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स्वास्थ्य के लिए चुनौती बन रही हैं धूल भरी आंधियां

स्वास्थ्य के लिए चुनौती बन रही हैं धूल भरी आंधियां

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  पिछले साल मई के महीने में एक के बाद एक लगातार तीन धूल भरी आंधियों ने दिल्ली सहित उत्तर भारत के कई हिस्सों में कहर बरपाया था। अब एक अध्ययन में पता चला है कि इन आंधियों से जन-धन का नुकसान होने के साथ-साथ वायु गुणवत्ता और वायुमंडलीय रासायनिक गुणों में भी ऐसे परिवर्तन हुए हैं जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इस अध्ययन में पाया गया है धूल भरी आंधियों से वायु की गति, तापमान और वायुमंडलीय मापदंडों के ऊर्ध्वाधर परिवहन के स्वरूप में परिवर्तन होने के कारण ग्रीनहाउस और सूक्ष्ममात्रिक गैसों की मात्रा में भी बदलाव हो रहा है। ये बदलाव वायु गुणवत्ता के लिए हानिकारक हो सकते हैं। पिछले साल मई में इन तीन धूल भरी आंधियों में से दो बेहद खतरनाक थीं, जिनके कारण सौ से अधिक लोग मारे गए थे। दर्जनों हवाई उड़ानें रद्द करनी पड़ी थीं या फिर उनके रास्ते बदलने पड़े थे। सिंधु-गंगा मैदानों म...
सांसद बनने की फिराक मेंसेना को बलात्कारी कहने वाला कन्हैया

सांसद बनने की फिराक मेंसेना को बलात्कारी कहने वाला कन्हैया

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कन्हैया कुमार अब बिहार की बेगूसराय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहा है। वो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) का उम्मीदवार है। यह वही कन्हैया कुमार है, भारतीय सेना को बलात्कारी कहने से भी पीछे नहीं हटता। वो बार-बार कहता रहा है कि भारतीय सेना कश्मीर में बलात्कारों में लिप्त है। जरा सोचिए कि कन्हैया कुमार को अगर राष्ट्रकवि “दिनकर” की धरती बेगूसराय लोकसभा में निर्वाचित करके भेजती है तो राष्ट्र कवि रामधारी सिंह “दिनकर” की आत्मा पर क्या गुजरेगी। बाकी किसी को जिताओ, एतराज नहीं, पर वतन के रखवालों के खिलाफ़ शर्मनाक बयानबाजी करने वाले कन्हैया को जिताना तो लोकतान्त्रिक अपराध होगा। भारतीय सेना पर कश्मीर में रेप जैसा जघन्य आरोप लगाने वाले कन्हैया कुमार के आरोप को देखने के लिए आप यू ट्यूब का सहारा भी ले सकते हैं। यानी वो यह तो कह ही नहीं कह सकता कि उसने भारतीय सेना पर कभी इतना गंभीर आरोप नहीं लगाया। उससे यह ...
EC complaining for Rajasthan Governor to President: Governors should be non-political

EC complaining for Rajasthan Governor to President: Governors should be non-political

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It refers to Election Commission on 01.04.2019 complaining against Rajasthan Governor Kalyansingh for his political statement made on 23.03.2019 wherein he advocated present Prime Minister to continue even after forthcoming Lok Sabha polls. It is quite usual that political persons appointed as state Governors give such political statements like earlier done by present Madhya Pradesh Governor in April 2018. It is not proper to misuse dignified post of state Governor for political waste. Posts of state Governors must be only for politically neutral persons like retired judges and bureaucrats who might not have ever affiliated with any political party. There have been many cases earlier when politicians appointed as state Governors have misused Raaj-Bhawans(Governor Houses) like party-head...
जीवन व्यस्त हो, अस्तव्यस्त नहीं

