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अकेले चीन ही नहीं पश्चिमी देशों के कुकर्मों का परिणाम भी है कोरोना वायरस का संकट

अकेले चीन ही नहीं पश्चिमी देशों के कुकर्मों का परिणाम भी है कोरोना वायरस का संकट

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दुनिया को बाज़ार बना कर लूटने के पश्चिमी देशों के षड्यंत्रों का पिछले 500 बर्षो से दुनिया गवाह रही है। तीसरी दुनिया का हर नागरिक इस दर्द की पीड़ा की जानता है। आज कोरोना वायरस का प्रकोप दुनिया के 200 देशों तक फैल चुका है। दुनिया इसके लिए चीन को दोषी ठहरा रही है मगर उसके साथ पश्चिमी देश भी उतने ही दोषी है। इसके लिए पिछले कुछ दशकों के दुनिया के घटनाक्रमो को समझना होगा। 1) इसमें पहला चरण एशिया, अफ्रीका व लेटिन अमेरिकी देशों को गुलाम बनाकर लूटने का रहा जो इन देशो में पिछले 100 सालों में आयी जनजागृति के कारण आजादी के आंदोलनों में बदल गया और अंततः इन देशों को मुक्त करना पड़ा। मगर आजादी देने से पूर्व " ड्रेन ऑफ वेल्थ" की रणनीति पर अमल करते हुए 400 बर्षो तक इन देशों का यथासंभव शोषण व लूट के खेल चलते रहे। विकसित देशों की प्रचुर दौलत व शानदार इंफ्रास्ट्रक्चर के पीछे यही लूट का माल है। जितने भी पि...
Moderation and rationality is the cure for this epidemic

Moderation and rationality is the cure for this epidemic

TOP STORIES, विश्लेषण
Today, all of you must have seen the photographs on television and in the dailies, in which passengers in Patna and Kolkata were eager to go to their villages by chilling in buses and even adjusting them on bus roofs, quite unconcerned about the fatality that could be caused due to their such attitude. Even as someone giving warning, one imprudent passenger lashes out shamelessly, saying, "kya karen, majboori ka naam mahatma gandhi hai." The fact, however, is that by describing his so called “majboori”, he is not only putting his entire village in danger, but also the entire population. It can only be said that if they are going to their villages with this deadly disease, then only God can save them. In this regard, Health Minister Dr. Harsh Vardhan has also admitted that till now there a...
मुख्यमंत्री बने, उपचुनाव और मुख्य सचिव के बयाने शुरू

मुख्यमंत्री बने, उपचुनाव और मुख्य सचिव के बयाने शुरू

TOP STORIES, राज्य
और मध्यप्रदेश में पन्द्रह महीने बाद फिर भाजपा सरकार बन गई | ३ मिनिट के समारोह में शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार मुख्यमंत्री की शपथ ली | यह एक रिकार्ड है | आज एक दूसरा भी रिकार्ड बना, नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा देने वाले इस विधानसभा के सबसे वरिष्ठ विधायक गोपाल भार्गव अपने इस्तीफे में चूक कर गये और उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के स्थान पर प्रमुख सचिव विधानसभा को त्यागपत्र भेज दिया, वायरल हुआ यह त्यागपत्र प्रमुख सचिव विधानसभा को ही सम्बोधित है | भाजपा ने सरकार तो बना ली है, पर उसे विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से गुजरना होगा| गत वर्ष महाराष्ट्र, २०१८ में कर्नाटक में फ्लोर टेस्ट जैसी कवायद हुई थी, इसी तरह  मध्यप्रदेश में भाजपा को भी फ्लोर टेस्ट से गुजरना होगा|  इस समय भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे के दोष खोजने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है | कल गोपाल भार्गव के त्यागपत्र की तकनीकी त्रुटि बहस का विषय हो स...
जीवन-संकटों के बीच उजालों की खोज

