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Friend, father & philosopher of black money is Chidambaram

Friend, father & philosopher of black money is Chidambaram

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Palaniappan Chidambaram, whom I shall for the sake of brevity call just Chidambaram, is best seen through black and white. And please don’t get me wrong and accuse me of racism. I refer not to epidermis or mane, but to the economic colour of money. Some of his greatest contributions to the economy of India are his brilliant pioneering initiatives for changing the colour of money from black to white. And this passion has never left him. Many of us have forgotten the Voluntary Disclosure of Income Scheme (VDIS) 1997, which he announced when he was Finance Minister with the United Front government, granting income-tax defaulters indefinite immunity from prosecution under the Foreign Exchange Regulation Act, 1973, Income Tax Act, 1961, Wealth Tax Act, 1957, and Companies Act, 1956, in excha...
बयान पर विवाद या कटु सत्य पर प्रहार

बयान पर विवाद या कटु सत्य पर प्रहार

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उत्तर प्रदेश के फतेहपुर की एक रैली में यह कहा जाना कि अगर किसी गांव को कब्रगाह के निर्माण के लिए कोष मिलता है,तो उस गांव को श्मशान की जमीन के लिए भी कोष मिलना चाहिए. गांव में कब्रिस्तान बनता है तो श्मशान भी बनना चाहिए. अगर आप ईद में बिजलीकी आपूर्ति निर्बाध करते हैं, तो आपको दीपावाली में भी बिजली की आपूर्ति निर्बाध करनी चाहिए.यानि,  भेदभाव नहीं होना चाहिए. भाजपा सांसद साक्षी महाराज द्वारा यह कहा जाना कि ”चाहे नाम कब्रिस्‍तान हो, चाहे नाम श्‍मशान हो, दाह होना चाहिए। किसी को गाड़ने की आवश्‍यकता नहीं है।”  गाड़ने से देश में जगह की कमी पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्‍होंने कहा कि ”2-2.5 करोड़ साधु हैं सबकी समाधि लगे, कितनी जमीन जाएगी।20 करोड़ मुस्लिम हैं सबको कब्र चाहिए हिंदुस्‍तान में जगह कहां मिलेगी।” अगर सबको दफनाते रहे तो देश में खेती के लिए जगह कहां से आएगी...
दलित उद्धारक के रूप में वीर सावरकर

दलित उद्धारक के रूप में वीर सावरकर

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(26 फरवरी को पुण्य तिथि के उपलक्ष पर प्रचारित) क्रांतिकारी वीर सावरकार का स्थान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपना ही एक विशेष महत्व रखता है।  सावरकर जी पर लगे आरोप भी अद्वितीय थे उन्हें मिली सजा भी अद्वित्य थी।  एक तरफ उन पर आरोप था कि अंग्रेज सरकार के विरुद्ध युद्ध की योजना बनाने का, बम बनाने का और विभिन्न देशों के क्रांतिकारियों से सम्पर्क करने का तो दूसरी तरफ उनको सजा मिली थी पूरे 50 वर्ष तक दो सश्रम आजीवन कारावास। इस सजा पर उनकी प्रतिक्रिया भी अद्वितीय थी कि  ईसाई मत को मानने वाली अंग्रेज सरकार कब से पुनर्जन्म अर्थात दो जन्मों को मानने लगी। वीर सावरकर को 50  वर्ष की सजा देने के पीछे अंग्रेज सरकार का मंतव्य था कि उन्हें किसी भी प्रकार से भारत अथवा भारतीयों से दूर रखा जाये। जिससे वे क्रांति की अग्नि को न भड़का सके।  सावरकर के लिए शिवाजी महाराज प्रेरणा स्रोत थे।  जिस प्रकार औरंगजेब न...
Open letter to Shehla Rashid from a Kashmiri Hindu

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I am Aditya Tikoo. It was the morning of 19th January 1990. I (then 5) was playing with my mother on the bed. She was 7 months pregnant. She took me in her lap and asked – “what do you want – baby brother or sister?”. “Brother” – I replied. She kissed my forehead and held her hand on my head in affection.   Suddenly we heard a noise outside. It was some mob that was nearing our house. It kept getting noisy with each moment. My father who had gone outside rushed into the house and came to our room. I saw his eyes full of fear for the first time. He was a school master in Srinagar. “They are coming”, he said.   I felt my mother’s grip around me was tightened suddenly. I looked at her face. She fainted. I asked, what happened? She almost cried, said- nothing Bachcha. She covered me with h...
जैविक में है दम, सिक्किम बना प्रथम

