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राजनीतिक दलदल में फंसी ममता के हाथ से फिसल रहा है बंगाल

राजनीतिक दलदल में फंसी ममता के हाथ से फिसल रहा है बंगाल

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लोग अक्सर कहते हैं कि राजनीति में सबकुछ बदल जाने के लिए एक सप्ताह काफी है। लेकिन जिस तरह से बंगाल की राजनीति की दिशा और दशा पिछले कुछ दिनों में बदली है वो हैरान करने वाला है। जो ममता बनर्जी एक महीने पहले देश की प्रधानमंत्री बनने के सपने देख रही थी वो आज अपने ही घर में घिर गई है। बंगाल में बीजेपी के पक्ष में एक अंडरकरेंट चल रहा है। बीजेपी मजबूत होती जा रही है और ममता की पार्टी का ग्राफ धरातल की ओर जा रहा है। ये अंडरकरेंट कहां थमेगा और कब थमेगा ये कहना तो मुश्किल है लेकिन हकीकत ये है कि भारतीज जनता पार्टी की नजर अब बंगाल से 15-20 सीटें जीतने पर टिक गई है। इसकी सबसे बड़ी वजह तृणमूल कांग्रेस के एक एमएलए अर्जुन सिंह हैं जिन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया है। इससे बंगाल का पूरा परिदृश्य बदल गया है। ये बीजेपी का एक गेम-चेंजर दांव साबित होने वाला है क्योंकि ममता बनर्जी ने अपनी सेना का अर्जुन खो दिय...
सर्वे को  झुठलाने की जुगत में प्रदेश कांग्रेस

सर्वे को  झुठलाने की जुगत में प्रदेश कांग्रेस

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राजस्थान में विधान सभा की जीत के बाद कांग्रेस में इस बात का भी भारी उत्साह था कि अब तो लोकसभा चुनावों में जनता उन्हें बाग बाग कर देगी। जैसे प्रदेश में सत्ता का परिवर्तन हुआ है वैसे ही लोक सभा चुनावों में 25 का मिशन पूरा होगा। इस मिशन को पूरा करने के लिये गहलोत ने सरकार बनने के बाद जनहित के कितने काम किये या जनहित में कितने निर्णय लिये, इसका तो कोई मालूम नहीं चला, लेकिन आईएएस से लेकर अन्तिम स्तर तक के लगभग सभी विभागों के कर्मचारियों के तबादले कर दिये। बताया जा रहा है कि सरकार ने सुशासन के लिये पूरी मशीनरी को ही बदल दिया है। वह भी इस उम्मीद के साथ कि जनता में सकारात्मक संदेश जायेगा। लेकिन जिस प्रकार के सर्वे सामने आ रहे हैं उससे तो नहीं लगता कि कांग्रेस अपने मिशन को पूरा करने में सफल होगी। कांग्रेस ने भले ही लोकसभा चुनावों को लेकर मिशन 25 का टारगेट रखा हो, लेकिन आधा दर्जन से अधिक सीटों पर का...
लोकसभा चुनाव 2019 : जीत हार के अधर में अमेठी

लोकसभा चुनाव 2019 : जीत हार के अधर में अमेठी

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अमेठी संसदीय क्षेत्र की यूं तो देश ही नहीं विदेशों में भी अच्छी खासी धमक रही है। कारण कि गांधी परिवार के लिए हमेशा से महफूज रही अमेठी ने वक्त बेवक्त कांग्रेस को झटके भी देकर अपनी पृष्ठभूमि का अहसास कराया है। अमेठी संसदीय क्षेत्र में पांच विधान सभा क्षेत्र क्रमश: अमेठी, गौरीगंज, जगदीशपुर, तिलोई व सलोन शामिल हैं। भौगोलिक लिहाज से भी तीन जिलों के भूभाग मिलाकर बने इस संसदीय क्षेत्र के चुनाव में पूर्व की तरह इस बार भी काफी रोचक व दिलचस्प मुकाबले देखने को मिलेंगे। अमेठी लोकसभा चुनाव में भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिलेगा। उम्मीद जताई जा रही है कि पिछले लोकसभा चुनाव की भांति भाजपा यहां से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुकाबला करने के लिए केंद्रीय मंत्री व राज्यसभा सदस्य स्मृति ईरानी को एक बार फिर से उतारकर राहुल को उनकी ही कर्मभूमि पर कड़ी चुनौती देने के मूड में नजर आ रही है। ...
गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी और न्याय

गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी और न्याय

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कांग्रेस अध्यक्ष की बेसिक इनकम गारंटी प्रस्ताव के सम्बन्ध में। इसके बारे में तात्विक चर्चा का बहुत विस्तार है। संकेत भर के लिए कुछ तात्विक प्रश्न इस प्रकार हैं- गरीबी, भुखमरी, लाचारी, बेरोजगारी क्या ये समानार्थक हैं या इनमें कोई भेद है? इस दृष्टि से कोई विचार प्रकट नहीं किया गया। विगत वर्षों में बीपीएल की सीमा और बीपीएल की पहचान करके उनको कार्ड देना जमीनी स्तर पर बहुत विवाद का मुद्दा रहा है। इसकी ओर कोई संकेत नहीं। बीपीएल क्या एक व्यक्ति इकाई है या परिवार इकाई है या समाज इकाई है? ये मुद्दा विशेष उभर कर आया है बीपीएल की पहचान करने के नए एसेट्स बेस्ड मेथोडोलॉजी से। क्या टार्गेटेड सब्सिडी कार्यक्रम चलाना एक अच्छी नीति है? क्या इससे अपेक्षित परिणाम निकल पाते हैं? क्या इस प्रकार की बहुविध स्कीम्स का कोई निश्चित लाभ लाभार्थियों को पहुंचा है? क्या वे गरीबी रेखा से बाहर आ पाए हैं?...
घोषणापत्रों में कहीं फिर छूट ना जाये पर्यावरण के सवाल

घोषणापत्रों में कहीं फिर छूट ना जाये पर्यावरण के सवाल

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देश में लोकसभा चुनाव अगले माह ही शुरू होने जा रहे हैं। चुनाव का माहौल अब गरम होता ही जा रहा है। होली के बाद चुनावी रैलियों से लेकर नुक्कड़ सभाओं के दौर भी शुरू हो जाएंगे। इसी के साथ ही सभी दल अपने-अपने मेनिफेस्टो या संकल्प पत्रों को भी जारी करने लगेंगे। उनमें वर्णित तमाम बिन्दुओं पर चर्चा भी होगी, वादे और संकल्प भी दुहराये जाएंगे। लेकिन, अब पर्यावरण से जुड़े सवालों पर भी एक बार फिर से फोकस करने का समय आ गया है। सभी दलों को अपने-अपने घोषणापत्रों में देश को यह तो बताना ही होगा कि उनकी पर्यावरण से जुड़े सवालों पर किस तरह की सोच है। अभी भारत में यूरोपीय देशों की तर्ज पर ग्रीन पार्टी बनाने के संबंध में अब कौन सोचेगा? पर अगर कोई पार्टी सिर्फ पर्यावरण से जुड़े सवालों को लेकर चुनाव मैदान में भी उतरे तो भी उसका स्वागत ही होना चाहिए। यही तो भविष्य के लिए, आने वाली पीढिय़ों के हित में की जाने वाली सा...
बढ़ती नफरत का त्रासद दौर

बढ़ती नफरत का त्रासद दौर

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  न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में हुई त्रासद एवं अमानवीय हिंसक घटना आतंकवाद का एक नया संस्करण है। इस आतंकी वारदात ने यह बता दिया है कि जब तक नफरत, संकीर्णता और उन्माद इस दुनिया में सक्रिय है। कोई भी पूरी तरह से सुरक्षित एवं संरक्षित नहीं है। हालही में अल नूर मस्जिद और लिनवुड मस्जिद में नमाज पढऩे गए लोगों पर हथियारबंद हमलावरों ने अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें 50 के आसपास लोग मारे गए और कई घायल हो गए। इस तरह की आतंकी वारदात सिर्फ हमारे भरोसे को ही नहीं हिलाती, बल्कि उन सारी सच्चाइयों को हमारे सामने ला खड़ी करती है, जिनसे चाहे-अनचाहे हम मुंह चुराते रहे हैं। इस प्रकार की यह आतंकी हिंसा एवं विस्फोटों की शृंखला, अमानवीय कृत्य अनेक सवाल पैदा कर रहे हैं। कुछ सवाल लाशों के साथ सो गये। कुछ घायलों के साथ घायल हुए पड़े हैं। कुछ समय को मालूम है, जो भविष्य में उद्घाटित होंगे। इसके पीछे जिस तरह की ...
मोदीराज में “डिफेंस डील : रक्षा सौदे”

मोदीराज में “डिफेंस डील : रक्षा सौदे”

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मोदी सरकार ने 2014 के बाद 4.26 लाख करोड़ से अधिक के रक्षा अनुबंधों पर हस्ताक्षर किया है. ● 36 :- राफेल मल्टीरोल फाइटर : 59,000 करोड़ ● 7 :- प्रोजेक्ट-17A क्लास युद्ध-पोत : 50,000 करोड़ ● 5 :- एयर डिफेंस SAM S-400 : 39,000 करोड़ ● 22 :- अपाचे AH-64 और 15 शिनूक : 3 अरब डॉलर ● पुर्जे और गोला बारूद : 3 अरब डॉलर ● 6 :- अरिहंत क्लास सबमरीन : 23,652 करोड़ ● 1 :- अकुला II क्लास न्यूक्लियर अटैक पनडुब्बी : 3.3 अरब डॉलर ● बराक-8 MRSAM एयर डिफेंस : 2 अरब डॉलर ● 73 :- ALH ध्रुव : 14,151 करोड़ ● 464 :- मेन बैटल टैंक T-90 MS : 13,448 करोड़ ● 7.47 लाख :- AK-203 असॉल्ट राइफल : 12,280 करोड़ ● LRSAM बराक-8 : 1.41 अरब डॉलर ● 2 :- 'आकाश - NG' SAM रेजिमेंट : 9,100 करोड़ ● 2 :- मल्टी यूटिलिटी वेसल 'HSL' : 9,000 करोड़ ● 4 :- P-8i 'Poseidon' : 1 अरब डॉलर ● 'NASAMS' SAM : 1 अरब डॉलर ● 2 :- प्रोजे...
कश्मीर की सौदेबाज़ी

