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यशोभूमि से मिला राजनैतिक सन्देश

यशोभूमि से मिला राजनैतिक सन्देश

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
मृत्युंजय दीक्षितप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर राजधानी दिल्ली में एशिया के सबसे बड़े प्रदर्शनी व कांफ्रेंस सेंटर यशोभूमि राष्ट्र को समर्पित करते हुए इसी नवीन प्रांगण से 18 प्रकार के पारंपरिक कारीगरों व शिल्पकारों की लाभ पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का शुभारंभ किया है। इस योजना के माध्यम से सुथर, बढ़ई, नाव निर्माता, अस्त्रकार, लोहे का काम करने वाले, टोकरी, चटाई, झाड़ू बनाने वाले, कॉयर बुनकर, गुड़िया और खिलौना निर्माता, पारंपरिक सुनार, कुम्हार, जूते बनाने वाले, हथौड़ा और टुलकिट निर्माता, ताला बनाने वाले, मूर्तिकार, पत्थर तराशने वाले, पत्थर तोड़ने वाले राजमिस्त्री, बाल काटने वाले, मालाकर, कपड़े धोने वाले, दर्जी, मछली पकड़ने का जाल बनाने वाले आदि कार्य कार्य करने वाले हुनरमंद भाई बहनों को 3 लाख तक बिना गारंटी ऋण देने की घोषणा की है। विश्वकर्मा...
<strong>गणेश हैं विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता और उन्नत राष्ट्र-निर्माता</strong>

गणेश हैं विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता और उन्नत राष्ट्र-निर्माता

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, धर्म, राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
गणेश चतुर्थी- 19 सितम्बर 2023 पर विशेष-ललित गर्ग-गणेश भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग हैं, वे विघ्नहर्ता एवं मंगलकर्ता सात्विक देवता हैं और उन्नत राष्ट्र-निर्माता हैं। वे न केवल भारतीय संस्कृति एवं जीवनशैली के कण-कण में व्याप्त है बल्कि विदेशों में भी घर-कारों-कार्यालयों एवं उत्पाद केन्द्रों में विद्यमान हैं। हर तरफ गणेश ही गणेश छाए हुए है। मनुष्य के दैनिक कार्यों में सफलता, सुख-समृद्धि की कामना, बुद्धि एवं ज्ञान के विकास एवं किसी भी मंगल कार्य को निर्विघ्न सम्पन्न करने हेतु गणेशजी को ही सर्वप्रथम पूजा जाता है, याद किया जाता है। प्रथम देव होने के साथ-साथ उनका व्यक्तित्व बहुआयामी है, लोकनायक का चरित्र हैं। गणेश शिवजी और पार्वती के पुत्र हैं, ऐसे सार्वभौमिक, सार्वकालिक एवं सार्वदैशिक लोकप्रियता वाले देव का जन्मोत्सव भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को सम्पूर्ण दुनिया में उमंग एवं हर्षोल्ल...
<strong>EFFORTS TOWARDS WORLD PEACE NOT GOING  ANYWHERE</strong>

EFFORTS TOWARDS WORLD PEACE NOT GOING  ANYWHERE

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, संस्कृति और अध्यात्म
N.S.Venkataraman                                                                       Even a cursory glance on human history over the past thousands of years  would highlight that  wars and conflicts , jealousy and greed , lust and   vengeance  had been the order of the day. Of course, there have also been events   of harmony and peace but they have been few and far between and have been more of an exception rather  than rule  and they have been like a flash in the pan.  The great Indian epics  Ramayana and Mahabharatha discuss several characters and a number of such characters have been violent, prone , unethical and quarrelsome.  At the same time, there have also been noble men and women and saints described in the ep...
महंगाई, डायन खाय जात है

महंगाई, डायन खाय जात है

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, विश्लेषण
बढ़ती महंगाई लोगों की जेब पर भारी पड़ रही है, महंगाई के लिए खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति संबंधी चिंताओं के बीच कच्चे तेल की कीमतें पिछले 10 माह के उच्चतम स्तर पर पहुंचने से महंगाई की चुनौती और कठिन हो गई है। ऐसे में सरकार के लिए महंगाई कम करना बड़ा मुद्दा बन गया है। यद्यपि केंद्र सरकार ने 29 अगस्त को घरेलू रसोई गैस सिलेंडर के दाम 200 रुपए घटाकर बड़ी राहत दी है, लेकिन आम आदमी सरकार से खाद्य पदार्थों की कीमतों के साथ-साथ पेट्रोल-डीजल के दामों में कुछ कमी की भी अपेक्षा कर रहा है। हाल ही में 5 सितंबर को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि जुलाई 2023 में जो मुद्रास्फीति सप्लाई चेन के झटकों के कारण ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है, उसे कम करने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के अनुसार जून 2023 में जो खुदरा महंगाई दर 4.87 प्रतिशत थी, वह...
सही संस्कार हैं तनाव से मुक्ति का उपचार

