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राजनीतिक सोच में बौना पड़ता जनहित

राजनीतिक सोच में बौना पड़ता जनहित

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  राजस्थान में विधान सभा चुनावों के बाद लगता है जैसे सब कुछ ठहर सा गया है। प्रदेश में शिक्षा, चिकित्सा, पानी, सड़कें, बेरोजगारी, रोजगार, सरकारी कर्मियों की मांगें मुहं बाये खड़ी थी। क्या सरकार के बदलते ही सारी समस्याओं  का स्वत: ही समाधान हो गया है? या यों कहें कि मतदाताओं ने वह सब प्राप्त कर लिया है जिसकी वे विधान सभा चुनावों से पहले मांग कर रहे थे। पिछली सरकार में शुरू किये गये जनहित के काम किसी ना किसी बहाने बन्द पड़े हैं। लगता है अब उन कामों की जरूरत नहीं है। जानकारी के अनुसार 135 विधायक जो कि राजस्थान की पौने तीन करोड़ जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं, इन्होंने सदन में पहुंचने के बाद जनसमस्याओं से स बन्धित एक भी प्रश्न ना ही पूछा और ना ही सदन में रखा ऐसा बताया जा रहा है। नई सरकार में चुन कर आए विधायकों की सक्रियता और जनता के प्रति अपनी कितनी जवाबदेही समझते हैं, इससे स्पष्ट हो ...
नहीं बन पाया पर्यटन प्रदेश उत्तराखंड

नहीं बन पाया पर्यटन प्रदेश उत्तराखंड

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उत्तराखंड बने अठारह साल हो गये। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर ये प्रदेश आज भी एक पर्यटन राज्य की पहचान नहीं बना पाया है, बद्रीनाथ केदारनाथ यमनोत्री गंगोत्री जैसे विश्व वि यात चार धाम जिस प्रदेश में हो वहां आज एक भी ढंग का पांच सितारा होटल नहीं है। सरकार की पर्यटन नीति में खामियां ही खामियां हैं, जिसकी वजह से न तो यहां तीर्थाटन पनपा न ही पर्यटन। उत्तराखंड वो प्रदेश है जहां दुनिया के सबसे ज्यादा टाइगर यानि बाघ रहते है, जिसकी जानकारी दुनियां के हर किसी वन्यजीव प्रेमी को है। नेपाल से लेकर भूटान तक बना हुआ एशियन एलिफेंट कैरिडोर उत्तराखंड से गुजरता है जहां सबसे ज्यादा हाथी पाए जाते हैं, वाइल्ड लाइफ सेंचुरी से जुड़ा पर्यटन यहां है, परन्तु तो भी पर्यटक क्यों अफ्रीका की तरफ जंगल सफारी के लिए जाते है? सीधा सा जवाब है कि यहां सोच का अभाव है, उत्तराखंड के आईएफएस अफसर ज्यादातर दूसरे प्रदेशों के मूल निव...
A new paradigm for Human Rights & Women’s Rights

A new paradigm for Human Rights & Women’s Rights

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The Challenge: Current Human Rights discourse is divisive & aimed at breaking up India: India is perhaps the only country in the world where leading groups claiming to be defenders of human rights are openly aligned with organizations wedded to the cult of violence whose stated agenda is to subvert the nation and tear asunder Indian society.  This is because human rights work in India today is almost all funded by Western donor agencies through NGOs that are willing to view Indian reality through western paradigms and push the agendas of donor agencies promoted by western governments & evangelical groups. In recent years, select human rights groups have also tied up with Islamist organizations & agencies in Arab countries that are using Indian NGOs as front organizations for Je...
राष्ट्रीय सरकार क्यों न बने?

राष्ट्रीय सरकार क्यों न बने?

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संसदीय चुनाव दस्तक दे रहा है। सत्ता पक्ष खम ठोक कर अपने वापिस आने का दावा कर रहा है और साथ ही विपक्षी दलों के गठबंधन को अवसरवादियों का जमावाड़ा बता रहा है। आने वाले दिनों में दोनों ओर से हमले तेज होंगे। कुछ अप्रत्याशित घटनाएं भी हो सकती हैं। जिनसे मतों का ध्रुवीकरण किया जा सके। पर चुनाव के बाद की स्थिति अभी  स्पष्ट नहीं है। हर दल अपने दिल में जानता है कि इस बार किसी की भी बहुमत की सरकार बनने नहीं जा रही। जो दूसरे दलों को अवसरवादी बता रहे हैं, वे भी सत्ता पाने के लिए चुनाव के बाद किसी भी दल के साथ गठबंधन करने को तत्पर होंगे। इतिहास इस बात का गवाह है कि भजपा हो या कांग्रेस, तृणमूल हो या सपा, तेलगुदेशम् हो या डीएमके, शिवसेना हो या राष्ट्रवादी कांग्रेस, रालोद हो या जनता दल, कोई भी दल, अवसर पडऩे पर किसी भी अन्य दल के साथ समझौता कर लेता है। तब सारे मतभेद भुला दिये जाते हैं। चुनाव के पहले की कटुत...
स्वस्थ भारत यात्रियो का कर्नाटक में प्रवेश, के.एच.आई. ने किया समर्थन

