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EXCLUSIVE NEWS

जब आप ठगा हुआ महसूस करते हैं

जब आप ठगा हुआ महसूस करते हैं

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण
देश में अचानक एक घटना हो जाती है और आप ठहर कर उस घटना की प्रतिक्रियाएं पढ़ते-देखते हैं। दो तीन दिनों तक उन प्रतिक्रियाओं को पढ़ने-देखने के बाद आप मूक हो जाते हैं। लगभग जड़। ठगा हुआ महसूस करते हैं। आप अनुभव करते हैं कि पिछले सौ वर्षों में कुछ नहीं बदला। मजहब के नाम पर देश बंट गया। स्थिति जस की तस रह गई।‌ आप लाख भाईचारा, गंगाजमनी तहजीब और सदियों से साथ रहने के तराने गाते सुनाते रहें। वह एक झटके में सिद्ध करते हैं कि तराने वराने सुनने सुनाने की चीज हैं। वास्तविक जीवन और उसकी कसौटियों पर उनका कोई अर्थ नहीं।‌ उनकी प्राथमिकताएं सर्वथा भिन्न हैं। उनके विचार स्पष्ट हैं। जो आपके लिए शैतान का प्रतिरूप है, वह उसका हीरो है। अनिवार्य रूप से है। वह शैतान आपके सामने नग्न विद्रूप खड़ा होता है लेकिन दूसरा पक्ष कहता है कि बड़ा अन्याय हुआ।‌ वह हमारा हीरो था। यह एक अनुभूत सत्य है। जिसकी अनगिनत अनुभूतियां ...
कलंकित लोकतंत्र

कलंकित लोकतंत्र

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण
माफियाओं और राजनेताओं के बीच संबंध सत्तर के दशक में शुरू हुए थे , आज तक यथावत कायम हैं । आजादी मिलने के समय यह कल्पना तक असंभव थी कि ऐसा जमाना भी कभी आएगा कि राजनीति अपराधियों की शरण स्थली बन जाएगी । कैसा समय आ गया ; आज किसी भी राजनीतिक दल को अपराधियों से कोई खास परहेज नहीं हैं । कईं ऐसे दल हैं जिनके आका अपराधियों और हत्यारों के कुत्तों तक से शेक हैंड करने में गर्व महसूस करते हैं । राजनैतिक दल ऐसे माफियाओं को संसद और विधानसभाओं में चुनाव लड़वाते हैं , उनके आतंकी प्रभाव का इस्तेमाल वोटरों पर कर अन्य प्रत्याशियों को जितवाते हैं । खासकर यूपी और बिहार तो ऐसे बड़े प्रांत हैं , जहां माफिया डॉन का प्रयोग दशकों से किया जाता है । अब भद्रजनों का बंगाल भी गुंडों के राजनैतिक उपयोग की प्रयोगशाला बन चुका है । अपराधी और राजनीति का चोली दामन वाला साथ आज प्रांत प्रांत गुल खिला रहा है । यूपी बिहार और...
इंटरनेट क्रांति से भारत का नये दौर में प्रवेश !

इंटरनेट क्रांति से भारत का नये दौर में प्रवेश !

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
इंडिया आज डिजीटल हो रहा है। सच तो यह है कि 5जी इंटरनेट सेवाओं की दिशा में भारत इतिहास रच रहा है। इंटरनेट क्रांति से आज भारत एक नये दौर में प्रवेश कर गया है। सच तो यह है कि आज इंडिया 'डिजिटल इंडिया' बन चुका है और यहां अधिकतर काम इंटरनेट की सहायता से बखूबी हो रहे हैं। आज इंडिया में हाई स्पीड मोबाइल इंटरनेट 5जी सर्विस काम करने लगी है और आज हम डिजीटल दुनिया के नये दौर में सांस ले रहे हैं। पिछले साल एक अक्टूबर 2022 को नई दिल्ली के प्रगति मैदान में भारत के प्रधानमंत्री द्वारा 5जी क्रांति का तोहफा भारतीयों को दिया गया था। वास्तव में प्रधानमंत्री जी ने उस समय बिल्कुल ठीक ही कहा था कि वास्तव में यह शुरुआत 'अवसरों के अनंत आकाश' की शुरुआत है। उल्लेखनीय है कि 1 अगस्त को 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी सफलता के साथ पूरी हुई थी और इस ऑक्शन(नीलामी) में डॉट(डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस)  ने 1,50,173 करो...
Big Jump for FOX group 

