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जैविक में है दम, सिक्किम बना प्रथम

जैविक में है दम, सिक्किम बना प्रथम

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यदि हमारी खेती प्रमाणिक तौर पर 100 फीसदी जैविक हो जाये, तो क्या हो ? यह सोचते ही मेरे मन में सबसे पहले जो कोलाज उभरता है, उसमें स्वाद भी है, गंध भी, सुगंघ भी तथा इंसान, जानवर और खुद खेती की बेहतर होती सेहत भी। इस चित्र के लिए एक टेगलाइन भी लिखी है - ''अब खेती और किसान पर कोई तोहमत न लगाये कि मिट्टी, भूजल और नदी को प्रदूषित करने में उनका भी योगदान है।''   अभी यह सिर्फ एक कागज़ी कोलाज है। ज़मीन पर पूरी तरह कब उतरेगा, पता नहीं। किंतु यह संभव है। सिक्किम ने इस बात का भरोसा दिला दिया है। उसने पहल कर दी है। जब भारत का कोई राज्य अपने किसी एक मण्डल को सौ फीसदी जैविक कृषि क्षेत्र घोषित करने की स्थिति में नहीं है, ऐसे में कोई राज्य 100 फीसदी जैविक कृषि राज्य होने का दावा करे; यह बात हजम नहीं होती। लेकिन दावा प्रमाणिक है, तो शक करने का कोई विशेष कारण भी नहीं बनता।    100 फीसदी जैविक कृषि राज्य सिक्...
अखिलेश सरकार का एक और बड़ा रू. १७३५ करोड़ का घोटाला

अखिलेश सरकार का एक और बड़ा रू. १७३५ करोड़ का घोटाला

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अखिलेश यादव-नवनीत सहगल सिंडिकेट का एक और बड़ा खेल ! लखनऊ-आगरा इक्स्प्रेस्वे बड़ा zaघोटाला है उसी तरह 'दिल्ली-यमनोत्री' स्टेट हाइवे ( SH-57:206 km) लागत रु. 1735 करोड़ में SEW नामक हैदराबाद की निर्माण कम्पनी पैसा लेकर भागी। उत्तर प्रदेश में दिल्ली-सहारनपुर मार्ग की दूरी १७०.३ कि. मी. है.... अखिलेश सरकार का बड़ा घोटाला सामने आया है। इस हाइवे का काम 'उपशा (UPSHA- Uttar Pradesh State Highways Authority)' द्वारा PPP(Private-Public Partnership) के आधार पर बनाने के किए ठेके के रूप में April, २०१२ को दिया गया था, अखिलेश यादव ने मार्च २०१२ की शपथ ली थी। कम्पनी द्वारा बैंक से ऋण लिया गया तथा धीमी गति से काम शुरू किया क्योंकि कम्पनी की काम पूरा करने की न नियत थी और न ही छमता। उपशा का अध्यक्ष मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व CEO अखिलेश (व मायावती का भी) प्रिय IAS अधिकारी नवनीत सहगल है। ठेकेदार कम्पनी SEW ...
नालंदा के बहाने अतीत की महानताओं से मुलाकात..

नालंदा के बहाने अतीत की महानताओं से मुलाकात..

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कल पटना से दिल्ली की ओर बढ़े तो सोचा कि क्यों न कुछ दर्शनीय स्थानों को देखते चलें। एक-दो वरिष्ठ रिश्तेदारों और बिहार में पोस्टेड दोस्तों से सलाह ली; बिहार का नक्शा उठाया और अपने भीतर के कोलंबस को जगाकर रास्ता निर्धारित किया। योजना बनी कि पहले दिन नालंदा, पावापुरी, राजगीर, गहलौर और बोधगया को कवर किया जाए। वक़्त की कमी के चलते पावापुरी और गहलौर ठीक से नहीं देख पाए, पर बाकी तीन जगहों को ठीक से 'जिया'।पहला पड़ाव था- नालंदा। मेरे मन में उसकी छवि यही थी कि वह गुप्त काल में विकसित हुआ एक शानदार विश्वविद्यालय था जिसमें पढ़ने की आकांक्षा लेकर देश-विदेश के बड़े-बड़े जिज्ञासु और शोधार्थी खिंचे चले आते थे। एक बात और सुनी हुई थी कि जब बख्तियार खिलजी ने इसे नष्ट करने के लिये इसकी लाइब्रेरी में आग लगाई थी तो करीब 6 महीनों तक आग जलती रही थी। दंतकथाओं में अक्सर अतिशयोक्तियाँ शामिल हो जाती हैं - इस तर्क से 6 महीन...
देवेन्द्र ने बचाई साख , मोदी का बढ़ा मनोबल