सही संस्कार हैं तनाव से मुक्ति का उपचार

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, साहित्य संवाद
*रजनीश कपूरअक्सर यह देखा जाता है कि तनाव के कारण छात्र हों, युवा हों या कोई समझदार व्यक्ति, ऐसा क़दम उठा लेते हैंजिसके कारण उन्हें और उनके परिवार को काफ़ी पछताना पड़ता है। तनाव ग्रस्त इंसान ग़लत संगत में पड़ जाता हैऔर ग़लत राह पर चलने लग जाता है, जैसे नशा और जुआ आदि की लत लगना। मानसिक तनाव के कारण कभी-कभी कठोर कदम उठाते हुए वो व्यक्ति आत्महत्या तक कर डालता है। आए दिन हमें ऐसी खबरें मिलती हैं जहांपरीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र प्रतिस्पर्धा की दौड़ में ऐसे कदम उठाते हैं। जिन छात्रों को उनके परिवार से यदिसही संस्कार मिलते हैं वो कभी भी ऐसा कदम नहीं उठाते। वो समस्या का सामना करते हैं और उसके निदान कामार्ग खोज लेते हैं।राजस्थान के शहर कोटा को ‘कोटा फैक्ट्री’ के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ पर देश भर के छात्र ख़ुद कोआईआईटी व मेडिकल में भर्ती कराने की मंशा से विभिन्न कोचिंग केंद्रों में दाख़िला ...
<strong>विश्वकर्मा योजना-ली गई अंततः असहायोंकी सुध</strong>

विश्वकर्मा योजना-ली गई अंततः असहायोंकी सुध

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
आर.के. सिन्हा कभी यह भी सोचा जाना चाहिए कि देश के आजाद होने के इतने दशक गुजरने के बाद भी हमने मोची, धोबी, बढ़ई, लोहार, कुम्हार जैसे निचले स्तर पर काम करने वालें कुशल कामगारों के हितों को लेकर कोई व्यापक नीति क्यों नहीं बनाई?  अगर इनके बारे में पहले सोचा जाता तो ये भी देश के विकास का लाभ ले रहे होते। इनकी अनदेखी तो हुई। हां, इतना सुकून किया जा सकता है कि अब इनके बारे में सोचा जा रहा है। अब सरकार इनकी जिंदगी में खुशियां लाने के लिये विश्वकर्मा योजना लेकर आ रही है। इस योजना के ऊपर अगले पांच साल में 13 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आगामी 17 सितंबर को जन्म दिन पर शुरू होने वाली इस योजना के तहत मोची, धोबी, बढ़ई, लोहार कुम्हार आदि को पांच प्रतिशत की दर से एक लाख रुपये और दूसरे चरण में दो लाख रुपये का कर्ज मिल सकेग...
सनातन पर प्रहार – मनमोहन गोयल

सनातन पर प्रहार – मनमोहन गोयल

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
देश मे दयानिधी मारान के सनातन को मिटाने के वक्तव्य के बाद से य चर्चा समाप्त होने में नहीं आ रही है।मैंने पहले सोचा कि इसे नज़रअंदाज़ कर दूँ, लेकिन लगता है कि ये सोची समझी रणनीति के तहत सनातन को तोड़ने के लिए ऐक टूल किट के रूप में कही जा रही हैं। खडके साहब के सुपुत्र साहब में तो ये भी कह दिया कि सनातन कब कहाँ कैसे पैदा हुआ, इसका कोई सबूत नहीं है । पहले मैं इसी को लेना चाहता हूं।मान्यवर खडगे जी, सनातन कहीं पैदा नहीं हुआ। धरती पर मनुष्य की उत्पत्ति के साथ जो आचारसंहिता शनैः शनैः विकसित हुई, जो मनुष्य मात्र के परिवार संचालन, देश संचालन , सेना संचालन, खानपान, अर्थात् मनुष्य मात्र की कुल गतिविधियों के लिये जो नियम बनते गये और अपने नियंता भगवान के लिये आराधना के लिये जो विधि विधान विकसित हुऐ वो सब मिल कर सनातन कहलाये। सनातन तो धरती पर मनुष्य के जन्म से विकास पाया और जिसका आदि अन्त न हो वही स...
भारतीय संस्कृति वैश्विक अर्थव्यवस्था का केंद्र बिंदु बनने की ओर अग्रसर

