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नर्मदा कार्ययोजना: कुछ विचारणीय सुझाव

नर्मदा कार्ययोजना: कुछ विचारणीय सुझाव

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कोई संदेह नहीं कि नर्मदा सेवा यात्रा ने निर्मलता-अविरलता के लिए आवश्यक जन-सहभागिता का एक अनुकूल वातावरण निर्मित किया है। आवश्यक है कि इस वातावरण का उपयोग किया जाये। बेहतर हो कि शासन, उत्साहित जन-समूहों को नदी को समृद्ध करने लायक कार्य करने के लिए प्रेरित करे और आवश्यकता पड़ने पर स्वयं सहयोगी और प्रोत्साहन प्रदान करने की भूमिका में रहे। समाज तब प्रेरित और प्रोत्साहित होता है, जब शासन उद्देश्य के प्रति पारदर्शी, ईमानदार, सतत् सक्रिय तथा निर्णय में समाज को सहभागी बनाता दिखाई देता है। नेतृत्व की दृष्टि जितनी स्पष्ट होगी, वह उद्देश्य को उतनी बेहतरी के साथ अंजाम दे सकेगा। मध्य प्रदेश शासन की दृष्टि से नर्मदा की समृद्धि हेतु मैने कुछ सुझाव चिन्हित किए हैं। कृपया देखें: नीति पहले, कार्ययोजना बाद में किसी भी कार्ययोजना के निर्माण से पहले नीति बनानी चाहिए। नीतिगत तथ्य, एक तरह से स्पष्ट मार्गदर्...
लेफ्ट क्यों घबराया  भाजपा से केरल में ?

लेफ्ट क्यों घबराया भाजपा से केरल में ?

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केरल में भाजपा और संघ के जुझारू प्रतिबद्धता के साथ काम करने वाले कार्यकर्ताओं की नियमित रूप से होने वाली नृशंस हत्याओं पर अपने को मानवाधिकारवादी कहने वालों की चुप्पी सच में भयभीत करती है। ये बुरहान वानी से लेकर याकूब मेमन के मानवाधिकारों के लिए जार-जार आंसू बहाते रहे हैं। पर इनका तब कलेजा नहीं फटता था, जब केरल में माकपा के गुंडे संघ और भाजपा के कार्यकर्ताओं का खून करते हैं। यह सिलसिला दशकों से चल रहा है। अब भाजपा इसका वैचारिक स्तर पर जवाब देगी। अब गोली और हथियारों के जवाब में भाजपा और संघ का राष्ट्रवाद का सिंद्धात चुनौती देगा माकपा को केरल में। केरल में राष्ट्र विरोधी ताकतों के बढ़ते असर से भाजपा का शीर्ष नेतृत्व बेखबर नहीं है। इसलिए उसने गॉड्स ओन कंट्री में वामपंथी विचारधारा से निपटने के लिए मिशन मोड में काम करने का फैसला किया है। हाल ही में उड़ीसा में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शा...
अब निपटेगी डी एन डी टोल कम्पनी पूरी तरह

अब निपटेगी डी एन डी टोल कम्पनी पूरी तरह

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चोरी और सीनाजोरी। डीएनडी टोल कम्पनी की यही कहानी है। इलाहबाद उच्च न्यायलय द्वारा टोल वसूली बंद करने के आदेश के बाद टोल कम्पनी आदेश पर रोक के लिए उच्चतम न्यायलय तो चली गयी, किंतू वहां उसे मुँह की खानी पड़ी। न्यायलय ने टोल वसूली रोकने के आदेश को रद्द ही नहीँ किया, उलटे कम्पनी के खातों की सी ए जी से जांच के आदेश दे दिए। मौलिक भारत ने जब सी ए जी को कम्पनी के कारनामो का सबूतों सहित कच्चा चि_ा भेजा तो मौलिक भारत के सदस्यों विकास गुप्ता, अनुज अग्रवाल, अमरनाथ ओझा और पंकज गोयल पर 80 करोड़ रूपये का मानहानि का नोटिस भेज धमकाने की कोशिश की। अब सी ए जी ने अपनी जांच रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय को सौप दी है तो उम्मीद है कि टोल कम्पनी के काले कारनामे और लूट के किस्से जगजाहिर होंगे और अपराधियों को सजा मिलेगी। मौलिक भारत के उपाध्यक्ष विकास गुप्ता ने उच्चतम न्यायलय में इस बिषय में विशेष अनुमति याचिका भी डाली हुई...
यह तूफानी कार्यवाही का समय है योगी जी – मौलिक भारत