जीवन-संकटों के बीच उजालों की खोज

TOP STORIES, सामाजिक
बड़ा सत्य है कि जीवन कहीं ठहरता नहीं है और सब कुछ कभी खत्म नहीं होता। जबकि कोरोना वायरस जैसे संकटों से जीवन में कभी-कभी ऐसे क्षण आते हैं, जब लगता है मानो सब खत्म हो रहा है। डाॅ. फ्रैंकल यह गहराई से जान सके कि जीवन कितना भी निरर्थक क्यांे न लगे, उसमें अंतर्निहित अर्थ को खोज कर मनुष्य सारे कष्टों को सहन कर बाहर निकल सकता है। विपरीत परिस्थितियों में यह जानना महत्वपूर्ण नहीं है कि हमें जीवन से क्या अपेक्षा है, बल्कि यह जानना महत्वपूर्ण है कि इस समय जीवन को हमसे क्या अपेक्षा है। जो समस्या हमें दी गई है, उसका सही जवाब पाने की जिम्मेदारी हमारी ही है। मानवता ने बड़े-बड़े जीवन अस्तित्व के संकटों के बीच उजालों को खोजा है, यही मानव इतिहास की विलक्षणता भी है। जब संकट बड़ा हो तो संघर्ष भी बड़ा अपेक्षित होता है। इस संघर्ष में जन-जन की मुट्ठियां तन जाने का अर्थ है कि आपके अंदर किसी लक्ष्य को हासिल करने का पू...
येस बैंक का डूबना-उभरना एवं भारतीय अर्थव्यवस्था पर उसका प्रभाव

येस बैंक का डूबना-उभरना एवं भारतीय अर्थव्यवस्था पर उसका प्रभाव

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बैंकिग व्यवस्था किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का दर्पण होती है। बैंकिग प्रणाली में जनता के विश्वास का होना, इस बात का प्रमाण है कि उक्त देश की अर्थव्यवस्था बहुत सुदृढ़ है इसके विपरीत यदि जनता का विश्वास बैंकिंग व्यवस्था से भंग होता है तो सत्ता के प्रति भी उनका विश्वास भंग होना स्वाभाविक है। देश में अभी कुछ समय के अंतराल में न केवल येस बैंक अपितु 50 से अधिक अन्य छोटे-बड़े बैंक भी बंद हो चुके हैं। इस परिस्थिति के परिणामस्वरूप 25-30 हजार से लेकर कई लाख खाताधारकों का पैसा डूबा है, जिसके कारण आज सम्पूर्ण देश में साधारण जनता का विश्वास बैंकिग व्यवस्था से उठता जा रहा है।  आज बैंको के डूबने के कारणों का गहनता से अध्ययन करने की आवश्यकता है। जब भी कोई बैंक डूबता है, सरकार तथा रिजर्व बैंक द्वारा साधारण जनता को यही समझाया जाता है कि उक्त बैंको के उच्च पदो पर आसीन प्रबंधक और प्रशासनिक अधिकारियों ने अप...
आप आज समूचे समाज पर उपकार करें !

आप आज समूचे समाज पर उपकार करें !

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वैसे तो हम भारतीयों की यह आदत रही है कि संकट के समय एकजुट हो जाते हैं ।सचमुच यह  समय एकजुटता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को स्वीकारने और उसके पीछे चलने का है | समूचे राष्ट्र को यह  संकल्प करना होगा कि हम वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए दिशा-निदेशों का पालन करेंगे । ‘इस बार समाज रक्षा का तरीका पृथक है, समाज की रक्षा के लिए खुद को फौरी तौर पर समाज से अलग  लेने का है।  वैज्ञानिकों के बाद प्रधानमंत्री ने भी कहा है कि घर से बाहर तभी निकलें, जब बहुत जरूरी हो। आज २२ मार्च ‘जनता कर्फ़्यू’ का दिन है, इसकी उद्देश्य पूर्ति में सरकार के कठोर कदम से ज्यादा हमारी जागरूकता जरूरी है। आने वाले तीन हफ्ते घर से बाहर निकलने से पहले सोचें कि क्या घर से निकलना बेहद जरूरी है? घर में रहने के नाम पर  अक्सर घबराहट फैलती है और लोग जमाखोरी करने में जुट जाते हैं। अमेरिका जैसे विकसित देश में यह देखा गया है कि वहां भी स्टोर के ...
हिन्दू संस्कृति अपनाए “कोरोना” को भगाए

