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Abolish legal-size paper: Supreme Court should take initiative

TOP STORIES, समाचार
Presently A-4 size paper (29.5 cms x 21 cms) is most commonly used size of paper-sheets. All photocopiers used in homes and offices are mostly equipped to handle this size of paper-sheets only. But there is a distinct size of legal paper-sheets for filing and use in courts which is 5 cms longer at 34.5 cms x 21 cms. Courts should do away with British-era practice, and allow only A-4 size paper-sheets till Union government works out for a new standardised paper-size based on metric-units. Rather concept of legal-size paper should be altogether abolished. System will be user-friendly and people will not have to rush outside for photo-copying bigger sized legal-papers presently used and allowed in courts. However colour-code of paper to be used in courts can be different like green is used in...
Scientists figure out Salmonella bacteria infect plants

Scientists figure out Salmonella bacteria infect plants

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Contamination of salad vegetables by E.coli and Salmonella bacteria are the most common causes of food poisoning. Although most Salmonella outbreaks are linked to contamination during handling and transportation of the vegetables, there are also cases where the infectious bacterium had entered the plant when it was still in the farmland. How does it enter the plant? So far, the mechanism was not known. A new study by researchers at the Indian Institute of Science (IISc) and the University of Agricultural Sciences (UAS), Bengaluru, has solved the mystery. They have found that unlike other disease-causing bacteria that enter the root, fruit or leaf by producing enzymes to break down the plant’s cell wall, Salmonella sneaks in through a tiny gap created when a lateral root branches out...
समय की पुकार : हो नई पौध तैयार

समय की पुकार : हो नई पौध तैयार

TOP STORIES, सामाजिक
प्रकृति का नियम है पका फल पेड़ पर अधिक देर तक लगा रह ही नहीं सकता वह टपकेगा ही कभी न कभी। पेड़ की फल देने की भी एक क्षमता होती है उसके बाद नए पेड़ आते हैं। यही क्रिया मानव जीवन की भी है। नई पीढ़ी को तैयार करना ही मानव धर्म है। पुरानों को जो कि अपना कर्म कर चुके होते हैं, उन्हें जाना ही होता है। उनका कर्म कैसा रहा, उनका योगदान क्या रहा या उन्हें क्या करना चाहिए था। इन सब बातों की आलोचना और विवेचना में अब और ऊर्जा व समय नहीं गंवाना है। पुरानी त्रुटियों से यह सीखना है कि हमें यह नहीं करना होगा। धार्मिक, राजनैतिक, सामाजिक व आर्थिक क्षेत्रों में जो भी विकृतियां आ गई हैं उन्हें अपने प्रेम, सत्य व कर्म से दूर करने का पुरुषार्थ ही अब नए प्रभात की ओर जाने का मार्ग है। हमारी सारी समस्याओं की जड़ यह है कि हम समस्याओं के हल अपनी-अपनी बुद्धि के अनुसार निकालकर उसी से जूझते रहते हैं। हल को लागू करने म...
मेघालय हाई कोर्ट के एक सही फैसले पर सियासत?

मेघालय हाई कोर्ट के एक सही फैसले पर सियासत?

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भारत का विभाजन 1947 में धर्म के आधार पर हुआ था। अलग हो कर पाकिस्तान ने स्वयं को इस्लामिक राष्ट्र घोषित कर दिया जबकि भारत ने धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र रहना पसंद किया। भारत को भी उस समय स्वयं को हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए था। जो हिंदू उस समय भारत नहीं आ पाए वो और उनकी पीढ़ी तीन पड़ोसी देशों में तरह तरह के अत्याचार सह रही हैं। पड़ोसी देशों अथवा दुनिया के किसी भी कोने से कोई हिंदु, सिख, जैन, बौद्ध,  गारो, खासी जयंती, पारसी, ईसाई जब भी भारत आए भारत सरकार को उन्हें तुरंत नागरिकता देनी चाहिए और बहुत ज्यादा कागज़ात प्रमाण के तौर पर नहीं मांगने चाहिए।’’ मेघालय होई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुदीप रंजन सेन ने डोमिसाइल सर्टिफिकेट के एक मामले में साहसिक फैसला सुनाते हुए भारत के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन की वर्तमान प्रक्रिया को सुधारने और समान कानून लाने का अनुरोध किया है। उ...
राफ़ेल विमान सौदा चोर, बदनियत और राष्ट्रविरोधी कौन?

