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मोदी राज – तीन साल जज्बा भी, जलवा भी

मोदी राज – तीन साल जज्बा भी, जलवा भी

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मोदी सरकार को तीन साल हो गए हैं। विपक्ष खुश है क्योंकि उसे लगता है भाजपा सरकार कह कर भी अच्छे दिन नहीं ला पायी है। दूसरी तरफ भाजपा खुश है क्योंकि उसको लगता है कि उसने विपक्ष को नेस्तनाबूद कर दिया है। पक्ष और विपक्ष की इस लड़ाई में जनता कहाँ खड़ी है यह प्रश्न महत्वपूर्ण है। अच्छे दिन के वादे के साथ जिस सरकार ने शपथ ली थी उससे जितनी अपेक्षाएँ थीं उतनी अपेक्षाएँ इन तीन सालों में पूरी नहीं हुयी हैं। हाँ, योजनाओं और अभियानो के द्वारा एक भविष्य का खाका दिखने लगा है। जिस तरह से भाजपा लगातार राज्यों पर कब्जा करती जा रही है उससे लगता है कि जनता में भाजपा की विश्वसनीयता अभी बरकरार है। मोदी सरकार के तीन साल के कार्यकाल पर विशेष संवाददाता अमित त्यागी एक विश्लेषण प्रस्तुत कर रहे हैं। रेंद्र मोदी सरकार तीन साल बाद भी विश्वसनीय नजर आ रही है जो इस सरकार की सबसे बड़ïी सफलता है। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि सरक...
शिक्षा उद्योग में सहायक मगर उद्योग नहीँ – डायलॉग इंडिया कॉन्क्लेव में बोले उ प्र विधानसभा अध्यक्ष ह्रदय नारायण दीक्षित

शिक्षा उद्योग में सहायक मगर उद्योग नहीँ – डायलॉग इंडिया कॉन्क्लेव में बोले उ प्र विधानसभा अध्यक्ष ह्रदय नारायण दीक्षित

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डायलाग इंडिया अकेडमिया कॉन्क्लेव और अवार्ड फंक्शन - 2017 के प्रथम चरण का लखनऊ में भव्य आयोजन सम्मानित किए गए दो दर्जन से अधिक संस्थान लखनऊ का होटल क्लार्क अवध कल 20 मई,2017 को एक भव्य आयोजन का साक्षी बना, जिसमें पूरे देश से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत शिक्षण संस्थानों के साथ साथ जाने माने शिक्षाविद भी उपस्थित थे, और इसके साथ ही था शिक्षा के क्षेत्र में ज्वलंत मुद्दों पर चर्चाएँ. मौक़ा था डायलोग इंडिया के द्वारा आयोजित तीसरे डायलॉग इंडिया अकेडमिया कॉन्क्लेव और पांचवे डायलोग इंडिया एकेडमिया अवार्ड का, जिसमें न केवल शिक्षा जगत के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चाएँ थी बल्कि उसके साथ ही निजी क्षेत्र के उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए अखिल भारतीय रेंकिंग भी जारी की गयी। जिसे विभिन्न मानकों पर डायलोग इंडिया ...
Dialogue India Academia Conclave and Award Function – The grand finale of Lucknow in the first phase of 2017,                         More than two dozen institutes honored

Dialogue India Academia Conclave and Award Function – The grand finale of Lucknow in the first phase of 2017, More than two dozen institutes honored

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The grand finale of Lucknow in the first phase of 2017, More than two dozen institutes honored Lucknow's hotel, Clark Awadh, witnessed a grand event on 20th May, 2017, in which there was a well-known education academy along with educational institutions working in the field of higher education from all over the country, and also with the burning of education. Discussions on issues The occasion was the third Dialog India Akademia Conclave organized by Dialogue India and the fifth Dialogue India Academy Award, which not only discussed the burning issues of education but also all-India rankings for the private sector's higher education institutions. Which was prepared by Dialogue India's research team after several months of hard work on various parameters. Dialog...
समस्त जल प्रबंधन प्रणालियों की जांच का वक्त

