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बीमारियों के बोझ से उबरता भारत

बीमारियों के बोझ से उबरता भारत

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  विविधताओं से भरे देश हिन्दुस्तान के लिए अपने नागरिकों को वैश्विक स्वास्थ्य मानकों के अनुरूप स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना एक बड़ी चुनौती है। आजादी से लेकर अभी तक भारत ने इन चुनौतियों को स्वीकार करते हुए अपने नागरिकों की सेहत को बेहतर रखने एवं करने की हर संभव कोशिश की है। पिछले 20 वर्षों की बात की जाए तो भारत सरकार ने 1999 में राष्ट्रीय एड्स कार्यक्रम, 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, 2008 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना, 2010 में कैंसर, मधुमेह, कार्डियोवास्कुलर बीमारियां एवं स्ट्रोक को रोकने के लिए राष्ट्रीय पहल, 2011 में जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम, 2014 में राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन, स्वच्छ भारत अभियान, 2017 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति एवं 2018 में आयुष्मान भारत जैसे तमाम पहल किए हैं। इन प्रयासों का परिणाम यह रहा है कि भारत ने तमाम तरह के स्वास्थ्य संकेतकों में...
Kerala’s Demographic Shift: Three Axes Of Change And Salafism

Kerala’s Demographic Shift: Three Axes Of Change And Salafism

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On 14 June 2016, Krishnendhu R Nath, an Indian, now residing in Malaysia, was travelling in Kerala’s Malappuram district when she suddenly fell sick. Nath asked for lime soda. Her husband’s friend tried to buy it from a shop on the highway. The friend was told that it was a period when Ramzan fasting was on (the eighth day of the month) and no shop there could sell soda or any eatable for that matter. Piqued, Nath herself went and asked a shopkeeper what his problem was in selling a lime soda or lemon juice during the fasting season. She wondered what travellers would do when they are not fasting. The shopkeeper politely replied that he was eager to supply, but his shop will be destroyed after that. Nath, who recorded her nightmare in a Facebook post, sai...
मानवाधिकार दिवस समय है आत्ममंथन करने का

मानवाधिकार दिवस समय है आत्ममंथन करने का

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हम आज 21 वीं सदी में लोकतांत्रिक सरकारों और मानवाधिकार आयोग जैसे वैश्विक संगठनों के होते हुए भी असफल हैं तो समय आत्ममंथन करने का है। अपनी गलतियों से सीखने का है, उन्हें सुधारने का है। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सम्पूर्ण विश्व में मानव समाज एक बहुत ही बुरे दौर से गुजर रहा था। यह वो समय था जब मानव सभ्यता और  मानवता दोनों ही शर्मसार हो रही थीं। क्योंकि युद्ध समाप्त होने के बाद भी गरीब और असहायों पर अत्याचार, जुल्म, हिंसा और भेदभाव जारी थे। यही वो परिस्थितियाँ थीं जब संयुक्त राष्ट्र ने प्रत्येक मानव के मनुष्य होने के उसके मूलभूत अधिकारों की जरूरत को समझा और यूनीवर्सल मानव अधिकारों की रूपरेखा को ड्राफ्ट किया जिसे 10 दिसम्बर  1948 को अपनाया गया। इसमें मानव समुदाय के लिए राष्ट्रीयता, लिंग,धर्म, भाषा और अन्य किसी आधार पर बिना भेदभाव किए उनके बुनियादी अधिकार सुनिश्चित किए गए। इस ड्राफ्ट को औपचारि...
मोदी को कौन दे सकता है भाजपा में चुनोती ?

मोदी को कौन दे सकता है भाजपा में चुनोती ?

