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विज्ञान संचार पाठ्यक्रम को सशक्त बनाने की जरूरत

विज्ञान संचार पाठ्यक्रम को सशक्त बनाने की जरूरत

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“विज्ञान संचार पाठ्यक्रम को सशक्त बनाने की जरूरत” नई दिल्ली, 24 अगस्त (इंडिया साइंस वायर): भोपाल में चल रहे 12वें राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव (एनएसएफएफआई)-2022 में संचार विशेषज्ञों ने विज्ञान संचार पाठ्यक्रम को नये सिरे से सशक्त बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव के दूसरे दिन 'साइंस कम्युनिकेशन इन मीडिया स्टडीज ऐंड मीडिया स्टडीज दैट कैन नॉट बी इग्नोर्ड' विषय पर आयोजित पैनल चर्चा में देश के चर्चित मीडिया एजुकेटर्स, साइंटिस्ट, विज्ञान संचारकों ने एक सुर में यह बात कही है। भोपाल के रवींद्र भवन में 22 अगस्त को शुरू हुआ यह पाँच दिवसीय महोत्सव 26 अगस्त चलेगा। पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं इग्नू के संचार विभाग के संस्थापक अध्यक्ष और इस विज्ञान फिल्म महोत्सव के नॉमिनेशन ज्यूरी सदस्य प्रोफेसर शंभूनाथ सिंह ने कहा कि कानून और पर्या...
तकनीक से बढ़ती बेचैनी

तकनीक से बढ़ती बेचैनी

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तकनीक से बढ़ती बेचैनी [आलेख: कमलेश कमल ] ********************* क्या आपको कभी लगा कि आज भले ही लोगों के पास साधन हैं, सूचना का बोझ है, पर उनके पास सच्चा संवाद नहीं है। साधन हैं, पर आत्मीय वार्तालाप करना उन्हें बोझिल लगता है, वे उड़े-उड़े, खोये-खोये से रहते हैं। यह भी हो सकता है कि कोई साथ के व्यक्ति से संवाद न करे पर सोशल मीडिया पर लगातार उत्तेजित अथवा नकरात्मक प्रतिक्रिया देने लगे। मानसिक भटकावों के अनेकानेक साधन उपलब्ध होने के इस युग में तकनीक भी बेचैनी का एक बड़ा कारण बन गई है। यह बस विकल्प देती है, विवेक नहीं देती। सस्ते डेटा के साथ फेसबुक, व्हाट्सएप, यूट्यूब आदि में कोई तब भी लगा रह सकता है, जब इनकी कोई आवश्यकता ही नहीं या तब जब कुछ सकारात्मक, सर्जनात्मक करने का समय हो। आज लोगों के पास पढ़ने के लिए बहुत से अच्छे आलेख हैं, ठीक से एक भी पढ़ने का समय नहीं है। अनावश्यक चीज़ों को हटान...
कांग्रेस मुक्त भारत का सपना साकार करते राहुल गांधी

कांग्रेस मुक्त भारत का सपना साकार करते राहुल गांधी

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कांग्रेस मुक्त भारत का सपना साकार करते राहुल गांधी आर.के. सिन्हा          कांग्रेस से देश को यह उम्मीद थी कि यूपीए सरकार के सन 2014 में सत्ता से मुक्त होने के बाद वह अब एक सशक्त विपक्ष की भूमिका को सही तरह से निभायेगी । वह केन्द्र में एनडीए सरकार के कामकाज पर पैनी नजर रखते हुए उसकी कमियों पर उसे घेरेगी भी और उपलब्धियों पर कभी-कभार उसकी पीठ भी थपथपा देगी। यही तो लोकतंत्र है। पर यह हो न सका। राहुल गांधी ने कांग्रेस को एक नकारा और थकी हुई पार्टी बनाकर रख दिया है। कांग्रेस में गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा जैसे पुराने नेता आलाकमान के फैसलों से निराश हैं।  गुलाम नबी आजाद और आनन्द शर्मा के चुनाव समितियों के अध्यक्ष पदों से दिए गए इस्तीफों ने यह दर्शा दिया है कि पार्टी में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। दशकों से पार्टी की सेवा करने वाले आजाद और शर्मा जैसे नेताओं को भी अब कांग्रेस में घुटन ...
क्या भारत छोड़ रहा है गांधी परिवार ?

क्या भारत छोड़ रहा है गांधी परिवार ?

