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दाने-दाने को मोहताज पाक की चिंता अमेरिकी हथियार

दाने-दाने को मोहताज पाक की चिंता अमेरिकी हथियार

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दाने-दाने को मोहताज पाक की चिंता अमेरिकी हथियार आर.के. सिन्हा पड़ोसी देश पाकिस्तान की प्राथमिकताएं कभी-कभी सबको हैरान करती हैं। जो देश फिलहाल अपने अब तक के इतिहास की सबसे भयानक बाढ़ से हुई तबाही को झेल रहा है, उसे इस समय बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत देने की तनिक भी चिंता नहीं है। चिंता होती तो इस समय वह अमेरिका से एफ-16 लड़ाकू विमानों की डील को अंतिम रूप देने के लिये उतावलापन न दिखा रहा होता। अमेरिका ने एफ-16 विमान कार्यक्रम के तहत पाकिस्तान को 45 करोड़ डॉलर की मदद देने का ऐलान किया है। जाहिर है इस राशि से बाढ़ के पानी में लाखों बह गए घर बन जाते और बेबस लोगों को मदद पहुंचाई जा सकती थी। पर पाकिस्तान के हुक्मरानों की प्राथमिकता तो कुछ और ही हैं। वहां पर सब अहम फैसले लंबी-लंबी मूछों वाले फौजी जनरल ही लेते हैं। जिनकी उपलब्धि टके भर की भी नहीं होती है। उन्होंने देश को भूखमरी के कगार पर लाकर ख...
नौकरियों में आरक्षण खत्म हो*

नौकरियों में आरक्षण खत्म हो*

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नौकरियों में आरक्षण खत्म हो* *डॉ वेदप्रताप वैदिक* सर्वोच्च न्यायालय में आजकल आरक्षण पर बहस चल रही है। उसमें मुख्य मुद्दा यह है कि आर्थिक आधार पर लोगों को नौकरियों और शिक्षा-संस्थानों में आरक्षण दिया जाए या नहीं? 2019 में संसद ने संविधान में 103 वाँ संशोधन करके यह कानून बनाया था कि गरीबी की रेखा के नीचे जो लोग हैं, उन्हें 10 प्रतिशत तक आरक्षण दिया जाए। यह आरक्षण उन्हीं लोगों को मिलता है, जो अनुसूचित और पिछड़ों को मिलनेवाले आरक्षण भी शामिल नहीं हैं। याने सामान्य श्रेणी या अनारक्षित जातियों को भी यह आरक्षण मिल सकता है। उसका मापदंड यह है कि उस गरीब परिवार की आमदनी 8 लाख रु. साल से ज्यादा न हो। याने लगभग 65 हजार रु. प्रति माह से ज्यादा न हो। एक परिवार में यदि चार लोग कमाते हों तो उनकी आमदनी 16-17 हजार से कम ही हो। ऐसा माना जाता है कि गरीबी रेखा के नीचे जो लोग हैं, उनकी संख्या 25 प्रतिशत के...
हमें सॉफ्ट पुलिसिंग की आवश्यकता क्यों है?

हमें सॉफ्ट पुलिसिंग की आवश्यकता क्यों है?

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हमें सॉफ्ट पुलिसिंग की आवश्यकता क्यों है? समाज की सेवा व सुरक्षा के लिए व्यवस्थित की गई पुलिस हर जगह अपनी भद्द पिटाती रहती है। इसका मुख्य कारण यही रहा है कि समाज के लोगों, विशेषत: गांवों, कस्बों व शहरों में जाकर पुलिस ने अपनी स्थिति, लाचारी, कानूनी जिम्मेदारियों इत्यादि से जनता को कभी भी अवगत नहीं करवाया।  समस्या समाधान का दृष्टिकोण यानी गांधी जी के नैतिक सिद्धांतों का पालन करते हुए, "पाप से घृणा करो पापी से नहीं" का आदर्श व्यवहार में अपनाना। पुलिस कर्मियों के लिए, सेवा भाव (कर्तव्य की भावना) प्रेरक शक्ति होनी चाहिए न कि सत्ता का अहंकार। पुलिस को आम जनमानस को अपने साथ ले आने की आवश्यकता है तभी  बिना वर्दी के सतर्क नागरिक पुलिस की ढाल बन कर उनके सच्चे हमसफर, हमदर्द व हमराज बनकर पुलिस के चाल, चरित्र व चेहरे में निखार लाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। -डॉ सत्यवान सौरभ सॉफ्...
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के चलते भारत की आर्थिक विकास दर में हो रही वृद्धि

स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के चलते भारत की आर्थिक विकास दर में हो रही वृद्धि

