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EXCLUSIVE NEWS

This is a World Environment Day with a difference,

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EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, प्रेस विज्ञप्ति, सामाजिक
Sunita Narain Lays down an action agenda for the new government in India;says India “needs a new imagination in the designof its development schemes” “It is that day of the year, once again. June 5 is here, a day when all of us renew our pledge to protect the environment. But this year, the day has come with more meaning for us in India. A new government is preparing to take charge in the country, and we believe it is time to recommit to an agenda of development -- one which is inclusive and affordable and hence, sustainable for all. And June 5 is the appropriate date to make that commitment once again,” says Sunita Narain, director general, Centre for Science and Environment (CSE) in a new podcast and video released by CSE to mark World Environment Day. Sunita Narain’s Call to A...
दहेज की सूची का पंजीकरण

दहेज की सूची का पंजीकरण

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
दहेज की सूची का पंजीकरण**********_-राजेश बैरागी-_क्या शादी ब्याह में दिए और लिए जाने वाले उपहार आदि की सूची को पंजीकृत दस्तावेज बना देने से वैवाहिक विवादों पर अंकुश लगाया जा सकता है?शादी ब्याह में उपहार और नकदी के रूप में दिए और वसूले जाने वाले दहेज को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक आदेश से संस्थागत रूप मिल गया है।अब दुल्हा-दुल्हन दोनों पक्षों को लिखित में यह घोषित करना होगा कि उनके बीच कितने और कैसे उपहार आदि का लेन-देन हुआ है।हालांकि अभी यह केवल उन शादी ब्याहों पर लागू होगा जो हिंदू विवाह पंजीयक के यहां पंजीकृत होंगे।जो शादी पंजीकृत नहीं होंगी,उनका क्या होगा? और शादी पंजीकरण के समय प्रस्तुत की जाने वाली सूची क्या वैवाहिक संबंधों में दिए जाने वाले उपहार और नकदी की अंतिम सूची हो सकती है? मैं वर्षों से शादी ब्याह के समय समाज के समक्ष गर्व के साथ पढ़ी जाने वाली दहेज की सूची को दो प्रतियों में...
सब क्रिएटर बन गये तो दर्शक कौन

सब क्रिएटर बन गये तो दर्शक कौन

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
याद कीजिए,वर्ष 1995 में जब इंटरनेट की शुरुआत हुई या 1990 के दशक के अंत में गूगल सर्च या 2005 में यूट्यूब के साथ स्ट्रीमिंग वीडियो आया तब बहुत सी बातें इतनी स्पष्ट और आम नहीं थीं।यहां तक कि जब सोशल मीडिया जैसे कि फेसबुक (2004) और ट्विटर (2006 में अब एक्स) ने दस्तक दी थी तब भी चीजें इतनी स्पष्ट नहीं थीं। इसका सार यह है कि अब यह वैश्विक मीडिया अर्थव्यवस्था के कारोबारी और रचनात्मक दोनों हिस्सों को प्रभावित कर रहा है। इन सभी बदलावों में से दो बड़े बदलाव अब स्पष्ट रूप से दिख रहे हैं। पहला- कलाकारों और दर्शकों को अलग करने वाली सभी बाधाओं को खत्म करना है। जब भी कोई फिल्म रिलीज होती है या कोई शो आता है तब एक्स या इंस्टाग्राम पर आपको जबरदस्त तरीके से मीम, कमेंट, समीक्षाएं देखने को मिलती हैं। अधिकांशतः आम लोग यह बताने में बहुत खुशी महसूस करते हैं कि उन्हें किसी किताब, नाटक या कलाकृति में क्या...
बचिए, फ़र्ज़ी समीक्षा बाज़ार से