कश्मीर की सौदेबाज़ी

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वर्तमान में दो बातों से लगभग सभी भारतीय वाकिफ़ होंगे। पहली, भारत द्वारा पाकिस्तान पर हुई एयर स्ट्राइक, दूसरी, भगवा आतंकवाद के आरोपियों का बरी हो जाना। दरअसल ये दोनों विषय एक दूसरे से बेहद गहराई से जुड़े हुए हैं, इतने के इनका जुड़ाव देखने को आपको बहुत गहरे उतरना होगा। पर इस मुद्दे पर आने से पहले कुछ प्रश्नों पर विचार करिये और उनके उत्तर समझिए। पहला, कांग्रेस क्यों एयर स्ट्राइक के बाद इमरान के साथ खड़ी नजऱ आई? इसमें कोई राजनीतिक लाभ क्या संभव था? अगर नहीं तो क्या कांग्रेस की मजबूरी थी? दूसरा आखिर ये भगवा आतंक की कहानी गढऩे की मंशा क्या थी? क्या ऐसा करने से कांग्रेस को कोई बड़ा लाभ होने वाला था? अगर बात मुस्लिम वोट की थी तो वो तो वैसे भी भाजपा को नहीं मिलते फिर क्यों? ये कहानी बड़ी है। ये कहानी है वेटिकन के इशारे पर कश्मीर के सौदे की जिसकी भूमिका तैयार करने को रचा गया था 'भगवा आतंक’ का शब्...
अब अलगाववादियों पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’,  जमात-ए-इस्लामी के बाद अगला टारगेट हुर्रियत

अब अलगाववादियों पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’, जमात-ए-इस्लामी के बाद अगला टारगेट हुर्रियत

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  पिछले दो सप्ताह से देश में बने आतंकी और युद्ध जैसे माहौल का स्थायी समाधान करने के लिए केंद्र सरकार ने देश के अंदर और बाहर दोनों मोर्चों पर सख्त रुख अख्तियार किया हुआ है। भारत एक तरफ जहां पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घेरे हुए है, वहीं पुलवामा हमले के बाद से लगातार आतंकी संगठनों और उन्हें बढ़ावा देने वाले अलगाववादियों पर भी शिकंजा कस रहा है। जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाने के बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि केंद्र सरकार अब ऐसे कुछ और संगठनों पर जल्द कार्रवाई कर सकती है। केंद्र सरकार ने गैर-कानूनी और विध्वंसकारी गतिविधियों में शामिल होने के कारण कश्मीर के कट्टरपंथी अलगाववादी संगठन जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस पर कई विध्वंसक कार्रवाई में शामिल होने के आरोप हैं। इसके साथ ही कई आतंकी संगठनों से इसका संपर्क रहा है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मामलों क...
जम्मू-कश्मीर में आतंकियों का पुनर्वास व मुस्लिम घुसपैठ

जम्मू-कश्मीर में आतंकियों का पुनर्वास व मुस्लिम घुसपैठ

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  यह कितनी पक्षपातपूर्ण कुटिलता है कि पुनर्वास नीति के अंतर्गत 20-25 वर्षों से आतंकी बने हुए कश्मीरी जो पीओके व पाकिस्तान में शरण लिये हुए थे/हैं को धीरे-धीरे वापस ला कर पुन: कश्मीर में लाखों रुपये व नौकरियां देकर बसाया जा रहा है। ये आतंकी अपनी नई पाकिस्तानी पत्नी व बच्चों के साथ वापस आकर कश्मीर की मुस्लिम जनसंख्या और बढ़ा रहे हैं। इनको संपूर्ण नागरिक अधिकार व अन्य विशेषाधिकार मिल जाते हैं। मुख्यधारा में लाने के नाम पर इन कश्मीरी आतंकियों को हथियार छोडऩे पर उस हथियार के अनुसार अलग अलग राशि भी दी जाती है। फिर भी यह सुनिश्चित नहीं रहता कि ऐसे वापसी करने वाले आतंकी कब पुन: आतंक की दुनिया मे लौट जाएंगे! राष्ट्रीय सहारा में छपे 27 मार्च 2013 के समाचार के अनुसार तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर की विधान सभा में एक प्रश्न के उत्तर में बताया था कि ''जम्मू-कश्मीर में सन् 1...