जैविक में है दम, सिक्किम बना प्रथम

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यदि हमारी खेती प्रमाणिक तौर पर 100 फीसदी जैविक हो जाये, तो क्या हो ? यह सोचते ही मेरे मन में सबसे पहले जो कोलाज उभरता है, उसमें स्वाद भी है, गंध भी, सुगंघ भी तथा इंसान, जानवर और खुद खेती की बेहतर होती सेहत भी। इस चित्र के लिए एक टेगलाइन भी लिखी है - ''अब खेती और किसान पर कोई तोहमत न लगाये कि मिट्टी, भूजल और नदी को प्रदूषित करने में उनका भी योगदान है।''   अभी यह सिर्फ एक कागज़ी कोलाज है। ज़मीन पर पूरी तरह कब उतरेगा, पता नहीं। किंतु यह संभव है। सिक्किम ने इस बात का भरोसा दिला दिया है। उसने पहल कर दी है। जब भारत का कोई राज्य अपने किसी एक मण्डल को सौ फीसदी जैविक कृषि क्षेत्र घोषित करने की स्थिति में नहीं है, ऐसे में कोई राज्य 100 फीसदी जैविक कृषि राज्य होने का दावा करे; यह बात हजम नहीं होती। लेकिन दावा प्रमाणिक है, तो शक करने का कोई विशेष कारण भी नहीं बनता।    100 फीसदी जैविक कृषि राज्य सिक्...
अखिलेश सरकार का एक और बड़ा रू. १७३५ करोड़ का घोटाला

अखिलेश सरकार का एक और बड़ा रू. १७३५ करोड़ का घोटाला

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अखिलेश यादव-नवनीत सहगल सिंडिकेट का एक और बड़ा खेल ! लखनऊ-आगरा इक्स्प्रेस्वे बड़ा zaघोटाला है उसी तरह 'दिल्ली-यमनोत्री' स्टेट हाइवे ( SH-57:206 km) लागत रु. 1735 करोड़ में SEW नामक हैदराबाद की निर्माण कम्पनी पैसा लेकर भागी। उत्तर प्रदेश में दिल्ली-सहारनपुर मार्ग की दूरी १७०.३ कि. मी. है.... अखिलेश सरकार का बड़ा घोटाला सामने आया है। इस हाइवे का काम 'उपशा (UPSHA- Uttar Pradesh State Highways Authority)' द्वारा PPP(Private-Public Partnership) के आधार पर बनाने के किए ठेके के रूप में April, २०१२ को दिया गया था, अखिलेश यादव ने मार्च २०१२ की शपथ ली थी। कम्पनी द्वारा बैंक से ऋण लिया गया तथा धीमी गति से काम शुरू किया क्योंकि कम्पनी की काम पूरा करने की न नियत थी और न ही छमता। उपशा का अध्यक्ष मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व CEO अखिलेश (व मायावती का भी) प्रिय IAS अधिकारी नवनीत सहगल है। ठेकेदार कम्पनी SEW ...
नालंदा के बहाने अतीत की महानताओं से मुलाकात..

नालंदा के बहाने अतीत की महानताओं से मुलाकात..

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कल पटना से दिल्ली की ओर बढ़े तो सोचा कि क्यों न कुछ दर्शनीय स्थानों को देखते चलें। एक-दो वरिष्ठ रिश्तेदारों और बिहार में पोस्टेड दोस्तों से सलाह ली; बिहार का नक्शा उठाया और अपने भीतर के कोलंबस को जगाकर रास्ता निर्धारित किया। योजना बनी कि पहले दिन नालंदा, पावापुरी, राजगीर, गहलौर और बोधगया को कवर किया जाए। वक़्त की कमी के चलते पावापुरी और गहलौर ठीक से नहीं देख पाए, पर बाकी तीन जगहों को ठीक से 'जिया'।पहला पड़ाव था- नालंदा। मेरे मन में उसकी छवि यही थी कि वह गुप्त काल में विकसित हुआ एक शानदार विश्वविद्यालय था जिसमें पढ़ने की आकांक्षा लेकर देश-विदेश के बड़े-बड़े जिज्ञासु और शोधार्थी खिंचे चले आते थे। एक बात और सुनी हुई थी कि जब बख्तियार खिलजी ने इसे नष्ट करने के लिये इसकी लाइब्रेरी में आग लगाई थी तो करीब 6 महीनों तक आग जलती रही थी। दंतकथाओं में अक्सर अतिशयोक्तियाँ शामिल हो जाती हैं - इस तर्क से 6 महीन...
देवेन्द्र ने बचाई साख , मोदी का बढ़ा मनोबल