भारतीय संस्कृति वैश्विक अर्थव्यवस्था का केंद्र बिंदु बनने की ओर अग्रसर

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, संस्कृति और अध्यात्म
भारत आदि काल से ही एक जीता जागता राष्ट्र पुरुष है, यह मात्र एक जमीन का टुकड़ा नहीं है। भारत के कंकड़ कंकड़ में शंकर का वास बताया जाता है। हाल ही के कुछ वर्षों में भारत के आर्थिक विकास में विरासत पर भी पूरा ध्यान दिया जा रहा है और भारत में आर्थिक विकास के साथ ही सांस्कृतिक विकास पर भी पर्याप्त ध्यान दिया जा रहा है। जिसके चलते अन्य देशों की तुलना में भारत की आर्थिक विकास दर मजबूत बनी हुई है। बल्कि अब तो अन्य कई देश, विकसित देशों सहित, भी अपने आर्थिक एवं सामाजिक समस्याओं के हल हेतु एवं अपने आर्थिक विकास को गति देने के उद्देश्य से भारतीय सनातन संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहे हैं। भारत ने राजनैतिक स्वतंत्रता 75 वर्ष पूर्व ही प्राप्त कर ली थी, परंतु भारत की सनातन संस्कृति आदि काल से चली आ रही है एवं लाखों वर्ष पुरानी है। भारत को ‘सोने की चिड़िया’ के रूप में जाना जाता रहा है और भारतीय सनातन...
स्वामी विवेकानन्द की दृष्टि में राष्ट्र की रीढ़..!

स्वामी विवेकानन्द की दृष्टि में राष्ट्र की रीढ़..!

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, साहित्य संवाद
~कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटलस्वामी विवेकानन्द ने भारत के उस मर्म को छुआ जो कालखण्ड के प्रहार से पथभ्रष्ट होकर एक असाध्य रोग का रुप ले चुका था। वह था— 'छुआछूत वाद',गरीबी, भुखमरी और निम्न से निम्नतर समझी जाने वाली श्रेणियों के प्रति घ्रणा,वैमनस्य और अत्याचार की अन्तहीन प्रताड़ना। उनका ह्रदय इस मानवीय पाशविकता से डोल गया। उनके अन्दर उसी समानुभूतिपूर्ण करुणा का ज्वार मथने लगा — जो उन असंख्य निर्दोष लोगों के जीवन को हीनतर बना रहा था।उन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त इस व्याधि के उपचार के लिए केवल आह्वान ही नहीं किया,बल्कि उस कार्य में अपने जीवन के अन्तिम क्षणों! तक रत रहे आए। ऐसा नहीं था कि उस समय समाज सुधार नहीं चल रहे थे, किन्तु उन सामाजिक सुधारों में सिध्दान्त और व्यवहार में पूर्णतः अन्तर पाया जाता था। साथ ही तथाकथित समाज सुधारकगण — वे समाज की इस दुर्दशा का ठीकरा हिन्दू धर्म पर फोड़कर अपनी अ...
<strong>भारत में आयोजित जी-20 की दो बड़ी उपलब्धियां</strong>

भारत में आयोजित जी-20 की दो बड़ी उपलब्धियां

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आर.के. सिन्हा अब तक का सबसे भव्य अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन जी- 20 शिखर सम्मेलन जो भारत की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित हुआ, दो वजहों से याद रखा जायेगा। पहला, जी 20 घोषणा पत्र पर सभी सदस्य देशों की सहमति बन गई। हालांकि, इस मसले पर चीन, कनाडा आदि देशों से विवाद होने की आशंका जताई जा रही थी। दूसरा, अफ्रीका यूनियन को भारत की पहल पर जी-20 में शामिल कर लिया गया जो “जी -20” में भारत की स्थिति को और मजबूत बनायेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा "हमारी टीम की  कड़ी मेहनत से ही नई दिल्ली जी-20 लीडर्स घोषणा पत्र पर आम सहमति बनी है।" अब पाठकों को यह भी जानना जरुरी है कि नई दिल्ली घोषणा पत्र में किन चीज़ों का ज़िक्र है I दरअसल इसमें संसार के मजबूत, दीर्घकालीक, संतुलित और समावेशी विकास पर जोर दिया गया है। ज...