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क़ानून, व्यवस्था व व्यवहार को आइना दिखाती एक जंगल बुक वाइल्डलाइफ इण्डिया@50

क़ानून, व्यवस्था व व्यवहार को आइना दिखाती एक जंगल बुक वाइल्डलाइफ इण्डिया@50

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समीक्षक: अरुण तिवारी जब दिमाग और दुनिया...दोनो का पारा चढ़ रहा हो, खुशियों की हरियाली घट रही हो और मन का रेगिस्तान बढ़ रहा हो तो किसी को आइना भी झूठ लग सकता है। किन्तु सच यह है कि आइना झूठ नहीं बोलता। कहते हैं कि किताबें वक्त का आइना होती हैं। किन्तु दूसरी ओर अनुभव कहता है कि ज़मीनी हक़ीक़त जानने के लिए राइटर्स से ज्यादा प्रेक्टिशनर्स पर यकीन किया जाना चाहिए। इस वर्ष - 2022 के ऐसे वैश्विक माहौल में एक ऐसी भारतीय किताब का आना बेहद अहम् है, जिसे लिखने वाले वे हैं, जिन्होने जंगली जीवों की संवेदनाओं व उनसे इंसानी रिश्तों को खुद जिया है; जिसके एडीटर व राइटर्स पर उनका अनुभवी प्रेक्टिशनर हावी है। किताब के संपादक - मनोज कुमार मिश्र, खुद एक वरिष्ठ वन अधिकारी रहे हैं। अनुभव ने उन्हे अब वाया 'यमुना जिये अभियान' और 'इंडिया रिवर वीक', भारत की नदियां संजोने के काम में लगा दिया है...
भारतीय सशस्त्र बलों के बड़े पैमाने पर आधुनिकीकरण की आवश्यकता

भारतीय सशस्त्र बलों के बड़े पैमाने पर आधुनिकीकरण की आवश्यकता

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भारत के पास रक्षा उपकरणों के विनिर्माण के लिये एक उचित औद्योगिक आधार का अभाव है। हालाँकि तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में दो रक्षा क्षेत्र स्थापित किये गए हैं जो निजी क्षेत्र को परिचालन के लिये आधार प्रदान करेंगे। इन क्षेत्रों की स्थापना और विनिर्माण कार्य शुरू किये जाने के बाद पूरी रक्षा अर्थव्यवस्था को मज़बूती मिलेगी। रक्षा उद्योग में अनुसंधान एवं विकास की आवश्यकता के साथ सामरिक स्वायत्तता सुनिश्चित करना जरूरी हो गया है, भू-राजनीति के बढ़ते चरण और विवैश्वीकरण के साथ, अनुसंधान एवं विकास में सुधार के माध्यम से रक्षा निर्माण में सुधार करना अनिवार्य हो जाता है। उभरते सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास के साथ, सीमा पार साइबर हमले, ड्रोन हमले, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाने के लिए कृत्रिम तकनीक का उपयोग जैसे नए खतरे उभर रहे हैं जिन्हें अनुसंधान एवं विकास...
जबरन धर्मांतरण की आजादी कदापि नहीं

जबरन धर्मांतरण की आजादी कदापि नहीं

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अब तो समझिये,देश की शीर्ष अदालत भी जबरन धर्मांतरण को चुनौतीपूर्ण मुद्दा मानती है , उसका स्पष्ट मत है कि इस तरह की कोशिशें जहां राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये चुनौती हैं, वहीं नागरिकों की धर्म और अंत:करण की स्वतंत्रता को भी बाधित करती हैं। जब शीर्ष अदालत केंद्र सरकार से कदम उठाने को कहती है तो विषय की गंभीरता का अहसास होता है। अदालत का मानना है कि देश में धार्मिक आजादी है, लेकिन इसका मतलब जबरन धर्मांतरण की आजादी होना कदापि नहीं है। शीर्ष अदालत ने इस बाबत केंद्र सरकार को तुरंत कदम उठाने को कहा है और बाईस नवंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा है ताकि मामले में माह के अंतिम सप्ताह में सुनवाई हो सके। देश में लंबे समय से आरोप लगते रहे हैं कि देशी-विदेशी एजेंसियां धर्मांतरण के जरिये देश का सांस्कृतिक चरित्र बदलने की कोशिशों में लगी हैं। खासकर आदिवासी व पिछड़े इलाकों में छलबल व धनबल के जरिये ऐसी कोशिशों ...
Mission ‘LiFE’ for combating climate change