यह तूफानी कार्यवाही का समय है योगी जी – मौलिक भारत

Today News, TOP STORIES
आयकर विभाग भी जनता और सरकार की आँखों में धूल ही झोंकता रहता है। कल विभाग ने मायावती के भाई आनंद की कंपनियो का सर्वे किया। कारण विभाग को शक है कि आनंद ने बड़ी मात्रा में कालाधन बनाया है। कितना हास्यास्पद है कि जब हम काफी समय पूर्व ही मौलिक भारत के माध्यम से आनंद और यादव सिंह की जुगलबंदी और सैकड़ो फर्जी कंपनियो के सबूत काले घन पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनी एस आई टी, सी बी आई, अन्य जांच एजेंसियो केंद्र और यू पी सरकार सहित मीडिया को भी दे चुके हैं उसके बाद भी उथली और दिखाबे की कार्यवाही करना जनता की आँखों में धूल झोंकने के समान है। सच तो सबको ही पता है कि मायावती ने अपने शासनकाल में बेतरह लूट मचाई और अपने भाई और यादव सिंह जैसी सेकड़ो कठपुतलियों के माध्यम से लाखों करोड़ का माल बनाया और सेकड़ो फर्जी कम्पनियों के माध्यम से सफ़ेद कर देश विदेश में निवेश किया। सन् 2009 में स्वयं भाजपा ने माया...
आप की उल्टी गिनती शुरू

आप की उल्टी गिनती शुरू

Today News, TOP STORIES, राज्य
आजकल उल्टी गिनती एक ”सूचक“ बन गई है, किसी महत्वपूर्ण काम की शुरूआत के लिए या किसी बड़े बदलाव के लिए। हमारे यहां भी कई उल्टी गिनतियां चल रही हैं। एक महत्वपूर्ण उल्टी गिनती पर देश की निगाहें लगी है। जुमा जुमा चार साल पहले पैदा हुई आम आदमी पार्टी की इस उल्टी गिनती की आग में दिल्ली नगर निगम चुनाव के नतीजे ने तेल का काम किया है। अब कुमार विश्वास को लेकर खड़ा हुआ संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। उनकी नाराजगियां तो ऐसी हंै कि पार्टी नेता अरविन्द केजरीवाल कोे सचाई का आइना दिखा रही है। निगम चुनाव के नतीजे एक तरह से मीडिया संस्थानों द्वारा कराए गए सर्वेक्षणों का प्रतिबिंब ही थे। उसके बावजूद केजरीवाल ने राजनीतिक अपरिपक्वता और अहंकार का परिचय देकर धमकाते हुए कहा कि चुनाव परिणाम उनके पक्ष में नहीं आए तो वह ‘ईंट से ईंट बजा’ देंगे। अब लगता है उनकी ‘ईंट से ईंट बज’ रही है। क्योंकि न तो कुमार विश्वा...
मजदूरों के लिए विपरीत समय

मजदूरों के लिए विपरीत समय

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यह एक जटिल और कन्फ्यूज़्ड समय है, जहां बदलाव की गति इतनी तेज और व्यापक है कि उसे ठीक से दर्ज करना भी मुश्किल हो रहा है. पूरी दुनिया में एक खास तरह की बैचनी महसूस की जा रही है. पुराने मॉडल और मिथ टूट रहे हैं. यहाँ तक कि अमरीका और यूरोप जैसे लोकतान्त्रिक मुल्कों में लोग उदार पूंजावादी व्यवस्था से निराश होकर करिश्माई और धुर दक्षिणपंथी नेताओं के शरण में पनाह तलाश रहे हैं. फ्रेंच अर्थशास्त्री थॉमस पिकेटी ने पहले ही इस संकट की तरफ इशारा कर दिया था, 2013 में प्रकाशित अपनी बहुचर्चित पुस्तक “कैपिटल इन द ट्वेंटी-फर्स्ट सेंचुरी” में बताया कि पश्चिमी दुनिया में कैसे आर्थिक विषमता बढती जा रही है. आंकड़ों के सहारे उन्होंने समझाया था कि पूंजीवाद व्यवस्थाओं में विषमता घटने को लेकर कोई दावा नहीं किया जा सकता. 1914 से 1974 के बीच भले ही विषमता कम हुई हो जोकि केंस जैसे अर्थशास्त्रियों द्वारा प्रतिपादित कल्य...
कश्मीर-छतीसगढ़ में नहीं बचेंगे देश के दुश्मन

