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पावन चिंतन धारा आश्रम के युवा प्रकल्प

पावन चिंतन धारा आश्रम के युवा प्रकल्प

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पावन चिंतन धारा आश्रम के युवा प्रकल्प, यूथ अवेकनिंग मिशन द्वारा कॉन्स्टिट्यूशन क्लब, दिल्ली में स्वराज सभा का आयोजन किया गया। जिसका विषय था ‘कल्चरल कॉन्फ्लिक्टस एंड कॉन्स्टिट्यूशन’।  कार्यक्रम की कैंपेनिंग के समय विद्यार्थियों में सभा के विषयों तथा वक्ताओं को लेकर जो उत्सुकता और उत्साह अनुभव हुआ था वह दर्शकों के रूप में परिलक्षित भी हुआ। विधार्थी दिल्ली विश्वविद्यालय, गलगोटिया विश्वविद्यालय, एमिटी, एशियन लॉ कॉलेज, लॉयड एवम इंद्रप्रस्थ विश्विद्यालय से एकत्रित हुए तथा कही राज्यों से लॉ तथा राजनैतिक विज्ञान से जुड़े शोधकर्ता और अधिवक्ता भी स्वराज सभा में सम्मिलित हुए। कार्यक्रम के प्रारंभ में परमपूज्य प्रोफेसर पवन सिन्हा 'गुरुजी' द्वारा विषय प्रस्तुति रखी गई जिसमें उन्होंने कहा समाज में सांस्कृतिक परिपेक्ष्य में बहुत से गंभीर मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिये, जो अब नही होती। समाज मे व...
अमेरिका में बढ़ती ब्याज दरें अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं को भी प्रभावित कर सकती है

अमेरिका में बढ़ती ब्याज दरें अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं को भी प्रभावित कर सकती है

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दिनांक 3 मई 2023 को अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने यूएस फेड दर में 25 आधार बिंदुओं की वृद्धि करते हुए इसे 5.25 प्रतिशत तक पहुंचा दिया है। मार्च 2022 के बाद से यूएस फेड दर में यह लगातार 10वीं बार वृद्धि की गई है एवं वर्ष 2007 के बाद से यूएस फेड दर अपने उच्चत्तम स्तर पर पहुंच गई है। हालांकि, अमेरिका में मुद्रा स्फीति को नियंत्रण में लाने के उद्देश्य से अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा यूएस फेड दर में वृद्धि की जा रही है परंतु अब उच्च ब्याज दरों का विपरीत प्रभाव अमेरिकी अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। हाल ही में दो अमेरिकी बैंकें, सिलिकोन वैली बैंक एवं सिग्नेचर बैंक असफल हो चुकी हैं एवं तीसरी बैंक फर्स्ट रिपब्लिक भी असफल होने की स्थिति में पहुंच गई थी, परंतु उसे समय रहते जेपी मोर्गन कम्पनी को बेच दिया गया। पेसिफिक वेस्टर्न बैक एवं वेस्टर्न अलाइन्स बैंक में भी तरलता की सम...
और हमारा ये “प्लास्टिक मोह”

और हमारा ये “प्लास्टिक मोह”

EXCLUSIVE NEWS, समाचार, सामाजिक
पता नहीं क्यों भारत के नागरिक क़ानून बनाए जाने के बाद भी ये बात मानने को तैयार नहीं है कि प्लास्टिक उनकी सेहत के लिए नुक़सानदेह है? तभी तो एक बार इस्तेमाल होने वाले (सिंगल यूज) प्लास्टिक उत्पादों पर प्रतिबंध लगाए जाने के तकरीबन 10 महीने बाद भी देश के अधिकांश हिस्सों में उसका इस्तेमाल आम है। हालांकि इनका थोक इस्तेमाल करने वाले कुछ कारोबारियों ने जैविक रूप से अपघटन योग्य विकल्प अपना लिए हैं, लेकिन अधिकांश अन्य उत्पादक, विक्रेता और उपभोक्ता अभी भी पहले की तरह बदस्तूर ऐसे प्लास्टिक का प्रयोग कर रहे हैं। ज्यादा चिंता की बात यह है कि त्यागे गए प्लास्टिक उत्पादों के संग्रह और सुरक्षित निपटारे के क्षेत्र में भी कोई खास सुधार देखने को नहीं मिला है। सार्वजनिक प्रदूषण की समस्या और बढ़ी है। सिंगल यूज प्लास्टिक न केवल सड़कों पर बिखरे रहते हैं बल्कि कचरा फेंकने की जगहों पर भी इन्हें बड़ी तादाद में द...
जहरीले भाषणों की दिन-प्रतिदिन गंभीर होती समस्या