Mission ‘LiFE’ for combating climate change

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Currently, the world is amidst intense dialogue with one another on the defining global challenge humanity faces- climate change. This year, the ongoing 27th session of the Conference of the Parties (COP 27) of the United Nations Framework Convention on Climate Change (UNFCCC) is hosted by the Government of Egypt at Sharm-el-Sheikh from 06th-18th November 2022. On this global platform, countries Party to the Convention have gathered to make concrete decisions and discuss further courses of action toward achieving the world's collective climate goals as agreed under the Paris Agreement and the Convention. Aligning with the Theme of COP27- 'Delivering for people and the planet' the conference brings together the countries and reinstates and delivers on the commitments made under the Par...
पंजाब में हिंसा की उग्रता फिर नियति न बन जाये

पंजाब में हिंसा की उग्रता फिर नियति न बन जाये

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-ललित गर्ग- देश की कृषि एवं महापुरुषों की शांति भूमि राजनीतिक कारणों से हिंसा, आतंकवाद एवं नशे की भूमि बन गयी है। जबसे आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है, हिंसा, हथियारों एवं नशे की उर्वरा भूमि बनकर जीवन की शांति पर कहर ढहा रही  है। राज्य में तेजी से पनप रही बंदूक एवं नशे की संस्कृति चिन्ता का सबब बन रही है। निर्दोष लोग मारे जा रहे हैं और अधिकांश लोग नशे में डूब रहे हैं। हथियारों का खुला प्रदर्शन, खूनखराबा आम बात हो गयी है। इस प्रकार यह हथियारों की शृंखला, नशे का नंगा नाच, अमानवीय कृत्य अनेक सवाल पैदा कर रहे हैं। कुछ सवाल लाशों के साथ सो गये। कुछ समय को मालूम है, जो भविष्य में उद्घाटित होंगे। इसके पीछे किसका दिमाग और किसका हाथ है? आज करोड़ों देशवासियों के दिल और दिमाग में यह सवाल है। क्या हो गया है हमारे पंजाब को? पिछले लम्बे दौर से हिंसा रूप बदल-बदल कर अपना करतब दिखाती है- विनाश और न...
जी-20: अब भारत देगा दुनिया को दिशा

जी-20: अब भारत देगा दुनिया को दिशा

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जी-20: अब भारत करेगा दुनिया का नेतृत्व आर.के. सिन्हा भारत को जी-20 देशों के समूह की सांकेतिक रूप से अध्यक्षता आगामी 16 नवंबर को ही मिल जाएगी जब  इंडोनेशिया के शहर बाली में चल रहा जी-20 शिखर सम्मेलन समाप्त होगा। हां, भारत विधिवत रूप से जी-20 की अध्यक्षता अगले माह 1 दिसंबर से संभालेगा। भारत के लिए यह एक ऐतिहासिक अवसर है दुनिया को नेतृत्व प्रदान करने का और अपनी नेतृत्व क्षमता प्रदर्शित करने का । जी-20 ऐसे देशों का समूह है, जिनका आर्थिक सामर्थ्य, विश्व की 85% जीडीपी का प्रतिनिधित्व करता है। जी-20 उन 20 देशों का समूह है, जो विश्व के 75% व्यापार का भी प्रतिनिधित्व करता है और भारत अब इसी जी-20 समूह का नेतृत्व करने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में जी-20 ...
समुद्र के बढ़ते जलस्तर और बारिश से संकट में मैंग्रोव आवास’

समुद्र के बढ़ते जलस्तर और बारिश से संकट में मैंग्रोव आवास’

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पारिस्थितिकी तंत्र से जुड़ी प्रक्रियाओं में मैंग्रोव सहायक होते हैं और तटीय पारिस्थितिक खतरों को कम करने में मदद करते हैं। लेकिन, जलवायु परिवर्तन, समुद्री जलस्तर में उतार-चढ़ाव और मानवीय गतिविधियों के कारण मैंग्रोव कवर दुनियाभर में तेजी से सिकुड़ रहा है। यही नहीं, मैंग्रोव आवास गंभीर रूप से संकटग्रस्त पारिस्थितिक तंत्रों में शामिल हो गए हैं। एक नये अध्ययन में पता चला है कि वर्ष 2070 तक भारत के पूर्वी और पश्चिमी तट पर कई मैंग्रोव आवास क्षेत्र सिकुड़कर भूमि की ओर स्थानांतरित हो सकते हैं। मैंग्रोव आवास क्षेत्रों के सिकुड़ने के लिए शोधकर्ताओं ने बरसात और समुद्री जलस्तर में बदलाव को जिम्मेदार ठहराया है। पूर्वी तट पर चिलिका एवं सुंदरबन और पश्चिमी घाट पर द्वारका तथा पोरबंदर क्षेत्रों में किये गए एक अध्ययन में यह बात उभरकर आयी है। पूर्वानुमान मॉडल पर आधारित यह अध्ययन भारत सरकार के विज्ञान ...
चंद्रचूड़ और अमित शाहः पते की बात*