Big Jump for FOX group 

EXCLUSIVE NEWS, प्रेस विज्ञप्ति
Fox Petroleum in Association with JV Partners – investing in sector wise in Africa following 123 Billion Rand Investment.  A proposal has been given to President Cyril Ramaphosa. Major sectors Fox is focusing are – Ports, Oil Tank Farm and Solar Panel manufacturing, along with Farmers loan.South Africa is churning from black-out as electricity supply has been a big problem. The South African energy crisis is an ongoing period of widespread national blackouts of electricity supply. The investment from Fox to establish Dual fuel electricity plant at six locations may ease it. And Solar Panel manufacturing and installation to farmers and middle class house on sixt easy instalments is going to cut down this problem.The other major sector is – Capital insertion in the market thru banks....
योगी जी का राजधर्म

योगी जी का राजधर्म

EXCLUSIVE NEWS, राज्य, समाचार
क्षत्रिय-वृत्ति के प्रति, जो तत्परता युद्ध में एक सेनापति दिखाता है, वही तत्परता निर्णय लेते समय एक राजा में दिखलाई पड़े; तो समझिए राजधर्म का सम्यक निर्वहन हो रहा है। वेदव्यास संन्यासी थे। वह जानते थे कि कृष्ण एक क्षत्रिय योद्धा हैं और युद्ध में हिंसा होती ही है। तिस पर भी वो यह कहना नहीं चूकते कि " वासुदेव तुम धर्म के विषय में सब जानते हो। " ऐसा इसलिए, क्योंकि कलुष निरसन के लिए क्षात्र-वृत्ति की आवश्यकता और प्रयोजनीयता ऋषिवर समझते थे। जब कपिलवस्तु को कोशल सेना ने घेर लिया था, तब तथागत की आज्ञा पाकर कई भिक्षुओं ने, जो शाक्य थे, मातृभूमि रक्षार्थ युद्ध में भाग लिया था। किसी के प्रश्न का उत्तर देते हुए महात्मा बुद्ध ने कहा था "अनुचित का प्रतिकार न करना भी एक प्रकार की हिंसा होती है। जब बात मातृभूमि की आए, तब दायित्व और बढ़ जाता है। " भारत में कई संत संन्यासी हथियार उठाते रहे हैं। क...
किसान सम्मान निधि में भी घोटाला, जाँच ज़रूरी

किसान सम्मान निधि में भी घोटाला, जाँच ज़रूरी

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, घोटाला
यह विडंबना ही है कि चौतरफा चुनौतियां झेल रहे किसानों को राहत देने के लिये दी जाने वाली प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के आवंटन में चतुर-चालाकों ने फर्जीवाड़ा कर डाला। नियंत्रक व महालेखा परीक्षक यानी कैग की वह रिपोर्ट चौंकाती है, जिसमें उल्लेख है कि एक राज्य में ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ योजना में करीब 38 हजार 105 अयोग्य किसानों ने सरकार के करीब चालीस करोड़ से अधिक रुपये डकार लिये। वैसे यह जानकारी प्रधानमंत्री किसान पोर्टल पर उपलब्ध है। जमीनी स्तर पर यदि मामले की पड़ताल हो तो फर्जीवाड़े के दायरे में निश्चित रूप से विस्तार पाया जायेगा। यदि देश के सभी राज्यों में इस दिशा में गंभीर जांच-पड़ताल हो तो फर्जीवाड़े का आकार बड़ा हो सकता है। यह विडंबना रही है कि देश का असली किसान ऑनलाइन व्यवस्था व नई आर्थिकी को लेकर ज्यादा जानकार व जागरूक नहीं रहा है। कभी वह सूदखोरों, बिचौलियों तथा आढ़तियो...
वर्ण व्यवस्था और जाति व्यवस्था

वर्ण व्यवस्था और जाति व्यवस्था

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण, सामाजिक
विभिन्न कालखंडों में समाज की समस्याएं भी भिन्न भिन्न रहीं हैं किन्तु कुछ समस्याएं समय बदलने पर भी नहीं बदलीं अपितु और विकृत हो गईं हैं । जाति व्यवस्था के प्रति समाज की मानसिकता और पहचान की राजनीति ने इस समस्या को और विकराल बना दिया है । स्थिति यह है कि संसाधनों की प्राप्ति की होड़ में कोई भी वर्ग अपनी जाति को छोड़ना भी नहीं चाहता । जाति क्या है और यह वर्ण व्यवस्था से कैसे भिन्न है इसे समझना अत्यंत आवश्यक है । भारत के ऋषि मुनियों ने जहां व्यक्ति के लिए धर्म परायण होने की व्यवस्था की वहीं समाज में उसका स्थान निश्चित कर सामाजिक व्यवस्था के स्वरूप को भी निर्धारित किया । जिस प्रकार उन मनीषियों ने जीवन को चार सोपानों में बांटा है उसी प्रकार समाज में भी चार वर्ग किये, जिन्हें हम "वर्ण" की संज्ञा देते हैं । ये चार वर्ण ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र हैं । इस वर्ण व्यवस्था का आधार "गुण और कर्म...
औद्योगिक घरानों के बंटवारे कैसे प्रेम से हों

