महर्षि वाल्मीकि जयंती पर लिखा एक लेख सहृदय पाठकों के अवलोकनार्थ :– इंदुशेखर
महर्षि वाल्मीकि जयंती पर लिखा एक लेख सहृदय पाठकों के अवलोकनार्थ :– इंदुशेखर
–––––––––––––––विश्व के प्रथम कवि वाल्मीकि का लोकधर्म
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महर्षि वाल्मीकि इस संसार के प्रथम कवि हैं, जिन्होंने पहला श्लोक रचकर लोक में कविता का सूत्रपात किया। तमसा नदी के तट पर जब ये संध्या–वन्दन कर रहे थे तो एक बहेलिए ने परस्पर क्रीड़ारत क्रौंच पक्षी के जोड़े में से नर क्रौंच का वध कर दिया। क्रौंची के चीत्कार से पूरा जंगल गूँज उठा। धरती पर पड़े रक्त से लथपथ क्रौंच और विलाप करती हुई क्रौंची को देखकर ऋषि का मन करुणा से भीग गया। वे विचलित हो गए और उस दुष्ट बहेलिए को शाप दे डाला। भावावेश में ऋषि के मुख से अनायास श्लोक फूट पड़ा–
"मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः ।
यत्क्रौंचमिथुनादेकमवधी काममोहितम् ।।"
(रामायण, बालकाण्ड २/१५)
अर्थात् ओ, निषाद! तुमको अनंत...