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स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के चलते भारत की आर्थिक विकास दर में हो रही वृद्धि किसी भी देश में स्वस्थ नागरिक उस देश के लिए एक बहुत बड़ी पूंजी मानी जाती है। नागरिकों के स्वस्थ रहने से देश की अर्थव्यवस्था को सीधे सीधे दो लाभ होते हैं। एक, देश के स्वस्थ नागरिकों की उत्पादकता तुलनात्मक रूप से अधिक रहती है। दूसरे, यदि नागरिक बीमार हैं तो उनको स्वस्थ रखने के लिए अधिक खर्च करना होता है, जो कि एक तरह से अनुत्पादक खर्च की श्रेणी में गिना जाता है, और बीमार नागरिकों की उत्पादकता तो कम होती ही है। इस बीच यदि देश में उत्तम दर्जे की स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं तो अस्वस्थ नागरिकों को जल्दी स्वस्थ कर पुनः उनकी उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है। जिसका सीधा लाभ उस नागरिक के साथ ही देश के आर्थिक विकास में सुधार के रूप में भी देखने में आता है। हाल ही के समय में, भारत में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए कें...
हिंसक एवं असहिष्णु होते समाज की त्रासदी

हिंसक एवं असहिष्णु होते समाज की त्रासदी

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हिंसक एवं असहिष्णु होते समाज की त्रासदी - ललित गर्ग-भारतीय समाज हिंसक एवं असभ्य होता जा रहा है। समाज में बढ़ती हिंसकवृत्ति आदमी को एक दिन कालसौकरिक कसाई बना देती है, कंस बना देती है, रावण बना देती है। एक ऐसा हिंसक समाज बन रहा है, जिसमें कुछ लोगों को दिन भर में जब तक किसी को मार नहीं देते, उन्हें बेचैनी-सी रहती है। इतिहास में ऐसे कुछ विकृत दिमाग के लोग हुए हैं, जिन्हें यातना देकर किसी को मारने में आनंद आता था। लेकिन आधुनिक सभ्य समाजों में ऐसी प्रवृत्ति का कायम रहना गहन चिन्ता का विषय है। यह समझना मुश्किल होता जा रहा है कि लोगों में असहिष्णुता, असहनशीलता और हिंसा की प्रवृत्ति इतनी कैसे बढ़ रही है कि जिन मामलों में उन्हें कानून की मदद लेनी चाहिए, उनका निपटारा भी वे खुद करने लगते हैं और इसका नतीजा अक्सर किसी की मौत के रूप में सामने आता है। दिल्ली में जिस तरह एक व्यक्ति क...
ओजोन परत की बहाली के लिए विश्व स्तर पर कार्य आवश्यक हैं।

ओजोन परत की बहाली के लिए विश्व स्तर पर कार्य आवश्यक हैं।

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ओजोन परत की बहाली के लिए विश्व स्तर पर कार्य आवश्यक हैं। ओजोन एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला अणु है जो तीन ऑक्सीजन परमाणुओं से बना होता है। ओजोन पृथ्वी के वायुमंडल के विभिन्न स्तरों में पाई जाती है। वायुमंडल में लगभग 90% ओजोन पृथ्वी की सतह (स्ट्रेटोस्फेरिक ओजोन) से 15 से 30 किलोमीटर के बीच केंद्रित है। यह जमीनी स्तर पर कम सांद्रता (ट्रोपोस्फेरिक ओजोन) में भी पाया जाता है। ओजोन एक प्रदूषक है जो शहरों में धुंध का एक प्रमुख हिस्सा है।  ओजोन परत की खोज 1913 में फ्रांसीसी भौतिकविदों चार्ल्स फैब्री और हेनरी बुइसन ने की थी। ओजोन परत ओजोन की उच्च सांद्रता के लिए सामान्य शब्द है जो पृथ्वी की सतह से 15 से 30 किमी के बीच समताप मंडल में पाई जाती है। ओजोन परत सूर्य की मध्यम-आवृत्ति वाले पराबैंगनी प्रकाश (लगभग 200 एनएम से 315 एनएम तरंग दैर्ध्य) के 97 से 99 प्रतिशत को अवशोषित करती है, जो अन्यथा सत...
कमजोर पड़ते विपक्ष से भारतीय लोकतंत्र खतरे में

कमजोर पड़ते विपक्ष से भारतीय लोकतंत्र खतरे में

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(15 सितंबर: अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस) कमजोर पड़ते विपक्ष से भारतीय लोकतंत्र खतरे में सरकार को आलोचना को सिरे से खारिज करने के बजाय सुनना चाहिए। लोकतांत्रिक मूल्यों को खत्म करने के सुझावों पर एक विचारशील और सम्मानजनक प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।  प्रेस और न्यायपालिका जिन्हें लोकतंत्र के स्तंभ के रूप में माना जाता है, को किसी भी कार्यकारी हस्तक्षेप से स्वतंत्र होने की आवश्यकता है।  मजबूत लोकतंत्र के लिए मजबूत विपक्ष की जरूरत होती है। वैकल्पिक विकल्प के बिना, मनमानी शक्ति पर रोक लगाने के चुनाव का उद्देश्य ही विफल हो जाता है। लोकतांत्रिक मूल्य और सिद्धांत भारत की पहचान के मूल हैं। हमें अपने लोकतंत्र के स्तंभों - विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया को मजबूत करके उसकी रक्षा करने की आवश्यकता है। -डॉ सत्यवान सौरभ प्रेस पर बढ़ते हमले और न्यायिक स्वायत्तता के क्षरण से लोकतंत्र...
लोकतंत्र के लिये खतरा है मुफ्तखोरी की राजनीतिक