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मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान तीनो का कुल क्षेत्रफल 8 लाख वर्ग किलोमीटर है जो भारत के कुल क्षेत्रफल 32.87 लाख वर्ग किलोमीटर के एक चौथाई यानि 25% क्षेत्रफल के आसपास है। अब यह भाजपा के कब्जे से बाहर है।दूसरी बड़ी बात तीनो प्रदेश खनिज संपदा से भरपूर है और तीनों में गोवा व गुजरात सहित 2014 के लोकसभा चुनावों से पूर्व भाजपा की सरकारें थी। आज गोवा में मनोहर पर्रिकर की टूटी फूटी व गुजरात मे विजय रुपाणी की तेजहीन भाजपा सरकारें है और बाकी तीन राज्य अब हाथ से निकल गए और शिवराज, वसुंधरा व रमन अब मोदी को चुनौती देने लायक नहीं बचे। यानि 2014 से पूर्व के भाजपा क्षत्रपों का पतन और मोदीजी का भाजपा पर वर्चस्व। तीनों राज्यों में राजपूत मुख्यमंत्री केंद्र में राजपूत गृहमंत्री राजनाथ सिंह को मजबूत करते थे जो नरेंद्र मोदी के लिए बड़ी चुनोती थे। अब यह गठजोड़ पस्त और लगे हाथ इनके हाथ मजबूत करने निकले योगी आदित्यना...
भाजपा: हार और ये आरोपों की बारिश

भाजपा: हार और ये आरोपों की बारिश

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भाजपा की तीन राज्यों में करारी हार के बाद नाराज नेताओं व कार्यकर्ताओं ने जैसे आरोपों की बारिश ही कर दी है। हो सकता है कुछ आरोप अतिरेक हो मगर मजेदार जरूर हैं - " एंटी इंकॉम्बेन्सी" व एक बार हार-एक बार जीत की परंपरा, अहंकारी होना, जमीन से कटना, जमीनी कार्यकर्ताओ की उपेक्षा , टिकटों का गलत बँटबारा व पैसे लेना, पार्टी का कांग्रेसीकरण, परिक्रमा करने वालों को आगे बढ़ाना व पराक्रम वाले कार्यकर्ताओं के लिए "यूज़ एन्ड थ्रो" की नीति रखना तो सामान्य है ही हिंदुत्व के एजेंडे से अलग होकर विकास व जाति की राजनीति में शीर्ष नेतृत्व का उलझ जाना अधिक प्रमुख हैं। पार्टी का अपने मूल एजेंडे से भटकाव, कश्मीर, अवैध बांग्लादेशी, समान नागरिक संहिता व राम मंदिर जैसे मुद्दों का समाधान न होना, निचले स्तर पर भ्रष्टाचार के साथ ही गैर भाजपाइयों को सरकारी पद व रेवड़ी बांटना भी है। भारत का भारतीयकरण न करना यानि पाश्चात्य सं...
State Poll Verdict unlikely to impact Lok Sabha Elections

State Poll Verdict unlikely to impact Lok Sabha Elections

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The verdict in the state assembly elections in three States of Madhya Pradesh, Rajasthan and Chhattisgarh that went against the BJP should not be taken as a negative sign for the BJP in the next year’s general elections to Lok Sabha. Contrary to opinions and comments being offered by political commentators, the BJP has reason to smile though it may sound bizarre when I use this word ‘smile’ when we have lost the elections in three States. One should not forget that 15 years of incumbency is something that is not easy to defend no matter how good work the government has done. In Delhi, Sheila Dixit who also did apperantly good work in Delhi was defeated after being in office for three terms at the hands of a dark horse like Aam Admi Party. Let’s analys the hard facts! CHHATTISGARH The po...
राष्ट्रवादियों की अवहेलना…

राष्ट्रवादियों की अवहेलना…

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पांच राज्यों के विधान सभाओं के चुनावी परिणामों में हुई भाजपा की पराजय को राष्ट्रवाद की हार कहा जाये तो अनुचित नही होगा। मोदी,शाह व योगी कौन है राष्ट्रवादी समाज की भावनाओं को न समझने का जिम्मेदार..? यह राष्ट्रवादी समाज की पराजय है। सत्तालोलुपता ने देश की संस्कृति और स्वाभिमान को सदा ठेस पहुंचायी है। 2004 में स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में भाजपा की भारत भक्तो के प्रति उदासीनता ने ही सोनिया की कांग्रेस को विजयी बनाया था।  2014 में भाजपा की अद्भुत विजय भारतीय संस्कृति को आहत करने वाले सोनिया के षडयन्त्रो व मोदी जी का आक्रामक राष्ट्रवाद कारण बना था। सारे राष्ट्र में राष्ट्रवादियों को मोदी सरकार से बहुत आशा बंधी थी।जिससे आगे भी राज्यों के चुनावों में भाजपा को अच्छी विजय मिली। लेकिन अब जो परिणाम आये हैं उससे यह स्पष्ट संकेत है कि जब जब भाजपा राजमद में शपथ भूल जाती तब तब राष्ट्रवादियों...
बढ़ती बीमारियों के लिए तंबाकू से अधिक जिम्मेदार है वायु प्रदूषण