स्वस्थ भारत यात्रियो का कर्नाटक में प्रवेश, के.एच.आई. ने किया समर्थन

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कर्नाटक के घटप्रभा स्थित कर्नाटक हेल्थ इंस्टिट्यूट ( के.एच.आई.) के प्रमुख और विख्यात डाँ. घनश्याम वैद्य ने कनेरी मठ से चलकर के.एच.आई पहुंचे स्वस्थ भारत यात्रा-2 के यात्रियो से कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में स्वस्थ भारत यात्रा न केवल महत्वपूर्ण है बल्कि देश में इस तरह की यह अकेली पहल भी है। उन्होने कहा कि आज के दौर में  चिकित्सा के क्षेत्र में लोग अकेले पड गए हैं और वे पर्याप्त और जरूरी जानकारी के अभाव में तवाह हो रहे हैं। दवा कम्पनियाँ केवल अपने मुनाफे के लिए लूट में शामिल हैं। मरीजो की उन्हे कोई परवाह नहीं। ऐसे में स्वस्थ भारत यात्रा आम लोगो के हित में सहायक साबित होगी। डाँ. वैद्य ने स्वस्थ भारत यात्रा के यात्रियो का स्वागत और अभिनंदन करते हुए कहा कि महात्मा गांधी की प्रेरणा से 80 वर्ष पहले ग्रामीण स्वास्थ्य के लिए स्थापित के.एच.आई महात्मा गांधी के विचारो के  अनूरूप कार्य करती आ रही ह...
कनेरी मठ से स्वामी जी का संदेश, अपनाएं निरोगी जीवन पद्धति

कनेरी मठ से स्वामी जी का संदेश, अपनाएं निरोगी जीवन पद्धति

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श्री क्षेत्र सिद्धगिरि मठ के 49वें मठाधिपति श्री काडसिद्धेश्वर स्वामी जी ने स्वस्थ भारत यात्रा-2 को देश के गरीब और बीमारियों और उसके कारगर इलाज से अंजान लोगों के लिए बहुत उपयोगी व सराहनीय बताया है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे स्वस्थ भारत यात्रा का हर जगह स्वागत करें और हर संभव उनको सहयोग भी करें। स्वामी जी ने देशवासियों के यह संदेश उनसे मिलने आए स्वस्थ भारत यात्रा-2 के प्रमुख आशुतोष कुमार सिंह और उनके सहयोगियों से बातचीत के दौरान दिया। उन्होंने कहा कि हमें ऐसी जीवन पद्धति अपनानी चाहिए, जिससे हम बीमार ही न हो। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य को लेकर उनके मठ की ओर से गांव-गांव में स्वच्छता अभियान के साथ योग शिविरों के आयोजन, बच्चों को पोषण के लिए स्वर्ण घोल देने के साथ जहर-मुक्त खेती को बढावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम किए जा रहे हैं। उन्होंने जेनरिक दवाइयों को बढावा देने की जरूरत प...
महागठबंधन देश हित या स्वार्थ

महागठबंधन देश हित या स्वार्थ

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'मंजिल दूर है, डगर कठिन है लेकिन दिल मिले ना मिले हाथ मिलाते चलिए’, कोलकाता में विपक्षी एकता के शक्ति प्रदर्शन के लिए आयोजित ममता की यूनाइटिड इंडिया रैली में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडग़े का यह एक वाक्य 'विपक्ष की एकता’ और उसकी मजबूरी दोनों का ही बखान करने के लिए काफी है। अपनी मजबूरी के चलते ये सभी दल इस बात को भी नजरअंदाज करने के लिए मजबूर हैं कि यह सभी नेता जो आज एक होने का दावा कर रहे हैं वो सभी कल तक केवल बीजेपी नहीं एक दूसरे के भी 'विपक्षी’ थे। सच तो यह है कि कल तक ये सब एक दूसरे के विरोध में खड़े थे इसीलिए आज इनका अलग अस्तित्व है क्योंकि सोचने वाली बात यह है कि अगर ये वाकई में एक ही होते तो आज इनका अलग अलग वजूद नहीं होता। दरअसल कल तक इनका लालच इन्हें एक दूसरे के विपक्ष में खड़ा होने के लिए बाध्य कर रहा था, आज इनके स्वार्थ इन्हें एक दूसरे के साथ खड़े होने के लिए विवश कर रहे हैं। क्...
कांग्रेस बनाम गैर कांग्रेसी विपक्ष