बचिए, फ़र्ज़ी समीक्षा बाज़ार से

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, घोटाला, विश्लेषण, सामाजिक
इन दिनों डिजिटल स्वरूप में सूचनाओं की बाढ़ ने खबरों और सूचनाओं के उपभोग करने के तरीके को भी मौलिक रूप से बदल दिया है और इससे यह पता करना ही मुश्किल हो गया है कि कौन सी जानकारी फर्जी है और कौन सी प्रामाणिक। देश में आम चुनाव अपने अंतिम पायदान पर है और ऐसे क़िस्सों की बाढ़ आई हुई है।आज जब दुनिया फर्जी खबरों से निपटने के लिए जूझ रही है, डिजिटलीकरण का एक और पहलू नियामकों और अन्य हितधारकों को परेशान कर रहा है, वह है ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर फर्जी ऑनलाइन समीक्षाओं की समस्या। अब देश का उपभोक्ता मामलों का विभाग,उपभोक्ता समीक्षाओं के लिए गुणवत्ता मानकों और नियम-कायदों को लागू करने की तैयारी कर रहा है, डीसीए की सभी हितधारकों या साझेदारों के साथ हुई बैठक में शामिल ई-कॉमर्स कंपनियों ने भी सरकार की इस पहल का समर्थन किया है। प्रस्तावित गुणवत्ता नियंत्रण आदेश से संभवत: पूर्वग्रहों और पक्षपात के साथ उ...
video viral

video viral

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, समाचार
वायरल वीडियो: केवल एक पक्ष न देखें रजनीश कपूरजब-जब सोशल मीडिया में किसी मुद्दे पर कोई वीडियो वायरल हो जाता है तो ज़्यादातर लोग उसके एक ही पहलू पर ध्यानदेते हैं। जबकि समझदारी इसी में है कि तस्वीर का दूसरा पहलू भी देखा जाए। आजकल के ‘फेक मीडिया’ वाले माहौल में हमेंअपना निर्णय लेने से पहले उस वीडियो को गहराई से समझने की आवश्यकता है। हाल ही में दिल्ली व देश के अन्य भागों मेंकुछ ऐसे वीडियो वायरल हुए जिन्हें देख कर लोगों ने काफ़ी सहानुभूति जताई और कुछ समय बाद जब उसी वीडियो कादूसरा पक्ष सामने आया तो वीडियो को वायरल करने वालों की असलियत पता चली। परंतु हर व्लॉगर (सोशल मीडिया परवीडियो पोस्ट करने वाले प्रोफेशनल) एक जैसे नहीं होते। इनमें कुछ अपवाद भी होते हैं जो मुद्दे की तह तक जाते हैं।पिछले दिनों दिल्ली के तिलक नगर में एक दस साल के बच्चे का वीडियो इतना वायरल हुआ कि उसके समर्थन में कई जाने-माने लो...
International Conference on eimagining Smart Libraries

International Conference on eimagining Smart Libraries

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, प्रेस विज्ञप्ति, राष्ट्रीय
A two-day international conference on ‘Reimagining Smart Libraries’ was organised by IILMUniversity and HLA, powered by the Library Professionals Foundation, on May 10–11, 2024, atIILM University, Gurugram, Haryana, India. The main objective of the conference was to providea platform for participants from companies, business organisations, academicians, researchscholars, and students to discuss emerging technologies, innovation, and knowledge creation inlight of the challenges of converting things and reimagining smart libraries.The conference started with the welcome of dignitaries and invited all the dignitaries for thelighting of lamps and Saraswati Vandana as a pious beginning.The two-day sangam of intellectuals to do the manthan for reimagination of libraries startedwith the inaugura...
पंच परिवर्तन बनेगा समाज परिवर्तन का सशक्त माध्यम

पंच परिवर्तन बनेगा समाज परिवर्तन का सशक्त माध्यम

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए पिछले लगभग 99 वर्षों से निरंतर कार्य कर रहा है। भारतीय समाज में सकारात्मक परिवर्तन को गति देने एवं समाज में अनुशासन व देशभक्ति के भाव को बढ़ाने के उद्देश्य से माननीय सर संघचालक श्री मोहन भागवत ने समाज में पंच परिवर्तन का आह्वान किया है ताकि अनुशासन एवं देशभक्ति से ओतप्रोत युवा वर्ग अनुशासित होकर अपने देश को आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य करे। इस पंच परिवर्तन में पांच आयाम शामिल किए गए हैं - (1) स्व का बोध अर्थात स्वदेशी, (2) नागरिक कर्तव्य, (3) पर्यावरण, (4) सामाजिक समरसता एवं (5) कुटुम्ब प्रबोधन। इस पंच परिवर्तन कार्यक्रम को सुचारू रूप से लागू कर समाज में बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। स्व के बोध से नागरिक अपने कर्तव्यों के प्रति सजग होंगे। नागरिक कर्तव्य बोध अर्थात कानून की पालना से राष्ट्र समृद्ध व उन्नत होगा। सामाजिक समरसता ...
विवाह की गरिमा का अर्थ