लोकतंत्र के लिये खतरा है मुफ्तखोरी की राजनीतिक

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लोकतंत्र के लिये खतरा है मुफ्तखोरी की राजनीतिक- ललित गर्ग-गुजरात के दिसम्बर-2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव प्रचार में आम आदमी पार्टी ने ‘रेवड़ी कल्चर’ का सहारा लिया तो राजनीतिक हलकों में यह विषय एक बार फिर चर्चा में आ गया। इन दिनों उच्चतम न्यायालय से लेकर राजनीति क्षेत्रों में ‘रेवड़ी कल्चर’ को लेकर व्यापक चर्चा आम है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मुक्त की संस्कृति पर तीखे प्रहार करते रहे हैं। मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त उपहार बांटने का प्रचलन लगातार बढ़ रहा है, खासकर तब जब चुनाव नजदीक हों। ‘फ्रीबीज’ या मुफ्त उपहार न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में वोट बटोरने का हथियार हैं। यह एक राजनीतिक विसंगति एवं विडम्बना है जिसे कल्याणकारी योजना का नाम देकर राजनीतिक लाभ  की रोटियां सेंकी जा रही है। यह तय करना कोई मुश्किल काम नहीं है कि कौनसी कल्याणकारी योजना है और कौनसी मुफ्तखोरी यानी ‘रेवड़ी कल्...
कांग्रेस को बेनकाब करती उसकी भारत जोड़ो यात्रा

कांग्रेस को बेनकाब करती उसकी भारत जोड़ो यात्रा

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कांग्रेस को बेनकाब करती उसकी भारत जोड़ो यात्रा मृत्युंजय दीक्षित स्वयं को पुर्नजीवित करने के लिए कांग्रेस अपने नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में कश्मीर से कन्याकुमारी तक 145 दिन की यात्रा पर निकली है और इसे नाम दिया है, भारत जोड़ो यात्रा । विडम्बना यहीं से प्रारंभ होती है – उद्देश्य है दिन प्रतिदिन बिखरती कांग्रेस को कुछ संजीवनी देना और इसी बहाने एक बार फिर राहुल को लांच करना और नाम है भारत जोड़ो जबकि होना चाहिए था कांग्रेस जोड़ो। “कांग्रेस को भारत से जोड़ो” नारा होता तो भी बात बन जाती । कांग्रेस पार्टी की यह यात्रा कहाँ, क्या और कितना जोड़ पाएगी यह तो समय बतायेगा लेकिन पिछले पांच दिनों में इस यात्रा ने कांग्रेस का असली चरित्र अवश्य बेनकाब किया है। राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पूरी तरह एक हिंदू और सनातन संस्कृति विरोधी पार्टी बन चुकी है इसमें टुकड़े- टुकड़े गैंग तथा हम लेकर रहेंगे आजादी क...
विरोध करना अधिकार है,सरकार की कृपा नहीं

विरोध करना अधिकार है,सरकार की कृपा नहीं

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*विरोध करना अधिकार है,सरकार की कृपा नहीं* विरोध करना और सरकार का विरोध करना भारत में आसान नहीं है | सदैव विरोध में रहे मेरे समाजवादी मित्र रघु ठाकुर ने यह बात बताते हुए सरकार के विरोध में किये जाने वाले धरना प्रदर्शन में होने वाली दुशवारियों का जिक्र किया था | यह दुश्वारी अब और गहरा गई है | कहने को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने उदारतापूर्वक नागरिकों को "निर्दिष्ट क्षेत्र में" यानी सिर्फ तय जगहों पर ही विरोध करने का अधिकार दिया है। नायालय की टिप्पणी थी कि "असहमति और लोकतंत्र साथ-साथ चलते हैं, लेकिन विरोध निर्दिष्ट क्षेत्र में ही किया जाना चाहिए। विरोध के तौर पर जो धरना प्रदर्शन आदि शुरू हुआ, उससे लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ा। कई प्रदर्शन ऐसे भी हुए जिनसे लोगों को असुविधा हुई और कई सिर्फ अनुमति के मकडजाल में फंस कर दम तोड़ गये | देश में बहुत से नागरिको को नहीं पता होगा कि निर्दिष्ट क्...