कांग्रेस बनाम गैर कांग्रेसी विपक्ष

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सन 2014 के आम चुनावों में जीत के बाद और हालिया विधानसभा चुनावों के पहले तक भारतीय जनता पार्टी का अजेय होने का जो मिथक था, वह टूटता नजर आ रहा है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी को मिली हार ने उसके प्रति बनी राष्ट्रीय अवधारणा में दरार डाल दी है। तीन हिंदीभाषी राज्यों में भाजपा की हार कितनी बड़ी है, और उसका असर कितना गहरा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उत्तर पूर्व में इकलौती जगह यानी मिजोरम में कायम कांग्रेस का सफाया हो गया, लेकिन कांग्रेस की यह हार मिजोरम के बाहर बड़ी खबर तक नहीं बनी। कांग्रेस की उस तेलंगाना में भी करारी हार हुई, जहां पांच साल पहले तक उसका राज होता था। वह तेलंगाना उस अविभाजित आंध्र का हिस्सा था, जिसकी बदौलत 2004 में कांग्रेस की केंद्रीय सत्ता में वापसी हुई थी। जिसमें अविभाजित आंध्र के पूर्व मु यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी ने बड़ी भू...
कितने दागदार हैं आलोक वर्मा

कितने दागदार हैं आलोक वर्मा

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ये पहली बार सुना कि एक सरकारी अफसर ने दिली चाहत ज़ाहिर की है कि उसे उसके मन का ही विभाग मिले। अगर नहीं मिलेगा तो वह उसे संभालेगा ही नहीं। वह सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे देगा। यही तो किया पिछले ह ते देश की सर्वोच्च संस्था सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा ने। उनकी सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के निदेशक पद पर बहाली कर दी थी। उसके बाद उन्हें सरकार की उच्चस्तरीय समिति ने एक नई जि मेदारी दे दी। पर उनके दुस्साहस को तो देखिए कि उन्होंने उस नए पद को लेने से ही मना कर दिया। क्या कोई अर्ध-सैनिक वर्दीधारी पदाधिकारी इस तरह का आचरण कर सकता है? जब मोदी सरकार ने आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक बनाया था, तब तो उन्होंने इस पद को खुशी-खुशी हथिया लिया था। जबकि उन्हें इस विभाग में पहले काम करने का रत्तीभर भी अनुभव नहीं था। कहते हैं कि तब सीबीआई निदेशक के नाम पर विचार के लिए बुलाई उच्चस्तरीय समिति बैठक में विपक्ष के नेता म...
मुंबइकर महिलाओं ने जाना जेनरिक दवाइयों का महत्व

मुंबइकर महिलाओं ने जाना जेनरिक दवाइयों का महत्व

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सूरत से चलकर मुंबई पहुंचे स्वस्थ भारत यात्रा के यात्रियों का मुंबईकर महिलाओं ने हर्षोल्लास के साथ कुंकुम और पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया। स्वस्थ भारत यात्रा के प्रमुख आशुतोष कुमार सिंह ने मुंबई को स्वस्थ भारत अभियान का प्रेरक स्थल बताते हुए कहा कि आज पूरे देश में स्वास्थ्य को लेकर मेरे व मेरे सहयोगियों, समर्थकों द्वारा छेड़े गए अभियान का प्रेरणा स्थल मुंबई ही है। श्री सिंह ने सात साल पहले अपने मुंबई प्रवास के दिनों को याद करते हुए कहा कि मुझे एक गर्भवती महिला के इलाज के दौरान हुई महंगी दवाइयों के नाम पर लूट ने बहुत व्यथित किया। इस व्यथा ने ही महंगी दवाइयों के खिलाफ आंदोलन को जन्म दिया। उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह आंदोलन जब शुरू हुआ तो इस आंदोलन का सूत्रधार गर्भ में था लेकिन आज वह करीब 7 साल का हो चुका है। 7 वर्षीय सिद्दिद यादव आज अपने फिटनेस को लेकर जितना संजीदा है वह इस अभियान ...