देवेन्द्र ने बचाई साख , मोदी का बढ़ा मनोबल

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बीजेपी महाराष्ट्र को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी। कड़ी मेहनत, समर्पण और जमीन पर काम करने की वजह से पार्टी अब शहरी और ग्रामीण महाराष्ट्र में मजबूत शक्ति बन गई है। लोगों ने भाजपा के विकास और अच्छी गवर्नेंस पर भरोसा जताया है। यह 2017 की शानदार शुरुआत है। पार्टी ने ऐसे क्षेत्रों में भी जीत हासिल की है जहां अतीत में वो कभी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पायी थी। पहले ओडिशा में अभूतपूर्व समर्थन और अब महाराष्ट्र के लोगों की असीम शुभकामनाएं। मैं हर एक भारतीय को भाजपा में लगातार विश्वास जताने के लिए धन्यवाद देता हूं। हम पूरी लगन से एक मजबूत और समृद्ध भारत बनाने के लिए काम कर रहे हैं। मैं महाराष्ट्र बीजेपी की पूरी टीम, सीएम देवेंद्र फणनवीस और राव साहब पाटिल (राज्य प्रमुख भाजपा) को लोगों के बीच अथक काम करने के लिए बधाई देता हूं। यह बाते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के वोटर्स का शुक्रिया अदा करते हुए अ...
कितना असाधारण अब सौ फीसदी कुदरती हो जाना

कितना असाधारण अब सौ फीसदी कुदरती हो जाना

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प्रकृति का एक नियम है कि हम उसे जो देंगे, वह हमें किसी न किसी रूप में उसे लौटा देगी। जो खायेंगे, पखाने के रूप में वही तो वापस मिट्टी में मिलेगा। सभी जानते हैं कि हमारे उपयोग की वस्तुएं जितनी कुदरती होंगी, हमारा पर्यावरण उतनी ही कुदरती बना रहेगा; बावजूद इसके दिखावट, सजवाट और स्वाद के चक्कर में हम अपने खपत सामग्रियों में कृत्रिम रसायनों की उपस्थिति बढ़ाते जा रहे हैं। गौर कीजिए कि कुदरती हवा को हम सिर्फ धुआं उठाकर अथवा शरीर से बदबूदार हवा छोड़कर खराब नहीं करते; ऐसी हज़ारों चीजें और प्रक्रियायें हैं, जिनके जरिये हम कुदरती हवा में मिलावट करते हैं। जिस भी चीज में नमी है; तापमान बढ़ने पर वह वाष्पित होती ही है। वाष्पन होता है तो उस चीज की गंध तथा अन्य तत्व हवा में मिलते ही हैं। होठों पर लिपस्टिक, गालों में क्रीम-पाउडर, बालों में मिनरल आॅयलयुक्त तेल-शैंपू-रंग, शरीर पर रासायनिक इत्र.. अपनी रोजमर्रा की ज...
अनिश्चितताओं और आशंकाओं के बीच

अनिश्चितताओं और आशंकाओं के बीच

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पांच राज़्यों के चुनाव अब अंतिम दौर में हैं। विमुद्रिकरण के मोदी सरकार के निर्णय के बाद सरकार की सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा की तरह। रह रह के सरकार के समर्थकों में यह आशंका घर कर रही है कि अगर एनडीए को इन चुनावों में मात मिलती है तो क्या सरकार कालेधन के विरुद्ध अपने सबसे बड़े युद्ध को बीच में ही तो नहीं छोड़ देगी। ऐसे में जबकि कालेधन के सभी अपराधी सबूतों सहित सरकार के रडार पर हैं, अगर एनडीए को कोई झटका लगता है तो सरकार की आर्थिक मोर्चे पर बड़ी नीतिगत पहलों को भी झटका लगना तय है। बड़े कर सुधारों वाले जीएसटी विधेयक को क़ानूनी दर्जा देने की अंतिम लड़ाई संसद में लड़ी जानी है, तो बैंकिंग क्षेत्र में भी बड़े सुधार अपेक्षित हैं और मोदी समर्थकों को सरकार से उम्मीद है कि पांच राज़्यों के चुनावों में बढ़त लेकर वो राज्यसभा में भी बहुमत स्थापित कर लेंगे और फिर राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के चुनावों में अपन...
Are western journalists and correspondents biased towards India?