देवेन्द्र ने बचाई साख , मोदी का बढ़ा मनोबल

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बीजेपी महाराष्ट्र को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी। कड़ी मेहनत, समर्पण और जमीन पर काम करने की वजह से पार्टी अब शहरी और ग्रामीण महाराष्ट्र में मजबूत शक्ति बन गई है। लोगों ने भाजपा के विकास और अच्छी गवर्नेंस पर भरोसा जताया है। यह 2017 की शानदार शुरुआत है। पार्टी ने ऐसे क्षेत्रों में भी जीत हासिल की है जहां अतीत में वो कभी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पायी थी। पहले ओडिशा में अभूतपूर्व समर्थन और अब महाराष्ट्र के लोगों की असीम शुभकामनाएं। मैं हर एक भारतीय को भाजपा में लगातार विश्वास जताने के लिए धन्यवाद देता हूं। हम पूरी लगन से एक मजबूत और समृद्ध भारत बनाने के लिए काम कर रहे हैं। मैं महाराष्ट्र बीजेपी की पूरी टीम, सीएम देवेंद्र फणनवीस और राव साहब पाटिल (राज्य प्रमुख भाजपा) को लोगों के बीच अथक काम करने के लिए बधाई देता हूं। यह बाते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के वोटर्स का शुक्रिया अदा करते हुए अ...
कितना असाधारण अब सौ फीसदी कुदरती हो जाना

कितना असाधारण अब सौ फीसदी कुदरती हो जाना

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प्रकृति का एक नियम है कि हम उसे जो देंगे, वह हमें किसी न किसी रूप में उसे लौटा देगी। जो खायेंगे, पखाने के रूप में वही तो वापस मिट्टी में मिलेगा। सभी जानते हैं कि हमारे उपयोग की वस्तुएं जितनी कुदरती होंगी, हमारा पर्यावरण उतनी ही कुदरती बना रहेगा; बावजूद इसके दिखावट, सजवाट और स्वाद के चक्कर में हम अपने खपत सामग्रियों में कृत्रिम रसायनों की उपस्थिति बढ़ाते जा रहे हैं। गौर कीजिए कि कुदरती हवा को हम सिर्फ धुआं उठाकर अथवा शरीर से बदबूदार हवा छोड़कर खराब नहीं करते; ऐसी हज़ारों चीजें और प्रक्रियायें हैं, जिनके जरिये हम कुदरती हवा में मिलावट करते हैं। जिस भी चीज में नमी है; तापमान बढ़ने पर वह वाष्पित होती ही है। वाष्पन होता है तो उस चीज की गंध तथा अन्य तत्व हवा में मिलते ही हैं। होठों पर लिपस्टिक, गालों में क्रीम-पाउडर, बालों में मिनरल आॅयलयुक्त तेल-शैंपू-रंग, शरीर पर रासायनिक इत्र.. अपनी रोजमर्रा की ज...
अनिश्चितताओं और आशंकाओं के बीच

अनिश्चितताओं और आशंकाओं के बीच

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पांच राज़्यों के चुनाव अब अंतिम दौर में हैं। विमुद्रिकरण के मोदी सरकार के निर्णय के बाद सरकार की सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा की तरह। रह रह के सरकार के समर्थकों में यह आशंका घर कर रही है कि अगर एनडीए को इन चुनावों में मात मिलती है तो क्या सरकार कालेधन के विरुद्ध अपने सबसे बड़े युद्ध को बीच में ही तो नहीं छोड़ देगी। ऐसे में जबकि कालेधन के सभी अपराधी सबूतों सहित सरकार के रडार पर हैं, अगर एनडीए को कोई झटका लगता है तो सरकार की आर्थिक मोर्चे पर बड़ी नीतिगत पहलों को भी झटका लगना तय है। बड़े कर सुधारों वाले जीएसटी विधेयक को क़ानूनी दर्जा देने की अंतिम लड़ाई संसद में लड़ी जानी है, तो बैंकिंग क्षेत्र में भी बड़े सुधार अपेक्षित हैं और मोदी समर्थकों को सरकार से उम्मीद है कि पांच राज़्यों के चुनावों में बढ़त लेकर वो राज्यसभा में भी बहुमत स्थापित कर लेंगे और फिर राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के चुनावों में अपन...