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जलवायु संकट के लिये अमीर देशों की उदासीनता खतरनाक

जलवायु संकट के लिये अमीर देशों की उदासीनता खतरनाक

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
 ललित गर्ग  जलवायु परिवर्तन के संकट से निपटने के लिए अमीर एवं शक्तिशाली देशों की उदासीनता एवं लापरवाह रवैया एक बार फिर मिस्र के अंतरराष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन (कॉप-27) में देखने को मिली। दुनिया में जलवायु परिवर्तन की समस्या जितनी गंभीर होती जा रही है, इससे निपटने के गंभीर प्रयासों का उतना ही अभाव महसूस हो रहा है। कॉप-27 में मौसम में अप्रत्याशित बदलाव के कारण गरीब देशों को हुए नुकसान पर चर्चाएं हुई, इस तरह का नुकसान गरीब देश ही भुगतते हैं। इस सम्मेलन में इसकी भरपाई के लिए धन मुहैया कराने समेत अन्य अहम मुद्दों को लेकर गतिरोध ने इस कड़वे यथार्थ एवं खौफनाक सच को फिर रेखांकित कर दिया कि अमीर एवं शक्तिशाली देश इस वैश्विक समस्या के प्रति उदासीन है। गंभीर से गंभीरतर होते इस संकट को लेकर सम्मेलन के समापन पर ‘नुकसान और क्षति’ कोष स्थापित करने पर सहमति भले ही बन गई, लेकिन यह कोष कब तक बनेगा,...
पांच लाख करोड़ डालर की भारतीय अर्थव्यवस्था ग्रामीण विकास के सहारे ही बनेगी

पांच लाख करोड़ डालर की भारतीय अर्थव्यवस्था ग्रामीण विकास के सहारे ही बनेगी

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, आर्थिक
आज विश्व के लगभग सभी विकसित एवं विकासशील देश आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं। इन समस्त अर्थव्यवस्थाओं के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर एक चमकते सितारे के रूप में देखा जा रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था में लगातार तेज गति से हो रहे सुधार के चलते आज भारत का नाम पूरे विश्व में बड़े ही आदर और विश्वास के साथ लिया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक फण्ड एवं विश्व बैंक जैसी वित्तीय संस्थाएं भी भारतीय अर्थव्यवस्था में अपनी अपार श्रद्धा जता चुकी हैं। इन वित्तीय संस्थानों का कहना है कि भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास बहुत ही मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए 6 विकास सूचक  उच्च मानक वाले माने जाते हैं। इन विकास सूचकों में शामिल हैं - ट्रैक्टर एवं दोपहिया वाहनों की बिक्री में वृद्धि, उर्वरकों की बिक्री में वृद्धि, कृषि क्षेत्र में बैकों द्वारा प्रदान...
अच्छी आदतों के निर्माण का संकल्प लें

अच्छी आदतों के निर्माण का संकल्प लें

Current Affaires, EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
-ललित गर्ग- आज का इंसान नकारात्मक को ओढ़े नानाप्रकार की समस्याओं से जूझ रहा है,हर इंसान अपनी आदतों को लेकर परेशान है। ऐसा नहीं है कि आज का आदमी समय के साथ चलना न चाहे, बुरे आचरण एवं आदतों को छोड़कर अच्छी जिन्दगी का सपना न देखे, बुराई को बुराई समझने के लिये तैयार न हो। सोचना यह है कि हम गहरे में जमंे संस्कारों एवं जड़ हो चुकी आदतों को कैसे दूर करें। जड़ तक कैसे पहुंचे। बिना जड़ के सिर्फ फूल-पत्तों का क्या मूल्य? अच्छा जीवन जीने एवं श्रेष्ठता के मुकाम तक पहुंचने के लिये अच्छी आदतों को स्वयं में सहेजना होगा, बाहरी अवधारणाओं को बदलना होगा, जीने की दिशाओं को मोड़ देना होगा। अंधेरा तभी तक डरावना है जब तक हाथ दीये की बाती तक न पहुंचे। जरूरत सिर्फ उठकर दीये तक पहुंचने की है।विलियम जेम्स ने अपनी पुस्तक ‘दि प्रिसिंपल ऑफ साइकोलॉजी’ में मनोवैज्ञानिक ढंग से चर्चा करते हुए लिखा है-‘अच्छा जीवन जीने क...
भारत के लिए जी-20: ग्लोबल साउथ का नेतृत्व संभालने का अवसर