कश्मीर-छतीसगढ़ में नहीं बचेंगे देश के दुश्मन

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कश्मीर में हालात खराब भले ही दिख रहे हों, पर देश को कतई विचलित होने की आवश्यकता नहीं है। इसी तरह से छतीसगढ़ में अब माओवादी बचेंगे नहीं। दोनों जगहों पर देश विरोधी ताकतों को सख्ती से और सफलतापूर्वक कुचला जाएगा। कश्मीर में मुठ्ठी भर स्कूली कन्याओं द्वारा सुरक्षा बलों पर पथराव करवाने के ड्रामे और छतीसगढ़ में शहीद हुए सीआरपीएफ के जवानों के शवों को देखकर देशभर में गुस्सा है। सारा देश इन ताकतों को सख्तीपूर्वक कुचलने की मांग कर रहा है। छतीसगढ़ में जिस कायरता से सीआरपीएफ के जवानों को शहीद किया गया, उसे देश याद रखेगा। अब माओवादियों के बचने का प्रश्न ही नहीं उठता है। और, अगर बात कश्मीर की करें तो भारतीय सेना किसी भी स्थिति से निपटने में पूर्णत सक्षम एवं समर्थ है। कश्मीरवादी के भीतरी इलाकों में ही नहीं, एलओसी पर भी सेना ने आतंकी मंसूबों को पूरी तरह नाकाम बनाते हुए कई नामी आतंकियों को मार गिराया...
Weekly holiday in markets of Indian capital city

Weekly holiday in markets of Indian capital city

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Delhi should adopt a uniform pattern of weekly holidays. All those markets remaining open on Sundays should be uniformly closed on Saturdays. Outsiders coming to Delhi will be sure of opening of all markets for first five working days of the week. Shopkeepers and their employees will have at least one common weekly holiday with government employees under five-day week system in government offices. However shops of essential services like barbers, flour-mills etc may have Tuesday as common weekly holiday. When Mumbai can follow uniform weekly-off of Sunday without any problem, Delhi can at least step for optional off on Sunday or Saturday.   To achieve greater efficiency, all offices should have a longer pre-lunch session of four hours, like in public-sector banks. Offices having...
Fast-track moving towards ruling party finds easy acceptance there with an ideology-less politics in India

Fast-track moving towards ruling party finds easy acceptance there with an ideology-less politics in India

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There has been a race amongst some leading names in opposition rushing towards ruling BJP, with even BJP giving an easy entry to those changing sides. Interestingly these very politicians in opposition were earlier amongst the most critical ones for the ruling BJP. Likewise BJP spokespersons were most critical even personally for such politicians now joining BJP. All this reflects that morals and ethics are now nowhere in Indian politics where politics has unfortunately become a profession for many who have no ideology other than to continue with their profession of politics by making hay while the sun shines.   While healthy democratic tradition requires two-party system, India is fast moving from earlier multi-party system now to a single-party system. Fortunately BJP has stuck to a po...
न्याय पंचायत बढ़ेगी, तो मुक़दमें घटेंगे

न्याय पंचायत बढ़ेगी, तो मुक़दमें घटेंगे

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लंबित मुक़दमें की संख्या और उसके दोषी कारणों को लेकर आये दिन बहस होती है। जजों की कम संख्या, न्यायालयों में पेशकार और वकीलों की मिलीभगत और शासन की ढिलाई जैसे कई कारण इसके लिए ज़िम्मेदार बताये जाते हैं। मीडिया में बहस का मुद्दा यह शायद ही कभी बना हो, कि ऐसा क्या किया जाये कि ऊपर की अदालतों में मुक़दमा दर्ज कराने की नौबत कम से कम आये। गुजरात मुख्यमंत्री के तौर पर श्री नरेन्द्र मोदी ने अवश्य गांव को मुक़दमामुक्त और सद्भावपूर्ण बनाने की दृष्टि से समरस गांव योजना के तहत् 'पावन गांव और 'तीर्थ गांव' का आह्वान तथा सम्मान किया था। राष्ट्रीय मीडिया के लिए ऐसा प्रयास न तब बहस अथवा प्रचार का विषय था और न अब।   सक्रिय न्याय पंचायतों का असर    आंकडे़ बताते हैं कि जिन राज्यों में न्याय पंचायत व्यवस्था सक्रिय रूप से अस्तित्व में है, कुल लंबित मुक़दमों की संख्या में उनका हिस्सेदारी प्रतिशत अन्य राज्यों की त...