जहरीले भाषणों की दिन-प्रतिदिन गंभीर होती समस्या

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
  ललित गर्ग  कर्नाटक में चुनावों को लेकर नफरती सोच एवं हेट स्पीच का बाजार बहुत गर्म है। राजनीति की सोच ही दूषित एवं घृणित हो गयी है। नियंत्रण और अनुशासन के बिना राजनीतिक शुचिता एवं आदर्श राजनीतिक मूल्यों की कल्पना नहीं की जा सकती। नीतिगत नियंत्रण या अनुशासन लाने के लिए आवश्यक है सर्वोपरि राजनीतिक स्तर पर आदर्श स्थिति हो, तो नियंत्रण सभी स्तर पर स्वयं रहेगा और इसी से देश एक आदर्श लोकतंत्र को स्थापित करने में सक्षम हो सकेगा। अक्सर चुनावों के दौर में राजनीति में बिगड़े बोल एवं नफरत की राजनीति कोई नई बात नहीं है। चर्चा में बने रहने के लिए ही सही, राजनेताओं के विवादित बयान गाहे-बगाहे सामने आ ही जाते हैं, लेकिन ऐसे बयान एक ऐसा परिवेश निर्मित करते हैं जिससे राजनेताओं एवं राजनीति के लिये घृणा पनपती है। यह सही है कि शब्द आवाज नहीं करते, पर इनके घाव बहुत गहरे होते हैं और इनका असर भी दूर तक पहु...
नक्सल समस्या : निगरानी में चूक

नक्सल समस्या : निगरानी में चूक

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राज्य, विश्लेषण, सामाजिक
कभी मध्यप्रदेश का हिस्सा रहे छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में पिछले दिनो एक बार फिर हुए नक्सली हमले के निष्कर्ष साफ हैं कि सरकारों के दावों के बावजूद नक्सलियों की ताकत पूरी तरह कम नहीं हुई है, इस लिहाज़ से मध्यप्रदेश में मुस्तैदी की ज़रूरत है । बार-बार बड़ी संख्या में जवानों को खोने के बावजूद अतीत की घटनाओं से कोई सबक नहीं सीखे गए हैं। दुर्भगाय, संचार क्रांति के दौर में मुकाबले के लिये उपलब्ध संसाधनों व हथियारों के बावजूद सरकार यदि उनके हमलों का आकलन नहीं कर पा रही हैं तो यह राज्यों के खुफिया तंत्र की विफलता का ही परिचायक है। सफल ऑपरेशन करके लौट रहे रिजर्व बल के जवानों का बारूदी सुरंग की चपेट में आना बताता है कि यह नक्सलियों की हताशा से उपजा हमला तो था ही, आगे की चुनौती और बड़ी है । इसमें कोई संदेह नहीं है कि हाल के दिनों में देश के कई इलाकों में सुरक्षाबलों के साझे अभियानों में नक्सलियों...
बीजेपी कार्डिनल और बिशप को लुभा रही है लेकिन ईसाइयों से दूर !

बीजेपी कार्डिनल और बिशप को लुभा रही है लेकिन ईसाइयों से दूर !

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
बीजेपी कार्डिनल और बिशप को लुभा रही है लेकिन ईसाइयों से दूर ! उत्तर भारत, खासकर हिंदी पट्टी में ईसाइयों और भारतीय जनता पार्टी या हिंदू संगठनों के बीच कोई विशेष सौहार्द नहीं है। हिंदी पट्टी के क्षेत्रों में ईसाई धर्म प्रचारकों और हिंदू संगठनों के बीच दूरी लगातार बढ़ रही है, क्योंकि हिंदू अब इन क्षेत्रों में धर्मांतरण को बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं हैं। खास बात यह है कि हिंदी भाषी क्षेत्र दक्षिण भारतीय मिशनरियों से भरे पड़े हैं, इनमें कैथोलिक चर्च का दबदबा है। और यह पादरी / नन दक्षिण भारतीय खासकर केरल के बिशपाें की संघ - भाजपा से बढ़ती नजदीकियों का अंदर ही अंदर विरोध कर रहे है। ईस्टर पर, केरल में भाजपा नेताओं ने बिशप हाउस और कुछ चुनिंदा ईसाईयों के घरों का दौरा किया, जहां उन्होंने यीशु मसीह और प्रधानमंत्री मोदी की एक छोटी तस्वीर वाले कार्ड वितरित किए। उसी दिन, प्रधानमंत्री मोदी ने ...
भारत की ज़रूरत “राष्ट्रीय अनाज बोर्ड”

भारत की ज़रूरत “राष्ट्रीय अनाज बोर्ड”

