
ग्रामीण अर्थ व्यवस्थाः एनडीए बनाम यूपीए
लोकसभा चुनाव की घोषणा होते ही आरोपों-प्रत्यारोपों का बाजार गर्म है। तरह-तरह के आकड़ें जनता के समक्ष पेश कर ज्यादातर मामलों में जितना कुछ भी बताया जा रहा है, उससे ज्यादा तथ्य छिपाया भी जा रहा है। रक्षा मंत्रालय के दस्तावेजों की चोरी कर के उनमें अपना मतलब साधने वाले तथ्यों को ही बताकर और सुप्रीम कोर्ट में आधी-अधूरी सूचना का गलत हलफनामा दायर कर जनता को गुमराम करने की भरपूर कोशिश की जा रही है। जबकि संचिका के मात्र एक भ्रामक टिप्पणी के ऊपर और नीचे की दूसरी टिप्पणियों को छुपा लिया गया है। यही रोजगार के मामले में हो रहा है। रोजगार के मामले में एक डाटा पेश किया जा रहा है जो भविष्य निधि खाता के संबंध में है। यह आकड़ा स्थायी नहीं होता है। देश के भविष्य निधि खाता धारकों की संख्या का विभिन्न कारणों से घटते-बढ़ते रहना स्वाभाविक है। जैसे धान की बोआई,गेहूं की कटाई,शादी-ब्याह के लगन में लाखों श्रमिक एक से दो...