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क्या भारत छोड़ रहा है गांधी परिवार ? नेशनल हेराल्ड घोटाले में गिरफ़्तारी की आशंका के बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी चिकित्सा जांच के लिए विदेश जाएंगी और उनके साथ राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा जाएंगे। हालांकि पार्टी ने इस बात का खुलासा नहीं किया है वे सभी किस तारीख और किस जगह जाएंगे। राजनीतिक हल्क़ों में चर्चा है कि बीमारी की जाँच के बहाने गांधी परिवार देश छोड़ने की फ़िराक़ में है। इस पूरे खेल में भाजपा व कांग्रेस में कोई गुप्त समझौता होना भी बताया जा रहा है। इसीलिए गांधी परिवार से बाहर के व्यक्ति को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनाने की बात राहुल गांधी ने छेड़ी है और अशोक गहलोत को कांग्रेस की कमान मिलनी तय मानी जा रही है। ग्रूप - 23 के नेताओ द्वारा कश्मीर व हिमाचल में  पद ठुकराने का निर्णय भी इसीलिए किया गया बताया जा रहा है क्योंकि इस ग्रूप के नेता अब बड़ी भूमिका की अपेक्षा कर...
कम से कम ‘गलत’ और ‘अपराध’ का साथ तो न दें

कम से कम ‘गलत’ और ‘अपराध’ का साथ तो न दें

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कम से कम ‘गलत’ और ‘अपराध’ का साथ तो न दें - ललित गर्ग -कुछ ऐसे व्यक्ति सभी जगह होते हैं जिनसे हम असहमत हो सकते हैं, पर जिन्हें नजरअन्दाज करना मुश्किल होता है। ऐसे ही सिद्धान्त एवं मूल्यहीन व्यक्तियों की विडम्बनाओं से समाज एवं राष्ट्र परेशान है, लेकिन विडम्बना इससे बड़ी यह है कि हम ऐसे व्यक्तियों की गलतियों पर उनका बहिष्कार करने की बजाय उन्हें महानायक बनाने की कुचेष्ठा करते हैं। उनके समर्थन में उतरते हैं, उन्हें सम्मानित किया जाता है। ऐसा ही श्रीकांत त्यागी नामक एक कथित राजनीतिक कार्यकर्त्ता के साथ त्यागी समाज ने किया, उनकी गलती पर, एक महिला के साथ बदसलूकी पर उनको चेताने, उनका सामाजिक बहिष्कार करने की बजाय उनको हीरो बनाकर प्रस्तुत किया गया है। यह एक सभ्य, संस्कारी एवं आदर्श समाज की संरचना की एक विसंगति के रूप में सामने आया है। श्रीकांत त्यागी का मामला राजनीतिक संरक्षण में पनप रहे दादा एवं ...
आपदा प्रबंधन के लिए कुछ नया करना होगा

आपदा प्रबंधन के लिए कुछ नया करना होगा

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आपदा प्रबंधन के लिए कुछ नया करना होगा *रजनीश कपूर किसी भी तरह की आपातस्थिति में आम नागरिक सीधे 100 नम्बर मिलाने की सोचता है। परंतु क्या हमारे देश का आपदा प्रबंधन इस कदर व्यवस्थित है कि किसी भी आपातस्थिति से कुशलतापूर्वक निपट सके? इसका जवाब आपको आसानी से नहीं मिल पाएगा। आपातस्थिति में तंत्र की अव्यवस्था के चलते नागरिकों को जिन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है उनसे शायद हम सबको भविष्य के लिए सबक सीखने की आवश्यकता है। मिसाल के तौर पर दिल्ली जैसे शहर में रहने वालों को शायद यह नहीं पता कि दिल्ली में कितने दमकल केंद्र हैं। दिल्ली अग्निशमन सेवा के अनुसार दिल्ली में 64 दमकल केंद्र हैं। प्रत्येक दमकल केंद्र का एक तय कार्यक्षेत्र और सीमा होती है। आग लगने के स्थिति में उसी सीमा के भीतर ही दमकल की गाड़ियाँ घटनास्थल पर जाती हैं। दिल्ली वालों को शायद यह भी नहीं पता कि सितम्बर 2019 से समस्त भारत...
सोनाली फोगाट का मर्डर या हार्ट अटैक देश में राजनीतिक हत्याओं का दौर नया नहीं है?

सोनाली फोगाट का मर्डर या हार्ट अटैक देश में राजनीतिक हत्याओं का दौर नया नहीं है?