समस्त जल प्रबंधन प्रणालियों की जांच का वक्त

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हमने कभी सिंचाई के नाम पर नदियों को बांधा और कभी बाढ मुक्ति़-बिजली उत्पादन के नाम पर। नदी के नफ़ा-नुकसान की समीक्षा किए बगैर यह क्रम आज भी जारी है। एक चित्र में नदियों को जहां चाहे तोड़ने-मोड़ने-जोड़ने की तैयारी है, तो दूसरे में भारत की हर प्रमुख नदी के बीच जलपरिवहन और नदी किनारे पर राजमार्ग के सपने को आकार देने की पुरजोर कोशिश आगे बढ़ती दिखाई दे रही है। नोएडा से गाजीपुर तक गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना को आगे बढ़ाने की मायावती सरकार की पैरोकारी को याद कीजिए। श्री नितिन गडकरी द्वारा परिवहन मंत्री बनते ही गंगा जलमार्ग के नाम पर इलाहाबाद से हल्दिया के बीच हर सौ किलोमीटर पर एक बैराज बनाने की घोषणा को याद कीजिए। श्री गडकरी ने अब ब्रह्मपुत्र किनारे भी राजमार्ग की परियोजना को आगे बढ़ा दिया है। तीसरे चित्र में साबरमती रिवर फ्रंट डेवलॅपमेंट माॅडल से निकला जिन्न, राजधानियों में मौजूद नदी भूमि को अपने को व्य...
बिहार की बदहाली पर क्यों बात नहीं करते लालू

बिहार की बदहाली पर क्यों बात नहीं करते लालू

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आर.के. सिन्हा बुनियादी सवालों से भटका कर जुमलेबाजी करने में लालू यादव वास्तव में बेजोड़ हैं। उसकी एक ताजा बानगी बिहार के राजगीर में हाल ही में राष्ट्रीय जनता दल(राजद) में आयोजित सम्मेलन में देखने को मिली। वहां पर राजद नेता लालू प्रसाद यादव ने यह बेहद गैर-राजनितिक और बेतुकी मांग कर दी कि देश के चारों पीठ में शंकराचार्य की नियुक्ति में भी आरक्षण लागू किया जाये। लालू यही ड्रामा बिहार में करते रहे हैं। उन्होंने बिहार में बेरोजगारी दूर करने, निवेश आकर्षित करने, शिक्षा, स्वास्थ्य व्यवस्था, इंफ्रास्ट्कचर वगैरह को दुरुस्त करने जैसे मुद्धों को कभी भी गंभीरता से लिया ही नहीं। वे तो मात्र वोट बैंक की राजनीति करना जानते हैंI उनसे सवाल पूछा जाना चाहिए कि शंकराचार्य की नियुक्ति में आरक्षण करने से बिहार के सारे दुख दूर हो जाएंगे या उनके दुःख दूर हो जायेंगें? वे चाहते क्या हैं? पिछले बिहार विधानसभा ...
राष्ट्रीय सुरक्षा की अवहेलना क्यों ?

राष्ट्रीय सुरक्षा की अवहेलना क्यों ?

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देश के सीमावर्ती क्षेत्रों व सैन्य ठिकानों की उच्चस्तरीय सुरक्षा की अवहेलना क्यों हो रही है , जबकि शत्रु बार बार हमको घायल कर रहा है ? पिछले सितंबर माह में सर्जिकल स्ट्राइक से आहत होने के उपरांत भी पाकिस्तानियों ने सीमाओं पर अनगिनत बार युद्ध-विराम उल्लंघन किया परंतु हम अपने धैर्य और संयम के गुणगान करने में ही वीरता का परिचय कराते है । सेनाओं को शस्त्र उठाने के प्रति नकारात्मक भाव रखने वाले हमारे राजनैतिक नेतृत्व को सेनाओं पर तो भरोसा है , परंतु वे अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति के अभाव में कठोर निर्णय लेने से बचते आ रहें है । अगर केवल पिछले 10 वर्षो के ही आंकड़े देखे जाये तो पाक सेनाओं व आतंकवादियों द्वारा हज़ारों घटनायें संघर्ष विराम उल्लघंन, घुसपैठ तथा हमारे सुरक्षा बलों व सीमावर्ती नागरिको पर घात लगाकर हमले करते रहने धारावाहिक समाचार आते रहें है । इतने पर भी हम शांतिदूत बने रहकर अडिग रहें तो आक्र...
अरविन्द केजरीवाल का राजनैतिक भविष्य

अरविन्द केजरीवाल का राजनैतिक भविष्य

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चार ही वर्ष बीते हैं जिसके पूर्व भारत की जनता अरविंद केजरीवाल को योग्य प्रधानमंत्री के रुप में देखने लगी थी। अन्ना हजारे सहित अनेक लोगों ने उन पर विश्वास किया। अन्ना जी को धोखा देने के बाद भी दिल्ली की जनता ने अरविंद केजरीवाल को ऐतिहासिक समर्थन दिया। एक डेढ वर्ष बीतते बीतते ऐसा लगने लगा कि अरविंद केजरीवाल का भविष्य पागल खाने की तरफ बढ रहा है और अब एक डेढ वर्ष और बीता है तो पागल खाने की जगह जेलखाने की चर्चाएॅ शुरु हो गई हैं। मैंने राजनीति में दो प्रकार के लोगों को देखा हैं-1-वे जो गलत काम भी ऐसे कानून सक्वमत तरीके से करते है कि वे हर प्रकार के आरोपों से मुक्त रहते हैं। 2- वे जो सही काम गैर कानूनी तरीके से करते हैं। ऐसे लोगों को समाज में सक्वमान मिलता है भले ही वह काम गैर कानूनी ही ञ्चयों न हो। केजरीवाल ने एक तीसरी लाइन पकडी जिसमें उन्होनें गलत कार्य गैर कानूनी तरीके से ...
जीएसटी को संसद की मंजूरी