औद्योगिक घरानों के बंटवारे कैसे प्रेम से हों

EXCLUSIVE NEWS, राष्ट्रीय, सामाजिक
आर.के. सिन्हा  दीपक पारेख को भारत के कॉरपोरेट जगत में बहुत ही आदर भाव के साथ देखा जाता है। एचडीएफसी बैंक के चेयरमेन दीपक पारेख बीती आधी सदी से कॉरपोरेट जगत की हरेक घटना के अहम साक्षी हैं। वे जब किसी विषय पर बोलते हैं तो उसे नजरअंदाज करना संभव नहीं होता। उन्होंने हाल ही में एक सेमिनार में कहा कि भारत के बहुत से औद्योगिक-घरानों में संपत्ति बंटवारे को लेकर हुआ विवाद इतना गंभीर हो गया है कि वे घराने इस आघात से बुरी तरह से छलनी हो गए। इस पूरी प्रक्रिया में लंबा वक्त भी लगा सो अलग ।  उनकी सलाह थी कि जिन घरानों में विवाद हो तो उन्हें मध्यस्थता के रास्ते पर चलना चाहिए। इससे धन और वक्त भी बच जाएगा। दीपक पारेख की बात में दम है। हमने देखा है कि रिलायंस ग्रुप के चेयरमेन धीरूभाई अंबानी के निधन के बाद उनके दोनों पुत्रों - मुकेश  और अनिल में संपत्ति विवाद गहरा होता चला गया। बात जब कोर्...
देश का सर्वसम्मत इतिहास पाठ्यक्रम का अंग बने

देश का सर्वसम्मत इतिहास पाठ्यक्रम का अंग बने

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
देश में बहस जारी है,मुद्दा पाठ्यक्रम में घटाना -जोड़ना है।कमोबेशमुगलों के इतिहास से जुड़े ‘द मुगल कोर्ट’ और ‘किंग्स एंड क्रॉनिकल्स’ नामक दो पाठ हटाये गये हैं। वहीं राजनीति शास्त्र की किताब से आजादी के बाद एक दल के प्रभुत्व वाले पाठ को हटाया गया है। ग्यारहवीं की किताब से ‘सेंट्रल इस्लामिक लैंड’ और ‘कान्फ्रन्टेशन ऑफ कल्चर्स’ पाठ हटाये गये हैं। वहीं ‘जन आंदोलन का उदय’ और ‘एक दल के प्रभुत्व का दौर’ पाठ भी हटाया गया है।भारत में यह परिपाटी बनती जा रही है कि सत्ताधीशों द्वारा अपनी सुविधा के हिसाब से इतिहास की व्याख्या की जाए । वैसे देश-दुनिया में हर राजनीतिक दल द्वारा कोशिश की जाती रही है कि इतिहास के पन्नों में उसका राजनीतिक विमर्श प्रभावी हो। जबकि यह भी एक हकीकत है कि ऐसी कोशिशें तात्कालिक लाभ भले ही दे जाएं, लेकिन ऐसे प्रयास न दीर्घकालिक होते हैं और न उन्हें सर्व-स्वीकार्यता ही मिलती है। क्या...
जाति पर आत्यंतिक आग्रहों का अर्थ

जाति पर आत्यंतिक आग्रहों का अर्थ

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
रामेश्वर मिश्र पंकज जाति की ही पहचान का अत्यंत आग्रह और अत्यंत निषेध,  दोनों के पीछे प्रयोजन एक ही  होता है।अन्य पहचानों को छिपाना।प्रत्येक संस्कारी और परंपरा से जुड़ा हुआ व्यक्ति जानता है कि प्रत्येक व्यक्ति की विशेषकर मनुष्य रूप में जन्म लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति की पहचान के अनेक स्तर हैं और अनेक आयाम हैं तथा उन पहचानों यानी उपाधियों के अनेक नाम भी हैं।व्यक्ति ब्रह्मांडीय इकाई है। वह मात्र सामाजिक इकाई नहीं है।समाज उसकी एक सामाजिक पहचान है। मूल रूप में आत्म सत्ता विराट है। परंतु परिवार के सदस्य के रूप में या किसी भी सामाजिक संस्था के रूप में वह आधारभूत सामाजिक इकाई भी हैं ।पर मात्र वही नहीं है।उससे परे भी वह है।तभी तो कहा है कि "आत्मार्थे पृथ्वीं त्यजेत।"इसी प्रकार राज्य के नागरिक के रूप में वह राजनीतिक इकाई भी है ।।जाति को हिंदुओं की एकमात्र पहचान मानने का आग्रह करने वाले...