जीवन व्यस्त हो, अस्तव्यस्त नहीं

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असन्तुलन एवं अस्तव्यस्तता ने जीवन को जटिल बना दिया है। बढ़ती प्रतियोगिता, आगे बढ़ने की होड़ और अधिक से अधिक धन कमाने की इच्छा ने इंसान के जीवन से सुख, चैन व शांति को दूर कर दिया है। सब कुछ पा लेने की इस दौड़ में इंसान सबसे ज्यादा अनदेखा खुद को कर रहा है। बेहतर कल के सपनों को पूरा करने के चक्कर में अपने आज को नजरअंदाज कर रहा है। वह भूल रहा है कि बीता हुआ समय लौटकर नहीं आता, इसलिए कुछ समय अपने लिए, अपने शरीर, अपने शौकों और उन कामों के लिए, जो आपको खुशियां देते हैं, रखना भी बहुत जरूरी है। समय ही नहीं मिलता! कितनी ही बार ये शब्द आप दूसरों को बोलते हैं तो कितनी ही बार दूसरे आपको। क्या वाकई समय नहीं मिलता? सच ये भी तो है कि जिनसे हम बात करना या मिलना चाहते हैं, उनके लिए समय निकाल ही लेते हैं। यही समय प्रबन्धन है, इसके लिये लेखिका पैट होलिंगर पिकेट कहती हैं, ‘ये आपको तय करना है कि ...
कैसे सुधरेगी राजनीति की दशा ?

कैसे सुधरेगी राजनीति की दशा ?

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लोकसभा के चुनावों का माहौल है। हर दल अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर रहा है। जो बड़े और धनी दल है, वे प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने के लिए धन भी देते हैं। कुछ ऐसे भी दल हैं, जो उम्मीदवारी की टिकट देने के बदले में करोड़ों रूपये लेकर टिकट बेचते हैं। पता चला है कि एक उम्मीदवार का लोकसभा चुनाव में 5 करोड़ से लेकर 25 करोड़ रूपया या फिर इससे भी ज्यादा खर्च हो जाता है। जबकि भारत के चुनाव आयोग द्वारा एक प्रत्याशी द्वारा खर्च की अधिकतम सीमा 70लाख रूपये निर्धारित की गई है। प्रत्याशी इसी सीमा के भीतर रहकर चुनाव लड़े, इसे सुनिश्चित करने के लिए भारत का चुनाव आयोग हर संसदीय क्षेत्र में तीन पर्यवेक्षक भी तैनात करता है। जो मूलतः भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा व भारतीय राजस्व सेवा के वे अधिकारी होते हैं, जो दूसरे प्रांतों से भेजे जाते हैं। चुनाव के दौरान जिला प्रशासन और इन पर्यवेक्षकों की जवाबदेही किसी...
LPG subsidy be only on basis of affidavits rather than expecting voluntary surrender

LPG subsidy be only on basis of affidavits rather than expecting voluntary surrender

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Subsidy for LPG is for families having combined income of rupees ten lakhs per annum with central government appealing those above the stipulated income-limit to voluntarily surrender subsidy. But instead of expecting voluntary surrender, Union Petroleum Ministry should ask to submit affidavits regarding total family-income to avail subsidy. This will drastically reduce LPG subsidy-burden on the exchequer because those not having voluntarily surrendered subsidy will then avoid filing wrong affidavits to get subsidy. Net payable price including of all central and local taxes should be rounded in multiples of rupees ten or fifty, because delivery-persons never return balance-money. System will further reduce financial-burden on the exchequer because of LPG subsidy. At least LPG, if not pe...
Prominent leader of Congress-party avoids Ramlala-darshan at Ayodhya

Prominent leader of Congress-party avoids Ramlala-darshan at Ayodhya

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It refers to prominent Congress leader Priyanka Gandhi avoiding Ramlala-Darshan at Ayodhya on 29.03.2019 as according to her the matter was sub-judice, when she was at Ayodhya during campaign for forthcoming Lok Sabha elections. But the sub-judice matter is about making availability of land for a grand Ram-temple at birth-place of Lord Rama, and not on worshipping the existing deity. Congress leader forgot that Ramlala deity was unlocked only in Congress regime. Only recently one Congress spokesperson on TV news-channel openly favoured for construction of Ram-temple at Ayodhya. Congress itself being in a confused state of mind instead of confusing voters, should come with a firm stand on its willingness in favour or against construction of a grand Ram-temple at birth-place of Lord Rama ...
तो क्या मारे जाते रहेंगे ईमानदार सरकारी कर्मचारी