चंद्रचूड़ और अमित शाहः पते की बात*

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*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* आज दो खबरों ने बरबस मेरा ध्यान खींचा। एक तो मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़ के बयान ने और दूसरा गृहमंत्री अमित शाह के बयान ने! दोनों ने वही बात कह दी है, जिसे मैं कई दशकों से कहता चला आ रहा हूं लेकिन देश के किसी न्यायाधीश या नेता की हिम्मत नहीं पड़ती कि भाषा के सवाल पर वे इतनी पुख्ता और तर्कसंगत बात कह दें। चंद्रचूड़ ने ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ की संगोष्ठी में बोलते हुए कह दिया कि कोई यदि अच्छी अंग्रेजी बोल सकता है तो इसे उसकी योग्यता का प्रमाण नहीं माना जा सकता और उसकी योग्यता इस बात से भी नापी नहीं जा सकती कि वह व्यक्ति कौन से नामी-गिरामी स्कूल या काॅलेज से पढ़कर निकला है। हमारे देश में इसका एकदम उल्टा ही होता है। इसका एकमात्र कारण हमारे नेताओं और नौकरशाहों की बौद्धिक गुलामी है। अंग्रेजों की लादी हुई औपनिवेशिक व्यवस्था ने भारत की शिक्षा और चिकित्सा दोनों को चौपट कर र...
सुप्रीम कोर्ट के जजों का अहंकार –

सुप्रीम कोर्ट के जजों का अहंकार –

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इनके पतन का कारण बनेगा - वैसे तो यह काफी समय से चल रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के जजों का अहंकार चरम पर चलता दिखाई दे रहा है और यही जुडिशरी के लिए हानिकारक साबित होगा परन्तु कुछ हाल के मसलों में पता चलता है जजों को एहसास ही नहीं होता कि वो क्या बोल रहे हैं - कुछ किस्से बता रहा हूँ - -कल CJI चंद्रचूड़ के सामने वकील शशांक शेखर झा की याचिका सुनवाई के लिए आई जिसमे उन्होंने पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाने के लिए अपील की थी - इस याचिका को चंद्र्कहुड ने सुनने से ही मना कर दिया और 80% पराली जलाने वाले पंजाब को एक तरह से निर्दोष बता दिया - चंद्रचूड़ ने कहा कि क्या पराली जलने से रोकने से प्रदूषण ख़तम हो जायेगा, इसके लिए कुछ और तरींका ढूढ़ना होगा - इसका मतलब तो यही हुआ न मीलार्ड कि पराली जलाने से प्रदूषण नहीं होता बल्कि एक दिवाली की रात में पटाखे जलाने से सारा प्रदूषण होता है जिसे रोकने के लिए आप...
जांच बलात्कार की या स्त्री के चरित्र की?*

जांच बलात्कार की या स्त्री के चरित्र की?*

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जांच बलात्कार की या स्त्री के चरित्र की?* सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार की जांच के संबंध में किये जाने वाले टू फिंगर टेस्ट पर रोक लगा दी है और सत्य से परे एक बात कि शादीशुदा स्त्री का बलात्कार नहीं हो सकता, को विपरीत नजीर बना दिया है| सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाइकोर्ट के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें सत्र न्यायालय के फैसले के विरुद्ध जा कर दुष्कर्म के दोषियों को रिहा कर दिया गया था, जबकि सत्र अदालत ने उन्हें दोषी माना था| सुप्रीम कोर्ट ने इस केस के अभियुक्तों को दोषी करार देते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनायी है|वैसे तो यह जांच एक तरह से स्त्री की यौन शुचिता से जुड़ी है| वह संभोग की आदी है या नहीं, यह देखने के लिए यह टेस्ट होता है| इसमें छिपी हुई एक बात यह भी है कि किसी विवाहिता के बारे में मान लिया जाता है कि उसका बलात्कार हो ही नहीं सकता| कुंआरेपन को जांचने के लिए यह टेस्ट किया जात...