विवाह की गरिमा का अर्थ

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विवाह की गरिमा का अर्थ आधुनिक और प्रगतिशील होने का दम्भ भरने वाले भारतीय समाज के एक बड़े धड़े को देश की शीर्ष अदालत ने आईना दिखाया है। देश की शीर्ष अदालत को विवाह जैसे बेहद व्यक्तिगत मामले में परामर्श देना पड़ा है, तो इसका अभिप्राय यही है कि इसके मूल स्वरूप से तेजी से खिलवाड़ हो रहा है। अदालत को सख्त लहजे में यहां तक कहना पड़ा कि विवाह यदि सप्तपदी यानी फेरे जैसे उचित संस्कार और जरूरी समारोह के बिना होता है तो वह अमान्य ही होगा। निश्चित रूप से अदालत ने यह बताने का प्रयास किया कि इन जरूरी परंपराओं के निर्वहन से ही विवाह की पवित्रता और कानूनी जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। हाल के वर्षों में विवाह समारोहों के आयोजन में पैसे के फूहड़ प्रदर्शन व तमाम तरह के आडंबरों को तो प्राथमिकता दी जा रही है, लेकिन परंपरागत हिंदू विवाह के तौर-तरीकों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। आज से कुछ दशक...
सिर्फ हिन्दुओं की जातियों की  चर्चा करने वाले कौन?

सिर्फ हिन्दुओं की जातियों की  चर्चा करने वाले कौन?

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सिर्फ हिन्दुओं की जातियों की  चर्चा करने वाले कौन? आर.के. सिन्हा हर बार की तरह इस लोकसभा चुनाव में भी अपने को राजनीति का विद्वान बताने वाले ज्ञानियों ने किस संसदीय क्षेत्र में किसके हक में बयार बह रही है , इस विषय पर लिखना-बताना शुरू कर दिया है। वे अपना विश्लेषण रखते हुए बताते हैं कि वहां ( उस संसदीय क्षेत्र में ) इतने फीसद क्षत्रिय, ब्राह्मण, दलित, पिछड़े, अति पिछड़े, यादव वगैरह हैं। यहां तक तो सब ठीक है। पर जातियों का गणित बताने वाले मुसलमानों, सिखों, ईसाइयों की जातियों पर मौन ही रहते हैं। उन्हें जातियों के कोढ़ के बारे में सिर्फ हिन्दुओं की ही चर्चा करनी होती है। उन्हें लगता है कि मानों जातियां सिर्फ हिन्दू धर्म में ही हैं। जैसे कि बाकी धर्मावलंबी  किसी जात-पात में यकीन नहीं करते। इससे एक बात बहुत साफ हो जानी चाहिए हमारे &nbs...
लोकसभा चुनाव में मुद्दों को नया विमर्श दें

लोकसभा चुनाव में मुद्दों को नया विमर्श दें

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
- ललित गर्ग - लोकसभा चुनावों के प्रचार अभियान में एक आवाज बहुत धीमी पर एक वजन और पीड़ा के साथ सुनने को मिल रही है कि इस चुनाव को येन-केन-प्रकारेण जीतने के सभी जायज एवं नाजायक प्रयोग हो रहे हैं, लेकिन नैतिकता, मूल्य एवं आदर्श की बात कहीं भी सुनाई नहीं दे रही है। देश का राजनीतिक भविष्य तय करने वाले इन चुनावों में एक और विडम्बना देखने को मिल रही है कि राष्ट्र विकास के मुद्दों एवं आजादी के अमृतकाल को अमृतमय बनाने की कोई चर्चा नहीं है। देश को दिशा देने एवं कोई नया विमर्श खड़ा करने का नेताओं के पास अभाव है, जो अपने-आप में एक त्रासदी है। मतदाताओं की लोकतंत्र के महाकुंभ में भागीदारी का घटना भी एक चिन्ता का सबब है। जबकि किसी भी राष्ट्र के जीवन में चुनाव सबसे महत्त्वपूर्ण घटना होती है। यह एक यज्ञ होता है। लोकतंत्र प्रणाली का सबसे मजबूत पैर होता है।विभिन्न राजनीतिक दल आरक्षण का मुद्दा खड़ा करके ज...