बढ़ती बीमारियों के लिए तंबाकू से अधिक जिम्मेदार है वायु प्रदूषण

TOP STORIES, विश्लेषण
भारतीय शोधकर्ताओं के एक ताजा अध्ययन में बीमारियों को बढ़ावा देने और असमय मौतों के लिए वायु प्रदूषण को तंबाकू उपभोग से भी अधिक जिम्मेदार पाया गया है। विश्व की 18 प्रतिशत आबादी भारत में रहती है, जिसमें से 26 प्रतिशत लोग वायु प्रदूषण के कारण विभिन्न बीमारियों और मौत का असमय शिकार बन रहे हैं। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज नामक वैश्विक पहल के अंतर्गत किए गए इस अध्ययन में देश के विभिन्न राज्यों में वायु प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों, बीमारियों के बढ़ते बोझ और कम होती जीवन प्रत्याशा का आकलन किया गया है। शोधकर्ताओं ने उपग्रह चित्रों और एयर मॉनिटरिंग स्टेशनों से वायु गुणवत्ता संबंधी आंकड़े प्राप्त किए हैं। इस अध्ययन के नतीजे शोध पत्रिका लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में प्रकाशित किए गए हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, वायु प्रदूषण स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले न्यूनतम स्तर से कम हो तो भारत में औसत जीवन प्...
लद्दाख की पूगा घाटी में भू-तापीय ऊर्जा की सबसे अधिक संभावना

लद्दाख की पूगा घाटी में भू-तापीय ऊर्जा की सबसे अधिक संभावना

TOP STORIES, विश्लेषण
भारत के कई क्षेत्रों को उनकी भू-तापीय ऊर्जा उत्पादन की संभावित क्षमता के कारण जाना जाता है। इन क्षेत्रों से जुड़े एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि लद्दाख की पूगा घाटी में स्थित भू-तापीय क्षेत्र ऊर्जा उत्पादन का एक प्रमुख स्रोत हो सकता है। पिलानी स्थित बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं के एक ताजा अध्ययन में यह बात उभरकर आयी है। शोधकर्ताओं ने लद्दाख की पूगा घाटी, जम्मू-कश्मीर के छूमथांग, हिमाचल प्रदेश के मणिकरण, छत्तीसगढ़ के तातापानी, महाराष्ट्र के उन्हावारे और उत्तरांचल के तपोबन जैसे भू-तापीय ऊर्जा से जुड़े आंकड़ों का नौ मापदंडों के आधार पर विश्लेषण किया है। इसी आधार पर शोधकर्ताओं का कहना है कि पूगा घाटी के भू-तापीय क्षेत्र में ऊर्जा उत्पादन की सबसे अधिक क्षमता है। भारत में भू-तापीय ऊर्जा भंडारों के अध्ययन की शुरुआत वर्ष 1973 में हुई थी। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और रा...
Complicated circular of Department of Revenue about TDS on GST

Complicated circular of Department of Revenue about TDS on GST

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It refers to circular-number 65-39-2018-DOR dated 14.09.2018 by Department of Revenue, Government of India which has created unnecessary complications for account-departments of central ministries and others concerned wherein it is directed that on any payment made towards bills with GST, there will be two rates of Tax-Deducted-At-Source TDS, one on basic payment without TDS generally at rate of 10-percent, and second at rate of 2-percent on amount of GST. Such dual rate of TDS on a single payment creates unnecessary confusion and complication for all concerned without any appreciable relief to the payee. Best is to have single rate of TDS on total payment inclusive of GST for simplicity in accounting. Income Tax provisions should be further simplified by abolishing separate number f...