राफ़ेल विमान सौदा चोर, बदनियत और राष्ट्रविरोधी कौन?

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  आज भारत और फ्रांस के बीच हुए राफेल विमान सौदे को लेकर तमाम प्रश्न उठाती याचिकाओं के निर्णय का दिन था। आज राहुल गांधी के 'चौकीदार चोर है’ के नारे की परिणीति का दिन था। आज छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश व राजस्थान के उन मतदाताओं का दिन था, जिन्होंने नोटा या भाजपा के विरोधियों को इसलिये अपना मत दिया था क्योंकि उनको अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीयत पर अविश्वास था। इसी के साथ आज राहुल गांधी की कांग्रेस और उनके साथियों की उस उम्मीद का भी दिन था, जिसमें आज, सर्वोच्च न्यायालय राफ़ेल विमान सौदे पर शंका प्रकट कर, एसआईटी गठित करती और 2019 के चुनाव में राफ़ेल विमान पर सवार राहुल गांधी जीत कर भारत के प्रधानमंत्री बन जाते। लेकिन इसी के साथ आज सर्वोच्च न्यायालय की विश्वनीयता और तटस्था की परीक्षा का भी दिन था, जो वह भारत की जनता के सामने खोती जा रही है। आज इन सब पर पटाक्षेप हो गया है। राफ़ेल ...
राफेल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला उल्टा चोर कोतवाल को डांटे

राफेल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला उल्टा चोर कोतवाल को डांटे

TOP STORIES, विश्लेषण
  'कुत्ते की दुम टेढ़ी की टेढ़ी’, यह एक बहुत ही प्रचलित लोकोक्ति है। बताया जाता है कि कुत्ते की दुम को बारह साल तक पाइप में रखने पर भी सीधी नहीं होती है। पाइप से निकालते ही वो टेढ़ी हो जाती है। इस लोकोक्ति का इस्तेमाल उस व्यक्ति के लिए किया जाता है जो लाख कोशिशों के बावजूद सुधरने का नाम नहीं लेता। ऐसे व्यक्ति को 'कुत्ते की दुम’ कहा जाता है। राफेल विवाद के मामले में राहुल गांधी और मोदी से घृणा करने वाले लॉबी की हालत कुत्ते की दुम की तरह हो गई है। ये हर बार बिना सबूत, बिना तथ्य, बिना किसी वजह के मोदी पर आरोप तो लगाते हैं लेकिन कुछ साबित नहीं कर पाते हैं। कोर्ट से लताड़ पड़ती है तो फिर कोई दूसरा मुद्दा उठा लेते हैं। राहुल गांधी को तो केजरीवाल की बीमारी लग गई है, बिना सबूत के आरोप लगाना फिर माफी मांगना। केजरीवाल तो एक शहर का नेता है लेकिन कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी का अध्यक्ष जब सड...
राज्यसभा की याचिका समिति करे कार्यवाही

राज्यसभा की याचिका समिति करे कार्यवाही

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  राज्यसभा का सदस्य भारतीय राजनीति का सबसे वरिष्ठ और परिपक्व व्यक्तित्व होना चाहिए। क्योंकि भारत के लोकतंत्र में इससे बड़ी कोई विधायिका नहीं है। अगर राज्यसभा का कोई सदस्य झूठ बोले, भारत के नागरिकों को धमकाए और राज्यसभा द्वारा प्रदत्त सरकारी स्टेशनरी का दुरूपयोग इन सब अवैध कामों के लिए करें, तो क्या उस पर कोई कानून लागू नहीं होता है? कानून के तहत ऐसा करने वाले पर बाकायदा आपराधिक मुकदमा चलाया जा सकता है और उसे 2 वर्ष तक की सजा भी हो सकती है। पर इससे पहले की कोई कानूनी कार्यवाही की जाए, राज्यसभा की अपनी ही एक 'याचिका समिति’ होती है। जिसके 7 सदस्य हैं। इस समिति से शिकायत करके दोषी सदस्य के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा सकती है। पिछले दिनों 'कालचक्र समाचार ब्यूरो’ के प्रबंधकीय संपादक रजनीश कपूर ने इस समिति के सातों सदस्यों को और राज्यसभा के सभापति व भारत के माननीय उपराष्ट्रपति...
खेल कांग्रेसी सत्ता के