भारत के लिए जी-20: ग्लोबल साउथ का नेतृत्व संभालने का अवसर

BREAKING NEWS, CURRENT ISSUE, EXCLUSIVE NEWS, राष्ट्रीय
भारत के लिए जी-20 की अध्यक्षता ग्लोबल साउथ का नेतृत्व संभालने का अवसर है। संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय संगठनों में सुधार पर वैश्विक सहमति बनाना, कोविड के बाद के युग के लिए एक नई विश्व व्यवस्था की ओर पहला कदम था। जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 महामारी और यूक्रेन में युद्ध जैसी चुनौतियों का सामना कर रही दुनिया में जी20 की प्रासंगिकता बढ़ी है। भारत की अध्यक्षता समावेशी, महत्वाकांक्षी, निर्णायक और कार्रवाई-उन्मुख होगी, जैसा कि भारत की जी-20 अध्यक्षता थीम "एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य" द्वारा दर्शाया गया है। -प्रियंका सौरभ सदस्य वर्तमान में विश्व सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 80%, वैश्विक व्यापार का 75% और वैश्विक जनसंख्या का 60% हिस्सा हैं। प्रेसीडेंसी, इससे पहले और बाद में (ट्रोइका) प्रेसीडेंसी रखने वाले देशों द्वारा सहायता प्राप्त, प्रत्येक वर्ष के शिखर सम्मेलन के एजेंडे को निर्धारित क...
न्याय-व्यवस्थाः सुधार के संकेत

न्याय-व्यवस्थाः सुधार के संकेत

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*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* सर्वोच्च न्यायालय में आए एक ताजा मामले ने हमारी न्याय-व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है लेकिन उसने देश के सारे न्यायालयों को नया रास्ता भी दिखा दिया है। हमारी बड़ी अदालत में 1965 में डाॅ. राममनोहर लोहिया ने अंग्रेजी का बहिष्कार करके हिंदी में बोलने की कोशिश की थी लेकिन कल शंकरलाल शर्मा नामक एक व्यक्ति ने अपना मामला जैसे ही हिंदी में उठाया, सर्वोच्च न्यायालय के दो जजों ने कहा कि वे हिंदी नहीं समझते। उनमें से एक जज मलयाली के एम. जोजफ थे और दूसरे थे बंगाली ​ऋषिकेश राय। उनका हिंदी नहीं समझना तो स्वाभाविक था और क्षम्य भी है लेकिन कई हिंदी भाषी जज भी ऐसे हैं, जो अपने मुवक्किलों और वकीलों को हिंदी में बहस नहीं करने देते हैं। उनकी भी यह मजबूरी मानी जा सकती है, क्योंकि उनकी सारी कानून की पढ़ाई-लिखाई अंग्रेजी में होती रही है। उन्हें नौकरियां भी अंग्रेजी के जरिए ही मिलत...
पिछले 32 वर्षों से सिक्योरिटी प्रशिक्षण के लिए प्रतिबद्ध संस्था है आईआईएसएसएम IISSM

पिछले 32 वर्षों से सिक्योरिटी प्रशिक्षण के लिए प्रतिबद्ध संस्था है आईआईएसएसएम IISSM

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इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्योरिटी एंड सेफ्टी मैनेजमेंट (आईआईएसएसएम) के दो दिवसीय 32वां अन्तरराष्ट्रीय कॉन्क्लेव की शुरुआत आज दिल्ली में हुई। यह कॉन्क्लेव होटल क्राउन प्लाजा, ओखला फेज 1, नई दिल्ली के खचाखच भरे हॉल के साथ ही वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर भी आयोजित किया गया है। जिसमें पूरे विश्व के हजारों सुरक्षा विशेषज्ञों ने भाग लिया। इस बार कॉन्क्लेव का थीम “राष्ट्र निर्माण में सुरक्षा, सुरक्षा और हानि निवारण की भूमिका” है। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए आईआईएसएसएम के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा सांसद आर.के सिन्हा ने कहा कि सुरक्षा के क्षेत्र में प्रशिक्षण का विशेष महत्व है। सुरक्षा एजेंसियों को समय-समय पर नई तकनीक से खुद को अपग्रेड करते रहना चाहिए। उन्होंने आईआईएसएसएम की स्थापना के उद्देश्य के विषय में बताते हुए कहा कि जब 1989 में मैं पटना में एक छोटी सी ही सिक्यूरिटी कम्पनी ...
न्यायिक अंधेरों में उम्मीद की किरण बनतेे चन्द्रचूड़-ललित गर्ग

न्यायिक अंधेरों में उम्मीद की किरण बनतेे चन्द्रचूड़-ललित गर्ग

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भारत की न्याय प्रणाली विसंगतियों एवं विषमताओं से घिरी है। संवैधानिक न्यायालय का गठन बड़ा अलोकतांत्रिक व दोषपूर्ण है। न्याय-व्यवस्था जिसके द्वारा न्यायपालिकाएं अपने कार्य-संचालन करती है वह अत्यंत महंगी, अतिविलंबकारी और अप्रत्याशित निर्णय देने वाली है। ‘न्याय प्राप्त करना और इसे समय से प्राप्त करना किसी भी राज्य व्यवस्था के व्यक्ति का नैसर्गिक अधिकार होता है।’ ‘न्याय में देरी न्याय के सिद्धांत से विमुखता है।’ भारतीय न्यायिक व्यवस्था में विद्यमान इन चुनौतियों एवं विसंगतियों को दूर करने के लिये भारत के 50वें प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) के रूप में शपथ लेने के बाद से ही जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ लगातार सक्रिय एवं संकल्पित है। वे न्याय-प्रक्रिया की कमियों एवं मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं तो उनमें सुधार के लिये जागरूक दिखाई दे रहे हैं। निश्चित ही उनसे न्यायपालिका में छाये अंधेरे सायों में सुधार रूपी ...
कोरोनरी आर्टरी डिसीज के लिए अब प्राकृतिक बाईपास