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भारत जनसंख्या के मामले में सबसे अव्वल है और इसी भारत में हर साल बारह से सोलह मिलियन टन अनाज पर्याप्त भंडारण सुविधा के अभाव में बर्बाद हो जाता है। इतने अनाज से देश के एक तिहाई गरीबों का पेट भरा जा सकता है। कृषि, उत्पादन, भंडारण और वितरण में सामंजस्य न बैठ पाने ऐसी तस्वीरें सामने का रही है जो विचलित करती है । जैसे - मंडियों व सरकारी गोदामों के बाहर पड़ा बारिश में भीगता अनाज। ग्लोबल वार्मिंग से मौसम के मिजाज में खासा बदलाव आया है। कब बारिश हो जाये कहना मुश्किल है। हालांकि, अब मौसम विभाग को उपग्रहों के संबल से मौसम की सटीक भविष्यवाणी करना संभव हुआ है। कुछ दिन पहले बता दिया जाता है कि फलां दिन मौसम खराब होगा या बारिश होगी। लेकिन वे तस्वीरें विचलित करती हैं जब मंडियों व सरकारी गोदामों के बाहर पड़ा गेहूं बारिश में भीगता दिखायी देता है। जाहिर है जिन विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों की जि...
<strong>वर्तमान जीवन शैली पृथ्वी को अस्थिर कर रही हैं</strong>

वर्तमान जीवन शैली पृथ्वी को अस्थिर कर रही हैं

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विश्व पृथ्वी दिवस, 22 अप्रैल को हर साल मनाया जाता है। भारत समेत लगभग 195 से ज्यादा देश पृथ्वी दिवस को मनाते हैं। इस साल 2023 में विश्व पृथ्वी दिवस (Earth Day) का 53वां आयोजन होगा। 2023 में पृथ्वी दिवस की थीम “ हमारे ग्रह में निवेश करें ” रखी गई है। प्रो. सुनील गोयल हम अपने जीवन के दौरान सैकड़ों हजारों निर्णय लेते हैं। हम जो चुनाव करते हैं और हम जो जीवन शैली जीते हैं उसका हमारे ग्रह पर गहरा प्रभाव पड़ता है। वास्तव में, हमारी जीवन शैली वैश्विक उत्सर्जन के अनुमानित दो तिहाई के लिए जिम्मेदार है। सबसे बड़ी जिम्मेदारी सबसे धनी लोगों की है: वैश्विक आबादी के सबसे अमीर एक प्रतिशत का संयुक्त उत्सर्जन सबसे गरीब 50 प्रतिशत के संयुक्त उत्सर्जन से बड़ा है। सही नीतियों, बुनियादी ढाँचे और प्रोत्साहनों को लागू करके जीवन शैली में आवश्यक परिवर्तनों का समर्थन करने में सरकारों और व्यवसायों की महत्वप...
<strong>तारिक फतेह क्यों चुभते थे कठमुल्लों को</strong>

तारिक फतेह क्यों चुभते थे कठमुल्लों को

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आर.के. सिन्हा  तारिक फतेह को उनके चाहने वाले एक बेखौफ लेखक के रूप में याद रखेंगे। वे सच का साथ देते रहे। वे भारत के परम मित्र थे। उन्हें इस बात का गर्व रहा कि उनके पूर्वज हिंदू राजपूत थे। वे बार-बार कहते- लिखते थे कि भारत,पाकिस्तान और बांग्लादेश के तमाम मुसलमानों के पुऱखे हिंदू ही थे और उन्हें जबरदस्ती मुसलमान बनाया गया था । उनकी इस तरह की साफगोई कठमुल्लों को नागवार गुजरती थी। तारिक फ़तेह हिंदी पट्टी के मुसलमानों के दिल में चुभते हैं। उनकी तारीफ़ यह थी कि वह डंके की चोट पर अपने पूर्वजों को हिंदू बताते रहे। बहुत कम मुसलमान यह हिम्मत दिखा पाते हैं। वह मुस्लिम सांप्रदायिकता पर लगातार चोट करते रहे। तारिक फतेह पहली बार 2013 में भारत दौरे पर आए थे तब उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, 'पाकिस्तान को तो अब भूल जाइए। इसको एक न एक दिन कई टुकड़ों में टूटना ही है। वो दिन भी दूर नहीं जब बलूचि...
अतीक के अतीत होने पर भविष्य की राजनीति

अतीक के अतीत होने पर भविष्य की राजनीति

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
यूपी में नो दंगा, नो कर्फ्यू यहां सब चंगा !!मृत्युंजय दीक्षितउत्तर प्रदेश का कुख्यात माफिया अतीक अहमद अपने पीछे अपराध की दिल दहलाने वाली कहानियां, करोड़ों की संपत्ति और बिखरा साम्राज्य छोड़कर अतीत हो चुका है किन्तु प्रदेश का दुर्भाग्य है कि उसके राजनैतिक हमदर्द आज भी जीवित हैं और एक खतरनाक माफिया की मौत पर अपनी राजनीति चमकाने के लिए उसे शहीद और मासूम बता रहे हैं ।माफिया अतीक अहमद के समर्थन में बिहार की राजधानी पटना में अलविदा की नमाज के बाद नारेबाजी हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ नारे लगाये गये और बदला लेने की बात तक कही गई। अतीक के नाम पर बिहार में मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति अपनी सारी सीमाओं को लांघ रही है क्योंकि नारेबाजी के समय वहां की पुलिस घटनास्थल पर झांकने तक नहीं पहुंची । बिहार में नारेबाजी के पीछे सबसे बड़ी ताकत मुख्यमंत्री और उप म...