Are western journalists and correspondents biased towards India?

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When India’s space agency ISRO launched a successful mission to Mars, prior to the 104 satellites sent in the first week of February, the New York Times ran a demeaning cartoon, showing an Indian farmer with his cow, knocking at the doors of the Elite Space Club. And this triggers an important question: 70 years after Independence, are western journalists and correspondents still biased against India, a country they are supposed to report honestly about, so that their readers, who are mostly ignorant, get enlightened? Well, from a western correspondent himself, the answer is…YES. There are four reasons for that sad fact: 1) India is never in the news in the West unless there is some major catastrophe or huge elections. Thus, if you want to write and be published, you have to ...
So, how polluted is India’s air, really?

So, how polluted is India’s air, really?

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The release of the US-based Health Effects Institute’s (HEI) State of Global Air report has generated the latest alarm over air pollution in India. The report includes an analysis of 25 years of Global Burden of Disease (GBD) data assessing the impact of air pollution on mortality.According to 2015 GBD data, PM2.5 (particulate matter with a diameter of 2.5 micron) contributed to 4.2 million deaths globally, 52% of which occurred in China and India. In 2015, ground-level ozone caused 254,000 deaths worldwide, with India accounting for 42% of these deaths.The report, and media attention, has been focused on particulate matter pollution which has the most immediate harmful impact. However, other pollutants such as sulphur dioxide (SO2) and nitrogen dioxide (NO2) also pose significant health h...
‘संसार में न्याय, लोकतंत्र, शिक्षा और कानून का राज होना चाहिए’

‘संसार में न्याय, लोकतंत्र, शिक्षा और कानून का राज होना चाहिए’

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बराक ओबामा को एक नए सर्वेक्षण में अमेरिकी इतिहास का 12वां सबसे अच्छा राष्ट्रपति चुना गया है। ओबामा अमेरिका के 44वें राष्ट्रपति रहे हैं। इस सर्वेक्षण में अब्राहम लिंकन को पहले, जार्ज वार्शिगटन को दूसरे तथा फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट को तीसरे स्थान पर रखा गया है। इस सर्वेक्षण में विभिन्न मुद्दों के आधार पर सबसे अच्छे राष्ट्रपतियों की सूची बनाई गई। इन मुद्दांे में नेतृत्व प्रदान करने की क्षमता, नैतिक प्राधिकार, अंतर्राष्ट्रीय रिश्ते और सबके लिए समान न्याय सुनिश्चित करने की कोशिश शामिल है। ओबामा ने खासकर सबसे अधिक समान न्याय की कोशिश वाले पैमाने पर उच्च अंक हासिल किए। हमें उम्मीद है कि अमेरिका के महान राष्ट्रपतियों की समान न्याय सुनिश्चित करने की कोशिशों को वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आगे बढ़ायेंगे। विश्व के शक्तिशाली देश अमेरिका के नये राष्ट्रपति के रूप में दुनिया की एक न्यायपूर्ण तथा लोकतांत...
धर्माधारित आतंकवाद –एक सच्चाई

धर्माधारित आतंकवाद –एक सच्चाई

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यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि अनेक अवसरों पर आतंकवादियों के समर्थन में बुद्धिजीवी व कट्टर मुसलमानो के अतिरिक्त ढोगी धर्मनिरपेक्षता वादी और जयचंदी हिन्दुओं की सहभागिता होने से आतंक की जड़ पर प्रहार नहीं हो पाता । इन विपरीत परिस्थितियों के कारण हमारा समाज व राष्ट्र जिहादियों के अनेक षडयंत्रो से घिरता जा रहा है।जिससे अनेक मोर्चो पर हमारे उदासीन रहने के कारण आतंकियों का दुःसाहस भी  बढ़ रहा है।आतंकवाद को मिटाने वालों व आतंकवादियों की इस्लामी पहचान को ढाल बना कर  बचाने वालों में जो समाजिक विभाजन हो गया है वह एक खतरनाक भविष्य का संकेत है। प्रायः  हमें मंदिरो में जो धर्म की शिक्षा दी जाती है उससे अच्छे-बुरे व पाप-पुण्य का ज्ञान अवश्य मिलता है परंतु इससे शत्रु की पहचान का भाव नहीं समझा जा सकता। जबकि मदरसो- मस्जिदों आदि मे धर्म का अर्थ कट्टरता से जोड़ा जाता है , उन्हें कैसे सुरक्षित रहना है बताया जा...