खेल कांग्रेसी सत्ता के

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जब भी मैं कहता हूं कि सरकार के कदम सही दिशा में नहीं हैं तो राष्ट्रवादियों के कान खड़े हो जाते हैं । फोन पर फोन ... मेसेज पे मेसेज आने लगते हैं । समझाया जाता है कि पांच साल में हिन्दू अपने लिए खड़ा होने लगा है । ये हमारी सफलता है । ये सुनकर मन करता है कि माथा पीट लूं । कैसे समझाऊँ कि पांच साल में सिर्फ लोगों को अपने लिए खड़ा करना हमारा उद्देश्य नहीं था । हमारा उद्देश्य होना चाहिए था कि प्रशासन में, संगठन में, शिक्षा में, कला में, साहित्य में, खेल में, मीडिया में हर जगह अपने प्रतिनिधि स्थापित हों । कहीं से भी अगर कुछ भी गलत हो तो अकेले एक आदमी विरोध में न हो । बल्कि हर क्षेत्र हर विधा के लोग समवेत स्वर में अपनी आवाज़ उठायें । होता क्या है कि अखलाख को रोने वाले हजारों में हैं लेकिन प्रशान्त पुजारी गुमनामी में मारे जाते हैं । बंगाल के मालदा में हुई आगजनी के ऊपर लिखने वालों की संख्या उ...
Kerala’s Demographic Shift: Three Axes Of Change And Salafism

Kerala’s Demographic Shift: Three Axes Of Change And Salafism

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On 14 June 2016, Krishnendhu R Nath, an Indian, now residing in Malaysia, was travelling in Kerala’s Malappuram district when she suddenly fell sick. Nath asked for lime soda. Her husband’s friend tried to buy it from a shop on the highway. The friend was told that it was a period when Ramzan fasting was on (the eighth day of the month) and no shop there could sell soda or any eatable for that matter. Piqued, Nath herself went and asked a shopkeeper what his problem was in selling a lime soda or lemon juice during the fasting season. She wondered what travellers would do when they are not fasting. The shopkeeper politely replied that he was eager to supply, but his shop will be destroyed after that. Nath, who recorded her nightmare in a Facebook post, said that she got similar responses...
भाजपाई कांग्रेस की जीत कांग्रेसी भाजपा की हार

भाजपाई कांग्रेस की जीत कांग्रेसी भाजपा की हार

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पाँच राज्यों के चुनावों के परिणामों से एक बात तो साफ हो गयी है कि जब जब सियासी दल जनता को अपने हाथों की कठपुतली समझते हैं तब तब जनता की तरफ से उसका माकूल जवाब दे दिया जाता है। मत प्रतिशत में सिर्फ दो चार प्रतिशत का अंतर ही सत्ता और विपक्ष में कितना अंतर पैदा कर सकता है यह अब भाजपा को समझ आ गया है। देखते ही देखते तीन महत्वपूर्ण भाजपा शासित राज्य उसके हाथ से खिसक गए। लगभग मृतप्राय कांग्रेस फिर से संजीवित हो गयी। किसानों की नाराजगी और एससीएसटी एक्ट से सवर्णों में उपजा गुस्सा कुछ ऐसा फूटा कि सारी नीतियाँ धरी की धरी रह गयीं। राजस्थान और मध्य प्रदेश रेत की मानिंद हाथ से फिसल गये। छत्तीसगढ़ में करारी हार हुयी। स्वयं को अजेय मानने का भ्रम पालने वाली भगवा ब्रिगेड का दंभ टूट गया। अमित शाह के प्रबंधन की हवा निकल गयी। और जनता की नाराजगी के कारण पप्पू गिरते पड़ते ही सही आखिरकार पास हो ही गया। इन तीन प्रद...