तो क्या मारे जाते रहेंगे ईमानदार सरकारी कर्मचारी

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पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ से सटे खरड़शहर मेंविगत दिनों जोनल लाइसेंसिंग अथॉरिटी में अधिकारी नेहा शौरी की उनके दफ्तर में ही दिन दहाड़े गोली मार कर की गई हत्याने सत्येंद्र दुबे और मंजूनाथ जैसे ईमानदार सरकारी अफसरों की नृशंस हत्यायों की यादें ताजा कर दी। नेहा शौरी  एक बेहद मेहनती और कर्तव्य परायण सरकारी अफसर थीं। बेईमानों को कभी छोड़ती नहीं थीं। इसका खामियाजा उन्हें जान देकर देना पड़ा।कहा जा रहा है किसन 2009 में जब नेहा रोपड़ में तैनात थीं, उस दौरान उन्होंने आरोपी के मेडिकल स्टोर पर छापेमारी की थी और घोर अनियमितताओं को पाकर उसका लाइसेंस कैंसिल कर दिया था। इसी का बदला लेने के लिए आरोपी उनपर सुनियोजित हत्या के मकसद से हमला किया। तो नेहा की हत्या ने एक बार फिर से यह सिद्ध कर दिया है कि अब इस देश में ईमानदारी से काम करना कठिन होता जा रहा है। अगर सरकारी बाबू ईमानदार नहीं होगा तो उसे मार दिया जाएगा या...
राष्ट्रीय ध्वज और सैनिकों का सम्मान

राष्ट्रीय ध्वज और सैनिकों का सम्मान

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आर्य समाजी विद्यालय में शिक्षा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में समाजसेवा के संगम से मेरे दिल और दिमाग पर राष्ट्रभक्ति की विशेष छाप है। मेरा सारा राजनीतिक जीवन राष्ट्रभक्ति के भावों के बिना शून्य ही रह जाता। जब मन पर समाज और राष्ट्र की सुरक्षा से सम्बन्धित विचारों का प्रभाव होता है तो व्यक्ति स्वार्थ में बहकर राजनीतिक जीवन को भ्रष्टाचारी कार्यों की बलि नहीं चढ़ाता। आज यदि राजनीतिक जीवन में या किसी भी अन्य क्षेत्र में जब भी भ्रष्टाचार, अपराध, अनैतिकता, लड़ाई-झगड़ा या लूट-खसोट आदि अनैतिक आचरण दिखाई देते हैं तो एक सहज कल्पना की जा सकती है कि ऐसे कार्यों में लिप्त लोग राष्ट्रभक्ति की अवधारणाओं और मान्यताओं से कोसों दूर हैं। इसलिए मेरा यह निश्चित मत है कि समाज से यदि हर प्रकार की अनैतिकता और दुराचार आदि को समाप्त करना है तो हमें देश के नागरिकों को बचपन से ही राष्ट्रभक्ति और समाजसेवा का भरपूर पाठ पढ़ान...
तो नाम लेवा तक नहीं रहेगा लेफ्ट दलों का

तो नाम लेवा तक नहीं रहेगा लेफ्ट दलों का

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लेफ्ट पार्टियों को लेकर इस चुनावी माहौल के कोलाहाल में किसी तरह की कोई खास हलचल सामने नहीं आ रही है। हां,बिहार में बेगूसराय से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(भाकपा) ने कन्हैया कुमार को टिकट जरूर दे दिया है।  फिलहाल लेफ्ट दलों से कोई भी अन्य दल  सीटों कातालमेल करने के लिए भी तैयार नहीं है। चार लेफ्ट पार्टियों को 2004 के लोकसभा चुनावों में 59 सीटों पर विजय हासिल हुई थी। लोकसभा चुनावों में वह शायद वामपंथी पार्टियों का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। पर 2014 के लोकसभा चुनावों में उसे मात्र 11सीटें ही मिलीं। एक तरह से कहा जा सकता है कि उन्हें देश के मतदाता ने धूल चटा मिला दिया । उसके बाद से लेफ्ट पार्टियों के सीताराम येचुरी, डी.राजा और वृंदा करात जैसे नेता सिर्फ सेमिनार सर्किट में ही देखे जाते हैं। वहां पर ये अपने विचार व्यक्त करके खुश हो जाते हैं। ये अंतिम  बार कब श्रमिक, किसान या गरीब-गुरुबा के हक में ल़ड...