हिन्दू संस्कृति अपनाए “कोरोना” को भगाए

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‘कोरोना’ का संक्रमण रोकने हेतु विश्‍वभर में हिन्दू संस्कृति के अनुसार आचरण आरंभ होना ही हिन्दू धर्म की महानता ! ‘नमस्कार’, ‘आयुर्वेद’, ‘शाकाहार’ आदि को अपनाकर स्वस्थ और आनंदित रहें ! विश्‍वभर में उत्पात मचानेवाले कोरोना विषाणु के संक्रमण के कारण अनेक देश बाधित हैं । कोरोना संक्रमित रोगियों की संख्या प्रतिदिन बढ रही है । इस संक्रमण को रोकने हेतु एक-दूसरे से मिलने पर ‘शेक-हैन्ड’ अर्थात हाथ मिलाना, ‘हग’ अर्थात गले लगना, चुंबन लेना आदि पाश्‍चात्य पद्धति भी कारणभूत सिद्ध हो रहे हैं, यह ध्यान में आने पर अनेक पाश्‍चात्य देशों में अब ‘नमस्ते’ बोलने की पद्धति प्रचलित हुई है । जिन अंग्रेजों ने हम पर 150 से भी अधिक वर्षों तक राज्य कर हिन्दू संस्कृति नष्ट करने का प्रयास किया, उसी इंग्लैंड के प्रिंस चार्ल्स एवं पोर्तुगाल के प्रधानमंत्री एंटोनियो कोस्टा सहित अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्...
निर्भया के हत्यारे चारों बलात्कारियों के संरक्षक कौन लोग?

निर्भया के हत्यारे चारों बलात्कारियों के संरक्षक कौन लोग?

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निर्भया के हत्यारे चारों बलात्कारियों के बचाव के लिए उठाए गए कदम ने चौंकाया है और गम्भीर सवाल को जन्म दिया है. अतः सरकार इस तथ्य की जांच CBI, IB या NIA से करवाए कि निर्भया के हत्यारे चारों बलात्कारियों के संरक्षक कौन लोग हैं, उनका एजेंडा क्या है...? ज्ञात रहे कि पूरा देश इस तथ्य से भलीभांति परिचित है कि निर्भया के हत्यारे चारों बलात्कारी एक निजी बस के ड्राईवर कंडक्टर खलासी क्लीनर का काम करते थे. अतः उनकी अर्थिक पृष्ठभूमि/स्थिति का आंकलन आसानी से किया जा सकता है. पूरा देश इस कटु सत्य से भी भलीभांति परिचित हैं कि भारतीय अदालतों में मुकदमेबाजी कितनी महंगी है, विशेषकर जब यह मुक़दमेबाजी हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचती है तो खर्च की सारी सीमाएं तोड़ देती है. यही कारण है कि पिछले कुछ महीनों से निर्भया के हत्यारे चारों बलात्कारियों के बचाव के लिए की जा रहीं अभूतपूर्व कोशिशों के कारण एक गम्भ...
Final hanging of Nirbhaya convicts after too much legal hurdles calls for systematic reform for time-bound hanging of convicts of death-sentence

Final hanging of Nirbhaya convicts after too much legal hurdles calls for systematic reform for time-bound hanging of convicts of death-sentence

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Final hanging of Nirbhaya convicts after too much legal hurdles calls for systematic reform for time-bound hanging of convicts of death-sentenceIt is a matter of satisfaction that finally four convicts of Nirbhaya rape-cum-death were ultimately hanged to death at 5.30 am on 20.03.2020 after crossing all hurdles created by lawyers of convicts including last-moment mid-night effort to knock court-doors. Even politicians cutting across party-lines expressed satisfaction on final justice to Nirbhaya who faced most inhuman torture on 16.12.2012. But legal loopholes brought in the whole affair calls for immediate reform in the system whereby crimes attracting death-penalty may be heard on fast track at all stages of trial from District Court to Supreme Court. Provision of filing mercy-petitio...
क्यों होती है फांसी देने में देरी कातिलों को

क्यों होती है फांसी देने में देरी कातिलों को

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निर्भया गैंगरेप केस में दोषियों को आख़िरकार फांसी तो हो ही गई। निर्भया के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या करने वाले मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर को पहली बार इस केस में साल 2013 में ही मौत की सजा सुनाई गई थी। उसके बाद यह केस विभिन्न अदालतों में अनावश्यक रूप से घूमता रहा । पर इतने बड़े और अहम केस में दोषियों को सजा मिलने में हुई देरी बहुत सारे सवाल न्यायपालिका और वकालती दाव-पेंच पर भी खड़े करती है। कोर्ट से इंसाफ मिलने में होने वाली देरी के चलते फांसी की सजा का इंतजार कर रहे मुजरिमों की दया याचिकाओं पर भी फैसले वक्त रहते नहीं हो पाये । सुप्रीम कोर्ट ने साल 2014 में फांसी की सजा का इंतजार कर रहे 15 दोषियों की फांसी की सजा उम्रकैद में भी बदली थी। उसने फांसी की सजा का इंतजार करने वाले कैदियों को लेकर अपने एक अहम फैसले में कहा था कि मृत्युदंड पाए अपराधियों की दया याचिका पर अनिश्चि...