कोरोनरी आर्टरी डिसीज के लिए अब प्राकृतिक बाईपास

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सेहतकोरोनरी आर्टरी डिसीज के लिए अब प्राकृतिक बाईपासडॉ. बिमल छाजेड़निदेशकसाओल हार्ट सेंटर, नई दिल्ली आज की भागदौड़ भरी जिंदगी एवं बदलती हुई जीवनशैली के कारण व्यस्तता इतनी बढ़ गई है कि लोगों को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देने का समय ही नहीं मिलता जिसका परिणाम है दिन पर दिन बढ़ते हृदय संबंधी रोग। दिन प्रतिदिन बढ़ती हुई बीमारियों के कारण कई आधुनिक तकनीकों, दवाइयों आदि का विकास तो हुआ है, लेकिन ये सभी तकनीकें पर्याप्त नहीं है एवं ये सभी तकनीकें स्थाई भी नहीं है, क्योंकि इनके भी कुछ सीमित दायरें हैं। आज सबसे अधिक मात्रा में जो हृदय रोग पाया जाता है वह है कोरोनरी आर्टरी डिसी$ज। जिस प्रयोगात्मक तकनीक से इसका उपचार किया जाता है वह है कोरोनरी आर्टरी बाईपास (सी ए बी सी) जिससे कोरोनरी हार्ट डिसी$ज के मरीजों का इलाज किया जाता है। लेकिन यह तकनीक अस्थायी उपचार प्रदान करती है व यह अधिक खर्चीली पड़़ती है।...
क्या पुरुष उपेक्षा एवं उत्पीडन के शिकार हैं?

क्या पुरुष उपेक्षा एवं उत्पीडन के शिकार हैं?

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अन्तर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस-19 नवम्बर, 2022 पर विशेष-ललित गर्ग- दुुनिया में अब महिला दिवस की भांति पुरुष दिवस प्रभावी रूप में बनाये जाने की आवश्यकता महसूस की जाने लगी है। अब पुरुष भी अपने शोषण एवं उत्पीडित होने की बात उठा रहे हैं। महिलाओं की तुलना में पुरुषों पर अधिक उपेक्षा, उत्पीड़न एवं अन्याय की घटनाएं पनपने की भी बात की जा रही है। महिला दिवस की तर्ज पर ही पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस भी मनाया जाने लगा है। इस दिवस की शुरुआत 1999 में त्रिनिदाद एवं टोबागो से हुई थी। तब से प्रत्येक वर्ष 19 नवम्बर को अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस दुनिया के 30 से अधिक देशों में मनाया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इसे मान्यता देते हुए इसकी आवश्यकता को बल दिया और पुरजोर सराहना एवं सहायता दी है। आज तेजी से बदलती दुनिया में हर वर्ग के लिए परिभाषाएं भी बन एवं बदल रही हैं। एक तरफ जहां महिलाएं सशक...
फीफा कप- भारतीयों की पसंद ब्राजील ही टीम क्यों

फीफा कप- भारतीयों की पसंद ब्राजील ही टीम क्यों

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आर.के. सिन्हा क्रिकेट टी-20 वर्ल्ड कप के फौरन बाद अब फीफा विश्व कप आगामी 20 नवंबर से कतर में शुरू हो रहा है। लोकप्रियता के स्तर पर क्रिकेट कहीं नहीं ठहरती फुटबॉल के सामने। भारत के हर गाँव में फुटबाल प्रेमी भरे पड़े हैं। फीफा विश्व कप को सारी दुनिया के करोड़ों-अरबों लोगे देखेंगे। भारत में भी इसके मैच हर रोज देखे जाएंगे। दुनिया भर के 200 से अधिक देशों ने हर चार साल में होने वाली इस फुटबॉल स्पर्धा में क्वालीफाई करने का प्रयास किया, लेकिन मेजबान कतर सहित केवल 32 टीमें ही 2022 फुटबॉल विश्व कप के लिए क्वालीफाई कर सकीं। हालांकि उन 32 देशों में भारत भी नहीं हैं जो फीफा कप के लिए क्वालीफाई कर सके हैं। एक अरसे से भारतीय फुटबॉल प्रेमी ब्राजील की टीम को ही चीयर करते हैं और संतोष कर लेते हैं। हमारे फुटबॉल प्रेमियों की ब्राजील की टीम को ...