास्थ्य को लेकर विश्व्व्यापी चिंताये आकार लेने लगी हैं। भारत में भी सोशल मीडिया के नशे के युवाओं के सिर चढ़कर बोलने पर गाहे-बगाहे चिंता जतायी जाती है। इसकी वजह से जहां एक ओर उनकी एकाग्रता भंग होती है, वहीं मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी चिंताएं भी परेशान करने वाली हैं। देश में कई ऐसे मामले खबरों की सुर्खियां बने हैं, जब इस लत से रोकने वाले अभिभावकों पर किशोरों द्वारा प्राणघातक हमले किये गये। अब सोशल मीडिया के स्रोत संयुक्त राज्य अमेरिका के दर्जनों राज्यों ने युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को कथित रूप से नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाकर फेसबुक व इंस्टाग्राम की स्वामित्व वाली कंपनी मेटा पर मुकदमें दर्ज कराये हैं। शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि एक नशे की लत के रूप ...
<strong>बन्दूक-संस्कृति से दागदार होती अमेरिकी छवि</strong>

बन्दूक-संस्कृति से दागदार होती अमेरिकी छवि

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-ः ललित गर्ग - दुनिया में स्वयं को सभ्य एवं स्वयंभू मानने वाले अमरीका में बढ़ रही ‘बंदूक संस्कृति’ के साथ-साथ लोगों में बढ़ रही असहिष्णुता, हिंसक मनोवृत्ति और आसानी से हथियारों की सहज उपलब्धता का दुष्परिणाम बार-बार होने वाली दुखद घटनाओं के रूप में सामने आना चिन्ताजनक है। अमेरिका में एक हत्यारे ने गोलियां बरसाकर करीब 21 लोगों को मौत की नींद सुला दिया और कई को जख्मी कर दिया है। तीन स्थानों पर गोलीबारी करने के बाद हत्यारा घटनास्थल से भागने में सफल हुआ है। आश्चर्यकारी है कि दुनिया की सबसे दुरस्त एवं सक्षम अमेरिकी पुलिस एक हत्यारे को पकड़ने में इतनी लाचार हो गई कि उसे सहयोग के लिए आम लोगों से अपील करनी पड़ी। हिंसा की बोली बोलने वाला, हिंसा की जमीन में खाद एवं पानी देने वाला, दुनिया में हथियारों की आंधी लाने वाला अमेरिका अब खुद हिंसा का शिकार हो रहा है। अमेरिका की आधुनिक सभ्यता की सबसे बड़ी ...
महाराजा हरिसिंह जी के साथ न्याय नहीं किया गया?

महाराजा हरिसिंह जी के साथ न्याय नहीं किया गया?

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26 अक्तूबर, 1947 का दिन भारत वर्ष के लिए ऐतिहासिक महत्त्व रखता है। इसी दिन जम्मू-कश्मीर रियासत के महाराजा हरिसिंह ने आपातकालीन परिस्थितियों में अधिमिलन-पत्र यानी ''इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन'' पर हस्ताक्षर किए थे। यह सर्वविदित है कि 22 अक्तूबर 1947 को कबायलियों के वेश में पाकिस्तानी हथियारबंद सेना कश्मीर में दाख़िल हुई और सीमावर्त्ती प्रजा के साथ लूट-मार, महिलाओं के साथ दुराचार जैसी बर्बरता करती हुई बड़ी तेज़ी से श्रीनगर की ओर बढ़ने लगी। इन परिस्थितियों में महाराजा के पास अविलंब विलय के अलावा अन्य कोई विकल्प बचा ही नहीं था। ध्यातव्य हो कि जब महाराजा हरिसिंह ने अधिमिलन-पत्र पर हस्ताक्षर किए, उन्होंने अपनी ओर से विलय के लिए कोई शर्त्त नहीं रखी थी। न ही उन्होंने बाद में भारत सरकार पर किसी प्रकार का दबाव बनाया था। उन्होंने विलय-पत्र पर हस्ताक्षर करने में जो समय लिया उसके पीछे भी स्थानीय कारण...
भारतीय सनातन संस्कृति का विस्तार भारतीय समाज ही कर सकता है

भारतीय सनातन संस्कृति का विस्तार भारतीय समाज ही कर सकता है

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ललित गर्ग - हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2023 के मुताबिक, अरबपति उद्यमियों की संख्या देश में बढ़कर 1319 हो गई है। लेकिन बड़ी बात यह कि पिछले पांच साल में एक हजार करोड़ से अधिक की संपत्ति वाले लोगों का आंकड़ा 76 फीसदी बढ़ गया है। निश्चित ही भारत की आर्थिक प्रगति एक सुखद संकेत है, साल 2047 तक विकासशील देशों के वर्ग से निकलकर भारत विकसित देश हो जायेगा। एक दशक में भारत दसवें नंबर की अर्थव्यवस्था से तरक्की करके दुनिया की पांचवीं आर्थिक महाशक्ति बन गया। अनुमान हैं दो साल के अंदर हम तीसरी आर्थिक शक्ति बन जाएंगे। इन उल्लेखनीय आर्थिक उपलब्धियों के बीच चिन्तनीय मुद्दा अमीरी गरीबी का बढ़ता फासला एवं गरीबों की दुर्दशा का होना है। अमीर अधिक अमीर हो रहे हैं और गरीब अधिक गरीब, यह एक गंभीर चुनौती है। पांच राज्यों में विधानसभा एवं अगल वर्ष लोकसभा में यह चुनावी मुद्दा बनना चाहिए, पर कोई भी राजनीतिक दल यह नहीं कर प...
कन्या-पूजन नहीं बेटियों के प्रति दृष्टिकोण बदलने की जरूरत

कन्या-पूजन नहीं बेटियों के प्रति दृष्टिकोण बदलने की जरूरत

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नवरात्रि का पर्व नारी के सम्मान का प्रतीक है। नौ दिनों तक नवदुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना होती है। कहते हैं कि जिस घर में माता की पूजा होता है, वह सुख-समृद्धि बनी रहती है। देवी पूजा महज माता की प्रतिमा की पूजा मात्र नहीं है, बल्कि यह पर्व मां, बहन, बेटी और समाज की हर नारी के सम्मान का पर्व है। ऐसे में सिर्फ कन्या पूजन ही नहीं, महिलाओं का भी सम्मान करें। अगर आप देवी पूजा करते हैं तो महज नवरात्रि के मौके पर नहीं बल्कि महिलाओं के प्रति आदर सदैव बनाए रखें। इन नवरात्रि देवी के सामने महिला सम्मान का संकल्प लें और अपने आचरण में कुछ बदलाव लाएं, ताकि मां, बेटी और समाज की हर नारी सुरक्षित व सम्मानित महसूस कर सके। आज जब सभी देशवासी भारत की संस्कृति का गौरवमय त्यौहार कन्या पूजन करने की तैयारी में हैं तो उनसे यह निवेदन और प्रश्न भी है कि आखिर जहां कन्या की सम्मानजनक स्थिति बने रहे, ऐसा समाज बनान...