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सोनाली फोगाट का मर्डर या हार्ट अटैक देश में राजनीतिक हत्याओं का दौर नया नहीं है? (अब्राहम लिंकन, जॉन एफ कैनेडी, इंदिरा गांधी और बेनजीर भुट्टो की जीवन ज्योति उनके राजनीतिक जीवन के चरम पर बुझा दी गई। आजादी के बाद से राजनीतिक हत्याओं का दौर भारत के राजनीतिक जीवन को भी लहूलुहान करता आया है। भारत को आजादी मिले छह महीने भी नहीं हुए थे कि महात्मा गांधी की हत्या ने दुनिया को हिला दिया। वर्ष 1953 में कश्मीर की शेष भारत के साथ एकता का आंदोलन करने वाले डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की श्रीनगर की जेल में रहस्यमय मृत्यु हो गई थी। वंशवादिता में राजनीति का कमान मिलना वंशपरंपरा के अधीन रहता है तो दूसरी ओर संपर्कवादिता के जरिए किसी बडे राजनेता के संपर्क में आने से राजनीतिक कमान प्राप्त करने की अभिलाषा पूर्ण हो जाती है। कहावत है कि "राजनीति एक गंदा खेल है"। )   - सत्यवान 'सौरभ' हरियाणा की बीजेपी न...
शोधकर्ताओं ने विकसित की हाइड्रोजन और हवा से चलने वाली स्वदेशी बस

शोधकर्ताओं ने विकसित की हाइड्रोजन और हवा से चलने वाली स्वदेशी बस

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शोधकर्ताओं ने विकसित की हाइड्रोजन और हवा से चलने वाली स्वदेशी बस नई दिल्ली, 22 अगस्त (इंडिया साइंस वायर): भारत को हरित हाइड्रोजन उत्पादन और निर्यात की दृष्टि से वैश्विक हब बनाने के उद्देश्य से ‘राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन’ शुरू किया गया है। हाइड्रोजन चालित वाहनों का निर्माण भी इस पहल का हिस्सा है। इस दिशा में कार्य करते हुए भारतीय शोधकर्ताओं को स्वदेशी हाइड्रोजन ईंधन सेल बस विकसित करने में सफलता मिली है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने पुणे में रविवार को इस हाइड्रोजन ईंधन सेल बस का अनावरण किया है। विद्युत उत्पन्न करने के लिए ईंधन सेल हाइड्रोजन और हवा का उपयोग करता है। इससे केवल पा...
Life is enriched with ‘Thank you’ and ‘Gratitude’

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‘शुक्रिया’ एवं ‘कृतज्ञता’ से संवरती है जिन्दगी - ललित गर्ग -इंसानी जीवन का एक सत्य है कि आदमी दुख भोगना नहीं चाहता, किन्तु काम ऐसे करता है, जिससे दुख पैदा हो जाता है। यह आश्चर्य की ही बात है कि आदमी चाहता है सुख और इस प्रयत्न में निकाल लेता है दुख। यह बहुत विरोधाभासी बात है। लेकिन यह समझ की भूल भी है। आदमी की अज्ञानता भी है। उसके पुरुषार्थ में कहीं कोई कमी है, खोट है। जीवन को जीने और उसके लिये अपनायी जाने वाली सोच गलत है। सही विधि उसे मालूम नहीं है तभी उसके कार्य का उचित परिणाम नहीं मिल पाता। चालाकी छोड़कर एवं लोभ-स्वार्थ की मानसिकता को दरकिनार करने से ही वास्तविक सुख को प्राप्त किया जा सकता है और इसके लिये आदमी को कृतज्ञता का भाव अपनाना जरूरी है। वास्तविकता यह है कि सुख प्राप्ति के लिए आदमी दुख के उत्पादन का कारखाना चला रहा है। अपने मिथ्या दृष्टिकोण के कारण वह दुख को जेनरेट कर रहा है। सु...
बिहारी जी मंदिर में मौत क्यों ?

बिहारी जी मंदिर में मौत क्यों ?

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बिहारी जी मंदिर में मौत क्यों ? विनीत नारायण श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन वृंदावन के सुप्रसिद्ध श्री बाँके बिहारी मंदिर में मंगला आरती के समय हुई भगदड़ में दो लोगों की जान गई और कई घायल हुए। इस दुखद हादसे पर देश भर के कृष्ण भक्त सदमे में हैं और जम कर निंदा भी कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे तमाम विडीयो भी देखे जा सकते हैं जहां श्रद्धालुओं की भीड़ किस कदर धक्का-मुक्की का शिकार हो रही है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व पर भक्तों को अव्यवस्था के चलते जिन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है उनसे शायद मथुरा प्रशासन को भविष्य के लिए सबक सीखने की आवश्यकता है। मंदिरों की अव्यवस्था के चलते हुई मौतों की सूची छोटी नहीं है। 2008 में हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर में भगदड़ में डेढ़ सौ से अधिक जाने गईं थी। महाराष्ट्र के पंडरपुर में भी ऐसा ही हादसा हुआ था। बिहार के देवघर में शिवजी को जल चढाने...