जीएसटी को संसद की मंजूरी

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संसद ने देश में ऐतिहासिक कर सुधार व्यवस्था जीएसटीÓ को लागू करने का मार्ग प्रशस्त करते हुए वस्तु एवं सेवा कर से जुड़े चार विधेयकों को मंजूरी दे दी। साथ ही सरकार ने आश्वस्त किया कि नयी कर प्रणाली में उपभोक्ताओं और राज्यों के हितों को पूरी तरह से सुरक्षित रखा जाएगा तथा कृषि पर कर नहीं लगाया जाएगा। राज्यसभा ने केंद्रीय माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 (सी जीएसटी विधेयक), एकीकृत माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 (आई जीएसटी विधेयक), संघ राज्य क्षेत्र माल एवं सेवाकर विधेयक 2017 (यूटी जीएसटी विधेयक) और माल एवं सेवाकर (राज्यों को प्रतिकर) विधेयक 2017 को सम्मिलित चर्चा के बाद लोकसभा को ध्वनिमत से लौटा दिया। इन विधेयकों पर लाये गये विपक्ष के संशोधनों को उच्च सदन ने खारिज कर दिया। धन विधेयक होने के कारण इन चारों विधेयकों पर राज्यसभा में केवल चर्चा करने का अधिकार था। लोकसभा 29 मार्च को इन विधेयकों को मंजूरी दे च...
युद्ध कला में माहिर नागा साधु These sadues can be very good soldier for Indian Army if given a chance

युद्ध कला में माहिर नागा साधु These sadues can be very good soldier for Indian Army if given a chance

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जीवन शैली इनके आश्रम हरिद्वार और दूसरे तीर्थों के दूरदराज इलाकों में हैं जहां ये आम जनजीवन से दूर कठोर अनुशासन में रहते हैं। इनके गुस्से के बारे में प्रचलित किस्से कहानियां भी भीड़ को इनसे दूर रखती हैं। लेकिन वास्तविकता यह है कि यह शायद ही किसी को नुकसान पहुंचाते हों। हां, लेकिन अगर बिना कारण अगर कोई इन्हें उकसाए या तंग करे तो इनका क्रोध भयानक हो उठता है। कहा जाता है कि भले ही दुनिया अपना रूप बदलती रहे लेकिन शिव और अग्निके ये भक्त इसी स्वरूप में रहेंगे। नागा साधु तीन प्रकार के योग करते हैं जो उनके लिए ठंड से निपटने में मददगार साबित होते हैं। वे अपने विचार और खानपान, दोनों में ही संयम रखते हैं। नागा साधु एक सैन्य पंथ है और वे एक सैन्य रेजीमेंट की तरह बंटे हैं। त्रिशूल, तलवार, शंख और चिलम से वे अपने सैन्य दर्जे को दर्शाते हैं। कुम्भ मेले के दौराना नागा साधुओं का एक समूह ये साधु प्रायः कु...
न सीधी बात, न सीधी कार्रवाई

न सीधी बात, न सीधी कार्रवाई

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डॉ. वेदप्रताप वैदिक नियंत्रण-रेखा पर दो भारतीय जवानों के सिर काटने की दर्दनाक घटना ने सारे भारत का पारा गर्म कर दिया है। पाकिस्तान के खिलाफ तो भावना का ज्वार उमड़ ही रहा है, भारत सरकार से भी लोग पूछे रहे हैं कि तुम्हारा 56 इंच का सीना कहां दुबकाए बैठे हो? सरकार, तेरी बोलती बंद क्यों है? विदेश मंत्रालय सिर्फ एक रस्मी बयान देकर छुट्टी कैसे पा गया है? पाकिस्तानी फौज कह रही है कि उसने किसी का सिर नहीं काटा। यह खबर ही झूठी है। कश्मीरी बगावत से अपनी जनता का ध्यान हटाने के लिए मोदी सरकार ने यह झूठी खबर फैलाई है। अगर यह खबर सच्ची है तो भारत सरकार इसके प्रमाण दे। इस तरह का बयान कितना मूर्खतापूर्ण और दुस्साहसिक है, यह कहने की जरुरत नहीं। जिन दो फौजी जवानों के सिर काटे गए हैं और जिनके क्षत-विक्षत शव उनके घर ले जाए गए हैं, उनके परिजन का कहना है कि भारत सरकार में दम हो तो एक सिर के बदले वह 50 सिर काट क...